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मिडिल ईस्ट में जारी जनसंहार को रोकने के लिए अरब और मुस्लिम देशों की यात्रा पर निकलते हुए ईरान के विदेश मंत्री ने कहा कि हम शांति चाहते हैं मिडिल ईस्ट में जारी जनसंहार रुकना चाहिए।  ईरानी विदेश मंत्री ने साथ ही अवैध राष्ट्र को खबरदार करते हुए कहा कि ईरान हर दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है हम जंग से डरने वाले नहीं हैं।

 ईरान के विदेश मंत्री अब्बास इराक़ची ने कहा कि ईरान के बुनियादी ढांचे पर किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

मीडिया प्रतिनिधियों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ईरान क्षेत्र में जारी तनाव को बढ़ाना नहीं चाहता, लेकिन हम युद्ध से नहीं डरते। हमारी सशस्त्र सेनाएं हर तरह की स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं।'

ईरान के राष्ट्रपति डॉ मसऊद पीजिशकियान ने लेबनान और फिलिस्तीन में जनसंहार कर रहे इस्राईल के समर्थन के लिए अमेरिका और यूरोप को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह अवैध राष्ट्र इस्राईल किसी नियम और क़ायदे को नहीं मंटा और भयानक जनसंहार मचाए हुए है और दूसरी तरफ से मानवाधिकार का दम भी भरता है।

अमेरिका और यूरोप को आड़े हाथों लेते हुए ईरानी नेता ने कहा कि मानवाधिकार के यह तथाकथित दावेदार हमे मानवाधिकार का पाठ पढ़ाते हैं हम किसी क़ातिल या अपराधी को मृत्यु दंड देते हैं तो बोलते हैं आप एक हत्यारे को भी फाँसी क्यों देते हैं?" यही उचित  समय है जब उन्हें बताया जाना चाहिए; "आप महिलाओं और बच्चों के जनसंहार के ख़िलाफ़ कुछ क्यों नहीं कहते?"

 

 

हज़रत अयतुल्लािहल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने देश की वायु सेना के कमांडर-इन-चीफ को (वादा-ए-सादिक़2) ऑपरेशन में इसराइल के खिलाफ शानदार प्रदर्शन करने पर निशान ए फ़तह से सम्मानित किया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरानी सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर को आयतुल्लाहिल उज़मा इमाम सैयद अली हुसैनी ख़ामेनेई ने एक समारोह में इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड कॉर्प्स IRGC के एयर चीफ कमांडर जनरल अमीर अली हाजी ज़ादेह को राष्ट्रीय सम्मान निशान-ए-फ़तह से नवाज़ा है।

ईरानी एयर चीफ को यह राष्ट्रीय सम्मान वादा-ए-सादिक़ 2 ऑपरेशन में शानदार प्रदर्शन के कारण दिया गया है।

ईरानी राष्ट्रीय सम्मान निशान-ए-फ़तह इस्लामी सेना के उन योद्धाओं को दिया जाता है जो युद्ध में उत्कृष्ट रणनीति और सफल ऑपरेशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

यह राष्ट्रीय सम्मान खजूर के तीन पत्तों, खुर्रमशहर की जामा मस्जिद के गुंबद और इस्लामी गणराज्य ईरान के झंडे से बना हुआ है जो बहादुरी और विजय का प्रतीक है।

 

सीरिया में विभिन्न स्थानों पर हुए हमलों में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए।

सीरियाई सरकारी टेलीविजन ने बताया कि देश की वायु रक्षा प्रणाली पश्चिमी होम्स पर को रोकने के लिए सक्रिय की गई थी जो कि अक्सर इजरायली हमलों और उत्तर-पश्चिमी सीरियाई प्रांत इदलिब में स्थित विद्रोहियों के ड्रोन हमलों का निशाना बनता है।

युद्ध निगरानी करने वाली संस्था सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने भी होम्स में सैन्य अकादमी के पास और पश्चिमी होम्स के आसपास के ग्रामीण इलाकों में विमान-रोधी गोलाबारी की सूचना दी हैं।

एक अलग घटना में ऑब्जर्वेटरी के अनुसार, होम्स के बाहरी इलाके में अलअमीनियाह क्षेत्र के पास एक वाहन को निशाना बनाकर ड्रोन हमला किया गया, जिसमें एक सीरियाई सैनिक की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए।

 

