رضوی

رضوی

माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।

اَللّهُمَّ اهدِني فيہ لِصالِحِ الأعْمالِ وَاقضِ لي فيہ الحوائِجَ وَالآمالِ يا مَنْ لا يَحتاجُ إلى التَّفسيرِ وَالسُّؤالِ يا عالِماً بِما في صُدُورِ العالمينَ صَلِّ عَلى مُحَمَّدٍ وَآله الطّاهرينَ..

अल्लाह हुम्मा एहदिनी फ़ीहि ले सालेहिल आमाल वक़ ज़ी ली फ़ीहिल हवाएजा वल आमाल, या मन ला यहताजु इलत तफ़सीरि वस्सुवाल, या आलिमन बिमा फ़ी सुदूरिल आलमीन, स्वल्ले अला मुहम्मदिन व आलेहित्ताहिरीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)

ख़ुदाया! इस महीने में मुझे नेक कामों की तरफ़ हिदायत दे, और मेरी हाजतों व ख़्वाहिशों को पूरी फ़रमा, ऐ वह ज़ात जो किसी से पूछने और वज़ाहत व तफ़सीर की मोहताज नहीं है, ऐ जहांनों के सीनों में छुपे हुए राज़ों के आलिम, दुरूद भेज मुहम्मद (स) और उन की आल के पाकीज़ा ख़ानदान पर.

अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम.

गुरुवार, 28 मार्च 2024 18:16

बंदगी की बहार- 17

रमज़ान का पवित्र महीना जारी है।

आज हम आपको यह बतायेंगे कि रमज़ान के पवित्र महीने में एक ईरानी परिवार क्या करता है। रमज़ान के पवित्र महीने में एक ईरानी बच्चा कहता है”

रमज़ान का महीना आ गया है। यह मेरा पांचवां साल है जब से मैं पूरे रोज़े रख रहा हूं। मेरी मां रसोईघर में इफ्तारी बना रही है यानी रोज़ा खोलने के लिए खानें बना रही है। पूरे कमरे में हलवे विशेष व्यजन और शोले ज़र्द की सुगंध फैली हुई है। एक विशेष प्रकार की मीठी खीर को शोले ज़र्द कहते हैं। पिता जी ताज़ा रोटी के साथ घर में प्रवेश करते हैं। हमारे माता- पिता ने बचपने से ही हमें रोज़ा रखने की आदत डाली है। ईरान में एक परंपरा यह है कि बच्चे को रोज़ा रखने और रोज़े के शिष्टाचारों से परिचित कराने के लिए कुछ समय तक उसे न खाने –पीने की आदत डालते हैं। इस परम्परा को “कल्ले गुन्जिश्की” कहते हैं। जब हमारे मां- बाप किसी से यह कहते थे कि हमने कल्लये गुन्जिश्की रोज़ा रखा है तो हमें यह आभास होता था कि हम बड़े हो गये हैं। हम धीरे- धीरे बड़े हो गये और अब वह समय आ गया है कि हम पूरे रोज़े रखें। जब हम छोटे थे और रोज़ा रखते थे तो हर रोज़े के बदले बड़े- बूढ़े हमें नई व प्रयोग न हुई नोट देते थे उनका यह कार्य हमारे लिए एक प्रकार का प्रोत्साहन था।

बहरहाल रमज़ान का पवित्र महीना आ गया है। चारों ओर विशेष प्रकार का आध्यात्मिक वातावरण व्याप्त है। टेलिवीज़न से दुआएं प्रसारित हो रही हैं। दस्तरखान लग गया है जिस पर पनीर, खाने की ताज़ा सब्जी, दूध, खजूर और दूसरी चीज़ें रख दी गयी हैं। रमज़ान के पवित्र महीने ने एक बार फिर यह संभावना उपलब्ध कर दी है कि परिवार के सदस्य रोज़ा खोलने के समय अधिक से अधिक एक दूसरे के साथ रहें। काफी समय से हम लोग एक साथ दस्तरखान पर नहीं बैठे थे। जैसे ही अज़ान कही गयी मेरे भाई ने ज़रा सा रुके बिना दूध से भरे ग्लास को पी लिया और पिताजी ने दुआ पढ़ी और आराम से कहा कि कबूल बाशद यानी ईश्वर सबके रोज़े को कबूल करे।         

यह उस महीने की कहानी है जो हर प्रकार की घटना से हटकर प्रतिवर्ष हमें एक साथ एकत्रित करता है। यह वह पवित्र महीना है जो हमें अपने पालनहार की उपासना करने और उससे दुआ करने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है। इसी तरह यह महीना हमें दूसरों और उन लोगों का हाल- चाल जानने का अवसर प्रदान करता है जो वर्षों से हमारे मित्र हैं।

 

रमज़ान का पवित्र महीना जब आता है तो बहुत से लोगों की जीवन शैली बदल जाती है। खाने पीने, सोने, काम करने यहां तक इस महीने में सामान खरीदने और उसके प्रयोग की शैली भी परिवर्तित हो जाती है। वास्तव में जीवन शैली का परिवर्तित होना इस महीने का मात्र एक उपहार है जो जीवन में बड़े बदलाव का कारण बन सकता है।

रमज़ान के पवित्र महीने की एक बरकत यह है कि जब परिवार के सदस्य एक साथ रोज़ा रखते हैं, साथ में इफ्तारी करते और सहरी खाते हैं तो इससे परिवार के आधार मज़बूत होते हैं जबकि रमज़ान का पवित्र महीना आने से पहले बहुत कम एसा होता था कि परिवार के समस्त सदस्य एक साथ दस्तरखान पर एकत्रित हों। कुछ अपने कार्यों में व्यस्त होने के कारण केवल एक समय का खाना खाते थे वह भी सही समय पर नहीं। जबकि रमज़ान के पवित्र महीने में परिवार के सभी सदस्य इफ्तारी और सहरी के समय एक साथ होने का प्रयास करते हैं।

