
رضوی
अरबईन, हुसैनी अहलैबैत अलैहिमुस्सलाम की नज़र में
हज़रत पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने अपने दोनों नवासों हज़रत इमाम हसन और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के बारे में यह प्रसिद्ध वाक्य फ़रमायाः
_اَلْحَسَنُ وَ الْحُسَیْنُ سَیِّدا شَبابِ أَهْلِ الْجَنَّةِ _
हसन और हुसैन जन्नत के जवानों के सरदार हैं।(1)
एक दूसरी हदीस में बयान हुआ है किः कुछ लोग पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स) के साथ एक मेहमानी में गये, आप (स) इस सारे लोगों से आगे आगे चल रहे थे। आपने रास्ते में इमाम हुसैन (अ) को देखा। पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने चाहा कि अपनी गोद में उठा लें, लेकिन हुसैन (अ) एक तरफ़ से दूसरी तरफ़ भाग जाते थे, पैग़म्बर (स) यह देखकर मुस्कुराए और आप को गोद में उठा लिया, एक हाथ को आप के सर के पीछे और दूसरे हाथ को ठुड्डी के नीचे लगाया और अपने पवित्र होठों को हुसैन के होठों पर रखा और चूमा फिर फ़रमायाः
«حُسَینٌ مِنّی وَ أَنَا مِنْ حُسَین أَحَبَّ اللهُ مَنْ أَحَبَّ حُسَیناً»؛
हुसैन मुझ से हैं और मैं हुसैन से हूँ जो भी हुसैन को दोस्त रखता है, अल्लाह उसको दोस्त रखता है।(2)
*पैग़म्बरे इस्लाम (स) की पत्नी और इमाम हुसैन (अ)*
शिया और सुन्नी रिवायतों में बयान हुआ है कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) की पत्नी जनाबे उम्मे सलमा कहती हैं: एक दिन पैग़म्बरे इस्लाम (स) आराम कर रहे थे कि मैंने देखा इमाम हुसैन (अ) ने प्रवेश किया और पैग़म्बर (स) के सीने पर बैठ गये, पैगम़्बरे इस्लाम (स) ने फ़रमायाः शाबाश मेरी आंखों के नूर, शाबाश मेरे दिल के टुकड़े, जब हुसैन (अ) को पैग़म्बर (स) के सीने पर बैठे बहुत देर हो गई तो मैंने स्वंय से कहा कि शायद पैगम़्बर (स) को परेशानी हो रही हो और मैं आगे बढ़ी ताकि हुसैन को आप के सीने से उतार दूँ। पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने फ़रमायाः उम्मे सलमा! जब तक मेरा हुसैन स्वंय जब तक चाहता है उसे मेरे सीने पर बैठने दो और जान लो कि जो भी एक बाल के बराबर भी मेरे हुसैन को दुख दे वह ऐसा ही है जैसे उसने मुझे दुख दिया हो।
जनाबे उम्मे सलमा कहती है: मैं घर से बाहर चली गई और जब वापस आई और पैग़म्बर (स) के कमरे में पहुँची तो मैंने देखा कि पैग़म्बर रो रहे हैं, मुझे बहुत आश्चर्य हुआ! और मैंने कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! अल्लाह कभी आप को न रुलाए, आप क्यों दुखी हैं? मैंने देखा कि पैग़म्बर (स) के हाथ में कोई चीज़ है और उसको देख रहें हैं और रो रहे हैं। मैं आगे गईं तो देखा एक मुट्ठी ख़ाक़ आपके हाथ में है। मैंने सवाल किया: ऐ अल्लाह के रसूल! यह कौन सी ख़ाक है जिसने आपको इतना दुखी कर दिया। पैग़म्बर ने फ़रमायाः ऐ उम्मे सलमा! अभी जिब्रईल मुझ पर नाज़िल हुए और कहा कि यह करबला की मिट्टी है और यह मिट्टी वहां की है जहां आप का बेटा हुसैन दफ़्न होगा। ऐ उम्मे सलमा! इस मिट्टी को लो और एक शीशी में रख दो, जब भी देखों कि इस ख़ाक का रंग ख़ून हो गया है, तब समझ जाना कि मेरा बेटा हुसैन शहीद कर दिया गया है।
