हिज़्बुल्लाह के गठन का उद्देश्य ज़ालिम से मुक़ाबला और मज़लूम की रक्षा

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हिज़्बुल्लाह के गठन का उद्देश्य ज़ालिम से मुक़ाबला और मज़लूम की रक्षा

ईरान  की संसद मजलिसे शुराये इस्लामी के सभापति ने कहा है कि सैयद हसन नस्रुल्लाह की शहादत ने दर्शा दिया कि ज़ायोनी सरकार से सांठ-गांठ अर्थहीन है।

संसद सभापति मोहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़ ने शनिवार को लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के शहीद महासचिव सैयद हसन नस्रुल्लाह के चेहलुम के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि नस्रुल्लाह मोमिन और मुजाहिद की शहादत उनके और प्रतिरोध के मोर्चे के लिए पराजय नहीं है। उनकी शहादत हर समय से अधिक नरकवासी उनके हत्यारों के चेहरे से नक़ाब हटाती है और इस बात को स्पष्ट कर देती है कि ज़ायोनी सरकार से सांठ-गांठ अर्थहीन व बेकार है।

समाचार एजेन्सी इर्ना ने बताया है कि क़ालीबाफ़ ने बल देकर कहा कि नस्रुल्लाह भी तूफ़ाने अक़्सा के आरंभ से हमास के साथ खड़े थे और उनका मानना व विश्वास था कि कोई भी जंग उस तरह से वैध नहीं है जिस तरह से ज़ायोनी सरकार से मुक़ाबला।

ईरान के संसद सभापति ने कहा कि सैय्यद हसन नस्रुल्लाह एक दूरदर्शी राजनेता थे, वह क्रांतिकारी और जेहादी विचारों के साथ धर्म और बुद्धिमत्ता की बात करते और उस पर अमल करते थे और उन्होंने लेबनान के शिया समुदाय का मार्गदर्शन किया कि वे लेबनान के दूसरे क़बीलों के साथ घुलमिल कर रहें।

उन्होंने बल देकर कहा कि हिज़्बुल्लाह, सैय्यद अब्बास मूसवी और सैय्यद हसन नस्रुल्लाह जैसे नेताओं की शहादत से न तो अपने सिद्धांतों से हटा और न ही अपने मार्ग से विचलित हुआ। हिज़्बुल्लाह के गठन का उद्देश्य ज़ालिम व अत्याचारी से मुक़ाबला और मज़लूम की रक्षा है और यह ऐसी शिक्षा है जो न केवल इस्लामी है बल्कि मानवता की अंतरआत्मा के मुताबिक़ है।

उन्होंने कहा कि नस्रुल्लाह हिज़्बुल्लाह को केवल एक सैनिक संगठन के रूप में नहीं देखते थे बल्कि वह हिज़्बुल्लाह को कई क़दम आगे ले गये और उसे एक सामाजिक संगठन में परिवर्तित कर दिया। साथ ही उन्होंने हिज़्बुल्लाह की सैन्य शक्ति को बेहतर बनाया यहां तक कि वह पश्चिम एशिया में एक महत्वपूर्ण व स्ट्रैटेजिक सैन्य संगठन में परिवर्तित हो गया।

क़ालीबाफ़ ने बल देकर कहा कि आतंकवादी गुट दाइश को नियंत्रित करने में विश्व हिज़्बुल्लाह की भूमिका को नहीं भूल सकता। यह हिज़्बुल्लाह था जिसने अपने सपूतों और शूरवीरों की क़ुर्बानी देकर इस अंतरराष्ट्रीय चुनौती व ख़तरे को नियंत्रित करके विश्व में शांति व सुरक्षा स्थापित की।

उन्होंने बल देकर कहा कि आज दुनिया की सुरक्षा और विशेषकर यूरोप की सुरक्षा शहीद नस्रुल्लाह की ऋणी है, हिज़्बुल्लाह शांति व सुरक्षा का कारण है और अगर अमेरिकी राजनेता वास्तव में पश्चिम एशिया में शांति चाहते थे तो उन्हें अपने पालतू कुत्ते को नियंत्रित करना चाहिये था न यह कि हिज़्बुल्लाह के मेधावी और बुद्धिमान कमांडर को बमों, दूसरे सैन्य संसाधनों और सैनिक जानकारियों की मदद से शहीद करते।

"मकतबे नस्रुल्लाह" शीर्षक के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेन्स सैय्यद हसन नस्रुल्लाह के चेहलुम के अवसर पर तेहरान में आयोजित हुई थी। इस कांफ्रेन्स में विश्व के 13 देशों के बुद्धिजीवियों आदि ने भाग लिया।

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