
رضوی
हज़रत इमाम हसन अस्करी अ.स. के बाद सामने आने वाले कई फ़िर्क़े उनकी संक्षिप्त परिचय
इतिहासकारों ने लिखा है कि इमाम हसन असकरी अ.स. की शहादत के बाद लोग 14 या 15 फ़िर्क़ों में बंट गए, कुछ इतिहासकारों के अनुसार 20 फ़िर्क़ों में बंट जाने तक का ज़िक्र मौजूद है।
अब्बासी बादशाह अपनी ज़ुल्म और अत्याचार वाले स्वभाव के चलते दिन प्रतिदिन अपनी लोकप्रियता को खो रहे थे, लेकिन हमारे मासूम इमाम अ.स. अपने पाक किरदार और नेक सीरत के चलते लोगों के दिलों में उतरते जा रहे थे और उनकी लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही थी,
अब्बासी बादशाह सामाजिक तौर पर कमज़ोर होते जा रहे थे और हमारे इमाम अ.स. सामाजिक तौर पर मज़बूत हो रहे थे, और ऐसा होते हुए अपनी आंखों से देखना अब्बासी बादशाहों को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था, वह हमेशा से इमामों पर ज़ुल्म करते आए थे यहां तक कि इमाम असकरी अ.स. का घर अब्बासी हुकूमत की कड़ी निगरानी में था,
इमाम अ.स. के चाहने वाले और आपके शिया इमाम अ.स. से खुलेआम ना ही मुलाक़ात कर सकते थे और ना ही बातचीत, बनी अब्बास ने अपनी पूरी कोशिश और ताक़त केवल इसी में झोंक रखी थी कि जैसे ही इमाम हसन असकरी अ.स. के यहां बेटे की विलादत हुई वह उसे तुरंत जान से मार डालेंगे,
ज़ाहिर सी बात है ऐसे घुटन के माहौल और ऐसे परिस्तिथि और बनी अब्बास की ऐसा साज़िश के चलते इमाम हसन असकरी अ.स. के लिए सावधानी बरतना और तक़य्या के रास्ते को चुनना ज़रूरी हो गया था ताकि अपनी, अपने बेटे, अल्लाह के दीन और साथ ही अपने शियों की जान बचा सकें, यही वजह है कि इमाम हसन असकरी अ.स. के दौर में दूसरे सारे इमामों से ज़्यादा सावधानी बरती जा रही थी और तक़य्या पर अमल हो रहा था और इमाम अ.स. भी बहुत संभल कर क़दम उठा रहे थे और लगभग सारे कामों को छिप कर अंजाम दे रहे थे सारी बातों और ख़बरों को छिपा कर रख रहे थे जिनमें से एक ख़बर इमाम महदी अ.स. की विलादत की ख़बर थी।
नए फ़िर्क़ों के सामने आने की वजह
इमाम ज़माना अ.स. की जान की हिफ़ाज़त के लिए उनकी विलादत की ख़बर को छिपाने के कराण कुछ शिया इमाम हसन असकरी अ.स. और इमाम ज़माना अ.स. की इमामत में शक करने लगे (क्योंकि शिया अक़ीदे के मुताबिक़ इमाम हसन असकरी अ.स. का बेटा होना ज़रूरी है ताकि वह उनके बाद इमाम बन सके और अगर इमाम हसन असकरी अ.स. को बेटा नहीं हुआ तो ख़ुद उनकी इमामत में भी शक होने लगा) लोगों को इस हद तक शक हुआ कि इतिहासकारों ने लिखा है कि इमाम हसन असकरी अ.स. की शहादत के बाद लोग 14 या 15 फ़िर्क़ों में बंट गए, कुछ इतिहासकारों के अनुसार 20 फ़िर्क़ों में बंट जाने तक का ज़िक्र मौजूद है।
एक तरफ़ इमाम ज़माना अ.स. की विलादत की ख़बर को उनकी जान की हिफ़ाज़त की वजह से छिपाना और दूसरी तरफ़ जाफ़र का इमामत का दावा यह दोनों बातें उस दौर के शियों के लिए काफ़ी परेशानी की वजह बनी, इन सारी परेशानियों के साथ साथ दूसरे फ़िक्री और अक़ीदती फ़िर्क़े वालों ने शिया फ़िर्क़े पर जम के आरोप लगाए
और जो कुछ उनसे हो सका उन लोगों ने कहा, मोतज़ेलह, अहले हदीस, ज़ैदिया और ख़ास कर बनी अब्बास ने शिया फ़िर्क़े पर आरोप लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, हक़ीक़त तो यह है कि इमाम हसन असकरी अ.स. की शहादत के बाद शियों में जो शक का दौर रहा है वह उससे पहले कभी नहीं देखा गया,
लेकिन जैसे ही शियों को भरोसेमंद स्रोत से इमाम ज़माना अ.स. की विलादत की ख़बर मिली वह संतुष्ट हो गए और इमाम ज़माना अ.स. की इमामत को स्वीकार भी किया और उनकी पैरवी को अपने ऊपर बाक़ी इमामों की तरह वाजिब समझा, और बाक़ी के सारे फ़िर्क़े जो इस दौर में सामने आए थे वह सब कुछ ही समय में नाबूद हो गए,
आज उन फ़िर्क़ों का कोई भी पैरवी करने वाला मौजूद नहीं है बस केवल किताबों में एक ऐतिहासिक दास्तान बन कर रह गए हैं, यहां तक कि शैख़ मुफ़ीद र.ह. के ज़माने तक भी यह लोग बाक़ी न रह सके, जैसाकि शैख़ मुफ़ीद र.ह. ने इन फ़िर्क़ों के बारे में लिखा है कि, इस साल (373 हिजरी) और हमारे दौर में इन फ़िर्क़ों में से कोई भी बाक़ी नहीं बचा, सब नाबूद हो चुके हैं।
इमाम हसन असकरी अ.स. की शहादत के बाद जो फ़िर्क़े सामने आए वह इस प्रकार हैं.....
