इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के बारे में इमाम ए हसन अस्करी अ.स.की कुछ हादीसे

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इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के बारे में इमाम ए हसन अस्करी अ.स.की कुछ हादीसे

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम का एक काम महामुक्तिदाता इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम की ग़ैबत के काल से मोमिनीन को अवगत करना और यह बताना था कि ग़ैबत अर्थात नज़रों से ओझल होना।

हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम का एक काम महामुक्तिदाता इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम की ग़ैबत के काल से मोमिनीन को अवगत करना और यह बताना था कि ग़ैबत अर्थात नज़रों से ओझल होना किस प्रकार का होगा।

इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम पैग़म्बरे इस्लाम के 11वें उत्तराधिकारी हैं उनका जन्म 232 हिजरी क़मरी में हुआ था उनके पिता मुसलमानों के 10वें इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम और उनकी माता का नाम हदीसा था।

इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम की सबसे प्रसिद्ध उपाधि हादी थी। इमाम हादी अलैहिस्सलाम को समय के अत्याचारी शासक बनी अब्बास ने शहीद करवा दिया था और उनकी शहादत के बाद लोगों के मार्गदर्शन का ईश्वरीय दायित्व 11वें इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने संभाला।

इस्लामी रिवायतों के अनुसार इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम का एक कार्य इमाम ज़मान अलैहिस्सलाम की ग़ैबत के संबंध में मोमिनों के मध्य भूमि प्रशस्त करना था और मोमिनों को यह बताना व समझाना था कि इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम की ग़ैबत किस प्रकार की होगी।

इमाम महदी अलैहिस्सलाम की फ़ज़ीलत और उनकी पहचान के संबंध में बहुत हदीसें हैं जिनका स्रोत महान ईश्वर है परंतु इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम द्वारा इस बात पर बल दिये जाने का महत्वपूर्ण व उल्लेखनीय महत्व है।

मूसवी बग़दादी कहते हैं कि मैंने इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम से सुना है कि वह फ़रमाते थे कि आगाह व सावधान रहो कि जो पैग़म्बरे इस्लाम के बाद के इमामों को क़बूल करे परंतु वह इमाम मेहदी का इंकार करे तो वह उस व्यक्ति की भांति है जो समस्त ईश्वरीय पैग़म्बरों और उसके रसूलों को मानता हो परंतु पैग़म्बरे इस्लाम की नबुअत का इंकार कर दे इमाम मेंहदी के लिए ऐसी ग़ैबत है जिसके बारे में लोग संदेह करेंगे मगर वह जिसकी रक्षा अल्लाह करे।

अली बिन हमाम भी मोहम्मद बिन उस्मान अम्री से और वह अपने पिता से रिवायत करते हैं कि मैं इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम के पास बैठा हुआ था कि उनसे उस रिवायत के बारे में सुना जो उनके पूर्वजों से सुनी गयी थी जिसमें कहा गया था कि ज़मीन प्रलय तक हुज्जते ख़ुदा अर्थात अल्लाह के प्रतिनिधि से ख़ाली नहीं होगी और अगर कोई मर जाये और अपने ज़माने के इमाम को न पहचाने तो वह अज्ञानता की मौत मरता है।

इमाम ने इस हदीस का अर्थ बयान करते हुए फ़रमाया यह हक़ और सही बात है। यह बात रोज़े रौशन की तरह हक़ीक़त रखती है। इसके बाद लोगों ने इमाम से पूछा हे पैग़म्बरे इस्लाम के बेटे! आपके बाद कौन इमाम है?

इमाम ने फ़रमाया मेरा बेटा मोहम्मद (महदी) वह मेरे बाद इमाम है जो मर जाये और उसे न पहचाने वह अज्ञानता की मौत मरता है।

जान लो कि उसके लिए ग़ैबत है कि नादान व नासमझ लोग उससे विमुख हो जायेंगे और गुमराह लोग हलाक व बर्बाद हो जायेंगे और जो भी उसके ज़ुहूर के लिए नियत समय की बात करे वह झूठा है। महदी लोगों की मुक्ति के लिए अंतिम समय में आयेगा उसका ध्वज सफ़ेद होगा जो उसके सिर पर कूफ़ा और नजफ़ में लहरायेगा।

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