
رضوی
हमास के साथ अमेरिका की वार्ताः ट्रम्प समझ गये कि प्रतिरोध डरता नहीं
अरब जगत के प्रसिद्ध विश्लेषक व टीकाकार ने कहा है कि डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा वार्ता का क़बूल कर लेना उनकी सरकार और उनके भेजे हुए प्रतिनिधि की निराशा का परिणाम है।
अरब जगत के प्रसिद्ध टीकाकार अब्दुलबारी अत्वान ने ट्रम्प सरकार के साथ वार्ता में कुछ अरब अरब देशों के रवइये पर आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि ट्रम्प का वार्ता का क़बूल कर लेना उनकी सरकार और उनके प्रतिनिधि की निराशा का परिणाम है।
ज्ञात रहे कि ट्रम्प की सरकार ने फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध हमास की शर्तों पर वार्ता को क़बूल किया है।
उन्होंने लिखा कि ट्रम्प द्वारा हमास के साथ सीधी वार्ता का क़बूल करना इसके बाद हुआ जब वह समझ गये कि हमास उनकी धमकियों से नहीं डरता है और ट्रम्प ने जो यह धमकी दी थी कि नरक के द्वार उसकी ओर खोल दिये जायेंगे वह इस धमकी से लेशमात्र नहीं डरता है।
इसी प्रकार ट्रम्प ने फ़िलिस्तीनियों को ज़बरदस्ती पलायन कराने का जो प्रस्ताव दिया था वह न केवल विफ़ल हो गयी बल्कि उसका उल्टा परिणाम निकला है क्योंकि अरब और यूरोपीय देशों की जो बैठकें हुई हैं उनमें भी ट्रम्प की इस योजना व प्रस्ताव का विरोध किया गया।
अरब जगत के प्रसिद्ध टीकाकार अब्दुलबारी अत्वान ने कहा है कि ज़ायोनियों ने अमेरिकी बमों से नस्ली सफ़ाये की जो धमकी दी है वह भी नाकाम रहेगी और हमास के साथ अमेरिका की वार्ता उपहार या एहसान नहीं है बल्कि वह फ़िलिस्तीनियों के संबंध में अमेरिकियों और ज़ायोनियों की समस्त योजनाओं की विफ़लता की स्वीकारोक्ति है।
स्वीडन ने ईरान के राजदूत को तलब किया
स्वीडन के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि इज़राईस शासन की खुफिया एजेंसी "मोसाद" के लिए जासूसी के आरोप में दोषी व्यक्ति की मौत की सजा की पुष्टि के जवाब में उसने ईरान के राजदूत को तलब किया है।
,स्वीडन के विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर एक हस्तक्षेपकारी बयान जारी करते हुए ईरान में ज़ायोनिस्ट शासन की खुफिया एजेंसी "मोसाद" के साथ जासूसी और सहयोग के आरोपी अहमदरेज़ा जलाली की मौत की सजा पर अमल न करने की मांग की है।
स्वीडन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है,स्वीडन यह चाहता है कि अहमदरेज़ा जलाली की मौत की सजा लागू न की जाए! बयान में आगे कहा गया है,हमने यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के साथ मिलकर इस मामले पर बार-बार विरोध दर्ज कराया है।
इसके अलावा बयान में यह भी उल्लेख किया गया है,उनकी मौत की सजा की पुष्टि को देखते हुए हमने स्वीडन में ईरान के राजदूत को विदेश मंत्रालय में तलब किया है।
गौरतलब है कि अहमदरेज़ा जलाली जो स्वीडन में रहने वाले एक ईरानी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैं को मई 2016 (ईरानी कैलेंडर के अनुसार, اردیبهشت ۱۳۹۵) में ज़ायोनिस्ट शासन की खुफिया एजेंसी "मोसाद" के साथ संबंधों के कारण गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
"यूएनआरडब्ल्यूए" की ख़ाली गोदामें, ग़ज़ा में भूख और मौत का तांडव
