رضوی

رضوی

हज़रत इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम का नाम हज़रत पैगम्बर स.ल.व.के नाम पर है तथा आपकी मुख्य़ उपाधियाँ महदी मऊद, इमामे अस्र, साहिबुज़्ज़मान बक़ियातुल्लाह व क़ाइम हैं।आप का जन्म सन् 255हिजरी क़मरी मे शाबान मास की 15वी तिथि को सामर्रा नामक सथान पर हुआ यह शहर वर्तमान समय मे इराक़ देश की राजधानी बग़दाद के पास स्थित है।

हज़रत इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम का नाम हज़रत पैगम्बर स.ल.व.के नाम पर है तथा आपकी मुख्य़ उपाधियाँ महदी मऊद, इमामे अस्र, साहिबुज़्ज़मान बक़ियातुल्लाह व क़ाइम हैं।

जन्म व जन्म स्थान

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का जन्म सन् 255हिजरी क़मरी मे शाबान मास की 15वी तिथि को सामर्रा नामक सथान पर हुआ था। यह शहर वर्तमान समय मे इराक़ देश की राजधानी बग़दाद के पास स्थित है।

माता पिता

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के पिता हज़रत इमाम अस्करी अलैहिस्सलाम व आपकी माता हज़रत नरजिस खातून हैं।

पालन पोषण

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का पालन पोषण 5वर्ष की आयु तक आपके पिता की देख रेख मे हुआ। तथा इस आयु सीमा तक आप को सब लोगों से छुपा कर रखा गया। केवल मुख्य विश्वसनीय मित्रों को ही आप से परिचित कराया गया था

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम की इमामत

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम की इमामत का समय सन् 260 हिजरी क़मरी से आरम्भ होता है। और इस समय आपकी आयु केवल 5वर्ष थी। हज़रत इमाम अस्करी अलैहिस्सलाम ने अपनी शहादत से कुछ दिन पहले एक सभा मे जिसमे आपके चालीस विश्वसनीय मित्र उपस्थित थे, कहा कि मेरी शहादत के बाद वह (हज़रत महदी) आपके खलीफ़ा हैं। वह क़ियाम करने वाले हैं तथा संसार उनका इनतेज़ार करेगा। जबकि पृथ्वी पर चारों ओर अत्याचार व्याप्त होगा वह उस समय कियाम करेंगें व समस्त संसार को न्याय व शांति प्रदान करेंगें।

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम की ग़ैबत(परोक्ष हो जाना)

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम की ग़ैबत दो भागों मे विभाजित है।

(1) ग़ैबते सुग़रा

अर्थात कम समय की ग़ैबत यह ग़ैबत सन् 260 हिजरी क़मरी मे आरम्भ हुई और329 हिजरी मे समाप्त हुई। इस ग़ैबत की समय सीमा मे इमाम केवल मुख्य व्यक्तियों से भेंट करते थे।

(2) ग़ैबत कुबरा

अर्थात दीर्घ समय की ग़ैबत यह ग़ैबत सन् 329 हिजरी मे आरम्भ हुई व जब तक अल्लाह चाहेगा यह ग़ैबत चलती रहेगी। जब अल्लाह का आदेश होगा उस समय आप ज़ाहिर(प्रत्यक्ष) होंगे वह संसार मे न्याय व शांति स्थापित करेंगें।

नुव्वाबे अरबा

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने अपनी 69 वर्षीय ग़ैबते सुग़रा के समय मे आम जनता से सम्बन्ध स्थापित करने लिए बारी बारी चार व्यक्तियों को अपना प्रतिनिधि बनाया। यह प्रतिनिधि इमाम व जनता की मध्यस्था करते थे। यह प्रतिनिधि जनता के प्रश्नो को इमाम तक पहुँचाते व इमाम से उत्तर प्राप्त करके उनको जनता को वापस करते थे। इन चारों प्रतिनिधियो को इतिहास मे “नुव्वाबे अरबा” कहा जाता है। यह चारों क्रमशः इस प्रकार हैं।

(1) उस्मान पुत्र सईद ऊमरी यह पाँच वर्षों तक इमाम की सेवा मे रहे।

(2) मुहम्द पुत्र उस्मान ऊमरी यह चालीस वर्ष तक इमाम की सेवा मे रहे।

(3) हुसैन पुत्र रूह नो बखती यह इक्कीस वर्षों तक इमाम की सेवा मे रहे।

(4) अली पुत्र मुहम्मद समरी यह तीन वर्षों तक इमाम की सेवा मे रहे। इसके बाद से ग़ैबते सुग़रा समाप्त हो गई व इमाम ग़ैबते कुबरा मे चले गये।

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम सुन्नी विद्वानों की दृष्टि मे

हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम मे केवल शिया सम्प्रदाय ही आस्था नही रखता है। अपितु सुन्नी सम्प्रदाय के विद्वान भी हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम को स्वीकार करते है। परन्तु हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के सम्बन्ध मे उनके विचारों मे विभिन्नता पाई जाती है। कुछ विद्वानो का विचार यह है कि हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम अभी पैदा नही हुए है व कुछ विद्वानो का विचार है कि वह पैदा हो चुके हैं और ग़ैबत मे(परोक्ष रूप से) जीवन यापन कर रहे हैं।

सुन्नी सम्प्रदाय के विभिन्न विद्वान अपने मतों को इस प्रकार प्रकट करते है।

(1) शबरावी शाफ़ाई---,, अपनी किताब अल इत्तेहाफ़ मे इस प्रकार लिखते हैं कि शिया महदी मऊद के बारे मे विश्वास रखते हैं वह (हज़रत इमाम) हसन अस्करी के पुत्र हैं और अन्तिम समय मे प्रकट होगे। उनके सम्बन्ध मे सही हादीसे मिलती है। परन्तु सही यह है कि वह अभी पैदा नही हुए हैं और भविषय मे पैदा होगें तथा वह अहलेबैत मे से होंगें।,,

(2) इब्ने अबिल हदीद मोताज़ली---,,शरहे नहजुल बलाग़ा मे इस प्रकार लिखते हैं कि अधिकतर मोहद्देसीन का विश्वास है कि महदी मऊद हज़रत फ़ातिमा के वंश से हैं।मोतेज़ला समप्रदाय के बुज़ुरगों ने उनको स्वीकार किया है तथा अपनी किताबों मे उनके नाम की व्याख्या की है। परन्तु हमारा विश्वास यह है कि वह अभी पैदा नही हुए हैं और बाद मे पैदा होंगें।,,

(3) इज़्ज़ुद्दीन पुत्र असीर -----,,260 हिजरी क़मरी की घटनाओ का वर्णन करते हुए लिखते हैं कि अबु मुहम्मदअस्करी (इमामे अस्करी) 232 हिजरी क़मरी मे पैदा हुए और 260 हिजरी क़मरी मे स्वर्गवासी हुए। वह मुहम्मद के पिता हैं जिनको शिया मुनतज़र कहते हैं।,,

(4) इमादुद्दीन अबुल फ़िदा इस्माईल पुत्र नूरूद्दीन शाफ़ई----,,. इमाम हादी का सन् 254 हिजरी क़मरी मे स्वर्गवास हुआ। वह इमाम हसन अस्करी के पिता थे। इमाम अस्करी बारह इमामों मे से ग्यारहवे इमाम हैं वह उन इमामे मुन्तज़र के पिता हैं जो 255 हिजरी क़मरी मे पैदा हुए।,,

(5) इब्ने हजरे हीतमी मक्की शाफ़ई------,, अपनी किताब अस्सवाइक़ुल मोहर्रेक़ाह मे लिखते हैं कि इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम सामर्रा मे स्वर्गवासी हुए उनकी आयु 28 वर्ष थी। कहा जाता है कि उनको विष दिया गया। उन्होने केवल एक पुत्र छोड़ा जिनको अबुलक़ासिम मुहम्मद व हुज्जत कहा जाता है। पिता के स्वर्ग वास के समय उनकी आयु पाँच वर्ष थी । लेकिन अल्लाह ने उनको इस अल्पायु मे ही इमामत प्रदान की वह क़ाइमे मुन्तज़र कहलाये जाते हैं।,,

(6) नूरूद्दीन अली पुत्र मुहम्मद पुत्र सब्बाग़ मालकी-----,, इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ;की इमामत दो वर्ष दो वर्ष थी । उन्होने अपने बाद हुज्जत क़ाइम नामक एक बेटे को छोड़ा। जिनका सत्य पर आधारित शासन की स्थापना के लिए इंतिज़ार( प्रतीक्षा) किया जायेगा। उनके पिता ने लोगों से गुप्त रख कर उनका पालन पोषण किया। तथा ऐसा अब्बासी शासक के अत्याचार से बचने के लिए किया गया था।,,