ईरानी बच्चा आगे कहता हैः माताजी एक धर्मपरायण महिला हैं। उन्होंने बचपने से ही हम सबके अंदर धार्मिक शिक्षाओं की आदत डाल दी है। जब वह हमें घूमाने के लिए पार्क या मनोरंजन स्थलों पर ले जाती हैं वहां पर वह हमें विभिन्न अवसरों पर महान ईश्वर की नेअमतों और उसकी सुन्दरताओं की याद दिलाती हैं। वह पेड़ों के पत्तों में अंतर को हमें बताती हैं। पुष्पों की महक और उसकी सुन्दता को हमारे लिए बयान करती हैं। इस प्रकार से कि हम यह सोचने पर बाध्य हो जाते हैं कि किसने इन फूलों को इतने सुन्दर व रंग बिरंगे रंगों में पैदा किया है। महान व सर्वसमर्थ ईश्वर है जिसने ब्रह्मांड और उसमें मौजूद समस्त चीज़ों की रचना की है।

 रोज़ा रखने का एक फायदा यह है कि रोज़ा रखने वालों के मध्य धैर्य करने की भावना पैदा और मज़बूत होती है और यह मोमिन लोगों के अधिक कृपालु बनने का कारण बनती है। जिस परिवार के सदस्य रोज़ा रखते हैं उसके सदस्य अधिक कृपालु व दयालु बन जाते हैं विशेषकर पिताजी इस महीने में कृपालु व दयालु बन जाते हैं। क्योंकि पैग़म्बरे इस्लाम ने फरमाया है कि इस महीने में अपने बड़ों का सम्मान करो और अपने छोटों पर दया करो और सगे- संबंधियों के साथ भलाई करो, अपनी ज़बानों को नियंत्रित रखो और अपनी आंखों को हराम चीज़ों को देखने से बंद कर लो”

रोज़े की जो आध्यात्मिकता होती है विशेषकर सहरी व भोर के समय उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। घर में खाने के लिए दस्तरखान बिछता है, मस्जिदों से पवित्र कुरआन की तिलावत की आवाज़ आती है। टीवी से पवित्र कुरआन की तिलावत और दुआ पढ़ने की आवाज़ आती है इस प्रकार के वातावरण में दोस्तों और सगे- संबंधियों से मिलने की अमिट छाप हमारे दिल और ईमान पर रह जाती है। इस आध्यात्मिक वातावरण में फरिश्ते नाज़िल होते हैं और वे इस पवित्र महीने की महानता, बरकत और संदेश को आसमान वालों के लिए ले जाते हैं। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि जो संदेश आसमान तक जायेगा उसका परिमाण मुक्ति व कल्याण होगा। यह एसा ही है कि यह धार्मिक उपासना हर साल आती है ताकि वह अपनी विभूतियों व बरकतों से हमारे व्यवहार व आचरण को बदल दे। पिताजी कहते हैं कि महत्वपूर्ण यह है कि हम पवित्र रमज़ान महीने में उपासना, रोज़े और दुआ को महत्व दें और महान ईश्वर की राह में खर्च करके, पवित्र कुरआन की तिलावत करके और दुआ करके अपने दिलों को प्रकाशमयी बनायें। अगर हम अच्छी तरह उपासना करें, पवित्र कुरआन की तिलावत करें और दुआ करें तो हमारे जीवन में रमज़ान के पवित्र महीने के प्रभाव अधिक होंगे।

मौलवी ने अपनी मसनवी में कुछ मनोवैज्ञानिक शैलियों का प्रयोग करके हमारे व्यवहार को परिवर्तित करने का प्रयास किया है और वह क्रोध को नियंत्रित करने वाली एक कहानी की ओर संकेत किया है। यह कहानी इस बात की सूचक है कि हम अपने इरादों को मज़बूत करके अपनी अनुचित आदतों को छोड़ सकते हैं। विशेषकर रमज़ान का पवित्र महीना एसा अवसर है जिसमें हम अपने अनुचित व्यवहार को परिवर्तित करके उसे सुधार सकते हैं। इसी प्रकार इस पवित्र महीने में हम अपने अवगुणों से मुकाबला हैं और उन्हें छोड़ सकते हैं। श्रोता मित्रो कृपया इस कहानी को ध्यान से सुने।

एक जवान था जिसका व्यवहार अच्छा नहीं था वह अपने दुर्व्यवहार से सदैव अपने आस- पास के लोगों को कष्ट पहुंचाता था। उसने अपनी इस बुरी आदत को सही करने का बहुत प्रयास किया परंतु उसे सही न कर सका। एक दिन उसके पिता ने उसे एक हथोड़ी और कुछ कीलें दीं और उससे कहा कि जब भी तुम्हें क्रोध आये तो एक कील दीवार में ठोंक देना। पहले दिन जवान दीवार पर कई कीलें ठोंकने के लिए बाध्य हुआ क्योंकि उसे बहुत क्रोध आता था और दिन की समाप्ति पर उसे अपने क्रोध की सीमा का अंदाज़ा हुआ। उसके अगले दिन कम क्रोधित होने का प्रयास किया ताकि कम कील दीवार में ठोंकनी पड़े। इस प्रकार वह प्रतिदिन अपने क्रोध की सीमा का अंदाज़ा लगाता रहा और दीवार में हर अगले दिन कम कीलें ठोंकता था। इस प्रकार उसके अंदर अपने क्रोध की आदत को बदलने की आशा उत्पन्न हो गयी।