इमाम अली नक़ी अ.स. के बेटे जाफ़र की इमामत पर अक़ीदा
जिन लोगों ने जाफ़र का इमाम माना वह चार गिरोह में बंटे हुए थे....
पहला- कुछ लोगों का कहना था कि जाफ़र, इमाम हसन असकरी अ.स. के भाई इमाम हैं लेकिन इस वजह से नहीं कि इमाम हसन असकरी अ.स. ने अपने भाई के लिए वसीयत की हो बल्कि चूंकि इमाम हसन असकरी अ.स. को बेटा नहीं है इसलिए हम मजबूर हैं कि उनके भाई जाफ़र को अपनी बारहवां इमाम मानें।
दूसरा- कुछ लोगों का अक़ीदा था कि जाफ़र ही इमाम हैं क्योंकि इमाम हसन असकरी अ.स. ने वसीयत की है और जाफ़र को अपनी जानशीन क़रार दिया है, यह फ़िर्क़ा भी पहले फ़िर्क़े की तरह जाफ़र को अपनी बारहवां इमाम मानता है।
तीसरा- कुछ का मानना यह था कि जाफ़र इमाम हैं, और उनको यह इमामत अपने वालिद से मीरास में मिली है न कि उनके भाई से, और इमाम हसन असकरी अ.स. की इमामत बातिल थी क्योंकि उन्हें कोई बेटा ही नहीं था जबकि उनको बेटा होना ज़रूरी था ताकि इमामत का सिलसिला आगे बढ़ सके, उनका कहना था कि चूंकि इमाम हसन असकरी अ.स. को बेटा नहीं है इसीलिए इमाम अली नक़ी अ.स. के बाद इमाम हसन असकरी अ.स. इमाम नहीं हो सकते साथ ही इमाम अली नक़ी अ.स. के दूसरे बेटे मोहम्मद भी इमाम नहीं हो सकते क्योंकि वह इमाम अली नक़ी अ.स. की ज़िंदगी में ही इंतेक़ाल कर गए थे, इसलिए हम मजबूर हैं कि इमाम अली नक़ी अ.स. के बाद जाफ़र को इमाम मानें।
चौथा- कुछ लोग इस बात पर अड़े थे कि जाफ़र को उनके भाई मोहम्मद से इमामत मिली है, इन लोगों का कहना था कि इमाम अली नक़ी अ.स. के बेटे अबू जाफ़र मोहम्मद इब्ने अली जो कि अपने वालिद की ज़िंदगी में ही इंतेक़ाल कर गए थे, वह अपने वालिद की वसीयत के मुताबिक़ इमाम थे, और चूंकि मोहम्मद अपनी वफ़ात के समय किसी की तलाश में थे ताकि अपनी जानशीनी और इमामत की ज़िम्मेदारी उसके हवाले कर सकें इसलिए आख़िर में नफ़ीस नाम के ग़ुलाम के हवाले अपनी किताबें और दूसरी चीज़ें कर दीं और उससे वसीयत की कि जब भी उनके वालिद इमाम अली नक़ी अ.स. की शहादत का समय क़रीब आए तो इन सब चीज़ों को जाफ़र के हवाले कर देना, यह गिरोह इमाम हसन असकरी अ.स. की इमामत को नहीं मानता था, इन लोगों का कहना था इमाम असकरी अ.स. के वालिद ने उन्हें अपना जानशीन नहीं बनाया था इसलिए मोहम्मद इब्ने अली ग्यारहवें इमाम हैं और उसके बाद जाफ़र इमाम होंगे।
इमाम हसन असकरी अ.स. के एक और बेटे की इमामत पर अक़ीदा
यह फ़िर्क़ा भी 4 गिरोह में बंटा हुआ था.
