सादगी और महानता का अनोखा संगम: हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स.अ. का जीवन

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सादगी और महानता का अनोखा संगम: हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स.अ. का जीवन

ज़हेरा स.अ. का जीवन सादगी और महानता का अनोखा जिसमें आत्मिक परिपक्वता हज़रत फ़ातिमा, धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदारी का अद्भुत संतुलन देखने को मिलता है अपने पिता पैग़ंबर मुहम्मद स.ल.व.और शौहर हज़रत अली (अ.स.) के मार्गदर्शन में उन्होंने न केवल घर की जिम्मेदारियाँ निभाईं बल्कि समाज में न्याय, नैतिकता और ईमानदारी के आदर्श प्रस्तुत किए।

हज़रत फातेमा ज़हेरा स.स. की शहादत के मौके पर हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन शोघकर्ता हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मुसर्रत अब्बास पाकिस्तान प्रमुख अंसार वाकियातुल्लाह से हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स.अ. के जीवन और उनकी सादगी के ऊपर एक खुशी इंटरव्यू हुआ

हजरत फातिमा ज़हेरा स.ल. का जीवन और आपकी सादगी के बारे में क्या कहेंगे?

मौलाना मुसर्रत अब्बास : हज़रत फ़ातिमा ज़हेरा स.अ. का जीवन सादगी और महानता का अनोखा संगम है जिसमें आत्मिक परिपक्वता, धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदारी का अद्भुत संतुलन देखने को मिलता है अपने पिता पैग़ंबर मुहम्मद स.ल.व.और शौहर हज़रत अली (अ.स.) के मार्गदर्शन में उन्होंने न केवल घर की जिम्मेदारियाँ निभाईं बल्कि समाज में न्याय, नैतिकता और ईमानदारी के आदर्श प्रस्तुत किए।

आयत ए तत्हीर (सूरह अहज़ाब: 33) हज़रत फ़ातिमा स.अ. और उनके परिवार के बारे में क्या कहती है?

मौलाना मुसर्रत अब्बास : यह आयत स्पष्ट रूप से हज़रत फ़ातेमा ज़हेरा स.अ. उनके पति हज़रत अली (अ.स.) और उनके बेटों हज़रत हसन और हुसैन (अ.स.) की शान में उतरी है। इसमें अल्लाह का आदेश है कि वह हर प्रकार की अशुद्धि और गंदगी को इस पवित्र परिवार से दूर रखना चाहता है और उन्हें पवित्र और निष्कलंक बनाना चाहता है। यह आयत पूरे इस्लामी समुदाय के लिए एक आदर्श पवित्र परिवार का चित्रण करती है।

हज़रत पैगंबर स.अ.व.व.का यह रिवायत, फ़ातिमा मेरे जिस्म का टुकड़ा हैं,हमें क्या सिखाता है?

मौलाना मुसर्रत अब्बास : यह प्रसिद्ध हदीस हज़रत फ़ातिमा स.ल.अ.) और पैगंबर (स.अ.व.व.) के बीच अटूट आध्यात्मिक और भावनात्मक बंधन को दर्शाती है। इसका अर्थ यह है कि उन्हें कोई दुख पहुँचाना पैगंबर (स.अ.व.व.) को सीधे दुख पहुँचाने के समान है। यह आज के समाज में बेटियों के प्रति पिता के प्यार और सम्मान का एक शाश्वत आदर्श प्रस्तुत करती है।

हज़रत फ़ातेमा ज़हेरा स.अ. को सय्यदतुल ईसाइ आलमीन क्यों कहा जाता है?

मौलाना मुसर्रत अब्बास : पैगंबर हज़रत मुहम्मद स.अ.व.व.ने स्वयं उन्हें यह खिताब दिया था। यह उपाधि उनके अद्वितीय ईमान, अतुलनीय चरित्र, बलिदान और पवित्रता को मान्यता देती है। यह दर्शाता है कि स्वर्ग की सभी महिलाओं में उनका स्थान सर्वोच्च है और वह सभी मुस्लिम महिलाओं के लिए सर्वोच्च आदर्श हैं।

हज़रत फ़ातेमा ज़हेरा स.अ. का हिजाब आज की मुस्लिम महिलाओं के लिए कैसे एक आदर्श उदाहरण है?

मौलाना मुसर्रत अब्बास : उनका हिजाब सिर्फ शारीरिक ढकाव नहीं था, बल्कि यह ईश्वर के प्रति प्यार, आंतरिक शुद्धता, सम्मान और सामाजिक जिम्मेदारी की अभिव्यक्ति था। वह अपनी आवाज़ के पर्दे की भी चिंता करती थीं। आज की महिलाएं उनसे यह सीख सकती हैं कि हिजाब डर या पाबंदी नहीं, बल्कि ईश्वरीय आज्ञाकारिता, आत्म-सम्मान और पहचान का प्रतीक है, और यह समाज में सक्रिय होने में बाधक नहीं है।

उम्मु अबीहा" (अपने पिता की माँ) जैसा उपाधि क्यों दिया गया?

मौलाना मुसर्रत अब्बास : यह अनोखा खिताब हज़रत फ़ातेमा ज़हेरा स.अ. की विशेष देखभाल, स्नेह और परिपक्वता को दर्शाता है जो उन्होंने अपने पिता, पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.व.) के प्रति दिखाया। मुश्किल समय में वह उनके लिए सांत्वना और सहारा की स्रोत थीं, जिस तरह एक माँ अपने बच्चे के लिए होती है। यह हमें परिवार के भीतर पारस्परिक सम्मान और स्नेह के गहरे सबक सिखाता है।

फ़दक का उपदेश ( ख़ुत्बा-ए-फ़दकियाह) क्यों इतना महत्वपूर्ण है?

मौलाना मुसर्रत अब्बास : यह उपदेश केवल ज़मीन के एक टुकड़े के अधिकार के बारे में नहीं था। यह न्याय, अधिकारों के लिए खड़े होने, और सत्य के प्रति दृढ़ता का एक शक्तिशाली उदाहरण है। अपने गहन ज्ञान और वाक्पटुता के साथ हज़रत फ़ातिमा (स.अ.) ने कुरानिक का उपयोग करके अपना पक्ष रखा। यह उपदेश हमें सिखाता है कि कैसे शांतिपूर्ण और तार्किक ढंग से अत्याचार का विरोध और सत्य का प्रचार किया जाए।

फ़ातिमा का गुस्सा अल्लाह का गुस्सा है इस हदीस का क्या अर्थ है?

मौलाना मुसर्रत अब्बास : इस हदीस का यह अर्थ नहीं है कि वह स्वयं ईश्वर हैं, बल्कि यह दर्शाता है कि उनकी इच्छाएं और भावनाएं पूरी तरह से ईश्वरीय इच्छा और न्याय के साथ एकरूप थीं। जो कुछ उन्हें दुख देता था, वह ईश्वर को अप्रिय था, और जिससे वह खुश होती थीं, वह ईश्वर को प्रिय था। यह उनकी आध्यात्मिक शुद्धता और ईश्वर के साथ उनके गहन संबंध को प्रमाणित करता है।

आपका बहुत-बहुत शुक्रिया आपने अपना कीमती वक्त दिया,

मौलाना मुसर्रत अब्बास : मै हौज़ा न्यूज़ एजेंसी विशेष रुप से उर्दू और हिंदी विभाग का शुक्रगुज़ार हूं कि हौज़ा न्यूज़ ने मुझे इस लायक समझा और हमारा इंटरव्यू लिया आप सबका बहुत-बहुत शुक्रिया

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