इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ ईरान ब्रॉडकास्टिंग ऑर्गनाइज़ेशन के प्रमुख ने कहा है कि शहीद इस्माइल हनिया, याह्या सिनवार और सैयद हसन नसरुल्लाह का ख़ून, शिया और सुन्नियों के बीच प्रतिरोध और एकता का प्रतीक है।
आईआरआईबी के प्रमुख पैमान जिब्बिली ने गुरुवार को ईरान के होर्मोज़्गान प्रांत में सुन्नी विद्वानों से मुलाक़ात की और शियाओं द्वारा सुन्नियों के लिए निरंतर समर्थन और ग़ज़ा और फ़िलिस्तीन के इतिहास में इसकी स्पष्ट अभिव्यक्ति का ज़िक्र करते हुए कहाः शहीद इस्माइल हनिया, याह्या सिनवार और सैयद हसन नसरुल्लाह का ख़ून शिया और सुन्नियों के बीच प्रतिरोध और एकता का प्रतीक है।
ईरान के राष्ट्रीय मीडिया के प्रमुख ने विभिन्न क्षेत्रों में सुन्नियों की क्षमताओं के उपयोग पर आधारित इस्लामी गणराज्य की नीतियों के उल्लेख के लिए संगठन के प्रयासों पर ज़ोर देते हुए कहाः इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के अनुसार, जो शिया सुन्नियों की धार्मिक मान्यताओं का अपमान करता है, वह एक ब्रिटिश शिया है।
एकता बनाए रखना पहले से कहीं अधिक आवश्यक है
ईरानी कुर्दिस्तान के गवर्नर आरश ज़र्रेहतन लहौनी ने भी पिछले सप्ताह प्रांत के सुन्नी मौलवियों और विद्वानों के एक समूह के साथ बैठक में कहा था कि आज एकता का महत्व अतीत की तुलना में कहीं अधिक है। उनका कहना थाः सुन्नी और शिया विद्वानों के व्यवहार और बातों में एकता को मज़बूत करने के लिए किए गए प्रयास और रुख़ स्पष्ट हैं और यह देश और ईरानी राष्ट्र के हित में है। उन्होंने आगे कहाः सुन्नी मुसलमानों का पवित्र पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिवार के प्रति विशेष सम्मान और विश्वास है, और इस संबंध में, लोगों ने हमेशा विद्वानों का अनुसरण किया है।
इस्लामी उम्माह की एकजुटता मुसलमानों की गरिमा को बहाल करती है
ईरान के दक्षिण ख़ुरासान प्रांत के असदिए शहर के इमामे जुमा मौलवी सैयद अहमद अब्दुल्लाही इस्कंदर ने भी कहा है कि हमें इस्लामी देशों के बीच एकता और मेल-मिलाप के माध्यम से दुश्मनों की योजनाओं को विफल और पराजित करना होगा। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मुसलमानों की गरिमा को बढ़ाने और एकीकृत करने के लिए इस्लामी उम्माह की एकता को मज़बूत करना बहुत ज़रूरी है। मौलवी इस्कंदर ने कहाः पिछले कुछ वर्षों में, हमने संयुक्त राज्य अमेरिका और ज़ायोनियों द्वारा इस्लाम के दुश्मनों के क्रूर प्रतिबंधों के साथ-साथ उनके षड्यंत्रों को भी देखा है, इसलिए इस्लामी राष्ट्र की यह सहानुभूति, भाईचारा और एकता दुश्मनों की इन कई भयावह योजनाओं को बेअसर कर सकती है।
शोषितों की रक्षा में शहीद रईसी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता
बुधवार को ईरान के दिवंगत राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहीम रईसी और उनके अन्य साथियों की शहादत की पहली वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह के दौरान, महाबाद के इमामे जुमा अब्दुल सलाम इमामी ने कहाः ग़ज़ा पट्टी के उत्पीड़ित लोगों और मुसलमानों की रक्षा में शहीद रईसी के प्रयास प्रशंसनीय हैं, जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहाः शहीद रईसी ने शहीद जनरल क़ासिम सुलेमानी की तस्वीर और पवित्र क़ुरान दिखाकर संयुक्त राष्ट्र में प्रतिरोध की धुरी और इस्लाम धर्म का साहसपूर्वक बचाव किया। मौलवी इमामी ने ज़ोर देकर कहाः ग़ज़ा में ज़ायोनी शासन की बमबारी और अपराधों को दो साल बीत चुके हैं, और अभी भी इस्लामी रेज़िस्टेंस, ईरान और यमन के अलावा कोई भी मुस्लिम देश अवैध ज़ायोनी शासन के नरसंहार के ख़िलाफ़ खड़ा नहीं हुआ है।