पहला- कुछ लोगों का अक़ीदा था कि इमाम हसन असकरी अ.स. का एक बेटा था जिसका अली नाम रखा और इमामत के बारे में उसी से वसीयत की, इसलिए अली इब्ने हसन बारहवें इमाम हैं।
दूसरा- कुछ लोगों का कहना है कि इमाम हसन असकरी अ.स. की शहादत के 8 महीने बाद एक बेटा पैदा हुआ और वही बारहवां इमाम है।
तीसरा- एक गिरोह का कहना है कि इमाम हसन असकरी अ.स. का एक बेटा है जो अल्लाह के हुक्म से अभी पैदा नहीं हुआ है, वह अभी मां के पेट में है और अल्लाह के हुक्म से पैदा होगा।
चौथा- कुछ लोगों का मानना है कि इमाम असकरी अ.स. के बाद उनका बेटा मोहम्मद इमाम था लेकिन वह इमाम असकरी अ.स. की ज़िंदगी में ही मर गया, अब बाद में ज़िंदा हो कर वापस आएगा और इंक़ेलाब लाएगा।
इमाम हसन असकरी अ.स. की इमामत के बाक़ी रहने पर अक़ीदा
इस अक़ीदे वाले लोग भी 2 गिरोह में बंटे हुए हैं।
पहला- कुछ लोगों का अक़ीदा है कि इमाम हसन असकरी अ.स. ज़िंदा हैं और महदी, मुंतज़र और क़ायम हैं, क्योंकि उनका कोई बेटा नहीं है इसलिए इमाम वही हैं, और ज़मीन भी अल्लाह की हुज्जत से ख़ाली नहीं रह सकती, इस गिरोह का कहना है कि अगर इमाम की शहादत या उनके इंतेक़ाल के समय उनका कोई बेटा नहीं है तो वह ख़ुद ही महदी-ए-क़ायम है और हमें उसके ज़िंदा रहने पर अक़ीदा रखना होगा और शियों को उसके इंतेज़ार में अपनी आंखें बिछाए रहना चाहिए ताकि वह वापस हमारे सामने आ जाएं, क्योंकि जिस इमाम का बेटा न हो और उसका कोई जानशीन न हो तो उसे मुर्दा नहीं समझा जा सकता, हमें कहना ही पड़ेगा कि वह ग़ैबत में हैं।
दूसरा- इन लोगों का मानना है कि इमाम हसन असकरी अ.स. इस दुनिया से चले गए थे फिर वापस ज़िंदा हुए और फिर से अपनी ज़िंदगी जीना शुरू कर दी, वह महदी और क़ायम हैं, क्योंकि हदीस में है कि क़ायम वही है जो मौत के बाद फिर से ज़िंदा हो जाए और उसका कोई बेटा भी न हो।
इमाम हसन असकरी अ.स. के भाई मोहम्मद इब्ने अली की इमामत पर अक़ीदा
इस गिरोह का कहना है कि इमाम अली नक़ी अ.स. के बाद उनके बेटे मोहम्मद इमाम हैं, क्योंकि दो भाईयों जाफ़र और हसन की इमामत सही नहीं है (इमाम हसन अ.स. और इमाम हुसैन अ.स. को छोड़ कर) जाफ़र की इमामत इसलिए सही नहीं है क्योंकि उसका किरदार इमामत की शान के मुताबिक़ नहीं है और वह आदिल नहीं था, और हसन इब्ने अली को कोई बेटा नहीं था इसलिए वह भी इमाम नहीं हो सकते।
शक की हालत में हैं
कुछ शिया का कहना था कि इमाम हसन असकरी अ.स. के बाद इमामत का मामला हमारे लिए साफ़ नहीं है, हमें नहीं मालूम कि जाफ़र इमाम हैं या दूसरे बेटे, हमें नहीं मालूम इमामत, इमाम हसन असकरी अ.स. की नस्ल से हैं या उनके भाईयों की, अब हमारे लिए मामला साफ़ नहीं है इसलिए हम बिना किसी को इमाम माने इम मामले में विचार कर रहे हैं।
ज़मीन अल्लाह की हुज्जत से ख़ाली है
इस गिरोह का अक़ीदा था कि इमाम हसन असकरी अ.स. के बाद अब कोई इमाम नहीं है, और ज़मीन अल्लाह की हुज्जत से ख़ाली है, उनका अक़ीदा यह था कि ज़मीन का अल्लाह की हुज्जत से ख़ाली होने में कोई परेशानी नहीं है क्योंकि हज़रत ईसा अ.स. और पैग़म्बर स.अ. के बीच काफ़ी फ़ासला था।
गाजा पर इजरायली हमले में संयुक्त राष्ट्र के छह राहतकर्मी मारे गए
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि फिलिस्तीनियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी जिसे यूएनआरडब्ल्यूए के नाम से जाना जाता है,छह कर्मचारी गाज़ा में इज़रायली हवाई हमलों में मारे गए।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि फिलिस्तीनियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी, जिसे यूएनआरडब्ल्यूए के नाम से जाना जाता है, के छह कर्मचारी गाजा में इजरायली हवाई हमलों में मारे गए।
गुटेरेस ने एक्स पर कहा कि इजरायली हवाई हमलों ने बुधवार को लगभग 12,000 लोगों के लिए स्कूल बने आश्रय स्थल पर हमला किया और मारे गए लोगों में यूएनआरडब्ल्यूए के छह कर्मचारी भी शामिल थे।
उन्होंने कहा,गाजा में जो हो रहा है वह अस्वीकार्य है अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के इन नाटकीय उल्लंघनों को अब रोकने की जरूरत है।
