
رضوی
रमज़ान गरीबों के साथ हमदर्दी का अवसर है। आयतुल्लाह जन्नती
आयतुल्लाह अहमद जन्नती ने कहा कि रमज़ान का महीना समाज के गरीब और ज़रूरतमंद लोगों के साथ हमदर्दी और उनकी मदद करने का बेहतरीन अवसर है।
शूरा-ए-निगहबान के सचिव आयतुल्लाह अहमद जन्नती ने कहा कि रमज़ान का महीना समाज के गरीब और ज़रूरतमंद लोगों के साथ हमदर्दी और उनकी मदद करने का बेहतरीन अवसर है।
आयतुल्लाह जन्नती ने पैगंबर ए इस्लाम स. की एक हदीस का ज़िक्र करते हुए कहा,बेशक, तुम्हारे परवरदिगार के कुछ खास इनायतों के दिन होते हैं, उन्हें पाने की कोशिश करो।
उन्होंने कहा कि खुशनसीब हैं वे लोग जो इस पवित्र महीने के बरकत भरे लम्हों की कद्र करते हैं और खुद को अल्लाह की रहमत के झोंकों में रखते हैं।
आयतुल्लाह जन्नती ने पैगंबर स.की शाबान महीने के आखिरी जुमा की प्रसिद्ध तकरीर को रमज़ान के फज़ीलतों को समझने और इस पाक महीने की बरकतों से लाभ उठाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत बताया था।उन्होंने आगे कहा कि रमज़ान के दिन मोमिनों के आत्मिक उत्थान और शब-ए-क़द्र की बरकतों को समझने की तैयारी के लिए होते हैं।
उन्होंने बताया कि पैगंबर इस्लाम (स.) ने रमज़ान को शहरुल मवासा (हमदर्दी और गरीबों की मदद का महीना) कहा है उन्होंने ज़ोर दिया कि रमज़ान में दान देना और गरीबों की मदद करना इंसान के और अल्लाह के बीच संबंध को मजबूत करता है और इस महीने की रूहानी रोशनी को प्राप्त करने की क्षमता को बढ़ाता है।
रमज़ान अल मुबारक के महीने में फ़िलस्तीनियों के मस्जिद ए अलअक्सा में प्रवेश पर नई पाबंदियां
इज़राइल ने अपने भड़काऊ कदमों को जारी रखते हुए रमज़ान के पाक महीने में फ़िलस्तीनियों के मस्जिद ए अलअक्सा में प्रवेश पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं।
शिहाब न्यूज़ के हवाले से बताया कि इज़रायली प्रधानमंत्री कार्यालय ने घोषणा की है कि रमज़ान के दौरान वेस्ट बैंक से आने वाले केवल उन्हीं फ़िलस्तीनियों को मस्जिद ए अलअक्सा में जाने की अनुमति होगी जो इन शर्तों को पूरा करते हैं
55 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष,50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं,12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे हो।इसके अलावा पश्चिमी तट से क़ुद्स में प्रवेश केवल सुरक्षा मंज़ूरी मिलने के बाद ही संभव होगा।
रमज़ान अलमुबारक के पहले जुमआ शुक्रवार से पहले इज़रायली पुलिस ने क़ुद्स में भारी सुरक्षा बंदोबस्त किए हैं और 3,000 से अधिक सुरक्षा बलों को तैनात किया है।
यूरोपीय ट्रोइका को ईरान ने किया नज़र अंदाज़
यमन की सर्वोच्च राजनीतिक परिषद के सदस्य मोहम्मद अली अल-हौसी ने अंसारुल्लाह आंदोलन को आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध करने के अमेरिकी घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आतंकवाद शब्द अमेरिका के लिए उपयुक्त है, जबकि ग़ज़ा के समर्थन में यमनी अभियान पूरी तरह से वैध है।
ताइवान का संयुक्त राज्य अमेरिका से और अधिक हथियार ख़रीदने का निर्णय, अंसारुल्लाह आंदोलन को आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध करने के अमेरिकी फ़ैसले पर यमन की सर्वोच्च राजनीतिक परिषद की प्रतिक्रिया, अरबपतियों और धनवानों से घिरा ट्रम्प प्रशासन, बग़दाद का तुर्की से इराक़ी क्षेत्र छोड़ने का अनुरोध और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के मंच के पश्चिम द्वारा दुरुपयोग की ईरान द्वारा आलोचना, ईरान और विश्व से नवीनतम समाचारों के कुछ चुनिंदा अंश हैं, जिन्हें आप पार्स टुडे के इस समाचार पैकेज में पढ़ सकते हैं।