(7) अबुल अब्बास अहम पुत्र यूसुफ़ दमिश्क़ी क़रमानी ----- ,,अपनी किताब अखबारूद्दुवल वा आसारूल उवल की ग्यारहवी फ़स्ल मे लिखते हैं कि खलफ़े सालेह इमाम अबुल क़ासिम मुहम्मद इमाम अस्करी के बेटे हैं। जिनकी आयु उनके पिता के स्वर्गवास के समय केवल पाँच वर्ष थी। परन्तु अल्लाह ने उनको हज़रत याहिय की तरह बचपन मे ही हिकमत प्रदान की। वह मध्य क़द सुन्दर बाल सुन्दर नाक व चोड़े माथे वाले हैं।,, इस से ज्ञात होता है कि इस सुन्नी विद्वान को हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के जन्म पर पूर्ण विश्वास था यहाँ तक कि उन्होने आपके शारीरिक विवरण का भी उल्लेख किया है। और खलफ़े सालेह की उपाधि के साथ उनका वर्णन किया है।

(8) हाफ़िज़ अबु अब्दुल्लाह मुहम्मद पुत्र य़ूसुफ़ कन्जी शाफ़ई---- ,,अपनी किताब किफ़ायातुत तालिब के अन्तिम भाग मे लिखते हैं कि इमाम अस्करी सन् 260 हिजरी मे रबी उल अव्वल मास की आठवी तिथि को स्वर्ग वासी हुए व उन्होने एक पुत्र छोड़ा जो इमामे मुन्तज़र हैं।,,

(9) ख़वाजा पारसा हनफ़ी अपनी किताब फ़ज़लुल ख़िताब मे इस प्रकार लिखते हैं कि “ अबु मुहम्द हसन अस्करी ने अबुल क़ासिम मुहम्मद मुँतज़र नामक केवल एक बेटे को अपने बाद इस संसार मे छोड़ा जो हुज्जत क़ाइम व साहिबुज़्ज़मान से प्रसिद्ध हैं। वह 255 हिजरी क़मरी मे शाबान मास की 15 वी तिथि को पैदा हुए व उनकी माता नरजिस थीं।,,

(10) इब्ने तलहा कमालुद्दीन शाफ़ई -----अपनी किताबमतालिबुस्सऊल फ़ी मनाक़िबिर रसूल मे लिखते हैं कि “अबु मुहम्मद अस्करी के मनाक़िब (स्तुति या प्रशंसा) के बारे इतना कहना ही अधिक है कि अल्लाह ने उनको महदी मऊद का पिता बनाकर सबसे बड़ी श्रेष्ठता प्रदान की हैं। वह आगे लिखते हैं कि महदी मऊद का नाम मुहम्मद व उनकी माता का नाम सैक़ल है। महदी मऊद की अन्य उपाधियाँ हुज्जत खलफ़े सालेह व मुँतज़र हैं।

(11) शम्सुद्दीन अबुल मुज़फ़्फ़र सिब्ते इब्ने जोज़ी अपनी प्रसिद्ध किताब तज़किरातुल ख़वास मे लिखते हैं “ कि मुहम्मद पुत्र हसन पुत्र अली पुत्र मुहम्मद पुत्र अली पुत्र मूसा पुत्र जाअफ़र पुत्र मुहम्मद पुत्र अली पुत्र हुसैन पुत्र अली इब्ने अबी तालिब की कुन्नियत अबुल क़ासिम व अबु अबदुल्लाह है। वह खलफ़े सालेह, हुज्जत, साहिबुज्जमान, क़ाइम, मुन्तज़र व अन्तिम इमाम हैं।अब्दुल अज़ीज़ पुत्र महमूद पुत्र बज़्ज़ाज़ ने हमको सूचना दी है कि इबने ऊमर ने कहा कि हज़रत पैगम्बर ने कहा कि अन्तिम समय मे मेरे वँश से एक पुरूष आयेगा जिसका नाम मेरे नाम के समान होगा व उसकी कुन्नियत मेरी कुन्नियत के समान होगी। वह संसार से अत्याचार समाप्त करके न्याय व शाँति की स्थापना करेगा। यही वह महदी हैं।

(12) अबदुल वहाब शेरानी शाफ़ई मिस्री---- अपनी प्रसिद्ध किताब अल यवाक़ीत वल जवाहिर मे हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलामके सम्बन्ध मे लिखते हैं कि “ वह इमाम हसन की संतान है उनका जन्म सन् 255 हिजरी क़मरी मे शाबान मास की 15वी तिथि को हुआ। वह ईसा पुत्र मरीयम से भेँट करेगें व जीवित रहेगें। हमारे समय (किताब लिखने का समय) मे कि अब 958 हिजरी क़मरी है उनकी आयु 706 वर्ष हो चुकी है

हौज़ा-ए-इल्मिया के प्रमुख ने महदवीयत के विषय की अहमियत पर चर्चा करते हुए कहा: "महदवीयत आजकल संदेहों और आरोपों के शिकार हो चुकी है, और इस विचार को मज़बूती से स्थापित करना हौज़ा-ए-इल्मिया की मुख्य जिम्मेदारियों में से एक है।"