समाचार एजेंसी ने फिलिस्तीनी सूत्रों के हवाले से बताया कि बुधवार को मध्य गाजा पट्टी में विस्थापित लोगों को शरण देने वाले संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित स्कूल पर इजरायली हवाई हमले में कम से कम 18 फिलिस्तीनी मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।
सूत्रों ने कहा कि एक इजरायली युद्धक विमान ने अलनुसीरत शरणार्थी शिविर में कम से कम एक मिसाइल दागी हमास द्वारा संचालित गाजा सरकार के मीडिया कार्यालय ने कहा कि पीड़ितों में सहायता कर्मी भी शामिल हैं।
ज़ायोनी सेना ने फिर बनाया स्कूल को निशाना, 34 की मौत
ज़ायोनी सेना ने एक बार फिर ग़ज़्ज़ा में आम लोगों को निशाना बनाते हुए एक स्कूल पर बमबारी की। प्राप्त जानकारी के अनुसार ज़ायोनी सेना ने बुधवार को ग़ज़्ज़ा में यूएन के उस स्कूल पर एयर स्ट्राइक की जहां पर विस्थापित लोग ठहरे हुए थे। अवैध राष्ट्र इस्राईल के इस बर्बर हमले में 34 लोगों की मौत हुई, जिसमें दो बच्चे भी शामिल हैं।
फिलिस्तीन में पिछले 11 महीने से जनसंहार कर रहे इस्राईल ने ग़ज़्ज़ा में एक स्कूल पर एयरस्ट्राइक की, इस एयर स्ट्राइक में 34 लोगों की मौत हो गई, जिसमें 19 महिलाएं और दो बच्चे भी शामिल थे। इस एयर स्ट्राइक में यूएन के एक स्कूल पर हमला हुआ, स्कूल में फिलहाल विस्थापित लोग ठहरे हुए थे. हमले में 18 लोग घायल हुए।
नेतन्याहू और गैलेंट के लिए जल्दी ही गिरफ्तारी वारंट जारी करेगा इंटरनेशनल कोर्ट
हिब्रू मीडिया ने इंटरनेशनल कोर्ट की कार्रवाई के अंतर्गत अनुमान लगाते हुए कहा है कि हेग कोर्ट जल्द ही नेतन्याहू और गैलेंट के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी करेगा। इस रिपोर्ट के अनुसार, ज़ायोनी शासन के चैनल 12 टीवी ने घोषणा की कि ज़ायोनी हलकों के अनुमान से संकेत मिलता है कि हेग में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय जल्द ही इस शासन के प्रधानमंत्री नेतन्याहू और युद्ध मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है। इन अनुमानों में कहा गया है कि ग़ज़्ज़ा में जो कुछ चल रहा है उन मामलों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
वहीँ इस मामले पर गंभीरता दिखते हुए ज़ायोनी शासन के प्रमुख नेतन्याहू और तथाकथित न्यायमंत्री ने हेग कोर्ट के फैसले को रोकने के लिए कैबिनेट के कानूनी सलाहकार से आपराधिक जांच शुरू करने के लिए कहा है।
शिमला मस्जिद विवाद, मुस्लिम पक्ष मस्जिद हटाने को तैयार
शिमला की संजौली मस्जिद को लेकर कल हुए विवाद के बाद मुस्लिम पक्ष की ओर से बड़ा फैसला लिया गया है। जहां मुस्लिम धर्मगुरु ने कहा कि आपसी प्रेम बनाए रखने के लिए हमने फैसला लिया है कि जो अवैध हिस्सा है उसे हटा दिया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश के शिमला के संजौली में स्थित मस्जिद को लेकर हिंदू संगठनों की ओर से मस्जिद के निर्माण को लेकर आंदोलन किया गया, जिसके बाद मुस्लिम धर्मगुरु की ओर से एक बयान सामने आया है। उनका कहना है कि आपसी प्रेम बनाए रखने के लिए हमने फैसला लिया है कि जो अवैध हिस्सा है उसे हटा दिया जाए, अगर हमें इजाजत मिलती है तो उसे हम खुद ही हटा देंगे।
ईरान इराक के बीच 14 समझौतों पर हस्ताक्षर
ईरान के राष्ट्रपति मसऊद पीजिश्कियान ने अपनी इराक यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में हुए 14 समझौता पर हस्ताक्षर किए। उनका यह दौरा पश्चिमी देशों के जटिल होते प्रतिबंधों के बीच हुआ है।
ईरानी नेता ने कहा कि तेहरान इराक के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है, दोनों नेताओं ने एक जैसे मुद्दों पर साथ आने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि आतंकवादियों को प्रभावी ढंग से रोकने और क्षेत्र को अस्थिर करने वाली साजिशों का मुकाबला करने के लिए दोनों देशों के बीच सुरक्षा समझौतों को लागू किया जाएगा। उन्होंने दोहराया कि ईरान एक मजबूत, स्थिर और सुरक्षित इराक चाहता है जहां भाईचारा और शांति कायम रहे।