इस प्रकार वह दिन आ ही गया जब जवान ने एहसास किया कि मेरे व्यवहार से क्रोध की बुरी आदत खत्म हो गयी। उसने पूरी बात अपने पिता से बतायी। उसका बाप एक समझदार और होशियार इंसान था उसने अपने बेटे को प्रस्ताव दिया कि अब हर उस दिन के बदले एक कील दीवार से निकालो जिस दिन भी तुम्हें क्रोध न आये। बहरहाल एक दिन आ गया जब जवान ने दीवार में ठोंकी समस्त कीलों को बाहर निकाल लिया। उसके बाद बाप ने बेटे का हाथ पकड़ा और उस दीवार की ओर ले गया जिसमें उसने कीलों को ठोंका था। उसने अपने बेटे की ओर देखा और कहा शाबाश! बहुत अच्छा काम किये किन्तु दीवार के उस भाग को देखो जहां से तुम कीलें निकाले हो। मेरे बेटे जब तुम क्रोध में कोई बात दूसरे से कहते हो तो वह उस कील की भांति है जो दीवार में तुमने ठोंकी थी यानी तुम अपनी बातों से दूसरों के दिलों में कील ठोंकते हो और इससे दूसरों के दिलों में जो घाव हो जाता है उसका चिन्ह बाकी रहता है और आसानी से उसकी जगह नहीं भरती। जवान अपने बाप की बात से समझ गया कि क्रोध से कितना नुकसान पहुंचता है और इसके बाद उसने दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करने का प्रयास किया। पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजनों के कथनों में क्रोध को हर बुराई की जड़ कहा गया है। इंसान क्रोध की हालत में बहुत से एसे कार्य कर बैठता है जिस पर वह बाद में पछताता है। इसीलिए पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजनों के कथनों में क्रोध को एक अन्य स्थान पर एक प्रकार का पागलपन कहा गया है। क्रोध में इंसान बुद्धि से कम काम लेता है। क्रोध वास्तव में दिल के अंदर जलने वाली एक प्रकार की आग की ज्वाला है। इसलिए रवायतों में कहा गया है कि जब इंसान को क्रोध आये तो उसे पानी पीना चाहिये। जिस इंसान को क्रोध आया हो उसे चाहिये कि अगर वह खड़ा हो तो बैठ जाये यानी अपनी दशा को बदल दे। इसी प्रकार जिस इंसान को क्रोध आया हो उसे चाहिये कि आइने में अपना चेहरा देखे। बहरहाल क्रोध एक एसी बुरी आदत है जो अवगुणों को ज़ाहिर और सदगुणों को छिपा देती है और बुद्धिमान व्यक्ति सदैव एसी चीज़ों को अंजाम देने से बचता है जो उसकी अच्छाइयों को छिपा ले और बुराइयों को ज़ाहिर कर दे।

 

 

गुरुवार, 28 मार्च 2024 18:15

ईश्वरीय आतिथ्य- 17

महान व सर्वसमर्थ ईश्वर ने बंदगी को पैग़म्बरे इस्लाम की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता बताया है और यह वह विशेषता है जिसका उल्लेख पवित्र कुरआन ने भी किया है।

पैग़म्बरे इस्लाम इसी विशेषता के कारण बड़े दर्जे तक पहुंचे सके और वह अपने आंखों से आकाश में बहुत सी चीज़ों को देख सके।

रमज़ान का पवित्र महीना अपनी समस्त अच्छाइयों के साथ हमें सलाम करता है और हमारा आह्वान आध्यात्मिक परिपूर्णता प्राप्त करने के लिए करता है। तो हम सबका नैतिक दायित्व बनता है कि अच्छे से अच्छे तरीके से उसके आह्वान का जवाब दें और रोज़ा रखकर महान ईश्वर के समक्ष अपनी बंदगी का परिचय दें और महान ईश्वर हम सबको पवित्र बनाये।

पूरे इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण यात्रा रमज़ान के पवित्र महीने में शबे मेराज की यात्रा है। यानी वह यात्रा जिसमें महान ईश्वर ने पैग़म्बरे इस्लाम को आसमान की सैर कराई। महान ईश्वर पवित्र कुरआन के सूरे इस्रा की पहली आयत में कहता है” पाक है वह ईश्वर जिसने एक रात को अपने बंदे को यानी पैग़म्बरे इस्लाम को मस्जिदे हराम से मस्जिद अक्सा की, जिसके इर्द- गिर्द हमने बरकत दी, सैर करायी ताकि अपनी कुछ निशानियों को दिखायें। बेशक ईश्वर सुनने और जानने वाला है।

पवित्र कुरआन के इस सूरे के आरंभ में ही दो शब्दों लैल और अस्रा का प्रयोग हुआ है जिससे ज्ञात होता है कि पैग़म्बरे इस्लाम की जो यात्रा हुई है वह रात में हुई है। इस प्रकार महान ईश्वर ने एक रात को पैग़म्बरे इस्लाम को मस्जिदे हराम से मस्जिदे अक़्सा की यात्रा कराई और वहां से उन्हें आसमान पर ले गया।

