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इस्राईल ने एक बार फिर रिफ्यूजी कैंप पर बमबारी करते हुए कई बेगुनाह लोगों को मार डाला। फिलिस्तीन में पिछले एक साल से ही 50 हज़ार से अधिक लोगों की जान लेने वाला इस्राईल लेबनान में भी अब तक 3000 से अधिक लोगों को शहीद कर चुका है जिस में अधिकांश बच्चे और महिलाऐं हैं। अवैध राष्ट्र इस्राईल लेबनान पर लगातार हवाई हमले कर रहा है। इस बीच IDF ने एक घर को निशाना बनाकर हवाई हमला किया जिसमें कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई है जबकि 50 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए हैं।  जिसमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।  वहीं,  लेबनानी नागरिक सुरक्षा ने बताया कि सोमवार देर रात उत्तरी लेबनान के ऐन याकूब गांव में हमला हुआ, जिसमें कम से कम 16 लोग मारे गए। मारे गए लोगों में चार सीरियाई शरणार्थी थे। इस हमले में 10 अन्य लोग घायल हुए हैं।  

दक्षिण अफ्रीका का कहना है कि उसने सबूतों का हवाला देते हुए अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय में इज़राइल के खिलाफ मामला दायर किया है कि तेल अवीव गाजा में अकाल को युद्ध के हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।

दक्षिण अफ्रीका ने कल इस बात पर जोर दिया कि फिलिस्तीन में नरसंहार को रोकने और इज़राइल को दंडित करने की जिम्मेदारी सभी देशों की है। दक्षिण अफ्रीका ने मंगलवार को घोषणा की कि उसने इज़राइल के खिलाफ अपने नरसंहार मामले में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय को जो सबूत उपलब्ध कराए हैं, उससे पता चलता है कि तेल अवीव गाजा में जनसंख्या को कम करने की योजना बना रहा है और अकाल को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है और इसका उद्देश्य गाजा को खाली करना है और फिलिस्तीनी लोगों को बलपूर्वक विस्थापित करें।

दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्री रोनाल्ड लामोला ने संवाददाताओं से कहा कि सबूतों से साफ पता चलता है कि इजराइल की नरसंहार कार्रवाई गाजा पट्टी में नरसंहार के इरादे से की जा रही है. उन्होंने कहा कि नरसंहार को रोकने, इस कृत्य को प्रोत्साहित करने और इस अपराध में शामिल लोगों को दंडित न करने में इज़राइल की विफलता नरसंहार का एक उदाहरण है।

लामोला ने इस बात पर जोर दिया कि इजराइल के नरसंहार को रोकने और दंडित करने की जिम्मेदारी सभी देशों की है।

लामोला ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका ने इजराइल के खिलाफ नरसंहार मामले के बारे में गलत सूचना फैलाने की निंदा की और कहा कि इस तरह की कार्रवाइयों का उद्देश्य गाजा में चल रहे नरसंहार से वैश्विक ध्यान भटकाना है।

उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका, जिसने रंगभेद युग के बाद से हमेशा फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों की रक्षा की है, इजरायल से फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार को मान्यता देने और अपने अवैध कब्जे को समाप्त करने का आह्वान करता है।

उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका ने फिलिस्तीन के मुद्दे को वैश्विक स्तर पर उजागर किया है और इस लक्ष्य को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया है।

दक्षिण अफ्रीका ने अक्टूबर 2023 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में इज़राइल के खिलाफ नरसंहार का मामला दायर किया, जिसमें इज़राइल पर अक्टूबर से गाजा पर बमबारी करके 1948 के नरसंहार सम्मेलन का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया।

दक्षिण अफ्रीका द्वारा 28 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय को सौंपी गई एक व्यापक रिपोर्ट में सबूतों का हवाला दिया गया है कि इज़राइल 1948 के नरसंहार सम्मेलन का उल्लंघन करना जारी रखता है और फिलिस्तीनी लोगों को बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित कर रहा है। वह उन्हें सहायता से वंचित करके उन्हें नष्ट करने का इरादा रखता है।

तुर्की, निकारागुआ, फ़िलिस्तीन, स्पेन, मैक्सिको, लीबिया और कोलंबिया सहित कई देश इस मामले में शामिल हो गए हैं और सार्वजनिक सुनवाई जनवरी में शुरू होगी।

 

 

 

 

 

