मार्गदर्शन -1

Rate this item
(0 votes)
मार्गदर्शन -1

इंसान भौतिक जीवन में डूब जाता है, जिसके परिणाम उसकी आत्मा थक जाती है।

अगर इंसान मज़बूत आध्यात्मिक और धार्मिक स्रोत से जुड़ा नहीं होगा, तो वह भटक जाएगा और निराशा का शिकार हो जाएगा। ईश्वरीय दूत भी इसीलिए आए थे, ताकि इंसान का आध्यात्मिक एवं ईश्वरीय मार्ग की ओर मार्गदर्शन कर सकें। उनके इस मार्गदर्शन का उद्देश्य इंसान को इस भौतिक जीवन में फंसने और नष्ट होने से बचाना था। शुद्ध इस्लामी शिक्षाएं इंसान के लिए आध्यात्मिक उत्कृष्टता और नैतिक ऊंचाईयां चढ़ने की सीढ़ियां हैं।

इस्लाम और उसकी शिक्षाओं को बेहतर तरीक़े से समझने के लिए ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई के कथनों का सहारा लेंगे और सांस्कृतिक, सामाजिक एवं धार्मिक विश्वासों के बारे में उनके दृष्टिकोणों की समीक्षा करेंगे। वरिष्ठ नेता का मानना है कि भौतिक एवं मशीनी जीवन ने इंसान को थका दिया है। इस्लाम ऐसे लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण बन सकता है और उनके लिए नए जगत का द्वार खोल सकता है।

इस्लाम शांति, न्याय और कल्याण का संदेशवाहक है। इस्लाम ने अपने इतिहास के समस्त चरणों में बड़ी संख्या में लोगों के दिलों को अपनी ओर खींचा है। वरिष्ठ नेता के मुताबिक़, अगर इस्लाम को सही रूप में पेश किया जाए, तो अतीत की भांति आज भी इस्लाम एकमात्र मुक्तिदाता धर्म है। 1400 वर्ष पूर्व की भांति आज भी यह आवाज़ गूंज रही है, ईश्वर की ओर से तुम्हारे लिए प्रकाश और स्पष्ट किताब आई। ईश्वर उसकी बरकत से उन लोगों का कल्याण के मार्ग की ओर मार्गदर्शन करता है जो उसकी प्रसन्नता का अनुसरण करते हैं और उन्हें अपनी अनुमति से अंधेरों से रोशनी की ओर ले जाता है और उन्हें सीधे रास्ते की ओर मार्गदर्शित करता है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता जीवन में इस्लाम की भूमिका का इस प्रकार से उल्लेख करते हैं कि, इस्लाम जीवन को अर्थ प्रदान करके और उसके लिए सही मार्ग प्रशस्त करके, वास्तव में सुखी जीवन जीने में इंसान की मदद करता है और ईश्वरीय सीधा मार्ग उसके लिए प्रशस्त करता है। यह ईश्वरीय धर्म अपनी व्यापक शिक्षाओं के कारण, आकर्षक है और भले लोगों का ध्यान खींचता है। पश्चिम समेत विश्व में होने वाले शोधों और आंकड़ों के मुताबिक़, दिन प्रतिदिन इस्लाम की ओर लोगों का रुझान बढ़ रहा है और यह रुझान युवकों में अधिक पाया जाता है, जिससे इंसान के प्रभाव और आकर्षण का पता चलता है।

 

अन्य ईश्वरीय धर्मों की भांति इस्लाम धर्म की भी बुनियाद एकेश्वरवाद और एक ईश्वर की इबादत पर है। इसके अलावा उसके अन्य मूल सिद्धांत हैं, नबूव्वत, मआद, इमामत और ईश्वरीय न्याय। मूल सिद्धांत वही हैं, जिनपर धर्म की इमारत की बुनियाद रखी हुई है। एक मुसलमान को पहले मूल सिद्धांतों पर ईमान लाना होगा, उसके बाद उन्हीं से निकलने वाले अन्य सिद्धांतों पर जिन्हें फ़ुरुए दीन कहा जाता है, अमल करना होगा। फ़ुरुए दीन के 9 भाग हैं, नमाज़, रोज़ा, ख़ुम्स, ज़कात, हज, जेहाद, अम्र बे मारूफ़ यानी अच्छाई का आदेश, नहि अज़ मुनकर यानी बुराई से रोकना, तवल्ला यानी ईश्वर के दोस्तों से दोस्ती और तबर्रा यानी ईश्वर के दुश्मनों से दुश्मनी।

इस संदर्भ में वरिष्ठ नेता भी इस्लाम के समस्त नियमों और शिक्षाओं को इंसान को वास्तविक सुख या कल्याण तक पहुंचाने के लिए बताते हैं और कहते हैं, इस्लाम के समस्त आदेश और नियम और इस्लाम के समस्त आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक दिशानिर्देश और इस्लाम की समस्त व्यक्तिगत एवं सामूहिक इबादतें जीवन को सुख पहुंचाने वाले इस नुस्ख़े का भाग हैं।

इस्लाम अपनी व्यापक शिक्षाओं द्वारा मानवता को भौतिक एवं आध्यात्मिक परिपूर्णता तक पहुंचाना चाहता है। यह ईश्वरीय धर्म उत्कृष्टता और कल्याण तक पहुंचने के मार्ग को अनिवार्य आदेशों को अंजाम देने और पापों से बचने तथा पैग़म्बरे इस्लाम (स), अहले बैत और क़ुरान से जुड़ना बताता है।