जनाबे उम्मे सलमा कहती हैं: मैंने उस ख़ाक को पैग़म्बर (स) से ले लिया जिसमें से एक अजीब तरह की सुगंध आ रही थी, जब इमाम हुसैन (अ) ने करबला की तरफ़ यात्रा आरंभ की तो मैं बहुत परेशान थी और हर दिन उस ख़ाक को देखती थी, यहां तक कि एक दिन मैंने देखा कि पूरी ख़ाक ख़ून में बदल गई है और मैं समझ गई इमाम हुसैन शहीद कर दिये गये हैं। इसलिये मैंने रोना शुरू कर दिया और उस दिन रात तक हुसैन (अ) पर रोती रही, उस दिन मैंने खाना नहीं खाया, यहां तक की रात हो गई और मैं दुख के साथ सो गई। मैंने स्वप्न में पैग़म्बरे इस्लाम (स) को देखा कि वह आये हैं लेकिन आप का सर और चेहरा मिट्टी से अटा है! मैंने आपके चेहरे से मिट्टी और ख़ाक को साफ करना शुरू कर दिया और कहने लगी: ऐ अल्लाह के रसूल! मैं आप पर क़ुरबान, यह मिट्टी और ख़ाक कहा की है जो आप पर लगी है? पैग़म्बर ने फ़रमायाः ऐ उम्मे सलमा! अभी अभी मैंने अपने हुसैन को दफ़्न किया है!(3)
*हज़रते फ़ातिमा ज़हरा (स) और इमाम हुसैन (अ)*
इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) से रिवायत है कि क़यामत के दिन हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) नूर के एक गुंबद में बैठी होंगी। उसी समय इमाम हुसैन (अ) महशर में आएंगे, इस हालत में कि उनका कटा सर उनके हाथ में होगा, फ़ातिमा (स) इस दृश्य को देखकर चीख़कर रोती हैं और गिर जाती है और सारे नबी और दूसरे लोग इस दृश्य को देखकर रोने लगते हैं फिर इमाम हुसैन (अ) के हत्यारे आएंगे और उन पर मुक़द्दमा चलेगा और फिर उनको भयानक अज़ाब दिया जाएगा...(4)
*हज़रत अली (अ) और इमाम हुसैन (अ)*
एक दिन हज़रत अली (अ) करबला की तरफ़ से गुज़रे और फ़रमायाः
قال على (عليه السلام): هذا... مصارع عشاق شهداء لا يسبقهم من كان قبلهم و لا يلحقهم من كان بعدهم.
यह आशिक़ों की क़त्लगाह और शहीदों के शहीद होने का स्थान है पर वह शहीद जिनके बराबर ना पिछले शहीद हो सकते हैं और ना आने वाले शहीद हो सकेंगे।(5)
*इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और रोना*
امام حسين عليه السلام: أنَا قَتيلُ العَبَرَةِ لايَذكُرُني مُؤمِنٌ إلاّ استَعبَرَ؛
इमाम हुसैन (अ) ने फ़रमायाः मैं आँसूओं का मारा हूँ, जो भी मोमिन मुझे याद करे, उसके आँसू जारी हो जाएंगे। (6)
*इमाम सज्जाद (अ) और इमाम हुसैन (अ) पर गिरया*
इमाम सज्जाद ज़ैनुल आबिदीन (अ) जिन्होंने स्वंय करबला के मैदान में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों पर होने वाले भयानक अत्याचारों और मसाएब को देखा था, आशूरा की घटना के बाद आप जब तक जीवित रहे आपने कभी भी इस दिल दहला देने वाली घटना को नहीं भुलाया और सदैव इन शहीदों पर रोते रहते थे और जब भी आप पानी पीने चलते तो पानी को देखते ही आपकी आँखों से आँसू जारी हो जाते, जब लोगों ने आपसे इसका कारण पूछा तो आप फ़रमाते थे: मैं कैसे न रोऊँ जब कि यज़ीदियों ने पानी को जानवरों और दरिंदों पर तो खोल रखा था लेकिन मेरे पिता पर बंद कर दिया और उनको प्यासा शहीद कर दिया।
इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम कहते हैं: जब भी मैं फ़ातिमा (स) के बेटे की शहादत को याद करता हूँ मुझे रोना आ जाता है। जब लोग आपको सात्वना देते थे तो आप फ़रमाते थे:
«كيف لا أبكي؟ و قد منع أبى من الماء الذى كان مطلقا للسباع والوحوش».