समाचार एजेंसी ने बताया कि घायलों में से दो की पहचान गैर सीरियाई नागरिकों के रूप में की गई है, जिनमें से एक ईरान समर्थक मिलिशिया का उच्च पदस्थ कमांडर माना जाता है।

इसके अलावा, वेधशाला के अनुसार, सीरिया-इराक सीमा पर एक और ड्रोन हमला हुआ जिसके बारे में और कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।

यह हमले क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच हुए हैं, क्योंकि इज़राइल ने ईरान और लेबनान के हिज़्बुल्लाह के साथ अपने क्षेत्रीय टकराव के हिस्से के रूप में सीरिया के खिलाफ अपने हमलों को बढ़ा दिया है।

 

 

 

 

 

सोमवार, 07 अक्टूबर 2024 17:55

यूरेनियम मिक्स बम

 एक रिपोर्ट में लेबनानी टीवी चैनल ने ग़ज़ा और लेबनान में ज़ायोनी शासन द्वारा यूरेनियम से मिक्स बमों के इस्तेमाल का एलान किया है।

अल-मयादीन टीवी चैनल ने एक रिपोर्ट में ग़ज़ा और लेबनान में ज़ायोनी शासन द्वारा यूरेनियम-मिक्स बमों के उपयोग और स्थानीय लोगों पर इसके प्रभाव की सूचना दी है।

पार्सटुडे के अनुसार, इस टीवी चैनल ने इस रिपोर्ट में बताया है कि ग़ज़ा और लेबनान में इज़राइल के हमलों की वजह से हुए कुछ विस्फोटों से निकले रंग, जो नारंगी और पीले रंग के बीच हैं, सामान्य बमों के विस्फोट का इशारा नहीं हैं, बल्कि ऐसे बमों के विस्फोट का इशारा देते हैं जिनमें निचले स्तर के संवर्धित यूरेनियम की मात्रा शामिल है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक इन बमों के विस्फोट से लोगों पर कई तरह के असर सामने आ रहे हैं। एक प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, इज़राइल ने इस तरह के बम का इस्तेमाल एक साल पहले ग़ज़ा में किया था और कुछ दिन पहले लेबनानी जनता पर फिर से गिराया गया है।

समीक्षाओं के अनुसार, ये "एमके-84" बम हैं, जिनका वजन 2000 पाउंड या 907 किलोग्राम का है।

 

 

अक्सर अपने विवादित बयानों और धार्मिक नफरत फ़ैलाने के लिए चर्चा में रहने वाले डासना के पुजारी के खिलाफ देश भर में कड़ी कार्रवाई की मांग ज़ोर पकड़ रही है।  इसी संदर्भ में उत्त्तर प्रदेश के कैराना से सपा सांसद इकरा हसन ने कहा कि यति नरसिंहानंद जैसे ढोंगी पाखंडी लोगों ने एक बार फिर से अपनी जुबान से नफरत का जहर उगला है। उन्होंने नबी ए पाक की शान में गुस्ताखी की है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नरसिंहानंद के खिलाफ UAPA, NSA की गंभीर धाराओं के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए।

इक़रा ने कहा कि रसूले इस्लाम दुनिया में रहमत और शांति का पैगाम लेकर आए थे, उनकी शान में नरसिंहानंद अपनी गंदी जुबान से अपमान कर रहा है, जो कि हर अमन पसंद हिंदुस्तानी फिर चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान हर एक के लिए यह न काबिले बर्दाश्त है।

मलेशिया के प्रधान मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि मुसलमानों को हमेशा दृढ़ रहना चाहिए और एकता के अर्थ और आवश्यकता को समझना चाहिए, एकता विकास के लिए एक महत्वपूर्ण शर्त है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार, मलेशिया के प्रधान मंत्री अनवर इब्राहीम ने कुआलालंपुर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में देश की 64वीं कुरान हिफ़्ज़ और क़िराअत प्रतियोगिता के उद्घाटन पर कहा, इस्लामी देशों के बीच भ्रम और विभाजन हमलों, अपमान और दुश्मनों का प्रभुत्व का एक कारक बन सकता है। जैसा कि हम गाजा, फ़िलिस्तीन और अब लेबनान में देख रहे हैं।

उन्होंने जोर दिया, मुसलमानों को हमेशा दृढ़ रहना चाहिए और एकता के अर्थ और आवश्यकता को समझना चाहिए जो एक स्थायी अर्थव्यवस्था के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण शर्त है।