ज़ायोनी शासन द्वारा ग़ज़ापट्टी में यूएनआरडब्ल्यूए की गतिविधियों पर प्रतिबंध की आधिकारिक घोषणा के कुछ महीने बीत जाने के बाद, फ़िलिस्तीनियों, विशेषकर कुछ बीमारियों से पीड़ित रोगियों के स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य पर इस अमानवीय कृत्य का प्रभाव नज़र आने लगा है।
ग़ज़ा को निर्जन बनाने और फिलिस्तीनी भूमि के जातीय सफाए की योजना को लागू करने के उद्देश्य से, ज़ायोनी शासन ने कब्जे वाली भूमि में फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएनआरडब्ल्यूए राहत और रोजगार एजेंसी की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की योजना को मंजूरी दे दी है।
एक फिलिस्तीनी महिला "हन्नान अबू सईद", ग़ज़ा के केंद्र में स्थित नुसैरात कैंप में यूएनआरडब्ल्यूए चिकित्सा केंद्र से ब्लड प्रेशर की दवा लेने में नाकामी के बाद, अपने स्वास्थ्य और अपने बच्चों के स्वास्थ्य पर मंडरा रहे खतरों के बारे में बात करती है।
एक अन्य फ़िलिस्तीनी महिला "हादी अल-हत्ताब", जबकि स्वयं वह दिल की बीमारियों में ग्रस्त थीं, यूएनआरडब्ल्यूए चिकित्सा केंद्र में जाने के बाद, उन्हें मधुमेह से पीड़ित अपने बेटे के लिए आवश्यक इंसुलिन नहीं मिल सका, और अब वह उसकी हालत फिर से बिगड़ने और अस्पताल में आईसीयू वार्ड में भर्ती कराने को लेकर चिंतित हैं।
यह फ़िलिस्तीनी मां कहती है:
हमें पता चला कि सभी यूएनआरडब्ल्यूए केंद्र बंद हैं। हम यहां अपनी दवाएं लिखवाने आये थे लेकिन इन सबके बावजूद हमें दवा नहीं मिली। इस तरह इज़राइल ने हमें मौत की सज़ा सुना दी है। क्या हमारे साथ जो विपदा आयी वह काफी नहीं थी? मेरा बेटा इंसुलिन और शूगर की दवा ले रहा है, मुझे उसके लिए इंसुलिन नहीं मिल रहा है, अगर वह इंसुलिन नहीं लेगा तो उसे आईसीयू में भर्ती होना पड़ेगा। मेरी क़िस्मत भी ऐसी ही है क्योंकि मैं खुद दिल की बीमारी से परेशान हूं।
वहीं, ग़ज़ा पट्टी की सहायता के रास्ते में इज़राइल की बाधाओं की वजह से यूएनआरडब्ल्यूए के आटे और खाने के खाली गोदामों ने ग़ज़ापट्टी में भूखमरी और अकाल की एक नई लहर की शुरुआत का अलार्म बजा दिया है।
यूएनआरडब्ल्यूए के ख़िलाफ ज़ायोनी शासन का युद्ध कोई नया मुद्दा नहीं है और इसे फिलिस्तीनी शरणार्थियों की समस्या को खत्म करने के लिए इस एजेंसी की गतिविधियों को समाप्त करने के लिए इज़राइल के पिछले प्रयासों में से एक माना जाता है। यह ऐसी स्थिति में है कि जब ग़ज़ा के लोगों को खासकर इस क्षेत्र में युद्ध की स्थिति जारी रहने की छाया में, यूएनआरडब्ल्यूए की राहत सेवाओं की सख्त ज़रूरत है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एडनोम ने एक्स सोशल मीडिया पर यूएनआरडब्ल्यूए की गतिविधों पर प्रतिबंध लगाने की इज़राइल की कार्रवाई की निंदा की और कहा: सच्चाई यह है कि फिलिस्तीनी क्षेत्रों में यूएनआरडब्ल्यूए का कोई विकल्प है ही नहीं।
यह संगठन, जिसे 1949 में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा स्थापित किया गया था, कम से कम 5.9 मिलियन फिलिस्तीनियों को आपातकालीन सहायता, फिलिस्तीनियों की शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सेवाएं प्रदान करता है।