मैं कैसे न रोऊँ जब कि मेरे पिता पर पानी बंद किया गया जब कि जानवर और दरिंदे वही पानी पी रहे थे।(7)
इमाम सज्जाद (अ) अपने पिता पर इतना रोए कि उनको इतिहास के पाँच रोने वालों में रखा गया और जब भी आप से इतना अधिक रोने के बारे में पूछा जाता तो आप करबला के मसाएब को याद करते और फ़रमातेः मुझे ग़लत न कहो, याक़ूब अलैहिस्सलाम ने अपना एक बेटा युसूफ़ अलैहिस्सलाम खोया था लेकिन इतना रोए थे कि ग़म से उनकी आँखें सफ़ेद हो गईं थी, जब कि उनको विश्वास था कि उनका बेटा जीवित है जब कि मैंने अपनी आँखों से देखा कि आधे दिन में मेरे परिवार के चौदह लोगों का गला काट दिया गया, फिर भी तुम कहते हो कि मैं उनके ग़म को दिल से निकाल दूँ?!(8)
आप न केवल यह कि स्वयं इमाम हुसैन (अ) के ग़म में आँसू बहाया करते थे बल्कि मोमिनों को भी आप पर रोने और अज़ादारी करने के लिये कहा करते थे।
«ايما مؤمن دمعت عيناه لقتل الحسين حتى تسيل على خده بواه الله بها فى الجنة غرفا يسكنها احقابا».
हर मोमिन जो इमाम हुसैन (अ) की शहादत पर इतना रोए कि आँसू उसके गाल पर बहने लगें तो अल्लाह उसके लिये स्वर्ग में महल बनाता है जिसमें वह सदैव रहेगा।(9)
इमाम सज्जाद ज़ैनुल आबेदीन (अ) फ़रमाते हैं:
أنَا ابنُ مَنَ بَكَت عَلَيهِ مَلائِكَةُ السَّماءِ أنَا ابنُ مَن ناحَتْ عَلَيهِ الجِنُّ فِي الأرضِ و الطِّيرُ فِي الهَواءِ؛
मैं उसका बेटा हूँ जिस पर आसमान के फ़रिश्तों ने आँसू बहाए। मैं उसका बेटा हूँ जिस पर जिन्नातों ने ज़मीन पर और पक्षियों ने हवा में आँसू बहाए।(10)
*इमाम हुसैन (अ) और इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ)*
इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ) इमाम हुसैन (अ) पर आँसू बहाते थे और जो भी घर में होता था उस को भी रोने का आदेश दिया करते थे।(11)
और आपके घर में इमाम हुसैन (अ) की मजलिस और अज़ादारी हुआ करती थी और उपस्थित होने वाले इमाम हुसैन (अ) के मुसीबतों पर एक दूसरे के सामने शोक प्रकट किया करते थे।
*इमाम मूसा काज़िम (अ) और इमाम हुसैन (अ)*
इमाम अली रज़ा (अ) फ़रमाते हैं:
كان ابى اذا دخل شهر المحرم لا يرى ضاحكا و كانت الكابة تغلب عليه حتى يمضى منه عشرة ايام، فاذا كان اليوم العاشر كان ذلك اليوم يوم مصيبته و حزنه و بكائه...