धार्मिक मदरसो के प्रमुख आयतुल्लाह आराफ़ी ने पूर्वी आज़रबाइजान प्रांत में हौज़ा-ए-इल्मिया के शिक्षकों और कर्मचारियों से मुलाकात के दौरान ईरान की इस्लामी क्रांति की वर्षगाठ मनाने और 29 बहमन को तबरिज़ में मनाए जाने वाले दिन की सराहना की।

आयतुल्लाह आराफ़ी ने आगे हौज़ा-ए-इल्मिया के सुधारात्मक योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया और कहा: "आज हौज़ा-ए-इल्मिया एक विशेष दृष्टिकोण और भविष्य-दृष्टि से संपन्न हो चुका है और इसमें कई बड़े सुधारात्मक कार्यक्रम लागू हो रहे हैं।"

उन्होंने इन योजनाओं के रास्ते में आने वाली चुनौतियों और बाधाओं पर भी बात की और कहा कि समस्याओं के बावजूद, इन योजनाओं में से कुछ सफलतापूर्वक लागू हो चुकी हैं।

महदवीयत के विषय की अहमियत पर ज़ोर देते हुए, आयतुल्लाह आराफ़ी ने कहा: "महदवीयत शियावाद और इस्लामी क्रांति का ध्वज है और आजकल यह कई तरह के संदेहों और आरोपों का शिकार हो चुकी है। इसलिए, महदवीयत के सिद्धांतों को मज़बूती से स्थापित करना हमारी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।"

आयतुल्लाह आराफ़ी ने हौज़ा-ए-इल्मिया के भविष्य की योजनाओं के बारे में भी बात की और खासकर समकालीन इस्लामी फ़िक़ह (विधि), छात्रों और शिक्षकों के लाभों को लक्ष्यित योजनाओं, और हौज़ा की शैक्षिक और प्रचारक स्तर को बढ़ाने के बारे में बताया।

उन्होंने छात्रों और शिक्षकों के जीवन स्तर में सुधार और उनके लिए वित्तीय समर्थन बढ़ाने के प्रयासों की भी सराहना की।

अंत में, उन्होंने पूर्वी आज़रबाइजान प्रांत के हौज़ा-ए-इल्मिया के अधिकारियों और शिक्षकों की सराहना की और कहा कि इस प्रांत का अपने उज्जवल इतिहास के साथ हौज़ा-ए-इल्मिया और इस्लामी गणराज्य ईरान की भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

जमकरान मस्जिद के मुतवल्ली हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लिमीन सैयद अली अकबर उजाक़ नेजाद ने कहा है कि नीमा ए शाबान के अवसर पर जमकरान मस्जिद में चार से पांच मिलियन तीर्थयात्रियों की मेजबानी के लिए सरकारी समर्थन आवश्यक है।

जमकरान मस्जिद के मुतवल्ली हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लिमीन सैयद अली अकबर उजाक़ नेजाद ने कहा है कि नीमा ए शाबान के अवसर पर जमकरान मस्जिद में चार से पांच मिलियन तीर्थयात्रियों की मेजबानी के लिए सरकारी समर्थन आवश्यक है।

नीमा ए शाबान और हजरत बाकियातुल्लाह अल-आज़म (अ) के शुभ जन्मदिवस के अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि ये दिन दुनिया भर के मुसलमानों, विशेषकर शियाो के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि हजरत वली अस्र (अ) की दरगाह पर आने के इच्छुक लाखों लोग दूरी के कारण सीधे तौर पर मुबारकबाद पेश नहीं कर पाते हैं, हालांकि जमकरान मस्जिद उनके लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करती है।

उन्होंने कहा कि जमकरान मस्जिद, जिसका नाम हज़रत वली अस्र (अ.स.) के नाम पर रखा गया है, इन दिनों के दौरान ईरान और दुनिया भर से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए एक केंद्र बन जाती है। यह पवित्र स्थल न केवल मुसलमानों के लिए बल्कि अन्य धर्मों और आस्थाओं के अनुयायियों के लिए भी एक पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन उजाक़ नेजाद ने कहा कि हज़रत बाक़ियातुल्लाह (अ.स.) के जन्म के अवसर पर जायरीनों का उत्साह और जोश उल्लेखनीय है। यद्यपि प्रत्यक्ष तीर्थयात्रा संभव नहीं है, लोग जामकरन मस्जिद में इबादत और दुआ के माध्यम से अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं और आशा करते हैं कि उनकी दुआ हज़रत वली अस्र (अ.स.) तक पहुंचेगी।

 

उन्होंने बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि इन दिनों में जमकरान मस्जिद में लगभग 40 से 50 लाख लोग आते हैं, जिसके लिए सरकारी संस्थाओं और विभिन्न विभागों का सहयोग आवश्यक है।

