हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली रज़ा पनाहियान ने कहा, वली ए फकीह समाज के हर व्यक्ति की इज्जत व करामात की हिफाजत करता है और चाहता है कि समाज अहम मौकों पर सही निर्णय लेने की क्षमता हासिल करे। एक असली शिया भी इमाम की इताअत में हज़रत फातिमा मासूमा (स.अ.) की तरह होता है, जो अपने इमाम की सहायता के लिए इमाम रज़ा अ.स.की तरफ रवाना हुई थीं।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली रज़ा पनाहियान ने हज़रत फातिमा मासूमा स.अ.की शब-ए-विलादत के मौके पर हरम-ए-मुक़द्दस हज़रत मासूमा (स.अ.) में आयोजित मजलिस में खिताब करते हुए कहा,विलायत, विलायत-मदारी और इमाम पर ईमान, सद्र-ए-इस्लाम (इस्लाम के शुरुआती दौर) में अजनबी अवधारणाएँ नहीं थीं।
लोगों को इमामत से आम तौर पर कोई समस्या नहीं थी, समस्या यह थी कि वे हर किसी की विलायत और इमामत को स्वीकार कर लेते थे।
उन्होंने कहा, जितना भी अवलिया-ए-इलाही ने कोशिश की कि लोगों को बेजा विलायत-परस्ती से दूर करें, सफल नहीं हो सके क्योंकि लोगों में इमाम और वली की पहचान के लिए जरूरी बसीरत और समझ मौजूद नहीं थी।
हुज्जतुल इस्लाम पनाहियान ने आगे कहा, सद्र-ए-इस्लाम के समाज में लोग अमीरुल मोमिनीन अली (अ.स.) की फज़ीलतों और उनकी विसायत पर शक नहीं करते थे। उनका मसला इताअत-ए-विलायत से इनकार नहीं था, बल्कि यह था कि वे यज़ीद जैसे नीच इंसान की विलायत को भी कबूल करने के लिए तैयार हो जाते थे।
हरम-ए-मुक़द्दस हज़रत मासूमा स.अ. के खतीब ने कहा: सद्र-ए-इस्लाम के लोग वाक़िया-ए-ग़दीर को अच्छी तरह जानते थे, यह वाक़िया पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ा और अक्सर लोग इसके बारे में बाखबर थे। उनका मसला इमामत व विलायत के सिद्धांत से इनकार का नहीं था, बल्कि वह रसूलुल्लाह (स.अ.व.) और अहल-ए-बैत (अ.स.) के ज़रिए समाज की इमामत व रहबरी (नेतृत्व) के तरीके से इख्तिलाफ (असहमति) रखते थे।
वली-ए-फकीह समाज के हर व्यक्ति की इज्जत और करामात का ध्यान रखता है। असली शिया इमाम की इताअत में हज़रत फातिमा मासूमा (स.अ.) की तरह होता है। इस्लाम के शुरुआती दौर में लोगों को इमामत के सिद्धांत से समस्या नहीं थी, बल्कि वे गलत लोगों की भी विलायत स्वीकार कर लेते थे।
लोगों में इमाम और वली की पहचान के लिए जरूरी बसीरत (दूरदर्शिता) की कमी थी। लोग यज़ीद जैसे नीच लोगों की विलायत भी स्वीकार करने को तैयार हो जाते थे। वाक़िया-ए-ग़दीर को लोग जानते थे, लेकिन अहल-ए-बैत (अ.स.) के नेतृत्व के तरीके से असहमत थे।