इतिहास में है कि जिस रात को पैग़म्बरे इस्लाम की यह यात्रा होने वाली थी उस रात को हज़रत जिब्राईल बुराक नाम की सवारी लाए और पैग़म्बरे इस्लाम उस पर बैठकर बैतुल मुकद्दस की ओर गये। इतिहास में है कि पैग़म्बरे इस्लाम अपनी यात्रा के दौरान मस्जिदुल अक्सा जाने से पहले कई दूसरे स्थानों पर गये और वहां उन्होंने नमाज़ पढ़ी। जैसे मदीना और कूफा। उसके बाद मस्जिदुल अक्सा गये वहां उन्होंने महान पैग़म्बरों जैसे हज़रत इब्राहीम, हज़रत ईसा और हज़रत मूसा की आत्माओं की उपस्थिति में नमाज़ पढ़ाई और सबने पैग़म्बरे इस्लाम के पीछे नमाज़ पढ़ी। उसके बाद पैग़म्बरे इस्लाम की आसमान की यात्रा आरंभ हुई। पैग़म्बरे इस्लाम ने एक के बाद एक सात आसमानों की यात्रा की और हर आसमान पर उन्होंने विचित्र चीज़ों को देखा। उस रात को पैग़म्बरे इस्लाम ने सृष्टि की विचित्र चीज़ों को देखने के अलावा ईश्वरीय दूतों से भी भेंट की। स्वर्ग और नरक को देखा। स्वर्ग में रहने वालों और उन्हें प्राप्त ईश्वरीय अनुकंपाओं को देखा। इसी प्रकार उन्होंने नरक और नरक वासियों की दुर्दशा को निकट से देखा। इस यात्रा में महान ईश्वर के विशेष फरिश्ते हज़रत जिब्राईल उनके साथ थे। हज़रत जिब्राईल पैग़म्बरे इस्लाम के साथ छवें आसमान तक साथ थे यहां तक कि सातवें आसमान पर जाने की बारी तो हज़रत जिब्राईल ने पैग़म्बरे इस्लाम से कहा कि इससे आगे मुझे जाने की अनुमति नहीं है और अगर एक इंच भी मैं आगे बढ़ा तो मेरे पंख जल जायेंगे।"

सातवें आसमान पर पैग़म्बरे इस्लाम ने सिद्रतुल मुन्तहा नाम का विशेष स्थान देखा। स्वर्ग भी वहीं है। पैगम्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद वहां पर महान ईश्वर के निकट पहुंचे। वहां पैग़म्बरे इस्लाम और महान ईश्वर के अलावा कोई और नहीं था। वहां महान ईश्वर ने पैग़म्बरे इस्लाम से बहुत महत्वपूर्ण सिफारिशें और बातें कीं जो हदीसे मेराज के नाम से प्रसिद्ध है। इस वार्ता के बाद पैग़म्बरे इस्लाम ज़मीन पर लौट आये और सुबह सूरज निकलने से पहले मक्का में अपने घर में थे। 

जो चीज़ रवायतों से समझ में आती है वह यह है कि मेराज यानी आसमान की यात्रा दो बार से अधिक बार हुई है और उनमें से एक बार की यात्रा स्पष्ट और बहुत प्रसिद्ध है और कहा जाता है कि यह यात्रा रमज़ान महीने की 17 तारीख को हुई थी।

मेराज पैग़म्बरे इस्लाम की अद्वितीय विशेषता है। यह महत्वपूर्ण यात्रा शारीरिक और जागने की हालत में हुई थी। इस यात्रा में पैग़म्बरे इस्लाम जमीन और आसमान के बहुत से रहस्यों से अवगत हुए। यहां बहुत महत्वपूर्ण बिन्दु यह है कि क्यों पैग़म्बरे इस्लाम को इस यात्रा का सौभाग्य पाप्त हुआ? इसके जवाब में कहना चाहिये कि पैग़म्बरे इस्लाम की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता महान ईश्वर की बंदगी है और इस विशेषता का उल्लेख महान ईश्वर ने पवित्र कुरआन में भी किया है और पैग़म्बरे इस्लाम बंदगी के चरम शिखर पर थे जिसकी वजह से उन्हें यह सौभाग्य प्राप्त हुआ। 

पवित्र कुरआन और हदीसों के आधार पर पैग़म्बरे इस्लाम की मेराज की यात्रा निश्चित रूप से हुई है और पैग़म्बरे इस्लाम की यात्रा को स्वीकार करना धर्म की ज़रूरी चीज़ों को स्वीकार करने जैसा है और इस बात पर समस्त इस्लामी संप्रदाय एकमत हैं।

रवायतों, कुछ दुआओं और ज़ियारतनामों में भी इस बात की ओर संकेत किया गया है और कुछ रवायतों में इसके इंकार करने वालों को काफिर कहा गया है। मेराज वह महान स्थान व यात्रा है जिसका सौभाग्य पैग़म्बरे इस्लाम के अलावा किसी और को नहीं मिला है। पैग़म्बरे इस्लाम ने इस यात्रा से वापस आने के बाद आसमान में जो कुछ देखा था उसे लोगों के लिए बयान किया ताकि इस भौतिक संसार में रहने वाले इंसान की सोच उपर उठ सके। मेराज नाम से जो हदीस प्रसिद्ध है उसमें आया है कि महान ईश्वर और पैग़म्बरे इस्लाम के मध्य बहुत ही महत्वपूर्ण वार्ताएं हुई हैं जिनमें कुछ की ओर हम संकेत करते हैं।