 पिछले काफी समय से कट्टर हिंदुत्ववादी और संघी लॉबी के निशाने पर रही अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने अपने खिलाफ किये  जा रहे दुष्प्रचार पर बयान जारी करते हुए कहा कि हमारे यहाँ मुस्लिमों को कोई रिज़र्वेशन नहीं दिया जाता।  अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) ने विभिन्न विषयों में एडमिशन और पदों पर भर्ती में मुस्लिम कैंडिडेट्स को धार्मिक आधार पर रिजर्वेशन देने के दावों का खंडन करते हुए कहा है कि उसके यहां इस तरह के रिजर्वेशन की कोई व्यवस्था नहीं है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 12 नवंबर की रात को जारी एक बयान में यह बात कही।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे पर बड़ा फैसला दिया था और कोर्ट ने विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे को बरकरार रखा था। हालांकि, इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़े कानूनी सवाल पर फैसला नई पीठ करेगी और 1967 के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया है कि यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता, क्योंकि इसे एक केंद्रीय कानून द्वारा स्थापित किया गया है।

ईरान  की संसद मजलिसे शुराये इस्लामी के सभापति ने कहा है कि सैयद हसन नस्रुल्लाह की शहादत ने दर्शा दिया कि ज़ायोनी सरकार से सांठ-गांठ अर्थहीन है।

संसद सभापति मोहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़ ने शनिवार को लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के शहीद महासचिव सैयद हसन नस्रुल्लाह के चेहलुम के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि नस्रुल्लाह मोमिन और मुजाहिद की शहादत उनके और प्रतिरोध के मोर्चे के लिए पराजय नहीं है। उनकी शहादत हर समय से अधिक नरकवासी उनके हत्यारों के चेहरे से नक़ाब हटाती है और इस बात को स्पष्ट कर देती है कि ज़ायोनी सरकार से सांठ-गांठ अर्थहीन व बेकार है।

समाचार एजेन्सी इर्ना ने बताया है कि क़ालीबाफ़ ने बल देकर कहा कि नस्रुल्लाह भी तूफ़ाने अक़्सा के आरंभ से हमास के साथ खड़े थे और उनका मानना व विश्वास था कि कोई भी जंग उस तरह से वैध नहीं है जिस तरह से ज़ायोनी सरकार से मुक़ाबला।

ईरान के संसद सभापति ने कहा कि सैय्यद हसन नस्रुल्लाह एक दूरदर्शी राजनेता थे, वह क्रांतिकारी और जेहादी विचारों के साथ धर्म और बुद्धिमत्ता की बात करते और उस पर अमल करते थे और उन्होंने लेबनान के शिया समुदाय का मार्गदर्शन किया कि वे लेबनान के दूसरे क़बीलों के साथ घुलमिल कर रहें।

उन्होंने बल देकर कहा कि हिज़्बुल्लाह, सैय्यद अब्बास मूसवी और सैय्यद हसन नस्रुल्लाह जैसे नेताओं की शहादत से न तो अपने सिद्धांतों से हटा और न ही अपने मार्ग से विचलित हुआ। हिज़्बुल्लाह के गठन का उद्देश्य ज़ालिम व अत्याचारी से मुक़ाबला और मज़लूम की रक्षा है और यह ऐसी शिक्षा है जो न केवल इस्लामी है बल्कि मानवता की अंतरआत्मा के मुताबिक़ है।

उन्होंने कहा कि नस्रुल्लाह हिज़्बुल्लाह को केवल एक सैनिक संगठन के रूप में नहीं देखते थे बल्कि वह हिज़्बुल्लाह को कई क़दम आगे ले गये और उसे एक सामाजिक संगठन में परिवर्तित कर दिया। साथ ही उन्होंने हिज़्बुल्लाह की सैन्य शक्ति को बेहतर बनाया यहां तक कि वह पश्चिम एशिया में एक महत्वपूर्ण व स्ट्रैटेजिक सैन्य संगठन में परिवर्तित हो गया।

क़ालीबाफ़ ने बल देकर कहा कि आतंकवादी गुट दाइश को नियंत्रित करने में विश्व हिज़्बुल्लाह की भूमिका को नहीं भूल सकता। यह हिज़्बुल्लाह था जिसने अपने सपूतों और शूरवीरों की क़ुर्बानी देकर इस अंतरराष्ट्रीय चुनौती व ख़तरे को नियंत्रित करके विश्व में शांति व सुरक्षा स्थापित की।

उन्होंने बल देकर कहा कि आज दुनिया की सुरक्षा और विशेषकर यूरोप की सुरक्षा शहीद नस्रुल्लाह की ऋणी है, हिज़्बुल्लाह शांति व सुरक्षा का कारण है और अगर अमेरिकी राजनेता वास्तव में पश्चिम एशिया में शांति चाहते थे तो उन्हें अपने पालतू कुत्ते को नियंत्रित करना चाहिये था न यह कि हिज़्बुल्लाह के मेधावी और बुद्धिमान कमांडर को बमों, दूसरे सैन्य संसाधनों और सैनिक जानकारियों की मदद से शहीद करते।