मेरे पिता इमाम मूसा काज़िम (अ) की रविश यह थी कि जब भी मोहर्रम आता था हमेशा दुखी रहते थे यहां तक कि आशूरा के दस दिन पूरे हो जाए, आशूरा का दिन उनके रोने और मातम का दिन था... और आप फ़रमाते थे:
«هو اليوم الذى قتل فيه الحسين. (12)
*इमाम अली रज़ा (अ) और इमाम हुसैन (अ)*
इमाम अली रज़ा (अ) ने फ़रमायाः
إن بَكَيتَ عَلَى الحُسَينِ حَتّى تَصيرَ دُموعُكَ عَلى خدَّيكَ غَفَرَاللّه ُ لَكَ كُلَّ ذَنبٍ أذنَبتَهُ
अगर तुम हुसैन (अ) पर रोओ, इस प्रकार कि तुम्हारे आँसू तुम्हारे गालों पर जारी हो जाएं, तो अल्लाह तुम्हारे सारे पापों को क्षमा कर देता है।(13)
इमाम अली रज़ा (अ) ने फ़रमायाः मोहर्रम वह महीना है कि जिसमें जाहेलियत के ज़माने में लोग युद्ध को वर्जित समझते थे, लेकिन शत्रुओं ने इस महीने में हमारा रक्त बहाया और हमारे सम्मान को ठेस पहुँचाई और हमारी संतान को बंदी बनाया और हमारे ख़ैमों में आग लगाई, हमारी सम्पत्ति लूटी और हमारे हक़ में पैग़म्बर (स) के सम्मान का ख़याल नहीं किया।(14)
«ان يوم الحسين اقرح جفوننا و أسبل دموعنا و أذل عزيزنا بأرض كربلا.... على مثل الحسين (عليه السلام) فليبك الباكون، فان البكاء عليه يحط الذنوب العظام.»
इमाम हुसैन (अ) की शहादत ने हमारे आँसूओं को जारी कर दिया और हमारी आँखों की पलकों को घायल कर दिया और करबला में हमारे मान मर्यादा का अपमान किया... रोने वालों को हुसैन पर रोना चाहिये, उन पर रोना बड़े पापों को समाप्त कर देता है।(15)
इमाम अली रज़ा (अ) ने रय्यान बिन शबीब से फ़रमायाः
«ان كنت باكيا لشى ء فابك للحسين بن على فانه ذبح كما يذبح الكبش و قتل معه من أهل بيته ثمانية عشر رجلا ما لهم فى الارض شبيهون...».
अगर किसी चीज़ पर रोना चाहो तो हुसैन (अ) पर गिरया करो क्योंकि उनकी गर्दन को भेड़ की गर्दन की तरह काट दिया गया और उनके साथ उनके अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम (परिवार वालों) के अट्ठारह मर्द शहीद हुए जिनके जैसा दुनिया में कोई नहीं था।
फिर इब्ने शबीब से फ़रमायाः अगर चाहते हो कि स्वर्ग में हमारे साथ ऊँचे दर्जे पर रहो, तो दुखी रहो हमारे दुख में और प्रसन्न रहों हमारी ख़ुशी में।(16)
*हज़रत इमाम महदी (अ) और इमाम हुसैन (अ)*
इमाम महदी (अ) पवित्र ज़ियारते नाहिया में फ़रमाते हैं:
لأَندُبَنَّكَ صَباحا و مَساءً و لأَبكِيَنَّ عَلَيكَ بَدَلَ الدُّمُوعِ دَما؛
मैं हर सुबह शाम आप पर रोता हूँ और आपकी मुसीबत पर आँसू की जगह ख़ून रोता हूँ।(17)
इमाम हुसैन (अ) पर रोने के बारे में आने वाली बहुत सी रिवायतों से पता चलता है कि इमाम हुसैन (अ) पर इस संसार की सारी चीज़ें रोती हैं।
ज़मीन रोती है आसमान रोता है। ग़मे हुसैन में सारा जहान रोता है।
(1) सुनने तिरमिज़ी, जिल्द 5, पेज 426
(2) सुनने तिरमिज़ी, जिल्द 5, पेज 424 / अल इरशाद शेख़ मुफ़ीद, जिल्द 2, पेज 127
(3) तोहफ़तुज़्ज़ाएर, मरहूम मजलिसी, पेज 168
(4) सवाबुल आमाल, जलाउल उयून के हवाले से जिल्द 1, पेज 227
(5) अबसारुल ऐन फ़ी अनसारिल हुसैन, पेज 22 / बिहारुल अनवार, जिल्द 44, पेज 298
(6) बिहारुल अनवार जिल्द 44, पेज 284
(7) बिहारुल अनवार जिल्द 46, पेज 108