पोप फ्रांसिस की हालत में काफी सुधार/प्रार्थना के लिए लोगो का धन्यवाद किया
पोप फ्रांसिस की हालत की निरंतर स्थिरता को देखते हुए, डॉक्टरों ने कहा की काफी सुधार आया है उन्हें शनिवार तक कोई नया मेडिकल अपडेट देने की उम्मीद नहीं है वेटिकन के अधिकारियों ने कहा कि उनकी दिनचर्या में अब डबल निमोनिया और रेस्पिरेटरी थेरेपी के साथ-साथ शारीरिक इलाज भी शामिल है।
पोप फ्रांसिस की हालत की निरंतर स्थिरता को देखते हुए, डॉक्टरों ने कहा की काफी सुधार आया है उन्हें शनिवार तक कोई नया मेडिकल अपडेट देने की उम्मीद नहीं है वेटिकन के अधिकारियों ने कहा कि उनकी दिनचर्या में अब डबल निमोनिया और रेस्पिरेटरी थेरेपी के साथ-साथ शारीरिक इलाज भी शामिल है।
डबल निमोनिया से उबर गये पोप फ्रांसिस की स्थिति गुरुवार को स्थिर रही और उन्हें सांस लेने की कोई नई दिक्कत या बुखार नहीं हुआ पोप ने अस्पताल से ही काम किया इसके साथ ही वेटिकन ने यह जानकारी दी पोप फ्रांसिस ने एक ऑडियो संदेश के जरिए लोगों की प्रार्थनाओं के लिए उन्हें धन्यवाद दिया.
वहीं उनकी हालत की स्थिरता को देखते हुए डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें शनिवार तक कोई नई जानकारी देने की उम्मीद नहीं है लेकिन उनके पूर्वानुमान के मुताबिक पोप अब भी खतरे से बाहर नहीं हैं वेटिकन ने कहा कि पोप फ्रांसिस ने गुरुवार को दुआ की।
वेटिकन ने कहा कि पोप फ्रांसिस ने गुरुवार को लोगों की प्रार्थनाओं के लिए धन्यवाद देने के लिए एक ऑडियो मैसेज रिकॉर्ड किया, क्योंकि वह डबल निमोनिया से ठीक हो रहे हैं और उनकी हालत स्थिर है. अधिकारियों ने कहा कि ऑडियो को सेंट पीटर्स स्क्वायर में शाम की रोजरी प्रार्थना की शुरुआत में प्रसारित किया जाना था।
फ्रांसिस की हालत की निरंतर स्थिरता को देखते हुए, डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें शनिवार तक कोई नया मेडिकल अपडेट देने की उम्मीद नहीं है. वेटिकन के अधिकारियों ने कहा कि उनकी दिनचर्या में अब डबल निमोनिया और रेस्पिरेटरी थेरेपी के साथ-साथ शारीरिक इलाज भी शामिल है।
पाकिस्तान के बाजौर में सड़क किनारे बम विस्फोट, 3 पुलिस अधिकारी घायल
पाकिस्तानी मीडिया ने रिपोर्ट दी है कि बाजौर पाकिस्तान में एक सड़क किनारे लगाए गए बम के विस्फोट में तीन पुलिस अधिकारी घायल हो गए हैं।
पाकिस्तानी पुलिस अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि गश्त के दौरान एक पुलिस वाहन सड़क किनारे बिछाए गए बम की चपेट में आ गया जिससे विस्फोट हो गया और तीन पुलिस अधिकारी घायल हो गए।
पाकिस्तानी अख़बार 'डॉन' की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना उस विस्फोट के सिर्फ दो दिन बाद हुई जिसमें स्वाबी शहर के एक हथियार डिपो में धमाका हुआ था और उसमें 17 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।
पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों में वृद्धि देखी गई है। पिछले महीने ही देशभर में 59 आतंकवादी हमले हुए, जिनमें से कई पाकिस्तानी सुरक्षा बलों को निशाना बनाकर किए गए।
ताजा घटनाओं में एक मोटरसाइकिल में छुपाए गए बम के विस्फोट में कम से कम 12 लोग घायल हो गए थे, जिनमें 2 पुलिसकर्मी भी शामिल थे।
