हज़रत फ़ातिमा (सला मुल्ला अलैहा) ने एक रिवायत में अपने मक़ाम और मंज़िलत की ओर इशारा किया है।
निम्नलिखित रिवायत "अहक़ाक अल-हक़" किताब से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قالت فاطمۃ سلام الله علیها:
إذا حُشِرتُ یَومَ القِیامَةِ أشفَعُ عُصاةَ اُمَّةِ النَّبِیّصلی الله علیه وآله
हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (सला मुल्लां अलैहा) ने फ़रमाया:
जब मैं क़यामत के दिन महशूर हूँगी, तो पैग़म्बर (सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि व सल्लम) के गुनाहगारों की शफ़ाअत करूँगी?
अहक़ाक अल-हक़, भाग 19, पेज 129













