
رضوی
बंदगी की बहार- 19
पवित्र रमज़ान अब अपने अंत की ओर बढ़ रहा है।
लगभग आधा रमज़ान गुज़र चुका है। अब हम शबेक़द्र से बहुत निकट हो चुके हैं। शबेक़द्र, ईश्वर से प्रार्थना और उसकी उपासना की राते हैं। इन रातों में पालनहार की उपासना करके दिलों को ज़िंदा किया जा सकता है। रमज़ान के अंत की दस रातों में से कुछ रातों को शबेक़द्र अर्थात मूल्यवान या महत्व वाली रातों के रूप में जाना जाता है। 19-21-23 और 27 की रातों को शबेक़द्र कहा जाता है। इन रातों का आरंभ रमज़ान की उन्नीसवीं रात से होता है। मुसलमानों के बीच इन रातों को विशेष महत्व हासिल है। इन रातों के दौरान सामान्यतः रोज़ेदार अधिक से अधिक उपासना करने का प्रयास करते हैं। इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार यह रातें आत्म निरीक्षण के लिए बहुत अच्छा अवसर है। इन्हीं रातों में से एक रात में हज़रत अली अलैहिस्सलाम के सिर पर तलवार से वार किया गया जिसके परिणाम स्वरूप वे शहीद हो गए।
इमाम अली अलैहिस्सलाम की शहादत के बारे में कहा जाता है कि जिस रात नमाज़ के दौरान उनके सिर पर तलवार से वार किया गया उस रात वे अपनी एक बेटी "उम्मे कुलसूम" के घर इफ़तार पर मेहमान थे। इफ़तार के समय उन्होंने बहुत ही कम खाना खाया। हज़रत अली ने केवल तीन निवाले खाए और वे उपासना करने में लीन हो गए। इस रात वे बहुत ही व्याकुल दिखाई दे रहे थे। उस रात वे बारबार आसमान की ओर देखते थे। जैसे-जैसे इफ़्तार का समय निकट होता जा रहा था उनकी व्याकुलता बढ़ती जा रही थी। इसी रात उन्होंने कहा था कि न तो मैं झूठ बोलता हूं और न ही जिसने मुझको ख़बर दी है वह झूठ बोलता है। जिस रात का मुझसे शहादत का वादा किया गया है वह यही रात है। अंततः रात अपने अंत की ओ बढ़ी और हज़रत अली फज्र की नमाज पढ़ने के उद्देश्य से मस्जिद की ओर बढ़े।
जिस समय हज़रत अली अलैहिस्सलाम नमाज़ पढ़ने के लिए अपने घर से मस्जिद के लिए निकल रहे थे तो घर में पली हुई बत्तख़ों ने इस प्रकार से उनका रास्ता रोका कि वे उन्होंने अपनी चोंच से इमाम की अबा को पकड़ लिया। घरवालों ने जब इन बत्तख़ों को इमाम से दूर करना चाहा तो उन्होंने कहा कि उनको छोड़ दो। इनको इनके हाल पर छोड़ दो। अपने पिता के व्यवहार और उनकी बातों को सुनकर उम्मे कुलसूम परेशान हो गई। उनको संबोधित करते हुए इमाम अली ने कहा कि ईश्वर ने जो लिख दिया उसे काटा नहीं जा सकता। इतना कहने के बाद हज़रत अली पूरी दृढ़ता के साथ मस्जिद की ओर बढ़े।
हज़रत अली अलैहिस्साम मस्जिद पहुंचे और उन्होंने नमाज़ पढ़ना शूर की। वे जैसे ही सजदे में गए, "इब्ने मुल्जिम" नामक दुष्ट व्यक्ति ने ज़हर से बुझी तलवार से हज़रत अली के सिर पर वार किया। तलवार के सिर पर लगते ही उससे ख़ून निकलने लगा। तलवार का घाव बहुत गहरा था जिसके कारण उनके शरीर का बहुत सा ख़ून वहीं पर बह गया। अपने सिर पर तलवार का वार पड़ने के बाद हज़रत अली ने कहा था कि काबे के रब की सौगंध में सफल हो गया।
