
رضوی
मोसाद के ठिकाने के निकट हमला, 6 ज़ायोनी आतंकियों की मौत कई घायल
तल अवीव में मोसाद के ठिकाने के निकट एक ट्रक की मदद से हुए हमले में इस्राईल के बहुचर्चित 8200 यूनिट के 6 आतंकी मारे गए जबकि 50 के आसपास घायल हैं।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार तल अवीव के उत्तर में एक बस स्टेशन पर 50 से अधिक ज़ायोनी उपस्थित थे जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वह सभी ज़ायोनी सेना की यूनिट 8200 के सैनिक थे हिब्रू सूत्रों के मुताबिक ट्रक की सहायता से किये गए इस हमले में 6 ज़ायोनी सैनिक घटनास्थल पर ही मारे गए।
हिब्रू भाषी सूत्रों ने मक़बूज़ा फिलिस्तीन के केंद्र तल अवीव के उत्तर में गिलोट चौराहे के पास एक खतरनाक सुरक्षा घटना की सूचना दी है। इन सूत्रों ने जोर देते हुए कहा कि सैन्य सेंसरशिप के कारण इस घटना के विवरण देने पर रोक लगा दी गयी है।
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में हुए हमलों में कम से कम 15 सुरक्षाकर्मी मारे गए
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पिछले 48 घंटों में हुए हमलों में कम से कम 15 सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं, जिससे अशांति से ग्रस्त क्षेत्र में कानून प्रवर्तन एजेंसियों में हड़कंप मच गया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पिछले 48 घंटों में हुए हमलों में कम से कम 15 सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं, जिससे अशांति से ग्रस्त क्षेत्र में कानून प्रवर्तन एजेंसियों में हड़कंप मच गया है।
डेरा इस्माइल खान में एक सुरक्षा चौकी पर लक्षित हमले में कम से कम 10 फ्रंटियर कांस्टेबुलरी के जवान मारे गए और तीन घायल हो गए। पाकिस्तान के गृह मंत्रालय के अनुसार छह जवान दक्षिण वजीरिस्तान के थे जबकि चार करक शहर के थे।
मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया हम एफसी के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं बलिदान केवल आतंकवाद को खत्म करने के लिए बलों के दृढ़ संकल्प को मजबूत करता है।
इस हमले की तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने हमले की जिम्मेदारी ली है और इसे बाजौर जिले में सुरक्षा बलों द्वारा किए गए सैन्य अभियान का बदला बताया है जिसमें उसके कम से कम नौ सदस्य मारे गए थे।
दौरे हाज़िर में विद्यार्थियों के लिए मीडिया को समझना बहुत ज़रूरी
ईरान के शहर यज़्द में मीडिया साक्षरता के विशेषज्ञ ने (तलीया हुज़ूर) नामक सम्मेलन में छात्रों के एकत्रित समूह से बातचीत करते हुए कहा कि आधुनिक युग में छात्रों के लिए मीडिया को समझना अत्यंत आवश्यक है।
एक रिपोर्ट के अनुसार,मीडिया साक्षरता के विशेषज्ञ मोहम्मद हादी फ़ज़लुल्लाह नेज़ाद ने ईरान के शहर यज़्द में (तलिया हुज़ूर) नामक सम्मेलन में छात्रों के एकत्रित समूह को संबोधित करते हुए कहा,आप मीडिया युग के विद्वान हैं आज मीडिया प्रौद्योगिकी के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है और तकनीक ने बहुत प्रगति कर ली है।
उन्होंने आगे कहा,मीडिया और प्रौद्योगिकी की प्रगति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण कृत्रिम बुद्धिमत्ता या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है जो कई मामलों में चमत्कार जैसा प्रतीत होता है।
मीडिया साक्षरता के इस विशेषज्ञ ने कहा,जो लोग ईश्वर पर विश्वास नहीं करते उन्हें कई बार ऐसा लगता है कि मनुष्य शायद विभिन्न क्षेत्रों में ईश्वरीय कार्य कर सकता है।