(8) अमाली, शेख़ सदूक़, मजलिस 29, पेज 121
(9) तफ़सीरे क़ुम्मी, पेज 616
(10) मनाक़िबे आले अबी तालिब, जिल्द 3, पेज 305
(11) वसाएलुश्शिया, जिल्द 10, पेज 398
(12) बिहारुल अनवार, जिल्द 44, पेज 293
(13) बिहारुल अनवार, जिल्द 44, पेज 286
(14) बिहारुल अनवार, जिल्द 44, पेज 283
(15) अमाली, शेख़ सदूक़, जिल्द 1, पेज 225
(16) वसाएलुश्शिया, जिल्द 14, पेज 502
(17) बिहारुल अनवार, जिल्द 101, पेज 238
अमेरिकी पाखंड: मीडिया में शांति की ज़बान, समुद्र तट पर बमों की डिलीवरी
अमेरिका के राष्ट्रपति ने फ़िलिस्तीनी और लेबनानी जनता के ख़िलाफ मानवता के विरुद्ध अपराधों को जारी रखने के लिए ज़ायोनी शासन को हरी झंडी देना जारी रखा है और स्वीकार किया कि अमेरिका में किसी भी सरकार ने इज़राइल की उतनी मदद नहीं की है जितनी उनकी सरकार ने की है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल ही में ज़ायोनियों को संबोधित करते हुए एक बयान में कहा कि मेरी सरकार से ज्यादा किसी सरकार ने इज़राइल की मदद नहीं की है।
बाइडन ने, जो स्वयं स्वीकार करते हैं कि ज़ायोनी शासन और उसके युद्ध समर्थकों के सबसे बड़े समर्थक हैं, आगे दावा किया कि उनका महत्वपूर्ण मुद्दा, पश्चिम एशियाई क्षेत्र में पूर्ण पैमाने पर युद्ध को रोकना है।
पश्चिम एशिया में शांति और अम्न स्थापित करने के अमेरिका के दावे, ज़ायोनी शासन के समर्थन में उसकी कार्यवाहियों से मेल नहीं खाते। लंबे समय से, अमेरिका, घरेलू और वैश्विक जनमत के दबाव में, ग़ज़ा और लेबनान में युद्ध रोकने के लिए युद्धविराम स्थापित करने और पक्षों के बीच एक समझौते पर पहुंचने की कोशिश करने का दावा भी कर रहा है।
यह दावा तब किया गया है कि जब अमेरिकी सरकार, पश्चिम एशिया में युद्ध और हत्यारी लॉबी की इच्छा के अनुरूप, हमेशा कई और विरोधाभासी रुख़ अपना रही है, वह मुद्दा जिसके कारण ज़ायोनी प्रधानमंत्री को निडर होकर अपने अपराध जारी रखने पड़े और अब युद्ध का दायरा लेबनान तक बढ़ गया है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय में तेल अवीव और वाशिंगटन के बीच हुए समझौते के अनुसार यह निर्णय लिया गया था कि अमेरिका, ज़ायोनी शासन को सालाना 3.8 बिलियन डॉलर का सैन्य पैकेज देगा।
दूसरी ओर, 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के साथ इज़राइल के युद्ध की शुरुआत के बाद से, अमेरिका ने इज़राइल को कम से कम 12.5 बिलियन डॉलर की सैन्य सहायता प्रदान करने वाला कानून बनाया है जिसमें मार्च 2024 के बिल से 3.8 बिलियन डॉलर (वर्तमान समझौते के आधार पर) और अप्रैल 2024 के समझौते के आधार पर 8.7 बिलियन डॉलर की सैन्य सहायता देगा।
इसी रिपोर्ट के अनुसार, 1946 से 2024 तक इज़राइल को अमेरिकी सैन्य सहायता की राशि 2022 में डॉलर की क़ीमत के आधार पर 230 बिलियन डॉलर से अधिक हो गई है।
दूसरी ओर अमेरिकी विदेशमंत्रालय ने हाल ही में एक बयान जारी कर लेबनान और अन्य क्षेत्रों में प्रभावित आबादी की मदद के लिए 157 मिलियन डॉलर के मानवीय सहायता पैकेज को विशेष करने का दावा किया है।
मानवीय सुधार के लिए इस पैकेज के विशेष करने के जवाब में, अल जज़ीरा चैनल ने एलान किया है कि: यह अमेरिका द्वारा दिए गए हथियार ही हैं जो लेबनानी नागरिकों पर टूट पड़े हैं।