हज़रत अली और ईश्वर के बीच नमाज़ सबसे अच्छा संपर्क थी। नमाज़ की हालत में वे ईश्वर के अतिरिक्त किसी अन्य के बारे में नहीं सोचते थे। नमाज़ की हालत में सिर पर ज़हरीली तलवार खाने के बाद उन्होंने अपने परिजनों के लिए जो वसीयत की उसमें उन्होंने कहा था कि नमाज़ें पढ़ों और उनकी सुरक्षा करो क्योंकि वे धर्म का स्तंभ हैं। नमाज़ के संदर्भ में शेख अबूबक्र शीराज़ी अपनी एक पुस्तक में लिखते हैं कि परहेज़ करने वालों के बारे में सूरे ज़ारेयात की आयत संख्या 17 और 18 में ईश्वर कहता है कि वे लोग रात में बहुत ही कम सोते हैं और भोर समय ईश्वर से पश्चाताप करते हैं। यह आयतें हज़रत अली के बारे में हैं। इसका कारण यह है कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम, रात के अधिकांश भाग में उपासना करते थे और रात के आरंभिक हिस्से में सोते थे। नमाज़ के बारे में हज़रत अली अलैहिस्सलाम का बहुत ही मश्हूर कथन है कि इससे पहले कि कोई भी मुसलमान नमाज़ पढ़ता, मैं सात वर्षों तक पैग़म्बरे इस्लाम (स) के साथ नमाज़ पढ़ चुका था।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने कूफे की मस्जिद में अपनी अन्तिम नमाज़ में यह बात कही थी कि मैं सफल हो गया। उन्होंने एक छोटे से वाक्य के माध्यम से यह बताया कि शहादत के लिए वे कितने व्याकुल थे। तलवार से घायल हो जाने के बाद जब कूफ़ावासियों ने इमाम अली के बारे में जानना चाहा तो आपने कहा कि ईश्वर की सौगंध मेरे साथ एसा कुछ नहीं हुआ जो मैं न चाहता हूं। मुझको शहादत की प्रतीक्षा थी जो मुझको हासिल हो गई। मेरी स्थिति वैसी ही है जैसे कोई अंधेरी रात में किसी मरूस्थल में पानी की खोज में हो और एकदम से उसे पानी का सोता मिल जाए। उन्होंने कहा कि मेरी मिसाल उस ढूंढने वाले व्यक्ति की सी है जिसे अपनी मेहनत का फल मिल जाए।
शबेक़द्र की रातों में उपासना और प्रार्थना का विशेष महत्व है। अगर देखा जाए तो पता चलेगा कि मनुष्य को सदा ही ईश्वर की सहायता की आवश्यकता रहती है। ईश्वर पर आस्था रखने वाले जहां एक ओर उसकी दी हुई अनुकंपाओं का आभार व्यक्त करते हैं वहीं पर वे अपनी आवश्यकताओं की भी मांग उससे करते हैं। इसीलिए कहा गया है कि दुआ के माध्यम से बंदा अपने ईश्वर से अपने मन की बातें कहता है। ईश्वर ने भी अपने दासों को विश्वास दिलाया है कि वह उनकी मांगों को पूरा करता है। सूरे बक़रा की आयत संख्या 186 में कहा गया है कि जब मेरे बंदे तुमसे मेरे बारे में सवाल करें तो उनसे कह दीजिए कि मैं उनके निकट हूं। जब वह मुझसे सवाल करता है तो मैं उसका जवाब देता हूं। बस लोगों को मेरे निमंत्रण को स्वीकार करना चाहिए और मुझपर ईमान लाना चाहिए ताकि उनको रास्ता मिल जाए।
ईश्वर और उसके दास के बीच संपर्क का सबसे उत्तम साधान दुआ है। दुआ के माध्यम से लोग ईश्वर से तरह-तरह से सवाल करते हैं। कोई उससे सांसारिक आवश्यकताओं की मांग करता है तो कोई दूसरा अपनी परेशानियों का उल्लेख करता है। कोई बीमारी से मुक्ति चाहता है तो कोई धन-दौलत की इच्छा रखता है। कुछ एसे भी लोग होते हैं जो ईश्वर से प्रायश्चित करते हुए अपने मोक्ष की कामना करते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि दुआ अर्थात अपनी आवश्यकताओं का उल्लेख।