"मकतबे नस्रुल्लाह" शीर्षक के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेन्स सैय्यद हसन नस्रुल्लाह के चेहलुम के अवसर पर तेहरान में आयोजित हुई थी। इस कांफ्रेन्स में विश्व के 13 देशों के बुद्धिजीवियों आदि ने भाग लिया।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को खरी खरी सुनाते हुए कहा कि उसे झूठ फैलाने से बाज आ जाना चाहिए।  संयुक्त राष्ट्र में  पाकिस्तान को लताड़ लगाते हुए भारत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा। इस मुद्दे पर पाकिस्तान को गलत बयानबाजी और झूठ फैलाने से बाज आना चाहिए। कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान को गलत बयानबाजी और झूठ फैलाने से बचना चाहिए क्योंकि इससे तथ्य नहीं बदलेंगे। 

पाकिस्तान के क्वेटा में बम धमाके पर ईरान ने दुःख जताया है ईरानी सरकार ने इस घटना की निंदा करते हुए पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,, ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जनाब इस्माइल बकाई ने पाकिस्तानी शहर क्वेटा के रेलवे स्टेशन पर आज सुबह हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है।

उन्होंने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।

उन्होंने जोर देकर कहा कि यह आतंकवादी कार्रवाइयाँ सभी अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों और मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन हैं, जिन्हें किसी भी प्रकार से उचित नहीं ठहराया जा सकता हैं।

ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आतंकवाद और अतिवाद के खिलाफ देश की सैद्धांतिक नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि इस निंदनीय प्रवृत्ति को समाप्त करने के लिए द्विपक्षीय और क्षेत्रीय स्तर पर सभी देशों के बीच सामंजस्य और आपसी सहयोग को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है।

इसके अलावा उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहन समन्वय और मज़बूत सहयोग के लिए ईरान की तत्परता पर भी जोर दिया हैं।

भाजपा नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह  ने एक बार फिर मुस्लिम समाज को निशाने पर लेते हुए कहा कि कांग्रेस और विपक्ष के चुनावी वादों के अनुसार हम मुसलमानों को आरक्षण नहीं लेने देंगे।

भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों का हिस्सा काटकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है, लेकिन जब तक भारतीय जनता पार्टी है, यह नहीं होने दिया जाएगा।

शाह ने कहा कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन कांग्रेस ने महाराष्ट्र में उलमा के प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया है कि मुसलमानों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिलाने में मदद करेगी।

 उन्होंने कहा कि कांग्रेस दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों का हिस्सा काटकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है, लेकिन जब तक भारतीय जनता पार्टी है, यह नहीं होने दिया जाएगा।

हज़रत आयतुल्लाह सुब्हानी ने छात्रों को अख़्लाक़ का सबक देते हुए कहा, चार अक्षर पढ़ लेने के बाद हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि ज्ञान की कुंजी हमारे हाथ में आ गई है ज्ञान की कुंजी अल्लाह तआला के हाथ में है और पैगंबर और अहेलबैत अलैहिस्सलाम के पास है हमें इस मामले में विनम्रता से काम लेना चाहिए।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा जाफर सुब्हानी ने इमाम सादिक़ अ.स. इंस्टीट्यूट परदेसान में छात्रों और उनके परिवारों को अख़ुलाक़ के पाठ में नसीहत करते हुए कहा, खुदावंद मुतआल ने फरमाया है,"

لا تُصَعِّرْ خَدَّکَ لِلنَّاسِ وَ لا تَمْشِ فِی الْأَرْضِ مَرَحاً إِنَّ اللهَ لا یُحِبُّ کُلَّ مُخْتالٍ فَخُورٍ"

यानी लोगों से घमंड और अहंकार से अपना चेहरा न फेरो और ज़मीन पर घमंड से मत चलो अल्लाह किसी घमंडी और खुदपसंद इंसान को पसंद नहीं करता। (सूरह लुक़मान: आयत 18)

उन्होंने कहा,खुशनसीब हैं वे लोग जो अपने आपको बुरे अख़लाक़ से पाक करते हैं।

आयतुल्लाह सुब्हानी ने आगे कहा,घमंड भी उन्हीं बुरे अख़लाक़ में से एक है। घमंड 'बाब तफअुल' से स्वीकार्यता के अर्थ में है यानी जब इंसान इस हद तक खुद को गिरा देता है कि वह अपनी श्रेष्ठता की खोज को अपनी आदत बना लेता है और यह अवस्था उसकी पहचान में गहरी पैठ बना लेती है और चार अक्षर पढ़कर यह न सोचें कि ज्ञान की कुंजी हमारे हाथ में आ गई है।

उन्होंने आगे कहा,घमंडी इंसान अपनी श्रेष्ठता जताने के लिए दो तरह से ज़ुल्म करता है एक खुद पर और दूसरा दूसरों पर क्योंकि वह दूसरों को कमतर समझता है।