पनामा के राष्ट्रपति: ट्रम्प झूठे हैं
पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मोलिनो ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के इस बयान को ख़ारिज कर दिया कि वाशिंगटन ने पनामा नहर पर नियंत्रण पुनः प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने कहाः ट्रम्प झूठे हैं। मोलिनो ने बुधवार को सोशल नेटवर्क एक्स पर लिखाः ट्रम्प फिर झूठ बोल रहे हैं। पनामा नहर का पुनः अधिग्रहण प्रक्रिया में नहीं है।
वियना में ईरान के प्रतिनिधिः यूरोपीय ट्रोइका ट्रिगर तंत्र को सक्रिय करने की स्थिति में नहीं है
वियना स्थित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में इस्लामी गणराज्य ईरान के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि ने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के मंच का पश्चिम द्वारा दुरुपयोग करने की आलोचना की है। ईरानी राजदूत ने इस बात पर बल दिया कि ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम पर एक व्यापक रिपोर्ट के अनुरोध का कोई क़ानूनी आधार नहीं है। बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स की बैठक में बोलते हुए, मोहसिन नज़ीरी-अस्ल ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि यूरोपीय ट्रोइका प्रस्ताव 2231 और जेसीपीओए का उल्लंघन कर रहा है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय ट्रोइका क़ानूनी और नैतिक रूप से ट्रिगर तंत्र को सक्रिय करने की स्थिति में नहीं है।
अल-हौथी: अंसारुल्लाह को आतंकवादी कहना अप्रासंगिक है; गाजा अधिक महत्वपूर्ण है
अंसारुल्लाह आंदोलन को तथाकथित आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध करने के अमेरिकी निर्णय के जवाब में, यमन की सर्वोच्च राजनीतिक परिषद के सदस्य मोहम्मद अली अल-हौसी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आतंकवाद शब्द, अमेरिका के लिए ज़्यादा उपयुक्त है, जबकि ग़ज़ा के समर्थन में यमनी अभियान पूरी तरह से वैध है। अल-हौसी ने आगे कहा कि ग़ज़ा को सहायता भेजने से रोकना और शांति समझौतों को विफल करना अमेरिकी आतंकवाद है।
सैंडर्स: ट्रम्प प्रशासन अरबपतियों और धनी लोगों से घिरा हुआ है
वर्मोंट से स्वतंत्र अमेरिकी सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने कांग्रेस को दिए गए राष्ट्रपति के भाषण पर प्रतिक्रिया व्यक्त देते हुए हुए कहा कि वह झूठ तो बोलते हैं, लेकिन अब अपमानजनक झूठ बोल रहे हैं। सैंडर्स ने इस संबंध में कहाः ट्रम्प प्रशासन अरबपतियों और धनी लोगों से घिरा हुआ है, और उनका प्रशासन आम लोगों और मज़दूर वर्ग पर कम ध्यान देता है।
ताइवान का अमेरिका से और अधिक हथियार ख़रीदने का निर्णय
ताइवान के उप विदेश मंत्री ने घोषणा की है कि उनका देश, अमेरिका के साथ घनिष्ठ सुरक्षा संबंध बनाने के लिए उससे और अधिक हथियार ख़रीदने की योजना बना रहा है।
इराक़: हम अपनी धरती पर तुर्की सेना नहीं चाहते
बुधवार को इराक़ी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार क़ासिम अल-अराजी ने तुर्की सेना और पीकेके तत्वों से कहा कि अगर अंकारा और पीकेके के बीच शांति योजना सफलतापूर्वक क्रियान्वित होती है, तो वे उत्तरी इराक़ से हट जाएं। क़ासिम अल-अराजी ने एएफ़पी को बतायाः हम नहीं चाहते कि पीकेके या तुर्की सेना हमारी सीमा में घुसे।