धर्मगुरूओं का कहना है कि वास्तव में मनुष्य प्रकृतिक रूप में एक एसी शक्ति पर विश्वास रखता है जो उससे बहुत अधिक सशक्त है और जो उसकी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है। वह शक्ति लोगों की मांगों को सुनती है और उनकी मनोकामनाओं को पूरा करती है। दुआ का एक अन्य अर्थ है अपनी आंतरिक पहचान। ईश्वर के महान बंदों की दुआएं एसी ही होती हैं जिनमें वे ईश्वर की अधिक से अधिक पहचान की बात करते हैं।
दुआ को उस चाभी की भांति कहा गया है जो मनुष्य की आवश्यकताओं को बिना किसी माध्यम के पूरा करती है। दुआ, ईश्वर से विशेष संपर्क का नाम है। जब कोई व्यक्ति या अल्लाह या यारब कहकर ईश्वर को संबोधित करता है तो यह आवाज़ ईश्वर बहुत ही सरलता से सुन लेता है। हज़रत अली अलैहिस्सलाम इस संबन्ध में नहजुल बलाग़ा में कहते हैं कि तुम जब भी उसको पुकारते हो तो वह उसे सुनता है। जब तुम उससे अपने मन की बात बहुत धीरे-धीरे अकेले में कहते हो तो उसे भी वह सुन लेता है। जब तुम उससे कुछ मांगते हो तो वह उसे पूरा करता है।
पवित्र रमज़ान की इन महत्वपूर्ण रातों में हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें अपनी उपासना का सामर्थ्य प्रदान करते हुए हमपर अपनी अनुकंपाओं की वर्षा करे।
माहे रमज़ान के उन्नीसवें दिन की दुआ (19)
माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।
أللّهُمَّ وَفِّر فيہ حَظّي مِن بَرَكاتِہ وَسَہلْ سَبيلي إلى خيْراتِہ وَلا تَحْرِمْني قَبُولَ حَسَناتِہ يا هادِياً إلى الحَقِّ المُبينِ..
अल्लाह हुम्मा वफ़-फ़िर फ़ीहि हज़्ज़ी मिन बरकातिह, वस-हिल सबीली इला ख़ैरातिह, व ला तह-रिमनी क़बूला हसनातिह, या हादियन इलल हक़्क़िल मुबीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)
ख़ुदाया! इस महीने में मेरे नसीब को इसकी बरकतों से मुकम्मल कर दे, और इस की नेकियों व भलाईयों की तरफ़ मेरा रास्ता हमवार व आसान कर दे, और इस की हसनात की क़ुबूलियत से मुझे महरुम न फ़रमा, ऐ आशकार व रौशन हक़ीक़त की तरफ़ हिदायत देने वाले..
अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम.
विश्व कुद्स दिवस रैलियों में व्यापक रूप से भाग लेने की अपील: हसन नसरल्लाह
हिजबुल्लाह लेबनान के प्रमुख सैय्यद हसन नसरल्लाह ने जनता से विश्व कुद्स दिवस रैलियों में व्यापक रूप से भाग लेने की अपील की है।
अल-अहेद की रिपोर्ट के मुताबिक, सैयद हसन नसरल्लाह ने रमज़ान की पहली रात को बेरूत में बोलते हुए कहा कि इस साल विश्व कुद्स दिवस एक विशेष और पूरी तरह से अलग स्थिति में मनाया जाएगा.
लेबनान में हिजबुल्लाह के प्रमुख ने कहा कि इन दिनों गाजा के निवासी ज़ायोनी सरकार के हाथों नरसंहार, भुखमरी, विनाश और विनाश, उत्पीड़न और भय और आतंक फैला रहे हैं। युद्ध में, हड़पने वाले तुलनात्मक रूप से स्थायित्व और दृढ़ता दिखा रहे हैं सैनिकों को.