पैग़म्बरे इस्लाम ने मेराज की रात महान ईश्वर से कहा हे ईश्वर! मेरा मार्गदर्शन कर कि किस कार्य से मैं तेरा सामिप्य प्राप्त कर सकता हूं? महान ईश्वर ने कहा अपनी रात को दिन और दिन को रात करार दो पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा कैसे इस प्रकार करूं तो इसके जवाब में महान ईश्वर ने कहा अपने सोने को नमाज़ और भूख को अपना खाना बना लो” हे अहमद! मेरी इज़्ज़त की सौगन्ध जो बंदा मेरे लिए चार विशेषताओं की गैरेन्टी दे मैं भी उसे स्वर्ग में दाखिल करूंगा। अपनी ज़बान को लगाम लगा ले, बात न करे किन्तु यह कि बात उसके लिए लाभदायक हो/ अपने दिल को शैतानी उकसावे से सुरक्षित रखे/ हमेशा इस बात को सोचे कि मैं उससे अवगत हूं और उसके कार्यों को देख रहा हूं और भूख को पसंद करे।

उसके बाद महान ईश्वर ने कहा हे अहमद! काश कि जानते कि भूख, मौन और अकेले में रहने का क्या आनंद है? इस पर पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा हे ईश्वर! भूखा रहने के क्या लाभ हैं? महान ईश्वर ने कहा तत्वदर्शिता, दिल की सुरक्षा, मेरा सामिप्य, हमेशा दुःखी, लोगों के मध्य कम खर्च करने वाला, सच व हक बोलना, जीवन के सुख या दुःख की उपेक्षा कर देना, हे अहमद! क्या जानते हो कि किस समय मेरा बंदा मुझसे निकट होता है?  पैगम्बरे इस्लाम ने फरमाया” नहीं मेरे पालनहार! इस पर महान ईश्वर ने फरमाया जब वह भूखा या सज्दे की हालत में हो।“

मेराज की हदीस के अनुसार महान ईश्वर और पैग़म्बरे इस्लाम के मध्य जो वार्ता हुई उसके दृष्टिगत पहली चीज़ जो इंसान को उपासना की ओर ले जाती है और महान ईश्वर के सामिप्य का कारण बनती है वह रोज़ा और मौन है।

हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम फरमाते हैं” मौन तत्वदर्शिता का एक द्वार है, मौन प्रेम उत्पन्न करता है और मौन इंसान का मार्गदर्शन हर अच्छाई की ओर करता है।“

जब तब इंसान की ज़बान बेलगाम रहेगी वह अर्थहीन बातों को बोलने में भी संकोच से काम नहीं लेगा। महान ईश्वर की उपासना के मार्ग में नहीं आयेगा परिणाम स्वरूप अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंचेगा। जो इंसान मौन धारण रहने की आदत डाल ले वह झूठ, आरोप और दूसरों की बुराई जैसे बहुत से पापों से बच जायेगा। अलबत्ता हर मौन भलाई का कारण नहीं है बल्कि वह मौन इंसान को लाभ पहुंचा सकता है जो चिंतन- मनन के साथ हो।

हदीसों में भी मौन की बहुत प्रशंसा की गयी है। मौन रहने के फायदे में बस यही काफी है कि इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम फरमाते हैं कि हज़रत लुक़मान ने अपने बेटे से कहा हे बेटे अगर तू यह सोचता है बात चांदी है तो सच में मौन सोना है।

अतः हदीसे मेराज के अनुसार भूख और रोज़ा भी महान ईश्वर की बंदगी की भूमिका हैं। महान  हस्तियों ने भी कहा है कि आत्मा को पवित्र व स्वच्छ बनाने का एक रास्ता भूख है। संतुलित सीमा तक भूख इंसान के समक्ष चिंतन- मनन और बुद्धि का द्वार खोल देती है। पेट जब भर जाता है तो चिंतन -मनन व समझ का रास्ता भी बंद हो जाता है और अधिक खाने वाला इंसान कभी भी तेज़ बुद्धि वाला नहीं हो सकता और वह कभी भी ब्रह्मांड के नीहित रहस्यों को नहीं समझ सकता। पेट भरने से इंसान में इरादे की शक्ति कमज़ोर हो जाती है और खाने- पीने में संतुलन का ध्यान रखना इंसान के स्वास्थ्य, आयु के लंबा होने और दिल के प्रकाशमयी होने का कारण बनता है।

जब इंसान सीमा से अधिक खाता- पीता है तो आत्मा भी व्यस्त हो जाती है कि इंसान के शरीर के अतिरिक्त भोजन को पचाये और उसका शरीर भी अधिक पचाने में लग जाता है। परिणाम स्वरूप समय से पहले ही इंसान अंत के मुहाने पर पहुंच जाता है। प्रायः अधिक खाने खाने वाले व्यक्तियों की उम्र लंबी नहीं होती है। इसी तरह जो लोग अधिक खाते हैं उन्हें सुस्ती और नींद अधिक आती है। नैतिक सिफारिशों में आया है कि इंसान किसी भी चीज़ को इस तरह से नहीं भरता जिस तरह से पेट को भरता है।

रोज़ा, भूखा रहने का बेहतरीन अभ्यास है। रमज़ान महीने के 30 दिन के रोज़े इंसान के पाचन तंत्र को आराम की हालत में रखते हैं और दूसरे शब्दों में इंसान को कम खाने की आदत पड़ जाती है। रमज़ान के पवित्र महीने में इंसान में कम भोजन और स्वादिष्ट खाने की आदत कम हो जाती है। रोज़ा रखने वाले जिस इंसान को दिन भर खाने पीने की चिंता नहीं है वह महान ईश्वर की बंदगी की ओर कदम बढ़ाता है और भले व धार्मिक कार्यों को अंजाम देकर ईश्वरीय प्रकाश की दुनिया में कदम रखता है।