उन्होंने कहा,आपको आधुनिक मीडिया के विद्वानों के रूप में ऐसे प्रश्नों अपेक्षाओं और लोगों का सामना करना है जिनके विचार और मान्यताएँ पिछले दशकों के लोगों से बहुत अलग हैं, और आपको खुद को इस क्षेत्र के लिए तैयार करना होगा।
फ़ज़लुल्लाह नेज़ाद ने मीडिया की समझ को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हुए कहा,जनता का विद्वानों के साथ सीधा संपर्क आवश्यक है। आपकी कुछ जानकारी ज्ञान की अवधारणा से संबंधित है। जरूरी है कि आप इसकी इतिहास से जागरूक हों और तकनीकी दृष्टि से इसके बारे में जानें आपकी तकनीकी जानकारी स्कूल और विश्वविद्यालय के छात्रों से अधिक होनी चाहिए।
आपको इसमें विशेषज्ञता प्राप्त होनी चाहिए क्योंकि आपको प्रशिक्षण देना है प्रशिक्षक तैयार करना है और माता पिता को यह सिखाना है कि इस खतरनाक युग में बच्चों के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए।
ताइवान ने अमेरिका से किया रक्षा सौदा, चीन के साथ बढ़ेगा तनाव
अमेरिका ने मिडिल ईस्ट और रूस यूक्रेन युद्ध की आग भड़काने के बाद अब चीन ताइवान के बीच भी तनाव को हवा देना तेज़ कर दिया है। चीन से तनाव के बीच अमेरिका ने ताइवान को 2 अरब डॉलर के खतरनाक हथियार देने के सौदे को मंज़ूरी दे दी है। वाशिंगटन ने ताइवान के करीब 2 अरब डॉलर की आर्म डील को मंजूरी दे दी गयी है। इसमें तीन एडवांस डिफेंस सिस्टम और रडार शामिल है। अमेरिका के इस कदम से चीन नाराज हो सकता है। चीन वन चाइना पॉलिसी के तहत ताइवान पर संप्रभुता का दावा करता रहा है।
उत्तरी गाज़ा में विनाशकारी मानवीय संकट
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटरेस ने रविवार को उत्तरी गाज़ा में बढ़ते जनसंहार और तबाही पर गहरा दुःख और चिंता व्यक्त किया है उन्होंने इज़राइली अधिकारियों पर मानवीय सहायता की आपूर्ति में लगातार बाधा डालने की आलोचना की हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार,संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटरेस ने रविवार को उत्तरी गाज़ा में बढ़ते जनसंहार और तबाही पर गहरा दुःख और चिंता व्यक्त किया है उन्होंने इज़राइली अधिकारियों पर मानवीय सहायता की आपूर्ति में लगातार बाधा डालने की आलोचना की हैं।
एंतोनियो गुटरेस ने अपने बयान में चेतावनी दी कि इज़राइल के उत्तरी गाज़ा में जारी सैन्य कार्रवाई के परिणामस्वरूप वहां फंसे हुए फिलिस्तीनी नागरिकों की स्थिति असहनीय हो गई है।
महासचिव ने जबालिया, बेइत लाहिया, और बेइत हनून जैसे क्षेत्रों की गंभीर स्थिति पर रौशनी डाली है जहां नागरिक मलबे के नीचे दबे हुए हैं और उन्हें बुनियादी चिकित्सा सहायता, भोजन या आश्रय तक पहुंच नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि इज़रायली अधिकारी लगातार मानवीय सहायता में बाधा डाल रहे हैं।
गुतरेस ने इस बात पर भी चिंता जताई कि पोलियो टीकाकरण अभियान में देरी ने हज़ारों बच्चों को खतरे में डाल दिया है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्तमान संघर्ष अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों की अनदेखी करते हुए जारी है और उन्होंने तत्काल युद्धविराम और सभी बंधकों की बिना शर्त रिहाई की मांग की है।
महासचिव ने राहतकर्मियों की सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता पर भी जोर दिया और कहा कि मानवीय कार्यों के लिए सुरक्षित परिस्थितियां बनाई जाएं।
ध्यान देने योग्य है कि इज़राइली सरकार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तत्काल युद्धविराम के प्रस्ताव के बावजूद अमानवीय अपराध करती जा रही है, और उसके खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में नरसंहार का मामला भी चल रहा है।