हिजबुल्लाह के प्रमुख सैयद नसरल्लाह ने कहा कि हमें लेबनान, सीरिया और यमन में घटनाओं और आर्थिक स्थितियों के कारण उत्पन्न स्थिति के लिए प्रार्थना करने के लिए हाथ उठाना चाहिए।
हिज़्बुल्लाह ने ज़ायोनी सैन्य अड्डों पर लेबनान पर हमला किया
लेबनान में हिजबुल्लाह ने छह बार ज़ायोनी शासन के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, हिजबुल्लाह लेबनान ने कहा है कि उसके सैनिकों ने गाजा में फिलिस्तीन के उत्पीड़ित लोगों के समर्थन में शाबा के कब्जे वाले क्षेत्र में जुबदीन और जल अल-आलम सैन्य ठिकानों को फलक मिसाइलों से निशाना बनाया। है। हिजबुल्लाह लेबनान ने एक बयान में कहा है कि लेबनानी मुजाहिदीन ने गाजा के लोगों के समर्थन और दमिश्क और अलेप्पो पर ज़ायोनी दुश्मन के आक्रमण के जवाब में बरनिट छावनी पर बुर्कान मिसाइलों से हमला किया है।
लेबनान में हिजबुल्लाह ने इसी तरह हुनान किले में ज़ायोनी सेना के अड्डे पर रॉकेट से हमला किया है।
नई नस्ल के सवालों का जवाब बेहतर तरीके से दिया जाए: आराफी
हौज़ा ए इल्मिया ईरान के प्रमुख ने कहां,नई पीढ़ी के पास इस समय के आधार पर नए अल्फाज़ और नए सवालात हैं और इनमें से बहुत से सावलात और चैलेंज का जवाब अब अतीत के रूप से नहीं दिया जा सकता हैं, इसके लिए हमें नए तरीकों की आवश्यकता है इस दृष्टिकोण से परिचित ऊर्जावान और सक्षम लोगों की आवश्यकता है।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हौज़ा ए इल्मिया ईरान के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने कुम के शिक्षा मंत्री और कई अन्य सरकारी अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ एक बैठक में कहा, शिक्षा में विभिन्न संकटों से निपटने के लिए सक्षम लोगों का होना ज़रूरी हैं।
उन्होंने शिक्षा व्यवस्था में विभिन्न समस्याओं और कठिनाइयों का ज़िक्र करते हुए कहा,शिक्षा और प्रशिक्षण के मुद्दे प्रशासनिक संस्थानों और मंत्रालयों के ध्यान का केंद्र होना चाहिए
हौज़ा ए इल्मिया ईरान के प्रमुख ने कहां,सभी को शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा मंत्रालय की मदद करनी चाहिए क्योंकि यह शिक्षा ही है जो सभी की सेवा करती है।
आयतुल्लाह अराफ़ी ने कहा जिन देशों में शिक्षा व्यवस्था को सबसे ऊपर रखा जाता है वह सफल और विकसित देश हैं।
उन्होंने आगे कहा,जो संगठन शहरों में नए परिसरों और आवास परियोजनाओं का निर्माण करना चाहते हैं उन्हें मस्जिदों और स्कूलों के निर्माण पर भी ध्यान देना चाहिए।
मानवाधिकारों का दावा करने वाली सरकारें अपने नारों में किस हद तक खरी हैं?
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि पिछले छह महीनों से गाजा में हुई दर्दनाक घटनाएं अंतरराष्ट्रीय हलकों और सरकारों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन की परीक्षा हैं।
इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने अपने सोशल मीडिया पेज पर लिखा कि पिछले छह महीनों में गाजा में हुई दर्दनाक घटनाएं इस बात की परीक्षा हैं कि सरकारें, संस्थाएं और कितनी दूर हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय मानवाधिकारों को लेकर चिंतित हैं। वे इस संबंध में अपने नैतिक, मानवीय, कानूनी और अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों से बंधे हैं।
नासिर कनानी ने कहा कि दक्षिणी के समुद्र तटों पर दो निहत्थे फ़िलिस्तीनी युवाओं को मारने और दफनाने के लिए इज़राइल की रंगभेदी सरकार के सैनिकों के भयानक अपराधों और कार्रवाई पर मानवाधिकारों का दावा करने वाले अधिकारियों और देशों की प्रतिक्रिया की प्रकृति से यह स्पष्ट है। गाजा पट्टी। वे मानव अधिकारों के अपने नारों के प्रति कितने सच्चे हैं।
ज़ायोनी सैन्य अड्डे पर इराकी प्रतिरोध बलों द्वारा ड्रोन हमला
इराक के इस्लामिक प्रतिरोध ने कब्जे वाले गोलान में एक सैन्य अड्डे पर हमला किया है।
IRNA की रिपोर्ट के मुताबिक, इराकी इस्तिकामी समूह ने अपने बयान में कहा है कि सीरिया के कब्जे वाले गोलान क्षेत्र में एक ड्रोन ने इजरायली सैन्य अड्डे पर हमला किया है. बयान में कहा गया है कि इराकी स्थिरता, गाजा के लोगों के समर्थन में, रमजान के पवित्र महीने के दौरान कब्जाधारियों के खिलाफ कार्रवाई तेज करेगी।
इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक ने भी सोमवार को घोषणा की कि उसने ज़ायोनी शासन के एक ड्रोन डिपो को निशाना बनाया है
इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक ने बुधवार सुबह ज़ायोनी सरकार के युद्ध मंत्रालय की इमारत पर भी ड्रोन हमला किया।
गाजा में ज़ायोनी सेना पर हमला
नरसंहारक ज़ायोनी सरकार के सैनिकों पर फ़िलिस्तीनी मुजाहिदीन के हमले में एक ज़ायोनी सैनिक मारा गया और सोलह अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।
माहेर न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, खान यूनिस में फ़िलिस्तीनी मुजाहिदीन के सफल हमले में ज़ायोनी सैनिकों को भारी नुकसान हुआ। हमले को स्वीकार करते हुए उसने घोषणा की है कि पिछले 24 घंटों में कई और सैनिक घायल हुए हैं .