 

 

ग़ज़्ज़ा में अवैध ज़ायोनी शासन के हाथों फ़िलिस्तीनियों के जनसंहार पर आधारित राष्ट्रसंघ की विशेष रिपोर्टर को अमरीका और ज़ायोनी शासन ने धमकी दी है।

फ़िलिस्तीन के मामले में संयुक्त राष्ट्रसंघ की विशेष रिपोर्टर फ़्रांसिस्का अल्पानीज़ ने अपनी हालिया रिपोर्ट में बताया है कि ग़ज़्ज़ा में इस्राईल के हाथों जारी जनसंहार की समीक्षा से यह पता चलता है कि ज़ायोनी शासन, वहां पर जातीय सफाया करने में व्यस्त है।

ग़ज़्ज़ा में फ़िलिस्तीनियों के बढ़ते जनसंहार के संदर्भ में राष्ट्रसंघ की रिपोर्टर ने चिंता जताते हुए कहा कि एसा कोई अन्तर्राष्ट्रीय संगठन होना चाहिए जो इस्राईल द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय क़ानूनों को जानबूझकर बदलने और फ़िलिस्तीनियों के विनाश की हिंसक प्रक्रिया को रोक सके।

हाल ही में इस बात का रहस्योदघाटन हुआ है कि इस्राईल के साथ मिलकर अमरीका ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की विशेष रिपोर्ट पर ज़ायोनी शासन के विरुद्ध पक्षपात का आरोप लगाते हुए उसे धमकी दी है।

राष्ट्रसंघ की विशेष रिपोर्टर का यह बयान सिद्ध करता है कि इस समय कोई भी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था इस काम में सक्षम नहीं है कि ग़ज़्ज़ा में फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध जातीय सफाए का अभियान चलाने वाले इस्राईल को इसका ज़िम्मेदार ठहरा सके।  इसका मुख्य कारण यह है कि अवैध ज़ायोनी शासन, अमरीका के कूटनीतिक, सैनिक और मीडिया के संरक्षण में है।

कुछ समय पहले ही संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव पारित करके ग़ज़्ज़ा में तत्काल संघर्ष विराम की मांग की थी लेकिन अवैध ज़ायोनी शासन ने उस ओर कोई भी ध्यान नहीं दिया।

अवैध ज़ायोनी शासन ने अक्तूबर 2023 को अमरीका सहित पश्चिम के समर्थन से ग़ज़्ज़ा में निर्दोष एवं अत्याचारग्रस्त फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध नरसंहार का काम आरंभ कर रखा है।  ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार ग़ज़्ज़ा पर इस्राईली हमलों में 32 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं।  इन हमलों में 75 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी घायल बताए जा रहे हैं।

अवैध ज़ायोनी शासन का गठन वैसे तो सन 1948 में हुआ था किंतु इसकी भूमिका 1917 से आरंभ हुई थी।  उस समय ब्रिटेन की षडयंत्रकारी योजना के अन्तर्गत दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से यहूदियों को पलायन करवाकर पहले उनको फ़िलिस्तीन में लाया गया और बाद मे एक अवैध शासन के गठन ही घोषणा की गई जिसकी पाश्विकता आज पूरी दुनिया के सामने उजागर हो चुकी है।

भारत के पंजाब राज्य में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने सनसनीखेज दावा किया है कि उसे भाजपा में शामिल होने के लिए भारी रकम की पेशकश की गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत के पश्चिमी राज्य पंजाब की सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि उसके विधानसभा सदस्यों को बीजेपी में शामिल होने के लिए करोड़ों रुपये की पेशकश की गई है.

गौरतलब है कि पंजाब की जालंधर सीट से आप सांसद सुशील कुमार रांको और जालंधर पश्चिम से सांसद शीतल अंगुराल बुधवार को बीजेपी में शामिल हो गए. सुशील कुमार रैंको AAP के एकमात्र लोकसभा (संसद का निचला सदन) सदस्य थे। सुशील कुमार के बीजेपी में शामिल होने के बाद आप के तीन विधायकों ने दावा किया था कि उन्हें फोन पर बीजेपी में शामिल होने के लिए पैसे देने को कहा गया था.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, AAP ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने पंजाब में 'ऑपरेशन लोटस' फिर से शुरू कर दिया है और अरविंद केजरीवाल की पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रही है.

जलालाबाद से आप विधायक जगदीप कंबोज गोल्डी ने दावा किया कि उन्हें मंगलवार को एक अंतरराष्ट्रीय नंबर से सेवक सिंह नाम के एक व्यक्ति ने भाजपा में शामिल होने के प्रस्ताव के साथ फोन किया और 20-25 करोड़ रुपये देने को कहा।

इसी तरह के दावे बलवाना से विधायक अमनदीप सिंह और लुधियाना दक्षिण से विधायक राजेंद्र पाल कौर चिन्ना ने भी किए हैं। उन्होंने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे. जगदीप कंबोज गोल्डी ने कहा कि बीजेपी केजरीवाल और आप से डरती है. अमनदीप सिंह ने कहा कि उन्हें मंगलवार को एक फोन आया और फोन करने वाले ने कहा कि वह दिल्ली से बोल रहा है। अमनदीप ने कहा कि उन्होंने मुझसे बीजेपी में शामिल होने के लिए कहा और 45 करोड़ रुपये की पेशकश की.