जमकरान मस्जिद के मुतवल्ली ने कहा कि इस क्षेत्र में जनता हमेशा मौजूद रहती है, लेकिन अगर सरकार सुरक्षा, नागरिक सुविधाएं और अन्य आवश्यक सेवाएं प्रदान करने में अपनी भूमिका नहीं निभाती है, तो इतनी बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों की मेजबानी करना मुश्किल होगा। उन्होंने सरकारी संस्थाओं के सहयोग की सराहना की तथा आशा व्यक्त की कि यह सहयोग भविष्य में भी जारी रहेगा।

अंत में उन्होंने दुआ की कि अल्लाह सभी को सुरक्षित रखे और उन्हें हज़रत वली अस्र (अ.त.फ.) के प्रकट होने की खुशखबरी जल्द से जल्द प्रदान करे।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने इमामे ज़माना अलैहिस्सलाम के हवाले से कुछ इस तरीके से फरमाया वह कौन सा राज़ है जिसके तहत इमाम ज़माना अ.स.को छिपा कर रखा गया हैं।

नजफ अशरफ के केंद्रीय कार्यालय से हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने फरमाया,मारेफ़ते इमाम ए ज़माना अ.ज.के बारे में ,सवाल, वह कौन सा राज़ है जिसके तहत इमाम अ.ज.को छिपा कर रखा गया हैं हालाँकि अल्लाह इमाम अ.ज. की हिफ़ाज़त किसी और तरीक़े से कर सकता है?

 उत्तर: यह एक अजीब सवाल है अल्लाह ताला के लिए हज़रत मूसा अ.स. की हिफ़ाज़त करना मुमकिन था लेकिन इसके बावजूद अल्लाह ताला ने उन्हें छिपा कर उनकी हिफ़ाज़त की इसी तरह ख़ोदा चाहता तो हज़रत ईसा अ.स. को ज़मीन पर ही हत्या से महफ़ुज़ रख सकता था लेकिन अल्लाह ताला ने उनकी हेफ़ाज़त की उन्हें आसमान में छिपा कर अल्लाह ताला से उसके  काम के बारे में सवाल नहीं किया जाता है।

40 से अधिक वर्षो का अनुभव रखने वाले और हौज़ा तथा अल मुस्तफ़ा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी मे लंबे समय से शैक्षिक और प्रचार कार्यो मे सक्रिय हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन अली रहमानी सबज़वारी, ने इस्लामी क्रांति की विजय की सालगिरह के मौके पर उन दिनों की यादों और इमाम ख़ुमैनी (र) के प्रचार के रहस्यों को साझा किया, जिनसे उन्होंने लोगों को सबसे बड़ी क्रांति में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

40 से अधिक वर्षो का अनुभव रखने वाले और हौज़ा तथा अल मुस्तफ़ा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी मे लंबे समय से शैक्षिक और प्रचार कार्यो मे सक्रिय हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन अली रहमानी सबज़वारी, ने इस्लामी क्रांति की विजय की सालगिरह के मौके पर उन दिनों की यादों और इमाम ख़ुमैनी (र) के प्रचार के रहस्यों को साझा किया, जिनसे उन्होंने लोगों को सबसे बड़ी क्रांति में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

नीचे उनके विचारों का सारांश दिया गया है:

"अगर सूरज न हो तो हम काले और सफेद में कोई अंतर नहीं देख सकते। लेकिन सूरज की रोशनी से हम प्राकृतिक दुनिया की विविधताओं को देख सकते हैं। इसी तरह, आध्यात्मिक और आंतरिक दुनिया में, सत्य और असत्य, अच्छाई और बुराई को हम समझते हैं।"

"आध्यात्मिक दृष्टि से, अगर दिल पर रौशनी न हो तो हम सही और गलत का अंतर नहीं पहचान सकते। यह रौशनी, जो दिलों को प्रकाशित करती है, वह रौशनी हज़रत मुहम्मद (स) की है। वह सत्य को रौशन करते हैं। जो व्यक्ति इस रौशनी से वंचित है, उसका आंतरिक दृष्टिकोण अंधा है।"

"कुछ लोग सत्य और अच्छाई को बुराई से अलग नहीं कर पाते। हज़रत मुहम्मद (स) का नूर ऐसा है कि यदि यह किसी के दिल पर पड़े, तो वह फिर कभी भटकता नहीं। यह नूर सभी पैगंबरों से पहले है, और यह मार्गदर्शन करता है कि लोग सत्य की ओर आएं।"