25 ज़ायोनी क़स्बों को ख़ाली करने हेतु हिज़्बुल्लाह की अभूतपूर्व मांग
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह ने 25 अतिग्रहित क़स्बों में रहने वाले ज़ायोनियों से मांग की है कि वे इन क़स्बों को ख़ाली कर दें।
हिज़्बुल्लाह ने एक वीडियो जारी करके कहा है कि वह 25 अतिग्रहित क़स्बों में रहने वाले ज़ायोनियों का आह्वान करता है कि वे इन क़स्बों को ख़ाली कर दें क्योंकि ये क़स्बे दुश्मन सैनिकों के इकट्ठा होने के स्थान में बदल गये हैं।
हिज़्बुल्लाह ने कहा है कि यह 25 क़स्बे प्रतिरोध के हवाई और प्रक्षेपास्त्रिक वैध लक्ष्यों में परिवर्तित हो गये हैं।
उल्लेखनीय है कि ज़ायोनी सरकार के लेबनान पर ज़मीनी हमलों के जवाब में इन हमलों के जवाब में हिज़्बुल्लाह ने 70 से अधिक ज़ायोनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया है और 600 से अधिक सैनिकों व अफ़सरों को घायल कर दिया है।
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के जियालों ने ज़ायोनी सैनिकों से लड़ाई में 28 मिर्कावा टैंकों, 4 बुल्डोज़रों, एक बक्तरबंद वाहन, तीन हेर्मस 450 और एक हेर्मस 900 ड्रोनों को ध्वस्त कर दिया।
ज़ायोनी सैनिकों से ज़मीनी लड़ाई में हिज़्बुल्लाह को मिलने वाली सफ़लता इस बात का कारण बनी है कि हिज़्बुल्लाह अपने मिसाइली हमलों में अधिक से अधिक ज़ायोनी क़स्बों पर हमले कर सकता है। इसी परिप्रेक्ष्य में हिज़्बुल्लाह ने अपने मिसाइलों की रेन्ज बढ़ा दी है और तेलअवीव से दूर के क्षेत्रों को भी अपने मिसाइलों से लक्ष्य बना रहा है।
यह उस हालत में है जब इससे पहले भी हिज़्बुल्लाह ने अतिग्रहित उत्तरी फ़िलिस्तीन में ज़ायोनी सैनिकों के लिए हालात को बहुत कठिन बना दिया था और उसकी जवाबी कार्यवाहियां लेबनान की सीमा के निकट रहने वाले ज़ायोनियों के बेघर होने का कारण बनीं थीं।
कुछ आंकड़े इस बात के सूचक हैं कि लेबनान की सीमा के निकट रहने वाले लगभग 70 प्रतिशत ज़ायोनी इन क्षेत्रों से निकल गये हैं। इस आधार पर कुछ ज़ायोनी क़स्बों के ख़ाली करने पर आधारित हिज़्बुल्लाह की मांग अभूतपूर्व है।
हिज़्बुल्लाह द्वारा ज़ायोनी क़स्बों के ख़ाली करने पर आधारित मांग इस बात की सूचक है कि हिज़्बुल्लाह अतिग्रहित ज़ायोनियों के 25 क़स्बों में अपने हमलों में वृद्धि करने का इरादा रखता है।
अपेक्षा इस बात की है कि ज़ायोनियों के अतिग्रहित क़स्बों में हिज़्बुल्लाह द्वारा हमलों में वृद्धि के बाद इन क़स्बों से और अधिक संख्या में ज़ायोनी दूसरे क्षेत्रों में विस्थापित होंगे।
हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैय्यद हसन नस्रुल्लाह और उसके वरिष्ठ कमांडरों की शहादत के बाद ज़मीन और आसमान में कामयाबी हासिल करने के लिए हिज़्बुल्लाह का मनोबल बहुत ऊंचा हो गया है।
ज़ायोनी प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू के आवास पर हवाई हमला और इसी प्रकार गोलानी ब्रिगेड के ठिकाने पर हमला हालिया सप्ताह में हिज़्बुल्लाह को मिलने वाली कामयाबी के महत्वपूर्ण नमूने हैं।
हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैय्यद हसन नस्रुल्लाह को शहीद किये जाने के बाद ज़ायोनी प्रधानमंत्री ने क्षेत्र में नवीन व्यवस्था की बात की थी परंतु ज़मीन पर व्यापक युद्ध आरंभ हो जाने के बाद ज़ायोनी सैनिक प्रतिरोध के शूरवीरों से मुक़ाबले में नाकाम हो गये हैं।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई शहीद सैनिकों के परिजनों से मिले
