आयतुल्लाह मोहम्मद मेहदी शबज़िंन्ददार ने क़ुम में हौज़ा-ए-इल्मिया की पुनःस्थापना की सौवीं वर्षगांठ के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के अतिथियों से मुलाक़ात में क़ुम के प्राचीन धार्मिक और वैज्ञानिक इतिहास की ओर इशारा करते हुए इस शहर की इस्लामी शिक्षाओं के प्रचार में केंद्रीय भूमिका पर ज़ोर दिया।
,क़ुम में हौज़ा इल्मिया की पुनःस्थापना की सौवीं वर्षगांठ पर अंतरराष्ट्रीय मेहमानों की आयतुल्लाह मोहम्मद मेहदी शबज़िंदहदार से मुलाक़ात हुई
हौज़ा इल्मिया की सर्वोच्च परिषद के सचिव आयतुल्लाह मोहम्मद मेहदी शबज़िंदहदार ने कहा कि क़ुम का एक पुराना और रिच र्मिक सांस्कृतिक इतिहास है। यह शहर इमामों के ज़माने से ही शिया इस्लाम और बड़े-बड़े आलिमों का केंद्र रहा है। उन्होंने बताया कि क़ुम के केंद्र में स्थित इमाम हसन अस्करी (अ.स.) की मस्जिद खुद उनकी हिदायत पर बनाई गई थी और इसके आस-पास कई महान विद्वानों की कब्रें मौजूद हैं।
आयतुल्लाह शबज़िंदहदार ने इमाम सादिक़ (अ.स.) के एक कथन का हवाला दिया जिसमें उन्होंने फरमाया था कि “एक समय आएगा जब ‘क़ुम’ नामक शहर से ज्ञान का उदय होगा और यह शहर ज्ञान और पुण्य का स्रोत बन जाएगा।
ऐसा समय आएगा जब धरती पर कोई ऐसा व्यक्ति नहीं रहेगा, यहाँ तक कि पर्दानशीन महिलाएं भी, जो धार्मिक ज्ञान से वंचित रह जाएं। यह दौर हमारे क़ायम (इमाम मेहदी) के ज़ुहूर के क़रीब होगा। क़ुम और उसके लोग हुज्जत के स्थान पर होंगे, और वहीं से ज्ञान पूरे पूर्व और पश्चिम की ओर फैलेगा।” (بحار الانوار, खंड 23, पृष्ठ 60)
उन्होंने इमाम सादिक़ (अ.स.) की उस भविष्यवाणी की ओर भी इशारा किया जिसमें उन्होंने इमाम काज़िम (अ.स.) के जन्म से 45 साल पहले यह बताया था कि मेरी एक बेटी (हज़रत मासूमा स.) क़ुम में दफन होंगी और उनकी ज़ियारत जन्नत में दाख़िले का कारण बनेगी। यह बात क़ुम की बेशकीमती धार्मिक हैसियत को दर्शाती है।
आयतुल्लाह शबज़िंदहदार ने ज़ोर दिया कि हौज़ा इल्मिया और विद्वानों की जिम्मेदारी है कि वे लोगों को विचारधारा के स्तर पर मज़बूत करें। जिस तरह मेडिकल वैक्सीन शरीर को बीमारियों से बचाती है, उसी तरह मज़बूत दलीलों और प्रशिक्षण से लोगों के दिमाग को शंकाओं से सुरक्षित करना चाहिए। इसके लिए जागरूक और प्रतिबद्ध छात्रों को प्रशिक्षित करना ज़रूरी है।
उन्होंने कहा कि आज के दौर में हौज़ा इल्मिया को विभिन्न भाषाओं और कलात्मक तरीकों से इस्लामी शिक्षाओं को पूरी दुनिया तक पहुँचाना चाहिए। अल-मुस्तफा विश्वविद्यालय के छात्रों का सफल अनुभव इस बात का प्रमाण है कि हौज़ा की शिक्षा में व्यापक प्रभाव और क्षमता है।