आयतुल्लाह सुब्हानी ने कहा,हज़रत लुक़मान ने अपने बेटे को नसीहत की कि 'ऐ बेटे, लोगों से घमंड और अहंकार से अपना चेहरा न फेरो और कभी भी ज़मीन पर घमंड से मत चलो।

हज़रत आयतुल्लाह सुब्हानी ने छात्रों को अख़्लाक़ का सबक देते हुए कहा, चार अक्षर पढ़ लेने के बाद हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि ज्ञान की कुंजी हमारे हाथ में आ गई है ज्ञान की कुंजी अल्लाह तआला के हाथ में है और पैगंबर और अहेलबैत अलैहिस्सलाम के पास है हमें इस मामले में विनम्रता से काम लेना चाहिए।

 

 

 

 

क़तर ने खुल कर इस्राईल और अमेरिका के हित में क़दम उठाते हुए फिलिस्तीन मुक्ति आंदोलन के अग्रणी दल हमास के नेताओं को अपना देश छोड़ने के आदेश दिए हैं। 

ग़ज़्ज़ा में जारी जनसंहार के बीच क़तर ने फिलिस्तीन को ज़ोर का झटका दिया है।  बाइडन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया है कि कतर ने अमेरिका के कहने पर लगभग 10 दिन पहले हमास से कहा था कि उसे दोहा में अपना राजनयिक कार्यालय बंद करना होगा। कतर 2012 से दोहा में हमास के अधिकारियों की मेजबानी कर रहा है। 

कतर ने अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं की है कि उसने हमास के अधिकारियों को देश छोड़ने का आदेश दिया है, लेकिन कतर के अधिकारियों ने पिछले साल के दौरान बार-बार कहा था कि वह फिलिस्तीनी नेताओं को निकालने के लिए तैयार हैं और ऐसा तभी करेंगे जब वाशिंगटन इसके लिए औपचारिक रूप से कहेगा। 

 

ईरान के हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख ने तेहरान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन,मकतब ए नसरुल्लाह" को संबोधित करते हुए कहा कि उलेमा और इस्लामी विद्वानों को चाहिए कि वह उम्मत ए मुसलिमा का मार्गदर्शन करें और प्रतिरोध के मार्ग में आने वाली रुकावटों को दूर करने में अपनी भूमिका निभाएं।

एक रिपोर्ट के अनुसार , ईरान के हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने तेहरान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन "मकतब-ए-नसरुल्लाह" में अपने संबोधन के दौरान कहा कि प्रतिरोधी ने इज़राईल राज्य की सुरक्षा को चुनौती दी है और अब यह राज्य अपनी बचे रहने की लड़ाई में व्यस्त है।

उन्होंने उलेमा और इस्लामी विद्वानों पर जोर दिया कि वह उम्मत-ए-मुसलिमा का मार्गदर्शन करें और प्रतिरोध के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने में अपनी भूमिका निभाएं।

आयतुल्लाह आराफी ने आगे कहा कि सैयद हसन नसरुल्लाह उम्मत ए मुसिलिमा की एकता शिया-सुन्नी एकजुटता और फिलिस्तीन की आज़ादी के प्रतीक हैं।

उन्होंने कहा कि सैयद हसन नसरुल्लाह ने व्यक्तिगत हितों को परे रखकर इस्लाम के उच्च उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रयास किए हैं और विभिन्न धर्मों के साथ भी दोस्ताना संबंध स्थापित किए हैं।

आयतुल्लाह आराफी ने कहा कि ज़ायोनी राज्य जो पहले हमेशा आक्रामकता का प्रतीक रहा है अब प्रतिरोध के परिणामस्वरूप अपने बचाव के लिए मजबूर हो गया है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि इस राज्य की वे नींव, जो कभी मजबूत समझी जाती थीं, अब कमजोर हो चुकी हैं और इसका चेहरा वैश्विक स्तर पर एक कब्जा करने वाली और आतंकवादी राज्य के रूप में उजागर हो चुका है।

उन्होंने इस्लामी देशों की सरकारों से मांग की कि वे ज़ायोनी राज्य के साथ अपने राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को समाप्त करें।

उनका कहना था कि आज इस्लामी प्रतिरोध ने नई पीढ़ियों में अपनी जड़ें मजबूत कर ली हैं और इसका प्रभाव भविष्य की प्रतिरोधी नेतृत्व में भी देखा जाएगा।

आयतुल्लाह आराफी ने इस बात पर भी जोर दिया कि वैश्विक मीडिया कलाकार और साहित्यकार प्रतिरोध को अपनी पहली प्राथमिकता बनाएं और इस्लामी उम्मत से अपील की कि वे अपने संसाधनों का उपयोग इस्लाम की श्रेष्ठता और ज़ायोनी दुश्मन की हार के लिए करें।