वाशिंगटन के व्यापक राजनयिक समर्थन ने भी तेल अवीव के अधिकारियों को पश्चिम एशिया में और अधिक अत्याचार करने के लिए प्रोत्साहित किया है। फिर भी, अमेरिका अभी भी लोकतांत्रिक दिखावे को बनाए रखने की कोशिश करता है।
इस संबंध में, अमेरिकी सीनेट सशस्त्र बल समिति के वरिष्ठ सदस्य, डेमोक्रेटिक सीनेटर मार्क केली ने स्वीकार किया कि ज़ायोनी शासन ने लेबनान में हालिया अपराध में अमेरिका निर्मित गाइडेड बमों का इस्तेमाल किया था।
वाशिंगटन पोस्ट अखबार ने ज़ायोनी शासन द्वारा प्रकाशित तस्वीरों की समीक्षा करने के बाद लिखा: इज़राइल ने बैरूत पर अपने हमले में संभवतः अमेरिका में बने 2000 पाउंड के बमों का इस्तेमाल किया जिसकी वजह से हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत हुई।
वाइट हाउस के सामने फ़िलिस्तीन और लेबनान के समर्थक का आत्मदाह
ग़ज़ापट्टी और लेबनान पर ज़ायोनी शासन के हमलों का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों में से एक ने वाइट हाउस के सामने ख़ुद को आग लगा ली। वॉशिंगटन में वाइट हाउस के सामने फिलिस्तीन और लेबनान के समर्थकों के सामूहिक प्रदर्शन के दौरान एक अमेरिकी प्रदर्शनकारी ने ख़ुद को आग लगा ली।
इस प्रदर्शनकारी ने ख़ुद को आग लगाते हुए फिलिस्तीन की आजादी के लिए नारे लगाए।
वाशिंगटन में प्रदर्शनकारियों ने वाइट हाउस के सामने एक बड़ा प्रदर्शन करके ग़ज़ा पट्टी और लेबनान में ज़ायोनी शासन के अपराधों को जारी रखने और इन अपराधों के लिए अमेरिका के समर्थन का विरोध किया।
प्राप्त अंतिम रिपोर्टों के अनुसार ज़ायोनी सरकार के पाश्विक हमलों में अब तक 41 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और 95 हज़ार से अधिक घायल हो चुके हैं।
ज्ञात रहे कि ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति के तहत ज़ायोनी सरकार का ढांचा वर्ष 1917 में ही तैयार हो गया था और विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों से यहूदियों व ज़ायोनियों को लाकर फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि में बसा दिया गया और वर्ष 1948 में ज़ायोनी सरकार ने अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा कर दी। उस समय से लेकर आजतक विभिन्न बहानों से फ़िलिस्तीनियों की हत्या, नरसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा यथावत जारी है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान सहित कुछ देश इस्राईल की साम्राज्यवादी सरकार के भंग व अंत किये जाने और इसी प्रकार इस बात के इच्छुक हैं कि जो यहूदी व ज़ायोनी जहां से आये हैं वहीं वापस चले जायें।
लेबनान में 20 से अधिक इज़रायली मारे गए और कई घायल हुए
हिजबुल्लाह ने शनिवार को कहा कि शुक्रवार आधी रात से शनिवार सुबह तक इस्लामिक प्रतिरोध के समूहों और लेबनान के एक सीमावर्ती शहर में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे इजरायली बलों के बीच हुई झड़पों के दौरान 20 से अधिक इजरायली मारे गए और कई घायल हुए।