फिलिस्तीन विवाद के मुद्दे पर बोलते हुए ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि ग़ज़्ज़ा युद्ध ने मानवाधिकारों के बारे में पश्चिमी दावों के पाखंड को उजागर किया है। साथ ही कहा ग़ज़्ज़ा में अमेरिकी हथियारों को इस्तेमाल कर फिलिस्तीनी नागरिकों का नरसंहार हो रहा है।
इराक़ी मौकिबदारों, राष्ट्र और सरकार के नाम सुप्रीम लीडर का शुक्रिया का संदेश
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अपने एक संदेश में अरबईने हुसैनी के दिनों में मेज़बानी के लिए इराक़ी मौकिबदारों और महान इराक़ी राष्ट्र का शुक्रिया अदा किया।
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अपने एक संदेश में अरबईने हुसैनी के दिनों में मेज़बानी के लिए इराक़ी मौकिबदारों और महान इराक़ी राष्ट्र का शुक्रिया अदा किया।
बुधवार 11 सितम्बर 2024 को अपनी इराक़ यात्रा के दौरान राष्ट्रपति श्री डॉक्टर मस्ऊद पेज़िश्कियान ने इराक़ के प्रधान मंत्री श्री शिया अल सूदानी को इस संदेश के अरबी अनुवाद की शील्ड प्रस्तुत की।
रहबरे इंक़ेलाब के इस संदेश का अनुवाद इस प्रकार है:
बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम
सबसे पहले तो शुक्रिया अदा करना है। दिल की गहराई से, अपनी तरफ़ से और ईरान के महान राष्ट्र की तरफ़ से, मैं मौकिबदारों का शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने अरबईन के दिनों में अपनी उदारता, अपने प्रेम और अक़ीदत को आख़री सीमा तक पहुँचा दिया।
मैं महान इराक़ी राष्ट्र और इराक़ी सरकार के अधिकारियों का भी शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने सुरक्षा, अच्छा माहौल और अनुकूल परिस्थितियां प्रदान की हैं। विशेष रूप से, मैं इराकी धर्मगुरुओं और वरिष्ठ मुजतहेदीन का भी शुक्रिया अदा करता हूँ।
जिन्होंने ज़ियारत के माहौल को दोनों राष्ट्रों और जनता के बीच भाईचारे के माहौल में बदल दिया। वास्तव में इसका शुक्रिया अदा करना चाहिए।
रास्ते में बने मौकिबों में आप प्यारे इराक़ी भाइयों के व्यवहार, हुसैनी ज़ायरीन के प्रति आपके उदार व्यवहार की आज की दुनिया में कोई मिसाल नहीं है, जिस तरह से कि अरबईन की पैदल ज़ियारत की मिसाल पूरे इतिहास में कहीं नहीं मिलती और जिस तरह से करोड़ों लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाना आज की अशांत दुनिया में एक बड़ा कारनामा और एक बेमिसाल काम है।
आपने अपने बर्ताव में और अपने रवैये में इस्लामी और अरबी सख़ावत और उदारता दिखाई है और यह सब इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के इश्क़ की वजह से है। हुसैन इब्ने अली से यह प्रेम असाधारण है।
इसकी मिसाल हमने न पहले किसी दौर में देखी और न आज कहीं दिखाई देती है। दुआ है कि अल्लाह आपके दिलों में और हमारे दिलों में इस प्यार को दिन ब दिन बढ़ाता जाए।
आज इस मुहब्बत की कशिश का दायरा इतना बढ़ चुका है कि यह ग़ज़ा के पुरजोश मैदान से लेकर कई ग़ैर मुस्लिम समाजों तक फैल गया है।
अलहम्दो लिल्लाह।
सामर्रा, इमाम हसन असकरी की शहादत के शोक में गुंबद का परचम तब्दील
सामर्रा में स्थित इमाम हसन असकरी के रौज़े के गुंबद का परचम उनकी शहादत की वर्षगांठ के अवसर पर बदल दिया गया। इस मौके पर हरम के ख़ादिम और ज़ाएरीन की एक बड़ी संख्या मौजूद थी।
सीरिया, इस्राईल के हमले में कार सवार दो लोगों की मौत
रशिया टुडे ने सीरियाई सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि कुनैत्रा दमिश्क रोड पर खान अर्नाबेह के निकट एक कार पर ज़ायोनी सेना के ड्रोन हमले में कम से कम 2 लोग शहीद हो गए।
इस रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिणी सीरिया में कुनैत्रा-दमिश्क मार्ग पर एक कार पर ज़ायोनी शासन के ड्रोन हमले के परिणामस्वरूप कई लोग घायल भी हुए।
सीरिया के "अल-वतन" अखबार ने बताया कि ज़ायोनी सेना ने खान अर्नाबेह के पूर्व में कुनैत्रा-दमिश्क मार्ग पर एक नागरिक कार को ड्रोन से निशाना बनाया, जिससे उसमें सवार लोग घायल हो गए और उन्हें इलाज के लिए अबज़ा अस्पताल ले जाया गया। इस आतंकी घटना की अधिक जानकारी अभी सामने नहीं आई है।
इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की जीवनशैली
पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजन सत्य व मार्गदर्शन के नमूने हैं यही कारण हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा था कि मैं तुम्हारे बीच दो मूल्यवान यादगारें छोड़े जा रहा हूं एक है ईश्वरीय ग्रंथ क़ुरआन और दूसरे मेरे परिजन हैं। मेरे परिजन समस्त इंसानों के लिए मोक्ष की कुंजी हैं। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम का जन्म वर्ष 232 हिजरी क़मरी में मदीना नगर में हुआ। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम 22 साल के थे कि उनके पिता हज़रत इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम शहीद हुए अतः मुसलमानों के मा
इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की जीवनशैली
पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजन सत्य व मार्गदर्शन के नमूने हैं यही कारण हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा था कि मैं तुम्हारे बीच दो मूल्यवान यादगारें छोड़े जा रहा हूं एक है ईश्वरीय ग्रंथ क़ुरआन और दूसरे मेरे परिजन हैं।
मेरे परिजन समस्त इंसानों के लिए मोक्ष की कुंजी हैं। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम का जन्म वर्ष 232 हिजरी क़मरी में मदीना नगर में हुआ। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम 22 साल के थे कि उनके पिता हज़रत इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम शहीद हुए अतः मुसलमानों के मार्गदर्शन का दायित्व इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम से इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम को मिला और उन्होंने ईश्वर के आदेश के अनुसार मानव समाज का सत्य व न्याय के प्रकाशमय मार्ग की ओर नेतृत्व आरंभ कर दिया। यह कालखंड छह साल का रहा।
इस अवधि में इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम को अत्यधिक रुकावटों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा तथा अब्बासी शासकों ने जहां तक उनके बस में था इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम पर अत्याचार किए। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की इमाम या आध्यात्मिक नेतृत्व का समय उनके सुपुत्र के शुभजन्म की भविष्यवाणी के कारण और भी कठिन हो गया था क्योंकि इस नवजात के बारे में भविष्यवाणी कर दी गई थी कि वह संसार से अत्याचार का अंत कर देगा तथा पूरे संसार में न्याय की स्थापना करेगा। इस भविष्यवाणी से अब्बासी शासक बहुत भयभीत थे क्योंकि उन्हें स्वयं भी भलीभांति जानते थे कि वे अत्याचारी शासक हैं। अब्बासी सरकार ने अपने कारिंदों की संख्या बढ़ा दी जो दिन रात चकराते रहते थे और यह प्रयास करते थे कि कोई बच्चा पैदा ही न हो सके और यदि पैदा हो तो तत्काल उसकी हत्या कर दी जाए। इस कड़ी निगरानी के बावजूद हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम ईश्वर की कृपा से जन्मे और अपने पिता की शहादत के बाद लोगों की आंखों से ओझल हो गए और आज तक वे आंखों से ओझल हैं। भविष्य में उस समय जिसका ज्ञान केवल ईश्वर को है, वे पुनः प्रकट होंगे और संसार में नास्तिकता तथा अत्याचार का विनाश कर देंगे।
इस्लामी समुदाय का नैतिक प्रशिक्षण, अत्याचार व भ्रष्टाचार से संघर्ष, पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के अभियान की प्राथमिकताएं थीं। क़ुरआन के बाद पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की जीवन शैली ही है जो विभिन्न युगों में इस्लामी जगत के सामने स्पष्ट मार्ग और सत्य का रास्ता पेश करती है। ईरान की इस्लामी क्रान्ति पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की शिक्षाओं से ही प्रेरित होकर उभरी और आज तक अपने मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ रही है।