दक्षिण अफ्रीक़ा: ग़ज़ा में सहायता पहुंचने पर प्रतिबंध अंतर्राष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है
एक बयान में, दक्षिण अफ्रीक़ी विदेश मंत्रालय ने इज़रायल द्वारा ग़ज़ा पट्टी में मानवीय सहायता पहुंचने पर रोक लगाने और सीमा चौकियों को बंद करने की निंदा की है और इसे अंतर्राष्ट्रीय मानवीय क़ानून का उल्लंघन बताया है।
बकाई ने ईरान के खिलाफ ब्रिटेन के आरोपों को खारिज किया
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा ईरान पर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने के आरोपों को निराधार बताया और उन्हें सिरे से खारिज कर दिया।
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बकाई ने ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा ईरान पर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने के आरोपों को बेबुनियाद करार दिया और ब्रिटेन से ईरान और पश्चिम एशिया क्षेत्र के प्रति अपनी ग़ैर रचनात्मक नीतियों को समाप्त करने की अपील की है।
बकाई ने ज़ोर देकर कहा कि ईरान संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के सिद्धांतों, विशेष रूप से आपसी सम्मान और दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने के सिद्धांतों का पालन करता है।
उन्होंने कहा कि ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा ईरान पर लगाए गए आरोप न केवल झूठे और निराधार हैं बल्कि यह एक जानबूझकर किया गया दुष्प्रचार है।
उन्होंने ब्रिटेन पर निशाना साधते हुए कहा कि ब्रिटेन का ईरान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का एक लंबा और नकारात्मक इतिहास रहा है और आज भी वह ईरान विरोधी आतंकवादी समूहों को समर्थन और शरण देने से पीछे नहीं हटता है।
बकाई ने ब्रिटिश अधिकारियों को ईरान के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाने और टकराव की नीति अपनाने के बजाय अपनी ग़लत नीतियों को छोड़ने और आतंकवाद को बढ़ावा देने की गतिविधियों को रोकने की सलाह दी है।
धार्मिक छात्रों को ज्ञान और सामाजिक समस्याओं के समाधान में सबसे आगे होना चाहिए
प्रसिद्ध मुफस्सिर हुज्जतुल इस्लाम क़राती ने कहा कि युवाओं के मन में धर्म और इस्लामी नियमों से संबंधित विभिन्न प्रश्न होते हैं, और छात्रों को उनके तर्कपूर्ण उत्तर देने में सक्षम होना चाहिए। कुरान और हदीस का गहराई से अध्ययन करें और धर्म को सरल और प्रभावी भाषा में प्रस्तुत करें।
मशहद/हुज्जुल इस्लाम वाल-मुस्लेमीन मोहसिन क़राती ने गौहरशाद मस्जिद में ऐतेकाफ़ में महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि छात्राओं को केवल धार्मिक ज्ञान प्राप्त करने तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें इस्लामी विचार और सामाजिक मार्गदर्शन में भी प्रभावी भूमिका निभानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जो छात्र केवल दूसरों के विचारों पर निर्भर रहते हैं, वे समाज में बदलाव नहीं ला सकते। यह महत्वपूर्ण है कि छात्र स्वयं शोध करें, धर्म को गहराई से समझें और इस्लामी शिक्षाओं को आधुनिक युग की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रस्तुत करें।