उन्होंने कहा मुसलमानों को किसी भी कार्य को करने में समझ धैर्य और चातुर्य होना चाहिए क्योंकि योजना ही अगले कदम का आधार होगी यही कारण है कि हमने अपनी सरकार में मजबूत एकता बनाकर और अपने देश में मुसलमानों और गैर-मुसलमानों के बीच समझ और शांति सुनिश्चित करके शुरुआत की है।

उन्होंने कहा, यह न केवल स्थिर बल्कि मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए एक शर्त है शहरी, ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों और अन्य समुदायों के गरीबों को जो खुद को हाशिए पर महसूस करते हैं आराम और आत्मविश्वास मिलना चाहिए।

इसके अलावा मलेशिया के प्रधान मंत्री ने लोगों से उनकी सरकार द्वारा सामने रखी गई नागरिक राष्ट्र की अवधारणा को समझने के लिए कहा क्योंकि कई देशों में ऐसा दृष्टिकोण नहीं है।

अनवर ने मुसलमानों को नए विज्ञान और प्रौद्योगिकियों को सीखने के लिए भी आमंत्रित किया क्योंकि इससे अब और भविष्य में उनकी शक्ति मजबूत होगी।

उन्होंने कहा,यही कारण है कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि अब देश भर में कुरान कंठस्थ स्कूलों के लगभग 200,000 छात्रों को ऊर्जा, डिजिटल और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी कौशल से परिचित कराया जाए।

प्रधानमंत्री ने यह भी उम्मीद जताई कि इस देश की 64वीं कुरान प्रतियोगिता मुस्लिम समुदाय के स्तर को ऊंचे और सराहनीय स्तर पर पहुंचाएगी।

 

गाजा पर क्रूर इजरायली बमबारी की एक साल पर संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, स्पेन, तेल अवीव और लंदन में फिलिस्तीनियों के समर्थन में और इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित किए गए। वहीं, विरोध प्रदर्शनों में संघर्ष विराम की भी जोरदार मांग उठी।

गाजा पर क्रूर इजरायली बमबारी की एक साल  पर संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, स्पेन, तेल अवीव और लंदन में फिलिस्तीनियों के समर्थन में और इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित किए गए। सूत्रों के मुताबिक लंदन में करीब 40,000 लोगों के साथ इजरायली आक्रामकता पर एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया गया और गाजा में तत्काल युद्धविराम की मांग की गई. इसके अलावा, फ्रांस में प्रदर्शनकारियों ने गाजा और लेबनान में इजरायली आक्रामकता के खिलाफ विरोध मार्च निकाला, पेरिस में लोगों ने फिलिस्तीनी और लेबनानी झंडे लहराते हुए इजरायली अत्याचारों को समाप्त करने की मांग की। दूसरी ओर, स्वीडन में सैकड़ों लोगों ने फिलिस्तीनियों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की और स्टॉकहोम की सड़कों पर फिलिस्तीनी झंडा उठाया और युद्धविराम की मांग की।

नेतन्याहू के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन

उधर, इजराइल में भी प्रधानमंत्री नेतन्याहू की सरकार के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन हुआ, जिसमें हजारों लोग तेल अवीव की सड़कों पर उतरे और बंधकों की रिहाई के लिए गाजा युद्धविराम समझौते की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने इज़रायली हमलों की निंदा करते हुए तख्तियां ले रखी थीं। प्रदर्शनकारी लगातार 'शांति नहीं युद्ध' के नारे लगा रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने संयुक्त राष्ट्र सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गाजा में युद्धविराम के लिए अपनी भूमिका निभाने की मांग की। अन्यायपूर्ण हत्याएं रोकी जाएंगी और गलियारे खोले जाएंगे ताकि जरूरी सामान पहुंचाया जा सके। विरोध प्रदर्शन में नागरिक समाज और मानवाधिकार संगठनों समेत बड़ी संख्या में छात्र शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने एकजुटता दिखाने के लिए फ़िलिस्तीनी स्कार्फ पहने। प्रदर्शनकारियों ने लेबनान के बाद गाजा और वेस्ट बैंक पर इजरायल के हमलों की भी कड़ी निंदा की। वहीं, तेल अवीव में प्रदर्शनकारियों ने नेतन्याहू की कड़ी आलोचना की और युद्धविराम समझौता न होने के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया।

 

 

 

 

 