इस्लामी क्रान्ति समकालीन इतिहास का महत्वपूर्ण आंदोलन है जिसमें तीन कारक मुख्य भूमिका रखते हैं एक है धर्म, दूसरे नेतृत्व और तीसरे जनता। इन तीनों कारकों और शक्तियों को संगठित और व्यवस्थित करने का काम पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनों की जीवन शैली ने किया जिससे यह आंदोलन पूर्ण रूप से प्रभावित है। यह प्रभाव इतना गहरा और व्यापक था कि इस्लामी क्रान्ति विश्व में सत्यप्रेम और अन्याय से संघर्ष पर आधारित पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की शैली से प्रेरित क्रान्ति बन गई। धर्म को भरपूर ढंग से जीवन में लागू करना, विश्व की साम्राज्यवादी शक्तियों के अत्याचार और उद्दंडता के मुक़ाबले में प्रतिरोध तथा समाज सुधार पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की महत्वपूर्ण शिक्षाएं हैं जिनका इस्लाम क्रान्ति ने सदुपयोग किया। ईरान की इस्लामी क्रान्ति के दौरान घटने वाली घटनाओं में विश्ववासियों ने देखा कि ईरानी जनता अपनी आर्थिक मांगें सामने रख रही थी किंतु सबसे बढ़कर उसका ध्यान नैतिक भ्रष्टाचार की रोकथाम, धार्मिक मूल्यों के प्रसार तथा न्याय की स्थापना पर था। इस भावना से जनता को प्रतिरोध की शक्ति मिली। इस्लामी क्रान्ति के निकट अध्यात्म और नैतिकता का विशेष स्थान रहा है। क्रान्ति के धर्मबद्ध बलों ने संघर्ष करने के साथ ही आत्मावलोकन और आत्मसुधार पर अपना ध्यान केन्द्रित रखा। इमाम ख़ुमैनी ने भी अपने निर्देशों में प्रशिक्षण और आत्मसुधार पर बहुत अधिक आग्रह किया। इस संबंध में इमाम ख़ुमैनी का कहना था कि ग़ैर प्रशिक्षित व्यक्ति समाज के लिए जितना हानिकारक है उनकी हानिकारक कोई भी चीज़ नहीं हो सकती। इसी प्रकार अच्छा प्रशिक्षित व्यक्ति समाज के लिए जितना लाभदायक है कोई भी चीज़ उतनी लाभदायक नहीं है।
यही कारण है कि इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने अपने एक शिष्य अबुल हसन अली बिन हुसैन क़ुम्मी को जो अपने समय के विख्यात धर्मगुरू थे जो पत्र लिखा उसमें इस्लामी नियमों के अनुरूप प्रशिक्षित व्यक्तित्व का चित्रण किया है और अपने अनुयायियों से कहा है कि वे इस प्रकार का व्यक्तित्व बनाएं। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने लिखा कि हे महान धर्मगुरू और मेरे विश्वसनीय, ईश्वर तुम्हें सुकर्म करने में सफल बनाए। मैं तुम्हें ईश्वरीय भय की अनुसंशा करता हूं, नमाज़ को आम करने और ज़कात अदा करने की सिफ़ारिश करता हूं। दूसरों के साथ क्षमाशीलता बरतने, क्रोध पर नियंत्रण रखने, और रिश्तेदारों का ध्यान रखने की सिफारिश करता हूं। अपने भाइयों की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए मेहनत करो, क़ुरआन से प्रतिबद्ध हो जाओ, अच्छे कामों का आदेश दो और बुरे कामों से रोको।
इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की सिफ़ारिशें और निर्देश धार्मिक समाज में गुज़ारे जाने वाले जीवन की नियमावली है। समाज का कोई भी सदस्य इसका पालन करके आदर्श समाज का गठन करने में योगदान कर सकता है। वह आदर्श समाज जिसके गठन के लिए इस्लामी क्रान्ति आई। ईरान की इस्लामी क्रान्ति अत्याचार के अंधेरों में ज्वाला की भांति चमकी और इस क्रान्ति ने अनोखा विचार पेश किया कि नैतिकता और अध्यात्म को जीवन के सभी आयामों यहां तक कि राजनीति में भी लागू किया जाना चाहिए अतः आवश्यक है कि राजनेता और अधिकारी, सदाचारी, न्यायप्रेमी और सत्यप्रेमी हों ताकि पूरे संसार में न्याय और शांति की स्थाना हो। इस्लामी क्रान्ति की सफल हो जाने के बाद एक बार फिर धार्मिक नियमों के पालन और पैग़म्बरे इस्लाम की जीवनशैली की ओर वापसी आरंभ हो गई। बीसवीं शताब्दी के अंतिम दशकों में आने वाली ईरान की इस्लामी क्रान्ति ने संसार में एक नया बदलाव उत्पन्न किया और एक नई डगर का रेखांकन किया। इस्लामी प्रवृत्ति वाले इस आंदोलन के उदय से सिद्ध हो गया कि पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनों से उपहार के रूप में मिलने वाला इस्लाम धर्म किसी विशेष समय और क्षेत्र तक सीमित नहीं है। इस्लाम धर्म के मल्य और शुभसूचनाएं सभी इंसानों को संबोधित करती हैं तथा इस्लाम समूची मानवजाति के उत्थान और कल्याण की चिंता में दिखाई देता है। इमाम ख़ुमैनपी ने इस्लाम को पुनरजीवन देने के लिए पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनों के क्रान्तिकारी मार्ग का चयन किया और ईश्वर, ईमान व निष्ठा पर आधारित आंदोलन आरंभ किया।