न्यायालय ने रमज़ान में मुसलमानों के जल्दी कार्यालय छोड़ने के खिलाफ याचिका खारिज की
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकारों के उन फैसलों के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिनमें रमजान के महीने के दौरान मुस्लिम कर्मचारियों को कार्यालय से एक घंटा पहले निकलने की अनुमति दी गई थी।
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकारों के उन फैसलों के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिनमें रमजान के महीने के दौरान मुस्लिम कर्मचारियों को कार्यालय से एक घंटा पहले निकलने की अनुमति दी गई थी।
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह अपनी शिकायत संबंधित उच्च न्यायालयों में ले जाएं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि याचिका में दोनों सरकारों के परिपत्रों को चुनौती दी गई है।
पीठ द्वारा याचिका की जांच करने में अनिच्छा दिखाने के बाद शंकरनारायणन ने संबंधित उच्च न्यायालयों में जाने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस ले ली।
न्यायालय ने कहा,याचिकाकर्ता के वकील संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत संबंधित उच्च न्यायालयों में जाने की स्वतंत्रता के साथ वर्तमान याचिका वापस लेने की अनुमति चाहते हैं।
इसने याचिकाकर्ता को अपनी शिकायत लेकर उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता प्रदान की।तेलंगाना सरकार ने एक परिपत्र जारी कर मुस्लिम कर्मचारियों को रमजान के दौरान एक घंटा पहले कार्यालय छोड़ने की अनुमति दी थी।
इसी प्रकार, तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने भी रमजान के दौरान 2 मार्च से 30 मार्च तक आंध्र प्रदेश में सभी मुस्लिम कर्मचारियों को एक घंटा पहले कार्यालय छोड़ने की अनुमति दी।
इस्लामोफ़ोबिया को बर्दाश्त नहीं करेंगे
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कहां, सिडनी के दक्षिण पश्चिम में एक मस्जिद के विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाही को नफ़रत फ़ैलाने वाली कार्यवाही का नाम दिया उन्होंने कहा कि आ᳴स्ट्रेलिया जातिवादी और इस्लामोफ़ोबिया को बर्दाश्त नहीं करेगा।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कहां, सिडनी के दक्षिण पश्चिम में एक मस्जिद के विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाही को नफ़रत फ़ैलाने वाली कार्यवाही का नाम दिया उन्होंने कहा कि आ᳴स्ट्रेलिया जातिवादी और इस्लामोफ़ोबिया को बर्दाश्त नहीं करेगा।
ब्रिटेन की सरकार ने इस देश में मुसलमानों के ख़िलाफ़ होने वाली नफ़रत की कार्यवाहियों या इस्लामोफ़ोबिया से मुक़ाबला करने के उद्देश्य से एक गुट का गठन किया है।
ब्रिटेन में मुसलमानों के ख़िलाफ़ अपराधों में अभूतपूर्व ढ़ंग से वृद्धि हो गयी है और लंदन सरकार मुसलमानों के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर होने वाली कार्यवाहियों को रोकने के लिए जो प्रयास करेगी उसमें यह नया गुट लंदन सरकार का समर्थन करेगा।