हुज्जतुल इस्लाम क़राती ने कहा कि धार्मिक संदेश का सृजन और उसका प्रभावी प्रसार दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। यदि कोई व्यक्ति शोध में कुशल नहीं है, तो कम से कम उसे धर्म को सामान्य ज्ञान और आकर्षक तरीके से दूसरों तक पहुंचाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि धर्म का प्रचार-प्रसार केवल मस्जिदों तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक स्थानों पर भी इस्लामी शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करना आवश्यक है।
उन्होंने छात्राओं को डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया और शोध लेखन के माध्यम से धार्मिक संदेश को अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया।
हुज्जतुल इस्लाम क़राती ने कहा कि युवाओं के मन में धर्म और इस्लामी नियमों से संबंधित विभिन्न प्रश्न होते हैं, और छात्रों को उनके तर्कसंगत उत्तर देने में सक्षम होना चाहिए। कुरान और हदीस का गहराई से अध्ययन करें और धर्म को सरल और प्रभावी भाषा में प्रस्तुत करें।
उन्होंने हिजाब और इस्लामी मूल्यों के महत्व पर भी प्रकाश डाला और कहा कि हिजाब सम्मान, पवित्रता और इस्लामी पहचान का प्रतीक है। छात्राओं को ज्ञान और चरित्र के माध्यम से समाज में इस्लामी मूल्यों का प्रसार करना चाहिए।
अंत में उन्होंने विद्यार्थियों को अध्ययन और शोध जारी रखने की सलाह देते हुए कहा कि कड़ी मेहनत और समर्पण के बिना सफलता संभव नहीं है। उन्होंने प्रार्थना की कि छात्राएं इस्लामी समाज का मार्गदर्शन करने में प्रभावी भूमिका निभाएं।
ज़ायोनियों का अपनी सेना पर विश्वास कम हुआ है/ हमासः
7 अक्टूबर, 2023 को अल-अक्सा स्टॉर्म ऑपरेशन की जांच का नतीजा सामने आने के बाद, ज़ायोनियों का अपनी सेना पर विश्वास काफ़ी कम हो गया है।
ज़ायोनी अख़बार माआरिव ने गुरुवार को इस संदर्भ में लिखाः 7 अक्टूबर, 2023 को ज़ायोनी शासन की हार पर किए गए एक अध्ययन के परिणामों की घोषणा के बाद, ज़ायोनी समाज का अपनी सेना पर 47 फ़ीसद विश्वास कम हो गया है। फ़ार्स समाचार एजेंसी के मुताबिक़, 7 अक्टूबर के ऑपरेशन में ज़ायोनी सेना की जांच का केंद्र बिंदु हमले का अनुमान लगाने, उसके लिए तैयारी करने और हमले से पहले उसका मुक़ाबला करने जैसे विषय शामिल थे। फ़िलिस्तीनी इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास की सैन्य शाख़ा अल-क़स्साम ब्रिगेड के इस अभियान के परिणामस्वरूप, कुछ ही घंटों में ग़ज़ा के निकटवर्ती क्षेत्रों पर फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधी लड़ाकों का नियंत्रण हो गया था। इस जांच से सुरक्षा, सैन्य और ख़ुफ़िया सभी स्तरों पर एक बड़ी सैन्य विफलता की बात सामने आई है।
अल-क़स्साम: इज़रायल की युद्ध की धमकियां कमज़ोरी की निशानी हैं
हमास आंदोलन की सैन्य शाख़ा अल-क़स्साम ब्रिगेड के सैन्य प्रवक्ता अबू उबैदा ने गुरुवार रात को इस बात पर ज़ोर दिया कि फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध भविष्य के किसी भी युद्ध में दुश्मन पर हमला करने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहाः दुश्मन की धमकियां, कमज़ोरी और विफलता का संकेत हैं, और इस शासन द्वारा युद्ध को पुनः शुरू करने की धमकी से इज़रायल को फिर से हार का सामना करना पड़ेगा। अबू उबैदा का कहना था कि अल-क़स्साम ब्रिगेड सभी परिस्थितियों के लिए तैयार है और सतर्क है, तथा फ़िलिस्तीनी भूमि को ज़ायोनी क़ब्ज़ाधारियों से मुक्त किया जाना चाहिए।
सैन्य सेवा का विरोध करने वाले कट्टरपंथी ज़ोयोनियों की गिरफ़्तारी में वृद्धि