हिजबुल्लाह ने शनिवार को कहा कि शुक्रवार आधी रात से शनिवार सुबह तक इस्लामिक प्रतिरोध के समूहों और लेबनान के एक सीमावर्ती शहर में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे इजरायली बलों के बीच हुई झड़पों के दौरान 20 से अधिक इजरायली मारे गए और कई घायल हुए।
हिजबुल्लाह ने एक बयान में कहा,तोपखाने और हवाई कवर के सहारे इजरायली दुश्मन सेना के कुलीन सैनिकों ने दो कुल्हाड़ियों से मारून अलरस और यारून के गांवों की ओर बढ़ने की कोशिश की हैं।
इसमें कहा गया पहले से तैयार घात बिंदुओं पर बलों के पहुंचने पर, इस्लामिक प्रतिरोध सेनानियों ने कई विस्फोटक उपकरणों को विस्फोटित किया और हल्के और मध्यम हथियारों और नजदीक से रॉकेटों के साथ कुलीन अधिकारियों और सैनिकों से भिड़ गए।
हिजबुल्लाह ने बताया कि घात लगाकर किए गए हमले में इजरायली बलों के कई लोग मारे गए और घायल हुए आंदोलन ने कहा कि बचे हुए लोगों ने कब्जे वाले क्षेत्रों के भीतर इजरायली ठिकानों से तोपखाने की आग की आड़ में मृतकों और घायलों को निकाला।
एक बयान के अनुसार, हिजबुल्लाह के लड़ाके कब्जे वाले क्षेत्रों में सीमा रेखा के साथ अपने ठिकानों और पीछे के बैरकों में इजरायली दुश्मन सैनिकों का तोपखाने के गोले और रॉकेट से पीछा कर रहे थे।
लेबनानी सैन्य सूत्र ने कहा कि लगभग 25 सैनिकों की एक इजरायली सेना गांवों के बाहरी इलाकों में लगभग 200 मीटर तक घुस गई। 23 सितंबर से इजरायली सेना हिजबुल्लाह के साथ एक खतरनाक वृद्धि में लेबनान पर गहन हवाई हमला कर रही है।
यति नरसिंहानंद जैसे लोगों के कारण पूरी दुनिया में भारत की बदनामी
मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना सय्यद कल्बे जवाद नकवी ने पवित्र पैगंबर मुहम्मद (स) की महिमा का अपमान करने के लिए डासना मंदिर के महंत, कुख्यात यति नरसिंहानंद सरस्वती की निंदा की है।चूंकि उपद्रवी देश में उत्पात मचाना चाहते हैं, ऐसे लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।
मजलिस-ए-उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना सैयद कल्ब जवाद नकवी ने पैगंबर मुहम्मद की महिमा का अपमान करने के लिए डासना मंदिर के महंत कुख्यात यति नरसिंहानंद सरस्वती की निंदा करते हुए कहा कि यति नरसिंहानंद जैसे उपद्रवी देश में तबाही मचाना चाहते हैं, इसलिए ऐसे लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।
मौलाना ने कहा कि हाल ही में 'यूएस कमीशन फॉर इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम' (यूएससीआईआरएफ) ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि भारत में मुसलमानों की जान-माल सुरक्षित नहीं है, जिसके आधार पर यति नरसिंहानंद जैसे लोगों के बयान हैं समय रहते कार्रवाई नहीं होने पर ऐसे लोग पूरी दुनिया में भारत की बदनामी का कारण बनते हैं और उनके बयानों के आधार पर अमेरिका जैसे देशों से भारत के खिलाफ ऐसी खबरें प्रकाशित होती हैं, जिससे भारत की छवि खराब होती है, इसलिए ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए जेल भेज दिया गया।
अपने बयान में मौलाना ने कहा कि हम पैगम्बर की शान में गुस्ताखी बर्दाश्त नहीं कर सकते, इसलिए हम सरकार से मांग करते हैं कि यति नरसिंहानंद के खिलाफ तुरंत कानूनी कार्रवाई की जाए।