तुर्किये ने राष्ट्रसंघ से मांग की है कि वह नफ़रत फ़ैलाने वाली कार्यवाहियों, भाषणों और भेदभाव का मुक़ाबला करने के लिए अपना एक विशेष प्रतिनिधि नियुक्त करे। इसी प्रकार तुर्किये ने पश्चिम में धार्मिक स्थलों और पवित्र क़ुरआन के ख़िलाफ़ होने वाली कार्यवाहियों में वृद्धि के प्रति चेतावनी दी है।
तुर्किये के उपविदेशमंत्री मेहमत कमाल बुज़ाई ने मंगलवार को पिछले सप्ताह जनेवा में मानवाधिकार परिषद की होने वाली बैठक में एक प्रस्ताव व योजना पेश की और उसमें बल देकर कहा कि इस्लाम के ख़िलाफ़ हिंसा दिनचर्या की घटना हो गयी है और अतिवादी गुटों में वृद्धि से इस्लाम विरोधी कार्यवाहियां भी अधिक हो रही हैं।
इज़राईली शासन की सेना के प्रवक्ता ने इस्तीफा दिया
ज़ायोनिस्ट शासन की सेना के प्रवक्ता डेनियल हागारी ने इस्तीफा दिया
अलजज़ीरा के हवाले से बताया गया कि ज़ायोनिस्ट शासन के सार्वजनिक रेडियो ने इस इस्तीफे की पुष्टि की है बताया जा रहा है कि सेना के नए चीफ ऑफ स्टाफ ने डेनियल हागारी के प्रमोशन का विरोध किया था जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
इसके अलावा कुछ दिन पहले ज़ायोनिस्ट शासन की सेना के ऑपरेशन्स कमांडर "ओदेद बसियुक" ने भी इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने 7 अक्टूबर 2023 की विफलता के कारण चार साल इस पद पर रहने के बाद इस्तीफा देने का फैसला किया।
ओदेद बसियुक ने ज़ायोनिस्ट सेना के चीफ ऑफ स्टाफ "एयाल ज़मीर" से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपा उन्होंने 33 साल सेना में सेवा देने के बाद इस्तीफा दिया जिसे चीफ ऑफ स्टाफ ने स्वीकार कर लिया।
हालांकि, एयाल ज़मीर ने उनसे अनुरोध किया कि वे कुछ समय तक अपने पद पर बने रहें, क्योंकि सेना कई ऑपरेशनल चुनौतियों का सामना कर रही है।गोपनीय वार्तालापों में ओदेद बसियुक ने स्वीकार किया कि तूफान अलअक्सा हमले से पहले और इसके दौरान सेना की विफलताओं के लिए वह जिम्मेदार हैं।
ज़ायोनिस्ट सेना की आंतरिक जांच रिपोर्ट के अनुसार, ऑपरेशन्स कमांड यूनिट युद्ध की वास्तविक स्थिति को सही ढंग से आकलन करने और सेना को उचित स्थानों पर तैनात करने में असफल रही।
उनका इस्तीफा ऐसे समय आया है जब ज़ायोनिस्ट सेना ने अपनी आंतरिक जांच रिपोर्ट में तूफान अलअक्सा अभियान से जुड़ी विफलताओं को सार्वजनिक किया था।
इत्रे क़ुरआन(3)अनेकेश्वरवाद और शैतानी गुमराही की वास्तविकता
यह आयत हमें अनेकेश्वरवाद से बचने का आह्वान करती है और हमें याद दिलाती है कि सच्ची इबादत केवल अल्लाह के लिए होनी चाहिए। हमें शैतान के बहकावे में आने से बचना चाहिए।
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम
إِنْ يَدْعُونَ مِنْ دُونِهِ إِلَّا إِنَاثًا وَإِنْ يَدْعُونَ إِلَّا شَيْطَانًا مَرِيدًا इन यदऊना मिन दूनेही इल्ला इनासन व इन यदऊना इल्ला शैतानन मरीदा (नेसा 117)
अनुवाद: ये लोग ईश्वर के बजाय केवल महिलाओं की पूजा करते हैं और विद्रोही शैतान को बुलाते हैं।
विषय:
यह आयत अनेकेश्वरवाद और गुमराही, अल्लाह के अलावा दूसरों की पूजा के बारे में है, जो वास्तव में शैतानी कानाफूसी का परिणाम है।
पृष्ठभूमि:
इस आयत का संदर्भ अनेकेश्वरवाद और उसके परिणामों पर प्रकाश डालता है। यह कहा गया है कि जो लोग अल्लाह के अलावा दूसरों की पूजा करते हैं, वे वास्तव में शैतान द्वारा गुमराह किये जाते हैं।