ईरान पर इस्राईल के आतंकी हमलों के बाद पूरी दुनिया की नज़र ईरान की इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनेई के बयान पर टिकी थी। ईरान पर हुए आतंकी हमले के बाद सभी को ईरान के सुप्रीम लीडर बयान का इंतजार था। रविवार सुबह हमले में शहीद होने वाले सैनिकों के परिजनों से मिलने के बाद सुप्रीम लीडर ने हमले के बारे में कहा कि इस आतंकी हमले को न तो बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाना चाहिए और न ही इसे कम करके आंकना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अवैध राष्ट्र ने हमारी शक्ति का गलत आंकलन किया है। ज़िम्मेदार अधिकारियों को चाहिए कि वह ऐसा उपाय करें कि अवैध राष्ट्र को हमारी शक्ति अच्छी तरह अहसास हो जाए।
उन्होंने कहाकि ईरान स्थिति का गंभीरता से आंकलन कर रहा है। ग़ज़्ज़ा और लेबनान को ईरानी समर्थन को जारी रखने की बात कहते हुए सुप्रीम लीडर ने यहाँ जारी ज़ायोनी सेना के अभियान और फिलिस्तीन जनता के जनसंहार को रोकने के प्रयासों पर भी जोर दिया।
ग़ज़्ज़ा में जनसंहार जारी, ज़ायोनी सेना ने 45 लोगों की हत्या की
फिलिस्तीन में लगभग एक साल से अधिक समय से ज़ायोनी सेना की ओर से आम फिलिस्तीनी नागरिकों का जनसंहार जारी है। अब तक 45 हज़ार से अधिक बेगुनाह लोग ज़ायोनी सेना के हाथों मारे जा चुके हैं। उत्तरी ग़ज़्ज़ा की रिहायशी इमारतों पर बम बरसाते हुए एक बार फिर अवैध राष्ट्र इस्राईल ने 45 लोगों की जान ले ली है।
अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक़ ज़ायोनी सेना ने ग़ज़्ज़ा में नागरिक इमारतों को निशाना बनाते हुए हमला किया, जिसमें 45 नागरिकों की जान चली गई और कई मलबे के नीचे दफन हो गए। पिछले एक साल से ग़ज़्ज़ा में मानवीय संकट अपने चरम पर पहुँच चुका है लेकिन अवैध राष्ट्र इस्राईल के बर्बर हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
देश के अधिकारियों को लोगों की मनोवैज्ञानिक सुरक्षा बनाए रखनी चाहिए
सुरक्षा शहीदों के परिवारों के एक समूह ने आज सुबह (रविवार) इमाम खुमैनी के हुसैनीया में इस्लामी क्रांति के नेता अयातुल्ला खामेनेई से मुलाकात की।
इस्लामी क्रांति के नेता ने आज सुबह सुरक्षा शहीदों के परिवारों के साथ एक बैठक में कहा: दो रात पहले ज़ायोनी शासन की बुराई को न तो बढ़ाया जाना चाहिए और न ही कम किया जाना चाहिए। उन्हें ईरानी राष्ट्र और देश के युवाओं की ताकत, इच्छाशक्ति और पहल को समझना चाहिए।
आयतुल्लाह ख़ामेनई ने कहा: सुरक्षा के लिहाज से, समाज की मनोवैज्ञानिक सुरक्षा बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। लोगों के दिलों मे डर और संदेह पैदा करना खारिज कर दिया गया है और कुरान इस संबंध में स्पष्ट है।
दो रात पहले ज़ायोनी शासन के बुरे कदम के संबंध में क्रांति के नेता ने कहा: बढ़ा चढ़ा कर बताना और कम करके बताना दोनों गलत हैं, ज़ायोनी शासन की गणना त्रुटि को ठीक किया जाना चाहिए, हमें उन्हें ईरानी राष्ट्र की शक्ति, क्षमता, पहल और इच्छाशक्ति का एहसास कराना चाहिए। दूसरा बिंदु इस कदम से संबंधित है, उन्होंने दो रात पहले यहां जो किया वह दुष्ट है। खैर उन्होंने गलती की, बेशक वे उसको बढ़ा चढ़ा रहे हैं जोकि गलत है, लेकिन ध्यान दें कि इसको कम करके बताना भी गलत है। हम कहते हैं: "नहीं; कुछ भी नहीं था, कोई फ़र्क नहीं पड़ता'' ये भी ग़लत है।
क्रांति के नेता ने कहा: ज़ायोनी शासन की गणना त्रुटि का समाधान किया जाना चाहिए। ईरान की तुलना में उनकी गणना में त्रुटि है। वे ईरान को नहीं जानते, वे ईरान के युवाओं को नहीं जानते, वे ईरानी राष्ट्र को नहीं जानते, वे अभी भी ईरानी राष्ट्र की ताकत, क्षमता, पहल और इच्छाशक्ति को ठीक से समझ नहीं पाए हैं। हमें उन्हें यह समझाना होगा।'