"इमाम ख़ुमैनी (र) की प्रभावशीलता व्यक्तिगत, सामाजिक और वैश्विक स्तर पर थी। उनका प्रभाव समय और स्थान की सीमाओं से परे था। उनका प्रभाव दिलों और दिमागों पर था, और उन्होंने सही शिक्षा और नैतिकता के साथ लोगों के दिलों को प्रभावित किया।"

"क्रांति से पहले, ईरान में केवल कुछ सीमित संसाधन थे, लेकिन इस्लामी क्रांति ने ईरान को विकास और समृद्धि की दिशा में अग्रसर किया। क्रांति के बाद ईरान में बिजली, गैस, सड़कों और कई अन्य सुविधाओं का विस्तार हुआ। पहले, शाह के शासन में, लोगों का जीवन बहुत कठिन था और बाहरी शक्तियाँ देश की अर्थव्यवस्था और संसाधनों पर नियंत्रण रखती थीं।"

"इमाम ख़ुमैनी (र) का तरीका लोगों को जागरूक करने में बहुत प्रभावी था, और उन्होंने अपनी क्रांति को व्यक्तिगत से लेकर सामाजिक और फिर राष्ट्रीय स्तर तक फैलाया। उनका तरीका वही था जो हज़रत मुहम्मद (स) ने मक्का और मदीना में अपनाया था।"

"हमारे पास इमाम ख़ुमैनी (र) जैसे नेतृत्व थे, जो धीरे-धीरे क्रांति की विचारधारा को फैलाते गए, और यह क्रांति मराज ए तक़लीद (धार्मिक विद्वानों) द्वारा पूरी तरह से समर्थित थी।"

"मैंने 1967 ई में तालीम शुरू की और 1972 ई में क़ुम में आकर इमाम ख़ुमैनी (र) के विचारों को समझने का मौका पाया। उन दिनों में हम उनके संदेशों को समझते हुए इंकलाबी विचारधारा को फैलाते थे। जब इमाम क़ुम लौटे, तो हम उनके स्वागत में गए थे, और उस दिन हम सभी बहुत चिंतित थे क्योंकि दुश्मन उनके विमान को गिरा सकते थे। लेकिन जैसे ही इमाम क़ुम पहुंचे, लोगों ने ‘इस्लामी क्रांति ज़िंदाबाद’ के नारे लगाए, और फिर क्रांति ने जीत हासिल की।"

"इमाम ख़ुमैनी (र) के प्रभाव और नेतृत्व ने न केवल ईरान, बल्कि दुनिया भर के लोगों को जागरूक किया और इस्लामी क्रांति के सिद्धांतों को फैलाया।"

इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने इस बात की ओर इशारा करते हुए कि ईरानी राष्ट्र कभी भी विदेशियों के सामने नहीं झुकेगा, कहा: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प अगर बातचीत की कोशि में हैं, तो उन्होंने ये गलतियां क्यों कीं?

ईरान के राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान ने सोमवार को इस्लामिक क्रांति की सफलता की 46वीं वर्षगांठ पर इस बात पर ज़ोर दिया कि ईरान, गुंडागर्दी और ज़ोरज़बरदस्ती के ख़िलाफ पूरी ताकत से खड़ा है और वरिष्ठ नेता इमाम ख़ामेनेई के नेतृत्व में साजिशों के ख़िलाफ़ डटा रहेगा।

उनका कहना था कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प बातचीत की बात करते हैं, लेकिन साथ ही वह ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों और साज़िशों के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर भी कर रहे हैं ।

राष्ट्रपति ने यह कहते हुए कि अमेरिका शांति प्रिय होने का दावा करता है, कहा: इस क्षेत्र की शांति किसने भंग की? इस क्षेत्र और ग़ज़ा में हत्या और विनाश का कारण कौन है? दुनिया का कौन सा स्वतंत्र व्यक्ति यह स्वीकार करता है कि आप महिलाओं, बच्चों और बीमारों पर बम बरसाते रहें?

राष्ट्रपति ने कहा कि हम कभी भी विदेशियों के सामने नहीं झुकेंगे। उन्होंने कहा कि दुश्मन ईरान पर हमला करने की अपनी इच्छा दफ़न कर दें।

राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान ने कहा: 22 बहमन अल्लाह का दिन है, क्योंकि ईरान के सभी लोग बिना किसी भेदभाव के मैदान में उतरे और अपनी ताकत, एकजुटता और एकता के बल पर विदेशियों के हाथ काट दिये और अत्याचारियों को देश से बाहर निकाल दिया।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने कहा: हम युद्ध की कोशिश में नहीं हैं, यह ज़ायोनी शासन था जिसने ईरान में नई सरकार की गतिविधियों के पहले ही दिन तेहरान में हमास आंदोलन के प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या कर दी थी।