जर्मनी और जॉर्डन में फ़िलिस्तीन के समर्थकों ने प्रदर्शन किया है और गाज़ा में युद्ध को तत्काल ख़त्म करने की मांग की है।

अल जज़ीरा टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, जर्मनी की राजधानी बर्लिन और जॉर्डन की राजधानी अम्मान में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों ने गाजा के लोगों के समर्थन में और ज़ायोनी शासन के आक्रामक हमलों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। बर्लिन में प्रदर्शनकारियों ने फिलिस्तीनी झंडे और तख्तियां ले रखी थीं जिन पर लिखा था, "गाजा में नरसंहार बंद करो और फिलिस्तीन को मुक्त करो"।

दूसरी ओर, अल-कसाम ब्रिगेड के कमांडर मुहम्मद ज़ैफ़ की अपील पर जॉर्डन के लोग बुधवार रात सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन किया। फ़िलिस्तीनी समाचार एजेंसी सामा की रिपोर्ट के अनुसार, जॉर्डन के प्रदर्शनकारियों ने गाजा के लोगों के समर्थन में नारे लगाए और फ़िलिस्तीनी दृढ़ता के लिए अपना समर्थन घोषित किया।

गौरतलब है कि अल-कसाम ब्रिगेड ने ब्रिगेड के कमांडर मुहम्मद ज़ैफ का एक ऑडियो संदेश जारी किया था, जिसमें उन्होंने मुस्लिम उम्मा और अरब जगत से फिलिस्तीन जाने और उसकी मुक्ति में भाग लेने की अपील की थी। अल-अक्सा मस्जिद. इस बीच, पश्चिम जॉर्डन के रामल्ला के निवासी भी स्थिरता और गाजा के समर्थन में सड़कों पर उतर आए और स्थिरता के समर्थन में नारे लगाए।

पाकिस्तान के पेट्रोलियम मंत्री ने कहा है कि उनके देश को ईरान की गैस पाइपलाइन की सख्त जरूरत है.

पाकिस्तान के पेट्रोलियम मंत्री मोसादेक मलिक ने ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन से जुड़ी समस्याओं को लेकर जियो न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि इस्लामाबाद चाहता है कि गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट को ईमानदारी के साथ आगे बढ़ाया जाए. इस संबंध में आधिकारिक तौर पर जानकारी दी गई।

उन्होंने इस गैस पाइपलाइन परियोजना में अमेरिकी हस्तक्षेप पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इराक, तुर्की और अजरबैजान गणराज्य की तरह, पाकिस्तान को भी इस संबंध में प्रतिबंधों से छूट दी जानी चाहिए। संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन परियोजना में हस्तक्षेप किया है और कहा है कि वाशिंगटन इस गैस पाइपलाइन परियोजना का समर्थन नहीं करता है।

एक ईरानी नालेज बेस्ड कंपनी के विशेषज्ञों ने फ़ैक्टर-8 मेडिसिन की टेक्नालोजी को लोकलाइज़ करने के बाद इस दवा की प्रोडक्शन लाइन शुरू कर दी है। यह दवा दूसरी मशहूर दवाओं की तरह स्वस्थ लोगों के ख़ून के प्लाज़मा से नहीं निकाली जाती इसलिए बीमारी के ट्रांसफ़र होने का सबब भी नहीं बनती।

फ़ैक्टर-8 मेडिसिन को हेमोफ़ीलिया की बीमारी के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हेमोफ़ीलिया एक जेनेटिक विकार के नतीजे में पैदा होने वाली बीमारी है। हीमोफीलिया आनुवांशिक रोग है जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं।

विशेषज्ञ कहते हैं कि इससे पहले तक ईरान में विदेश से आने वाली फ़ैक्टर-8 दवा प्लाज़मा से बनी होती थी जो स्वस्थ लोगों के ख़ून से लिया जाता है। इससे ख़ून के साथ बीमारियों के ट्रांस्फ़र होने का ख़तरा बना रहता है। ईरान में जो मेडिसिन बनाई जा रही है वह शरीर के भीतर प्राकृतिक रूप से फ़ैक्टर-8 को पैदा करती है जिसकी वजह से बीमार के शरीर में इंफ़ेक्शन की आशंका न्यूनतम हो जाती है।

फ़ैक्टर-8 दवा WHO की  Essential Medicines की लिस्ट में शामिल है जो स्वास्थ्य सिस्टम की बहुत अहम दवाओं में गिनी जाती है।

दवासाज़ी उद्योग में इस्लामी गणराज्य ईरान ने बड़े पैमाने पर निवेश किया है। इस्लामी इंक़ेलाब आने से पहले देश की ज़रूरत की 20 प्रतिशत दवाएं देश के भीतर बनती थीं और 80 प्रतिशत दवाएं बहुराष्ट्रीय कंपनियों या विदेशों से ख़रीदी जाती थीं। लेकिन अब ईरान में ज़रूरत की 99 प्रतिशत दवाएं देश के भीतर ही बनती हैं।

चूंकि दवासाज़ी के उद्योग का संबंध आम जनता के स्वास्थ्य से है इसलिए जिन देशों ने इस क्षेत्र में अधिक विकास किया है उनके पास अधिक शक्ति है और ज़रूरत पड़ने पर इस उद्योग को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर लेते हैं जैसे अमरीका ने कुछ देशों पर दवाओं के क्षेत्र में भी पाबंदियां लगा रखी हैं।

अमेरिकी नौसैनिकों के एक पूर्व ख़ुफ़िया अधिकारी ने फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ किए गए अपराधों के बाद ज़ायोनी शासन के अंतर्राष्ट्रीय अलगाव का जिक्र करते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि फ़िलिस्तीनी लोगों का प्रतिरोध एक वैश्विक वास्तविकता बन गया है और हिज़्बुल्लाह इज़राइल के साथ कोई भी हार जाएगा। युद्ध में।