अत्याचार से संघर्ष, पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनों की शिक्षाओं में महत्वपूर्ण शिक्षा है। अत्याचारियों पर पीड़ितों की विजय और धरती पर सदाचारियों की सरकार के गठन की शुभसूचना क़ुरआन ने दी है। पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के कथनों में भी यह बात जगह जगह दिखाई देती है। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम के कई कथन एसे हैं जिनमें उन्होंने अपने पुत्र हज़रत इमाम मेहदी के पुनः प्रकट होने की शुभसूचना दी है। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम अपने शिष्य अबुल हसन अली बिन हुसैन क़ुम्मी को लिखे गए अपने पत्र में अपने पुत्र हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम की स्थिति के बारे में विस्तार से बताते हैं और आम जनता को हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के नज़रों से ओझल हो जाने के विषय से अवगत कराते हैं तथा यह शुभसूचना देते हैं कि जब इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम पुनः प्रकट होंगे तो यही मुक्ति और कल्याण का दिन होगा। इस पत्र में इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम लिखते हैं कि मैं तुम्हें संयम और मोक्षदाता के पुनः प्रकट होने की प्रतीक्षा की सिफ़ारिश करता हूं जो मेरा सुपुत्र है। वह एक दिन आंदोलन करेगा और धरती को जो अत्याचार से भरी होगी न्याय से भर देगा। संयम से काम लो तथा अपने अनुयायियों को भी संयम की सिफ़ारिश करो क्योंकि इसका अच्छा अंजाम निश्चित है। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने इस बात का बहुत प्रयास कियाकि आम लोग हज़रत इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम की स्थिति को भलीभांति समझ लें तथा उनके बारे में लोगों की आस्था को ठेस न लगे। इमाम एसी पीढ़ी का प्रशिक्षण करना चाहते थे जो इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के नज़रों से ओझल रहने के युग में लोगों का प्रशिक्षण करे। उन्होंने अपने एक कथन में कहा कि हमारे अनुयायी पवित्र एवं मोक्ष पाने वाले समूह हैं जो हमारे मत के रक्षक हैं तथा अत्याचारियों के मुक़ाबले में वे हमारे सहायक और ढाल हैं।
अत्याचार और भ्रष्टाचार के विरुद्ध ईरानी जनता का आंदोलन वास्वत में उन लोगों का आंदोलन है जिनकी शुभसूचना इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने दी थी। वे लोग जो पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की जीवन शैली से प्रेरणा लेकर गरिमा और प्रतिष्ठा के साथ आंदोलन करते हैं ताकि इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होने के लिए अनुकूल वातावरण उत्पन्न हो। निश्चित रूप से मोक्षदाता के प्रकट होने से पहले मानव समाज का वैचारिक व सांस्कृतिक दृष्टि से इसके लिए तैयार होना आवश्यक है। महान विचारक शहीद मुर्तज़ा मुतह्हरी इस बारे में लिखते हैं कि इस्लामी इतिहास में एसे चयनित समूह की बात कही गई है जो इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होते ही उनसे जा मिलेगा। निश्चित है कि यह समूह एक अचानक अस्तित्व में नहीं आ जाएगा। इससे पता चलता है कि जहां एक और अत्याचार और भ्रष्टाचार फैला है वहीं इस प्रकार के महान समूह के अस्तित्व में आने की भूमि भी समतल है।
अतः मोमिन इंसानों को चाहिए कि अपने दायित्वों का पालन करें तथा उनके प्रकट होने के लिए स्वयं को तैयार रखें अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध अपने क्रान्तिकारी व सुधारवादी आंदोलन से तथा मानवता की जागरूकता और ज्ञान को बढ़ाकर मोक्षदाता के प्रकट होने की भूमि समतल करें।