इस्लाम की शिक्षाओं की रोशनी में जीवन, एक ऐसी दुनिया को उपहार स्वरूप देता है जो अत्याचार से पाक और अध्यात्म से परिपूर्ण होती है। वरिष्ठ नेता इस्लाम धर्म को मुसलमानों की पूंजी बताते हुए कहते हैं कि मुसलमानों की महत्वपूर्ण पूंजी, इंसान के जीवन के लिए इस्लाम के नियम और व्यापक एवं स्पष्ट दिशानिर्देश हैं। इस्लाम, विश्व और इंसान के बारे में व्यापक एवं तार्किक दृष्टिकोण पेश करके और शुद्ध एकेश्वरवाद एवं नैतिक एवं आयात्मिक नियमों और मज़बूत राजनीतिक एवं सामाजिक व्यवस्था और व्यक्तिगत कर्तव्यों एवं कर्मों द्वारा समस्त इंसानों से अपनी आंतरिक बुराईयों, कमज़ोरियों और गंदगियों को पाक करने और अपने मन को ईमान, श्रद्धा, सच्चाई, प्रेम, उम्मीद और ताज़गी से सुसज्जित करने की दावत देता है, ताकि लोग अपनी दुनिया को भुखमरी, जिहालत, अत्याचार, भेदभाव, पिछड़ेपन, ठहराव, वर्चस्व, दबाव, अपमान और पागलपन से आज़ाद कर लें।

वरिष्ठ नेता के अनुसार, इस्लाम ने अपने उदय के समय और उसके बाद दुनिया के सामने ऐसा मार्ग खोल दिया, जो इंसान के कल्याण और सुख की गारंटी देता है। यह न्याय एवं मध्यमार्गी, बुद्धिमत्ता और सत्य को स्वीकार करने का धर्म है। इसके अनुसार, इंसान की समस्याओं का समाधान, अतिवाद और घमंड से दूरी है। इस्लाम इंसान से ईश्वर को याद रखने और उसके साथ आंतरिक रूप से संपर्क स्थापित करने का आहवान करता है। यह ईश्वरीय धर्म इंसानों से बुराई, अपराध, अत्याचार और भ्रष्टाचार से मुक़ाबले की मांग करता है और छापूति एवं घमंड के ख़िलाफ़ निरंतर संघर्ष का आहवान करता है। इस्लाम के दिशानिर्देशों का आधार यही है और व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन को सुख एवं शांति देने वाले धर्म के कार्यक्रम की बुनियाद भी यही है।

आज ऐसे समाज जो विभिन्न प्रकार के मतों का अनुसरण करते हैं, अध्यात्म से दूर हैं और व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में बड़ी बड़ी समस्याओं से ग्रस्त हैं। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का मानना है कि वर्तमान समय में विशेष रूप से कुछ मतों की पराजय के बाद, अधिक लोगों के दिल इस्लाम की ओर झुक रहे हैं। वे कहते हैं, आज ग़ैर ईश्वरीय मतों के आहवान के बाद, यह आहवान चाहे मार्क्सवाद की ओर से हो या उदारवाद जैसे अन्य मतों की ओर से, साबित करता है कि यह मत इंसान का कल्याण नहीं कर सकते, लोगों के दिल इस्लाम की ओर झुक गए हैं। इसके बाद वरिष्ठ नेता एक महत्वपूर्ण बिंदु की ओर संकेत करते हुए कहते हैं, इस्लाम की दावत या आहवान और महत्वपूर्ण शिक्षाएं न केवल उन राष्टों के लिए है जो भुखमरी और निर्धनता की आग में झुलस रहे हैं, बल्कि उन समस्त इंसानों के लिए भी है जो विकसित एवं समृद्ध देशों में आध्यात्मिक निर्धनता का जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

इतिहास इस बात का साक्षी है कि इस्लाम के दुश्मन बहुत ज़्यादा हैं, जो इस ईश्वरीय धर्म को जड़ से उखाड़ फेंकना और बदल देना चाहते हैं। वे ऐसे अत्याचारी हैं जो क़ुरान और अहले बैत की शिक्षाओं को अपने अत्याचारों और अपराधों के मार्ग में रुकावट समझते हैं। इसीलिए वह इस धर्म के अनुयाईयों के बीच मतभेद उत्पन्न करना चाहते हैं।

वरिष्ठ नेता मुसलमानों से दुश्मनों की साज़िशों के प्रति सजग रहने की सिफ़ारिश करते हुए हैं, दुश्मनों ने कुछ शताब्दियों से और नादान एवं नासमझ दोस्तों ने लम्बे समय से इस्लाम के प्रकाशमय चेहरे को बिगाड़ दिया है और किसी मक़सद के तहत ग़लत परम्पराओं की इसमें वृद्धि कर दी है या उसमें कुछ कमी कर दी है। आज भी यद्यपि इस्लाम का बुरा सोचने वाले इस्लाम की तस्वीर ख़राब करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वास्तव में इस संदर्भ में दुश्मनों के प्रयास कुछ अधिक हैं और वे बहुत ही चालाकी और मक्कारी के साथ इन कृत्यों में लिप्त हैं। लेकिन विश्व के मुसलमान, इस महान पूंजी के महत्व और मूल्य को सही तरीक़े से पहचान कर अपने जीवनों में वास्तविक क्रांति लायेंगे और इस्लामी देशों को कमज़ोरी, पिछड़ेपन और पतन से मुक्ति दिलायेंगे।                                    

 

 

Read 37 times