ज़ायोनी समाचार पत्र माआरिव ने ख़बर दी है कि, इज़रायली कैबिनेट के न्यायिक सलाहकार के आदेश पर, इज़रायली सेना उन अति-रूढ़िवादी ज़ायोनियों की गिरफ्तारियों में वृद्धि की तैयारी कर रही है, जो सेना में सेवा करने से इनकार करते हैं। इस निर्णय से इज़रायली मंत्रिमंडल के भीतर गंभीर राजनीतिक तनाव पैदा हो सकता है और यहां तक कि मंत्रिमंडल के पतन का भी कारण बन सकता है, क्योंकि सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल धार्मिक दल किसी भी प्रकार की अनिवार्य सैन्य सेवा का विरोध कर रहे हैं। बुधवार को, क़ब्ज़े वाले बैतुल मुक़द्दस के केंद्र में इज़रायली सुरक्षा बलों और सैकड़ों अति-रूढ़िवादी ज़ियोनियों के बीच, टकराव में तीन इज़रायली सुरक्षा बल घायल हो गए। ये तनाव तब उत्पन्न हुआ जब बड़ी संख्या में कट्टरपंथी ज़ायोनियों ने नए सैन्य सेवा क़ानून के विरोध में प्रदर्शन किया, जो उन्हें प्राप्त सैन्य छूट को रद्द कर देगा।
ग़ज़ा में शहीदों की संख्या में वृद्धि
फ़िलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में घोषणा की है कि 7 अक्तूबर 2023 से ग़ज़ा युद्ध में शहीदों की संख्या बढ़कर 48,446 हो गई है और घायलों की संख्या 111,852 हो गई है।
बैतुल मुक़द्दस में तीन हज़ार इजरायली सैनिक तैनात
पवित्र रमज़ान महीने के पहले शुक्रवार के अवसर पर ज़ायोनी सेना ने यरुशलम के विभिन्न भागों में, विशेष रूप से अल-अक्सा मस्जिद के आसपास, तीन हज़ार सैनिकों को तैनात किया है।
खैराबाद और उसके आसपास के जरूरतमंद मरीजों के लिए एक खुशखबरी
केयर्स फील्ड अस्पताल प्राइवेट लिमिटेड और ए-एम-आर मेडिकल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट के बीच आपसी सहयोग पर समझौता खैराबाद और उसके आसपास के जरूरतमंद मरीजों के लिए एक खुशखबरी है।इस समझौते के तहत, खैराबाद और आसपास के इलाकों के जरूरतमंद मरीजों को मुफ्त या बहुत कम कीमत पर आला मेयार की तिब्बी सहूलत फ़राहम की जाएंगी जिससे उन्हें बड़ी राहत मिलेगी।
केयर्स फील्ड अस्पताल प्राइवेट लिमिटेड और ए-एम-आर मेडिकल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट के बीच आपसी सहयोग पर समझौता खैराबाद और उसके आसपास के जरूरतमंद मरीजों के लिए एक खुशखबरी है।
केयर्स फील्ड अस्पताल प्राइवेट लिमिटेड, मुबारकपुर रोड, खैराबाद, यूपी और एएमआर मेडिकल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट के बीच आपसी सहयोग पर समझौता हुआ है।इस समझौते के तहत, खैराबाद और आसपास के इलाकों के जरूरतमंद मरीजों को मुफ्त या बहुत कम कीमत पर आला मेयार की तिब्बी सहूलत फ़राहम की जाएंगी जिससे उन्हें बड़ी राहत मिलेगी।
इस समझौते में ए-एम-आर मेडिकल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट के सदस्य मौलाना मिनहालल साहब ने अहम भूमिका अदा की है। मौलाना ट्रस्ट की सदस्यता से पहले भी लगातार जरूरतमंद मरीजों की सेवा में व्यस्त रहे हैं, और अब इस सहयोग के जरिए वे और भी बड़े पैमाने पर समाज सेवा कर सकेंगे।
यह समझौता इलाके के जरूरतमंद लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा जो उनकी तिब्बी मुश्किलात के हल में मददगार साबित होगा।
केयर्स फील्ड अस्पताल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक डॉ. अतहर अब्दुल्लाह ने इस समझौते पर अपनी खुशी का इज़हार करते हुए कहा कि कि इंसानी खिदमत उन के लिए एक शरफ है और वह ए एम आर ट्रस्ट के साथ मिल कर मेयारी तिब्बी खिदमात फराहम करने के लिए कोशां हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल में विभिन्न विभाग हैं, जैसे:
- दवाओं का विभाग (Medicine Department)