तफ़सीर:
- अनेकेश्वरवाद की निंदा: यह आयत बहुदेववाद की कड़ी निंदा करती है। अल्लाह के अलावा किसी अन्य की इबादत करना गुमराही है।
- शैतान की भूमिका: शैतान मनुष्य को गुमराह करने में सदैव सक्रिय रहता है, और बहुदेववाद उसकी सबसे बड़ी सफलता है।
- महिलाओं का संदर्भ: कुछ टिप्पणीकारों के अनुसार, "महिलाओं की पूजा" से तात्पर्य मूर्तियों या झूठे देवताओं से है, जो कमज़ोर और असहाय हैं।
महतव्पूर्ण बिंदु:
- अल्लाह के अलावा किसी अन्य की इबादत करना शिर्क है।
- शैतान हमेशा मनुष्य को गुमराह करने की कोशिश करता है।
- शिर्क अज्ञानता और शैतानी इच्छाओं पर आधारित है।
परिणाम:
यह आयत हमें अनेकेश्वरवाद से बचने का आह्वान करती है तथा याद दिलाती है कि सच्ची उपासना केवल अल्लाह के प्रति होनी चाहिए। हमें शैतान के बहकावे में आने से बचना चाहिए।
सूर ए नेसा की तफ़सीर
हमास ने दिया ट्रंप की धमकियों का जवाब
हमास आंदोलन के प्रवक्ता ने कहा कि ट्रंप अपनी धमकियों के जरिए फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ नेतन्याहू को संघर्षविराम समझौते से बचने, अपराध जारी रखने और फिलिस्तीनियों की नाकाबंदी को और कठोर करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इजरायली बंदियों की रिहाई का एकमात्र रास्ता संघर्षविराम पर अमल करना है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हमास और फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ दिए गए अपमानजनक और धमकी भरे बयानों पर प्रतिक्रिया जारी है हमास के प्रवक्ता अब्दुल लतीफ अलक़ानूआ ने कहा कि ट्रंप की ये धमकियां फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ हैं और इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू को संघर्षविराम समझौते से बचने घेराबंदी बढ़ाने और फिलिस्तीनियों पर भुखमरी थोपने का अवसर दे रही हैं।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि गाजा में बचे हुए इजरायली बंदियों की रिहाई का एकमात्र तरीका यही है कि इजरायल की सरकार संघर्षविराम वार्ता के दूसरे चरण में प्रवेश करे और मध्यस्थों की देखरेख में किए गए समझौते की शर्तों का पालन करे।
हमास के एक अन्य प्रवक्ता हाज़ेम क़ासिम ने भी आज कहा कि ट्रंप की धमकियां संघर्षविराम समझौते को और अधिक जटिल बना रही हैं और इससे इजरायल के कब्जे वाली सेना के अत्याचार और युद्ध अपराध और तेज हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि ट्रंप को नेतन्याहू पर दबाव डालना चाहिए ताकि संघर्षविराम वार्ता के दूसरे चरण की शुरुआत हो सके लेकिन इसके बजाय इजरायल उनकी धमकियों का इस्तेमाल गाजा की नाकाबंदी और वहां के निवासियों को भुखमरी की सज़ा देने के लिए कर रहा है।
आज सुबह ट्रंप प्रशासन और हमास के बीच गुप्त वार्ता की खबरों के कुछ ही मिनटों बाद, ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डालकर इजरायल के प्रति अपनी वफादारी को दोहराया।
हालांकि, ट्रंप ने इस बात का कोई ज़िक्र नहीं किया कि सैकड़ों फिलिस्तीनी शहीदों के शव अभी भी इजरायली सेना के कब्जे में हैं और इजरायल की सेना गाजा के कब्रिस्तानों से शव चुराने की घटनाओं में शामिल रही है।