तस्नीम न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व हथियार निरीक्षक "स्कॉट रिटर" जो कि पूर्व अमेरिकी मरीन कॉर्प्स खुफिया अधिकारी भी हैं, ने प्रतिरोध और कब्ज़ा करने वाली सेना के बीच चल रहे युद्ध के बारे में बात की।

उन्होंने कहा कि दुनिया में फिलिस्तीन के समर्थन में उठने वाली वैश्विक आवाजें इजरायल के समर्थन में उठने वाली आवाजों से कहीं ज्यादा हैं और हमास ने एक वैश्विक राजनीतिक गतिशीलता पैदा कर दी है जिसे कोई भी पार्टी पार नहीं कर सकती है.

रिटर ने अल-मायादीन चैनल के कार्यक्रम में कहा, "इजरायल के लिए लेबनान के खिलाफ पूर्ण युद्ध शुरू करना सैन्य दृष्टिकोण से अतार्किक होगा।"

उन्होंने कहा कि हिजबुल्लाह के पास कई हथियार हैं जो इजरायल की क्षमताओं और प्रणालियों को बाधित कर सकते हैं।

पूर्व अमेरिकी मरीन खुफिया अधिकारी स्कॉट रिटर ने कहा कि इससे पता चलता है कि इजरायल हिजबुल्लाह के खिलाफ कोई भी युद्ध हार सकता है।

अमेरिकी अधिकारी ने गाजा युद्ध के साये में इजरायल के घरेलू मोर्चे पर स्थिति के बारे में यह भी कहा कि इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू बहुत स्वार्थी तरीके से काम कर रहे हैं और अपनी कानूनी पकड़ खो चुके हैं और अगर वह सत्ता छोड़ते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वाशिंगटन की स्थिति ऐसी है कि हर कोई समझता है कि उन्हें नेतन्याहू की महत्वाकांक्षाओं से खुद को दूर करना होगा, जिसने इजरायल को खतरे की राह पर ला दिया है और वाशिंगटन और तेल अवीव के बीच तनावपूर्ण संबंध भी प्रभावित हुए हैं।

 

स्कॉट रिटर ने कहा कि 7 अक्टूबर को अल-अक्सा ऑपरेशन और हमास के सैन्य और राजनीतिक दृढ़ संकल्प के साथ-साथ फिलिस्तीनी लोगों के साहस ने संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल के लिए स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया है।

दरअसल, 7 अक्टूबर के बाद फिलिस्तीनी लोगों का प्रतिरोध एक वैश्विक वास्तविकता बन गया और हमास ने एक वैश्विक राजनीतिक आंदोलन खड़ा कर दिया जिसे कोई भी पार्टी नियंत्रित नहीं कर सकती।

इस अमेरिकी अधिकारी ने इस बात पर जोर दिया कि अगर हमास विरोध करना जारी रखता है, तो दुनिया और इजरायल के बीच मतभेद अस्थायी नहीं होंगे और निश्चित रूप से जारी रहेंगे। इसमें उठाई गई आवाजों के अलावा और भी बहुत कुछ है।

सुप्रीम कोर्ट ने सैन्य अदालतों को आरक्षित फैसले सुनाने की सशर्त अनुमति दे दी।

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में सैन्य अदालतों के खिलाफ फैसले पर इंट्रा-कोर्ट अपील पर सुनवाई हुई.

अटॉर्नी जनरल मंसूर उस्मान ने कहा कि 20 लोग ऐसे हैं जिन्हें ईद से पहले रिहा किया जा सकता है, जो बरी हो जाएंगे और जिनकी सजा कम है उन्हें छूट के साथ रिहा किया जाएगा, जिनकी सजा एक साल है उन्हें छूट दी जाएगी, कुल 105 आरोपी जो लोग सेना की हिरासत में हैं, उन्हें रिहाई के लिए तीन चरणों से गुजरना होगा, पहला चरण संरक्षित फैसला, दूसरा चरण उसकी पुष्टि, तीसरा चरण सेना द्वारा रियायत अध्यक्ष।

अटॉर्नी जनरल ने अनुरोध किया कि सैन्य अदालतों को संरक्षित फैसले सुनाने की अनुमति दी जाए।

जबकि सुप्रीम कोर्ट ने सैन्य अदालतों को केवल उन मामलों में आरक्षित निर्णय सुनाने की सशर्त अनुमति दी है जिनमें नामांकित व्यक्तियों को ईद से पहले रिहा किया जा सकता है, अटॉर्नी जनरल ने आश्वासन दिया है कि कम सजा वाले लोगों को कानूनी छूट दी जाएगी। निर्णय सुनाने की छूट अपील पर अंतिम निर्णय के अधीन होगी।

कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को कार्यान्वयन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देते हुए सुनवाई अप्रैल के चौथे सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी.

याद रहे कि 25 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सैन्य अदालतों में नागरिक मुकदमे के खिलाफ इंट्रा-कोर्ट अपील की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से हिरासत में लिए गए 103 लोगों का ब्योरा मांगा था.

22 मार्च को, मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने सैन्य अदालतों में नागरिकों की सुनवाई के खिलाफ इंट्रा-कोर्ट अपीलों की सुनवाई के लिए एक नई छह सदस्यीय पीठ का गठन किया और अपीलों पर सुनवाई के लिए 25 मार्च की तारीख तय की गई था ।