राष्ट्रपति ने कहा, ये खुद आतंकवादी हैं और फिर हमें आतंकवादी कहते हैं। उन्होंने ईरान में कई लोगों की हत्या की, हम आतंक के शिकार हैं।

ईरान के राष्ट्रपति ने कहा: ट्रम्प का दावा है कि ईरान ने क्षेत्र की सुरक्षा बिगाड़ दी है जबकि अमेरिका के समर्थन से इज़राइल असुरक्षा का मुख्य कारण है और ग़ज़ा, लेबनान, सीरिया, ईरान और जहां भी वह चाहता है वहां के मज़लूमों पर बमबारी करता है।

इस्लामी क्रांति की सालगिरह के मौके पर क़ुम के लोगों ने 22 बहमन की रैली में भरपूर और व्यापक रूप से भाग लेकर क्रांति और इस्लामी व्यवस्था के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया।

एक रिपोर्ट के अनुसार , इस्लामी क्रांति की सालगिरह के अवसर पर क़म के लोगों ने 22 बहमन की रैली में भरपूर और व्यापक रूप से भाग लेकर क्रांति और इस्लामी व्यवस्था के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया।

रैली में शामिल लोग ईरान के झंडे और क्रांतिकारी नारों वाले बैनर हाथ में लिए हुए मुख्य रास्ते पर चल रहे थे इस मौके पर युवाओं, बच्चों और बुजुर्गों की भारी भागीदारी ने एकता और अखंडता का दृश्य प्रस्तुत किया।

यह रैली हर साल इस्लामी क्रांति की सालगिरह पर पूरे ईरान में आयोजित की जाती है और क़म, जो एक महत्वपूर्ण धार्मिक और क्रांतिकारी शहर है यहाँ हमेशा जनता की बड़ी संख्या में भागीदारी होती है।

 प्रसारित की गई तस्वीरें और वीडियो क़म के लोगों की इमाम ख़ुमैनी र.ह. और रहबर मुअज्जम क्रांति के प्रति श्रद्धा और वफादारी को दर्शाती हैं।भागीदारों ने मर्ग बर अमरीका मर्ग बर इस्राइल और "इस्तेक़लाल, आज़ादी, जुम्हूरी इस्लामी" जैसे नारे लगाकर इस्लामी व्यवस्था और क्रांतिकारी दृष्टिकोण का समर्थन किया।

यह भव्य रैली एक बार फिर इस तथ्य को उजागर करती है कि ईरानी जनता एकता और अखंडता के साथ दुश्मनों की हर साजिश का सामना कर रही है और इस्लामी क्रांति के उद्देश्यों की रक्षा कर रही है।

 

ईरान में आज, 10 फरवरी 2025 को, इस्लामी क्रांति की 46वीं वर्षगांठ बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाई जा रही है इस आजादी के मौके पर बुजुर्ग बच्चे महिलाएं बड़े उत्साह और जोश के साथ शामिल हो रहे हैं।

ईरान में आज, 10 फरवरी 2025 को, इस्लामी क्रांति की 46वीं वर्षगांठ बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाई जा रही है इस आजादी के मौके पर बुजुर्ग बच्चे महिलाएं बड़े उत्साह और जोश के साथ शामिल हो रहे हैं।

1979 में हुई इस क्रांति ने देश में कई वर्षों से चली आ रही राजशाही शासन व्यवस्था को समाप्त कर दिया था जिसके परिणामस्वरूप ईरान एक इस्लामी गणराज्य बना।

इस अवसर पर, पूरे देश में दस दिवसीय अशर ए फज्र समारोह आयोजित किए जा रहे हैं जो 1 फरवरी से शुरू होकर 11 फरवरी तक चलते रहे। इन समारोहों में विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम शामिल हैं, जिनमें परेड, प्रदर्शनी, और विशेष प्रार्थनाएं शामिल हैं।

इस्लामी क्रांति की 46वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में, ईरान ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियों को प्रदर्शित किया है, जिनमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, और रक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति शामिल है। इन उपलब्धियों ने देश की स्वायत्तता और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर ईरान के नागरिक अपने देश की स्वतंत्रता, संप्रभुता, और इस्लामी क्रांति के आदर्शों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं, और आने वाले वर्षों में और भी प्रगति की आशा करते हैं।

इस खुशी के अवसर पर हम अपनी हौजा न्यूज़ एजेंसी की पूरी टीम की तरफ से सभी लोगों की खिदमत में बधाई पेश करते हैं।

हौज़ा ए इल्मिया की शोधकर्ता और शिक्षका ने कहा: 22 बहमन की रैली में पूरे राष्ट्र की व्यापक भागीदारी इस्लामी क्रांति के सभी महान शहीदों से नये सिरे से वचनबद्धता का प्रतीक है।