- सर्जरी का विभाग (Surgery Department)
- हड्डियों के रोगों का विभाग (Orthopedic Department)
- कान, नाक, गला (ईएनटी) का विभाग (ENT Department)
- आंखों का विभाग (Ophthalmic Department)
- दांतों का विभाग (Dental Department)
- बच्चों के रोगों का विभाग (Pediatrics Department)
- महिलाओं के रोगों का विभाग (Gynecology Department)
- आपातकालीन विभाग (24 घंटे उपलब्ध) (Emergency 24 Hours) आदि, जिससे जरूरतमंद लोग सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं।
- ए एम आर ट्रस्ट सेहत के शोबे में समाजी खिदमत के जज्बे के तहत हिंदुस्तान के तमाम सूबों में काम करने के लिए पुर अज़्म है। केअर्स फील्ड अस्पताल के साथ यह साझेदारी खैराबाद और उस के आस पास के इलाक़ो में मेयारी तिब्बी खिदमात फराहम करने में अहम किरदार अदा करेगी।
केअर्स फील्ड अस्पताल एक जदीद तिब्बी मरकज़ है, जहाँ 24 घंटे एमरजेंसी खिदमात दस्तयाब हैं और मरीजों को बेहतरीन तिब्बी सहूलतें एक ही छत के नीचे फराहम की जाती हैं। ट्रस्ट की कोशिश है कि कोई भी शख्स नादारी की वजह से इलाज से महरूम न रहे।
- यह साझेदारी इलाक़े के लोगों के लिए एक नई उम्मीद की किरण होगी और उन के तिब्बी मसाइल को हल करने में मदद फराहम करेगी
एक व्यक्ति का सच्चा जीवन खर्च और त्याग पर आधारित है: आयतुल्लाह अलमुल हुदा
पवित्र शहर मशहद के इमाम जुमा ने कहा है कि सच्चा जिहादी जीवन खर्च और त्याग की नींव पर बना है। जो लोग अपना धन ईश्वर की राह में खर्च करते हैं, वे न केवल इस दुनिया में ईश्वर की दया और सहायता के पात्र बनते हैं, बल्कि परलोक में भी स्थायी धन प्राप्त करते हैं।
मशहद में इमाम जुमा के इमाम और सर्वोच्च नेता अयातुल्ला सय्यद अली खामेनई के प्रतिनिधि आयतुल्लाह अलमुल हुदा ने कहा है कि सच्चा जिहादी जीवन खर्च और बलिदान की नींव पर बना है। जो लोग अपना धन ईश्वर की राह में खर्च करते हैं, वे न केवल इस दुनिया में ईश्वर की दया और सहायता के पात्र बनते हैं, बल्कि परलोक में भी स्थायी धन प्राप्त करते हैं।
आयतुल्लाह अलमुल हुदा ने पवित्र शहर मशहद में सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि के कार्यालय में आयोजित रमजान के चौथे कुरान भाष्य पाठ में बात की। उन्होंने सूरह अल-इमरान की आयत 92 के प्रकाश में समझाया कि जो व्यक्ति कुरान के अनुसार जीवन जीना चाहता है, उसका जीवन जिहाद का होगा और ऐसे जीवन के मुख्य स्तंभ व्यय और आत्म-बलिदान हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग अपनी अतिरिक्त संपत्ति दूसरों को दे देते हैं, जो एक प्रकार का व्यय है, जबकि अन्य लोग अपनी संपत्ति को भविष्य के लिए सुरक्षित रखते हैं, भले ही किसी दुर्घटना में उनकी सारी पूंजी नष्ट हो जाए। लेकिन जो लोग अल्लाह के लिए खर्च करते हैं, उन्हें ईश्वरीय सहायता और कठिनाई से सुरक्षा मिलती है।
उन्होंने सूरह अल-बक़रा की आयत 261 का हवाला देते हुए कहा कि अल्लाह तआला उन लोगों को कई गुना इनाम देता है जो खर्च करते हैं। इसी तरह अमीरुल मोमिनीन अली इब्न अबी तालिब (अ.स.) के कथन के अनुसार, जो कोई तुम्हारा माल ले और उसे ऐसी जगह तुम्हारे पास पहुंचा दे जहां तुम्हें उसकी जरूरत हो, ऐसे व्यक्ति को लूट समझो।
आयतुल्लाह अलमुल हुदा ने आगे कहा कि आत्म-बलिदान, खर्च करने से भी अधिक ऊंचा है, जिसमें व्यक्ति अपनी जरूरतों से अधिक दूसरों को प्राथमिकता देता है। उन्होंने कुरान की आयत उद्धृत की, "जब तक तुम अपनी प्रिय चीजों में से खर्च नहीं करोगे, तब तक तुम धार्मिकता प्राप्त नहीं कर सकोगे..." और कहा कि केवल वे लोग ही सच्ची धार्मिकता प्राप्त कर सकते हैं जो अपनी प्रिय चीजों में से खर्च करते हैं।
