وَهُوَ الَّذِي أَنزَلَ مِنَ السَّمَاءِ مَاءً فَأَخْرَ‌جْنَا بِهِ نَبَاتَ كُلِّ شَيْءٍ فَأَخْرَ‌جْنَا مِنْهُ خَضِرً‌ا نُّخْرِ‌جُ مِنْهُ حَبًّا مُّتَرَ‌اكِبًا

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और वही है जिसने आकाश से पानी बरसाया, फिर हमने उसके द्वारा हर प्रकार की वनस्पति उगाई; फिर उससे हमने हरी-भरी पत्तियाँ निकाली और तने विकसित किए, जिससे हम तले-ऊपर चढे हुए दान निकालते है - और खजूर के गाभे से झुके पड़ते गुच्छे भी - और अंगूर, ज़ैतून और अनार के बाग़ लगाए, जो एक-दूसरे से भिन्न भी होते है। उसके फल को देखा, जब वह फलता है और उसके पकने को भी देखो! निस्संदेह ईमान लानेवाले लोगों को लिए इनमें बड़ी निशानियाँ है [6:99]

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क़ुरआन की शरण में

जो वादे और समझौते तोड़ते हैं, उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता?
जो वादे और समझौते तोड़ते हैं, उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता?
पवित्र कुरान घमंडी और बेवफ़ा लोगों को दुश्मन बताता है जो कसमों, वादों और समझौतों की परवाह नहीं करते और लगातार धोखा देते हैं। क्योंकि…