उन्होंने कहा: हमारे अधिकारियों को काम की गुणवत्ता को पहचानना चाहिए और वही करना चाहिए जो इस देश और इस देश की जनता के लिए सबसे अच्छा हो। [ज़ायोनीवादियों] को अवश्य जानना चाहिए कि ईरानी राष्ट्र कौन है, ईरानी युवा कैसे हैं, यह विचार, यह प्रेरणा, यह साहस, यह तैयारी जो आज ईरानी राष्ट्र में मौजूद है, वह स्वयं एक सुरक्षा निर्माता है। हमें इसकी रक्षा करनी चाहिए।
आयतुल्लाह खामेनेई ने कहा: साइबर स्पेस के संबंध में निर्णय लेने वालों को समाज की मनोवैज्ञानिक सुरक्षा के मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए। देश के अधिकारियों को लोगों की मनोवैज्ञानिक सुरक्षा बनाए रखनी चाहिए। जो लोग साइबरस्पेस से जुड़े हैं उन्हें इन बातों पर ध्यान देना चाहिए, हर बात साइबरस्पेस में प्रकाशित नहीं होनी चाहिए। देखिए इसका असर क्या होता है, इसका लोगों की सोच पर, लोगों की भावना पर क्या असर होता है। जो लोग वर्चुअल स्पेस के बारे में निर्णय लेना चाहते हैं, जिसका अब अक्सर उल्लेख और चर्चा की जाती है, वे मामले के इस पहलू पर ध्यान दें, इस बात पर ध्यान दें कि साइबर स्पेस में, एक गलत विश्लेषण, एक गलत खबर, किसी मुद्दे की गलत धारणा लोगों को चिंतित, संदेह और भयभीत कर सकती है।
श्रीलंका में हसन नसरल्लाह की याद में शोक समारोह आयोजित किया
7 अक्टूबर को श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में हिज़्बुल्लाह लेबनान के महासचिव शहीद सैयद हसन नसरल्लाह और फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता के लिए एक समारोह आयोजित किया गया इस समारोह का उद्देश्य इजरायली आक्रामकता की निंदा करना और प्रतिरोध की जज़्बो को उजागर करना है।
एक रिपोर्ट के अनुसार , श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में 7 अक्टूबर को तूफान अलअक्सा और हिज़्बुल्लाह लेबनान के महासचिव शहीद सैयद हसन नसरल्लाह और फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता के लिए एक स्मारक समारोह आयोजित किया गया।
इस समारोह का उद्देश्य इजरायली आक्रामकता की निंदा करना और प्रतिरोध की भावना को उजागर करना था।
इस समारोह में श्रीलंका की विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक हस्तियों के अलावा जन संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भी भाग लिया जिन्होंने फिलिस्तीनी जनता और सैयद हसन नसरल्लाह के मिशन के समर्थन में अपने विचार व्यक्त किए।
वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि शहीदों के मिशन को जारी रखना आवश्यक है और फिलिस्तीनियों के अधिकारों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाई जानी चाहिए।
श्रीलंका की जनता ने इस अवसर पर सैयद हसन नसरल्लाह की साहस और दृढ़ता को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जाएगा और उनके मिशन को दुनिया भर में फैलाया जाएगा।
साथ ही वक्ताओं ने यह संकल्प व्यक्त किया कि फिलिस्तीनी जनता का समर्थन और उनकी भूमि की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास जारी रहेंगे।
समारोह में प्रतिभागियों ने फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर इजरायल के जारी हमलों और मानवाधिकारों के उल्लंघन की कड़ी आलोचना की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मांग की कि वह फिलिस्तीनी जनता की समस्याओं पर ध्यान दे और उनकी तत्काल मदद करे।