जामेआतुल मुस्तफा के प्रमुख, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अब्बासी ने इराकी कुर्दिस्तान के सुन्नी उलेमा से मुलाकात के दौरान कहा कि इसराइल के अत्याचारों में पश्चिमी ताकतें भी शामिल हैं उन्होंने फिलिस्तीन और लेबनान में इसराइल के अपराधों पर वैश्विक चुप्पी की निंदा की और मुसलमानों की शैक्षणिक और आपसी विभाजन को उम्मत ए इस्लामीया की कमज़ोरी का कारण बताया हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार, जामेआतुल मुस्तफा के प्रमुख,हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अब्बासी ने इराकी कुर्दिस्तान के सुन्नी उलेमा से मुलाकात के दौरान कहा कि इसराइल के अत्याचारों में पश्चिमी ताकतें भी शामिल हैं

उन्होंने फिलिस्तीन और लेबनान में इसराइल के अपराधों पर वैश्विक चुप्पी की निंदा की और मुसलमानों की शैक्षणिक और आपसी विभाजन को उम्मत ए इस्लामीया की कमज़ोरी का कारण बताया हैं।

उन्होंने कहा इजरायल शासन के अपराध केवल पिछले एक साल तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पिछले 75 सालों से जारी हैं।

उन्होंने इस्लामी दुनिया में आपसी विभाजन और शैक्षणिक पिछड़ेपन को मुसलमानों की कमजोरी का कारण बताया और उपनिवेशवाद की साजिशों का इतिहास बयान किया। उन्होंने आगे कहा कि ज़ायोनी शासन पश्चिमी ताकतों की इस्लाम के खिलाफ एक साज़िश है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अब्बासी ने अपनी बातचीत में, इसराइल के अपराधों पर वैश्विक समुदाय की चुप्पी की निंदा की और कहा कि इसराइल का गठन पश्चिमी शक्तियों की एक साज़िश थी ताकि मुसलमानों को कमजोर किया जा सके।

उन्होंने फिलिस्तीनी जनता के समर्थन और पश्चिमी साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष के महत्व को भी उजागर किया अब्बासी ने कहा कि इसराइल के अपराधों के पीछे 75 साल का लंबा इतिहास है और अरब देशों की कोशिशें पश्चिमी ताकतों के समर्थन के कारण नाकाम हुई हैं।

उन्होंने पश्चिमी देशों को इसराइल के अपराधों में साझेदार ठहराया और कहा कि वैश्विक समुदाय की चुप्पी ने इन अपराधों को और बढ़ावा दिया है। इसी कारण इसराइल की हिम्मत बढ़ी है और अमेरिका तथा उसके सहयोगियों के समर्थन की वजह से आज इसराइल पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है।

 

हज़रत मासूमा (स) के मुतवल्ली आयतुल्लाह सय्यद मुहम्मद सईदी ने कहा कि एक सच्चा विद्वान वह है जो लोगों के साथ रहता है ताकि लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए उसकी ओर रुख करें ताकि वे खुद को पाप से बचा सकें और खुशी पा सकें एक विद्वान का प्रयास स्वयं को, अपने आस-पास के लोगों और पूरे समाज को बचाना और उनके भाग्य को व्यवस्थित करना है।

आयतुल्लाह सय्यद मुहम्मद सईदी ने दिवंगत आयतुल्लाह महफ़ूज़ी (र) के परिवार के सदस्यों के साथ एक बैठक में कहा: "ज्यादातर लोग इस दुनिया में अपने निजी जीवन के लिए रहते हैं, लेकिन एक विद्वान और मरजा तकलीद के लिए हैं वह लोगों के लिए जीता है, और यही कारण है कि उसे मार्जा कहा जाता है, वह व्यक्ति जिसकी ओर लोग मुड़ते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि एक विकसित समाज की बुनियादी जरूरतों में से एक विद्वान का होना है और एक विद्वान का मुख्य लक्षण लोगों के साथ रहना और उनकी कठिनाइयों में हिस्सा लेना है। लोगों के जीवन की विभिन्न समस्याओं, शरीयत मामलों और मतभेदों को हल करने के लिए विद्वानों से संपर्क किया जाता है और यह कभी-कभी एक विद्वान के जीवन को कठिन बना देता है।

मासूमा (अ) के हरम के मुतवल्ली ने कहा, "आम लोग नरक की आग से बचने और खुद को बचाने की कोशिश करते हैं, लेकिन एक विद्वान की जिम्मेदारी इस कारण से खुद को, अपने रिश्तेदारों और समाज को बचाना है। लोगों के बीच उलेमा का हमेशा सम्मान किया गया है।"