हौज़ा ए इल्मिया में फ़िक़्ही विषयों का समर्थन अत्यंत महत्वपूर्ण और आवश्यक है

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हौज़ा ए इल्मिया में फ़िक़्ही विषयों का समर्थन अत्यंत महत्वपूर्ण और आवश्यक है

हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख ने इस्लामी उलूम के दायरे और सामाजिक क्षेत्रों में विषय विशेष अध्ययन की रणनीतिक महत्व पर ज़ोर देते हुए, हौज़ा और इस्लामी व्यवस्था से जुड़े समन्वित संस्थानों के साथ सामंजस्य और इस क्षेत्र में शैक्षणिक भूमिका और शोध समर्थन के विस्तार की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा अराफी ने "मर्कज़ ए तौज़ुह शिनासी-ए अहकाम-ए फ़िक़्ही के संस्थापक हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन फ़लाह ज़ादेह और अध्यक्ष हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन बयात से मुलाकात में हौज़ात ए इल्मिया में फ़िक़्ही विषय विशेष गतिविधियों के विस्तार और सुदृढ़ीकरण की आवश्यकता पर ज़ोर दिया हैं।

उन्होंने इस्लामी विज्ञान में विषय-विशेष अध्ययन के व्यापक दायरे का हवाला देते हुए कहा,इस क्षेत्र में सामाजिक विषयों की नींव से लेकर आम लोगों के दैनिक जीवन के विवरण तक सब कुछ शामिल है और समाज के सभी वर्गों पर इसका प्रभाव है।

हौज़ा  ए इल्मिया की उच्चस्तरीय परिषद के इस सदस्य ने आगे कहा,हम हौज़ात ए इल्मिया के रूप में, अपनी क्षमता के अनुसार विषय-विशेष अध्ययन से संबंधित गतिविधियों का समर्थन करने की घोषणा करते हैं।

उन्होंने संगठनात्मक संबंध स्थापित करने को विषय-विशेष अध्ययन केंद्र की स्थिति को मजबूत करने की पहली सीढ़ी बताते हुए कहा, यह आवश्यक है कि यह केंद्र, हौज़ा और इस्लामी व्यवस्था से जुड़े समन्वित संस्थानों के साथ अधिक सामंजस्य स्थापित करे, ताकि इसकी स्पष्ट स्थिति और आवश्यक ढांचा (इन्फ्रास्ट्रक्चर) बन सके।

आयतुल्लाह अराफी ने कहा,विषय विशेष अध्ययन केंद्र, हौज़ा की शैक्षणिक व्यवस्था में एक बहुत ही महत्वपूर्ण और संयोजनात्मक भूमिका रखता है। विषय-विशेष अध्ययन एक ओर एक स्थायी विषय है, तो दूसरी ओर इसे सभी फ़िक़्ही क्षेत्रों में मौजूद होना चाहिए इसलिए यह आवश्यक है कि विभिन्न क्षेत्रों में इसकी स्थिति को स्पष्ट और व्यक्त किया जाए।

 

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