नरजिस शकरज़ादे ने ख़बरगुज़ारी हौज़ा के संवाददाता से बातचीत में कहा कि ईरानी जनता कल की रैली में एक बार फिर यह साबित करेगी कि वह अपने देश की उन्नति और इस्लामी क्रांति की सच्चाई की रक्षा के मार्ग पर पूरी ताकत के साथ डटी हुई है।

उन्होंने कहा, 22 बहमन की रैली में जनता विशेष रूप से युवाओं की व्यापक भागीदारी इस बात का संकेत है कि हम अपनी क्रांति के साथ खड़े हैं और अमेरिका तथा पश्चिमी ताकतों की धमकियों व प्रतिबंधों से प्रभावित नहीं होते।

उन्होंने आगे कहा कि हालांकि कुछ प्रशासनिक अव्यवस्थाओं के कारण आर्थिक हालात ने जनता पर दबाव बढ़ाया है फिर भी लोग यह समझते हैं कि अमेरिका से वार्ता और समझौता देश की समस्याओं का हल नहीं है। समस्याओं का समाधान सही योजनाओं, उचित प्रबंधन और देशी संसाधनों के उचित उपयोग में निहित है।

शकरज़ादे ने जोर देकर कहा कि 22 बहमन की रैली में भाग लेना इस्लामी क्रांति के सभी शहीदों से नये सिरे से वचनबद्धता का प्रतीक है।उन्होंने कहा 22 बहमन जनता के लिए अपने दुश्मनों के खिलाफ संघर्ष के मैदान में उतरने का सही अवसर है क्योंकि यह ऐतिहासिक रैली वस्तुत दुश्मनों के खिलाफ एक "सॉफ़्ट वॉर" का मोर्चा है।

इस दिन जनता क्रांति की सफलता का जश्न मनाते हुए विशेष रूप से इमाम ख़ुमैनी र.ह.और महान शहीदों के आदर्शों के प्रति अपनी निष्ठा दोहराती है और सर्वोच्च नेता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दुनिया के सामने प्रस्तुत करती है।

जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की गाज़ा पट्टी से फिलिस्तीनियों को स्थानांतरित करने की योजना की आलोचना करते हुए इसे घोटाला बताया हैं।

जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की गाज़ा पट्टी से फिलिस्तीनियों को स्थानांतरित करने की योजना की आलोचना करते हुए इसे घोटाला बताया हैं।

शोल्ज़ और विपक्षी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन के नेता फ्रेडरिक मर्ज़ ने 23 फरवरी को बुंडेस्टैग चुनावों से पहले रविवार शाम को पहली टेलीविज़न बहस में हिस्सा लिया चर्चा किए गए प्रमुख विषयों में से एक यह था कि ट्रम्प के प्रशासन के तहत जर्मनी को संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ कैसे जुड़ना चाहिए।

एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य पूर्व के मुद्दे को संबोधित करते हुए स्कोल्ज़ ने ट्रम्प के गाज़ा प्रस्ताव के प्रति अपने विरोध की पुष्टि की हैं।

शुक्रवार को एक अभियान कार्यक्रम में बोलते हुए स्कोल्ज़ ने अपनी अस्वीकृति व्यक्त करते हुए कहा,हमें गाजा की आबादी को मिस्र में नहीं बसाना चाहिए और योजना को पूरी तरह से अस्वीकार किया।

रविवार की बहस के दौरान शोल्ज़ ने ट्रम्प से निपटने के लिए अपनी रणनीति को स्पष्ट शब्दों और मैत्रीपूर्ण बातचीत के रूप में वर्णित किया।

मर्ज़ ने ट्रम्प के प्रस्ताव पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे अमेरिकी प्रशासन के परेशान करने वाले प्रस्तावों की एक श्रृंखला का हिस्सा बताया हालांकि उन्होंने सुझाव दिया कि जर्मनी को यह देखने के लिए प्रतीक्षा करनी चाहिए कि अमेरिकी सरकार किन योजनाओं को गंभीरता से आगे बढ़ाने का इरादा रखती है।

संभावित अमेरिकी टैरिफ के मुद्दे पर शोल्ज़ ने पुष्टि की कि यूरोपीय संघ यदि आवश्यक हो तो एक घंटे के भीतर कार्रवाई करने के लिए तैयार है।

इस बीच मर्ज़ ने यूरोपीय एकता के महत्व पर जोर दिया जिसमें ब्रेक्सिट के बावजूद ब्रिटेन के साथ सहयोग शामिल है चुनौतियों से निपटने के लिए एक आम यूरोपीय रणनीति का आह्वान किया।