ज़ायोनी सरकार की सेना की घोषणा के अनुसार, पिछले तीन दिनों में ग़ज़ा में मुजाहिदीन के साथ झड़पों में दसियों इज़रायली सैनिक घायल हुए हैं। हमास की सैन्य शाखा, इज्जेदीन क़सम ब्रिगेड ने भी घोषणा की है कि पश्चिमी शहर खान यूनिस में नासिर अस्पताल के पास टीबीजी विरोधी मिसाइल हमले द्वारा इजरायली सैनिकों के एक समूह को निशाना बनाया गया है।
ज़ायोनी शासन की सेना ने पहले स्वीकार किया था कि गाजा युद्ध की शुरुआत के बाद से उसके 3,160 से अधिक सैनिक घायल हो गए हैं। ज़ायोनी सेना गाजा में अपने हताहतों की खबर को सेंसर कर रही है और स्वतंत्र सूत्रों का कहना है कि गाजा में ज़ायोनी सेना का नुकसान इजरायली सरकार द्वारा घोषित की तुलना में बहुत अधिक है।
ग़ज़्ज़ा युद्ध के संबंध में अमेरिकी धूर्तता पर एतराज़
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस्राईल के लिए अधिक हथियार भेजने का जो फैसला किया है उस पर अमेरिका के वर्मोन्ट राज्य के आज़ाद व निर्दलीय सिनेटर बर्नी सेन्डर्ज़ ने आपत्ति जताई है।
इस अमेरिकी सिनेटर ने सोशल साइट एक्स पर लिखा है कि अमेरिका नेतनयाहू से यह अपील नहीं कर सकता कि वह आम नागरिकों की बमबारी को बंद कर दें और अगले दिन वह दो हज़ार पाउंड के हज़ारों बम उनके लिए भेजता है जो शहर के पूरे मोहल्लों को तबाह कर सकता है। यह काम लज्जाजनक है। बर्नी सेन्डर्ज़ ने एक बार फिर बल देकर कहा कि हम इस्राईल का जो साथ दे रहे हैं उसे समाप्त करना चाहिये। अब इस्राईल के लिए एक बम भी न भेजो।
ईरान की महिला खिलाड़ी, टेबल टेनिस विश्व प्रतियोगतिा में बनीं उपविजेता
एलीना रहीमी ने विश्व टेबल टेनिस प्रतियोगिता में रजत पदक जीत लिया।
ईरान की पिंगपांग की महिला खिलाड़ी ने टेबल टेनिस की विश्व प्रतियोगतिा में रजत पदक जीता।
ईरान की टेबिल टेनिस की युवा खिलाड़ी एलीना रहीमी ने टेबल टेनिस प्रतियोगिता में सिल्वर कप जीता।
इलीना रहीमी ने टूर्नामेंट में अपनी भारतीय प्रतिस्पर्धी को पराजित करके यह पदक हासिल किया है।
लेबनान में आयोजित होने वाली डब्लूटीटी वर्डफ्री टेबल टेनिस प्रतियोगिता में इस ईरानी महिला खिलाड़ी ने नए साल में देश के लिए पहला पदक जीता है।
लेबनान में हुई इस प्रतियोगिता में एलीना रहीमी के ईरानी कोच, रज़ा फ़रजी थे।