मशहद के इमाम जुमा ने शहीदों को "अल-बिर्र" की व्यावहारिक व्याख्या बताते हुए कहा कि वे ईश्वर की राह में अपनी सबसे कीमती चीज, अर्थात् अपने जीवन का बलिदान करते हैं, जबकि उनके परिवार भी महान बलिदान के उदाहरण हैं।
ईरान के प्रतिनिधि को विश्व कुश्ती महासंघ द्वारा फ्रीस्टाइल पहलवान चुना गया
एक ईरानी टेबल टेनिस रेफ़री को 29वीं एशियाई जूनियर और युवा चैंपियनशिप के निदेशक के रूप में चुना गया है।
एशियाई टेबल टेनिस परिसंघ ने प्रतिष्ठित ईरानी टेबल टेनिस रेफ़री नसीबेह दलीर हेरवी को 29वीं एशियाई जूनियर और युवा चैंपियनशिप का निदेशक चुना है, जो 25 से 29 जुलाई, 2025 तक उज़्बेकिस्तान में आयोजित की जाएगी। पार्स टुडे के अनुसार, प्रतियोगिताओं का आयोजन, प्रतिभागियों की संख्या की जांच, प्रतियोगिताओं का समय निर्धारण, और ड्रॉ के लिए मुख्य रेफ़री के साथ समन्वय करना प्रतियोगिता प्रबंधक के कर्तव्यों में से एक है।
ईरान के प्रतिनिधि को विश्व कुश्ती महासंघ द्वारा महीने का सर्वश्रेष्ठ फ्रीस्टाइल पहलवान चुना गया
2024 पेरिस ओलंपिक में 87 किलोग्राम भार वर्ग में रजत पदक जीतने वाले ईरानी ग्रीको-रोमन पहलवान अलीरज़ा मेहमदी को विश्व कुश्ती महासंघ को फ़रवरी का सर्वश्रेष्ठ ग्रीको-रोमन पहलवान चुना गया है।
एशियाई 6x6 फ़ुटबॉल, इराक़ को हराकर ईरान सेमीफ़ाइनल में पहुंचा
ईरान की राष्ट्रीय मिनी फ़ुटबॉल टीम एशियाई 6x6 फ़ुटबॉल चैम्पियनशिप के सेमीफ़ाइनल में पहुंच गई। आज, शुक्रवार को, 6x6 एशियाई मिनी फ़ुटबॉल राष्ट्रीय कप के ग्रुप चरण के तीसरे दिन, यूएई के शारजाह शहर में पांच मैच आयोजित किए गए। सबसे महत्वपूर्ण मैच में, तीसरे दौर में ईरानी राष्ट्रीय टीम का सामना इराक़ी राष्ट्रीय टीम से हुआ। अंत में, करीम मोक़द्दम के शिष्यों ने आरिफ़ ब्लोकी द्वारा किए गए गोल की मदद से 1-0 के स्कोर के साथ अपने प्रतिद्वंद्वी की बाधा को पार करने में कामयाबी हासिल की। इस परिणाम के साथ, ईरानी राष्ट्रीय टीम ग्रुप बी में 7 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर रही और सेमीफ़ाइनल में पहुंच गई। ईरानी राष्ट्रीय मिनी फ़ुटबॉल टीम ने 2024 विश्व चैंपियन ओमान के ख़िलाफ़ अपने पहले मैच में 1-1 से ड्रॉ किया था और जापान के ख़िलाफ़ अपने दूसरे मैच में, वह 2-0 से जीतने में सफल रही।
ईरान की महिला राष्ट्रीय कबड्डी टीम एशियाई चैम्पियनशिप के सेमीफ़ाइनल में पहुंची
ईरानी महिला राष्ट्रीय कबड्डी टीम भी अपनी दूसरी जीत के साथ एशियाई चैम्पियनशिप के सेमीफ़ाइनल में पहुंच गई है। ईरानी राष्ट्रीय टीम ने जो नेपाल और इराक़ के समान ग्रुप में थी, दोनों टीमों के ख़िलाफ़ जीत हासिल की और इन दो जीतों के साथ, उसने नेपाल के साथ टूर्नामेंट के सेमीफ़ाइनल प्रवेश किया। दूसरे ग्रुप से भारत सेमीफ़ाइनल में पहुंच गया है और दूसरी टीम का फ़ैसला बांग्लादेश और थाईलैंड के बीच मैच के बाद होगा। इस प्रकार, इस शुक्रवार शाम को सेमीफ़ाइनल में भारत और नेपाल की टीमें पहले भिड़ेंगी, और ईरानी राष्ट्रीय टीम का मुक़ाबला बांग्लादेश और थाईलैंड के बीच होने वाले मैच के विजेता से होगा। छठी एशियाई महिला कबड्डी चैंपियनशिप तेहरान प्रांत की मेज़बानी में 7 टीमों की भागीदारी के साथ आयोजित की जा रही है।
इस्राईल को कैसा सीरिया चाहिये?
वाल स्ट्रीट जरनल ने इस बात से रहस्योद्घाटन किया है कि ज़ायोनी सरकार सीरिया में फ़ूट डालने का प्रयास कर रही है।
वाल स्ट्रीट जरनल ने एक रिपोर्ट में एलान किया है कि ज़ायोनी सरकार सीरिया में रहने वाले दुरूज़ियों को यह समझाने के प्रयास में है कि वे दमिश्क की नई सरकार को क़बूल न करें।
इस्ना के हवाले से बताया है कि इस रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ज़ायोनी सरकार अरबों डा᳴लर ख़र्च करने के लिए तैयार है और सुरक्षा विश्लेषकों के अनुसार इस काम से ज़ायोनी सरकार का लक्ष्य सीरिया में फ़ूट डालना और इस देश का विभाजन है।
वाल स्ट्रीट जरनल के अनुसार ज़ायोनी सरकार इसी प्रकार सीरिया में एक फ़ेडरल सरकार का गठन चाहती है और वह सरकार अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन से लगे सीरिया के दक्षिणी सीमावर्ती क्षेत्रों में हो और वह सरकार असैनिक हो।
इससे पहले ज़ायोनी सरकार के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू ने भी दक्षिणी सीरिया को ग़ैर सैनिक व हथियार रहित बनाने की मांग की थी।
विश्लेषकों का मानना है कि ज़ायोनी सरकार सीरिया को कमज़ोर और विभाजित देखना चाहती है।
इस रिपोर्ट के आधार पर यह कठिन है कि दमिश्क के नये अधिकारी एक फ़ेडरल व्यवस्था को क़बूल करें मगर ज़ायोनी सरकार यथावत अपने प्रयासों को जारी रखे हुए है। बश्शार असद की सरकार को ख़त्म हुए तीन महीने का समय हो रहा है इस अवधि के दौरान ज़ायोनी सरकार ने सीरिया की समस्त आधारभूत सेवाओं, हथियारों और संसाधनों को तबाह कर दिया ताकि ये हथियार सीरिया के नये अधिकारियों के हाथों में न पड़ें।
इसी बीच सीरिया के कुछ क़बाएली नेता इस बात से चिंतित हैं कि इस्राईल सीरिया की अधिक ज़मीनों पर क़ब्ज़ा न कर ले। उनका कहना है कि ज़ायोनी सरकार ने इस समय सीरिया के क़ुनैतरा प्रांत पर क़ब्ज़ा कर लिया है जो अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन के सीमावर्ती तीन प्रांतों में से एक है।
यहां तक कि सीरिया के कुछ दुरूज़ी समाज के नेता भी इस बात से चिंतित हैं कि सीरिया में इस्राईल के जो लक्ष्य हैं वे सीरियाई लोगों के मध्य मतभेद, फ़ूट उत्पन्न होने और कई धड़ों व गुटों में बंट जाने के कारण बनेंगे और यह चीज़ सीरिया के समस्त सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव के व्याप्त होने का कारण बनेगी