बांग्लादेश में बिजली गिरने से करीब 300 लोगों की मौत
बांग्लादेश में बिजली गिरने से करीब 300 लोगों की मौत हुई है जिनमें ज़्यादातर ग्रामीण किसान हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,इस साल फरवरी से सितंबर के बीच बिजली गिरने से 242 पुरुषों और 55 महिलाओं समेत कुल 297 लोगों की मौत हुई है, यह जानकारी समाचार एजेंसी ने दी है।
स्थानीय संगठन सेव द सोसाइटी और थंडरस्टॉर्म अवेयरनेस फोरम (SSTF) ने शनिवार को ढाका में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मरने वालों की संख्या प्रकाशित की हैं।
इसने कहा कि बिजली गिरने से होने वाली मौतों की ज़्यादातर घटनाएं ग्रामीण इलाकों में हुईं, जहां लोग अपने खेतों में काम कर रहे थे।
SSTF ने कहा कि बिजली गिरने से होने वाली मौतों के आंकड़े राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों, स्थानीय दैनिक समाचार पत्रों, ऑनलाइन समाचार पोर्टलों और टेलीविजन चैनलों से एकत्र किए गए हैं।
मई में 96 से ज़्यादा मौतें हुईं, जून में 77, जुलाई में 19, अगस्त में 17 और सितंबर में 47 मौतें हुईं।
बांग्लादेश में बिजली गिरने से होने वाली मौतें उन महीनों में आम बात है जब मौसम शुष्क मौसम से बदलकर बरसाती गर्मी के मौसम में बदल जाता है।
लेकिन दक्षिण एशियाई देश में हाल के वर्षों में बिजली गिरने से होने वाली मौतों में उछाल देखा गया है और देश के कुछ विशेषज्ञों ने इस स्थिति के लिए सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया है।
बांग्लादेश में हाल के वर्षों में बिजली गिरने से होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि हुई है, जो जलवायु परिवर्तन के कारण हुई है। देश में हर साल बिजली गिरने से औसतन 300 मौतें दर्ज की जाती हैं।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री की इस्राईल को चेतावनी
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने इस्राईल को अपरोक्ष रूप से निशाने पर लेते हुए कहा कि वह हमारी सेना का सामना नहीं कर सकता। फ़िलिस्तीन, लेबनान और इस्लामी गणतंत्र ईरान से लड़ने में ज़ायोनी सेना की असमर्थता पर ज़ोर देते हुए पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के पास परमाणु शक्ति है और ज़ायोनी शासन हमारा सैन्य रूप से मुकाबला करने में सक्षम नहीं है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ" ने इस्लामाबाद में पत्रकारों से बातचीत के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ इस्राईल के किसी भी संभावित सैन्य दुस्साहस के खिलाफ चेतावनी दी।
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के पास परमाणु शक्ति है और अगर इस्राईल हमारे साथ सैन्य टकराव चाहता है, तो यह दुनिया को परमाणु युद्ध के खतरे में धकेलने के समान होगा। फिलिस्तीनी, लेबनानी और ईरानी लड़ाकों से लड़ने में ज़ायोनी शासन की अक्षमता का जिक्र करते हुए पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी इच्छा है कि ईरान, लेबनान और ग़ज़्ज़ा के हमारे भाइयों की इस्राईल के खिलाफ जीत हो।
तूफाने अलअक्सा इज़राईलीयों की ज़िल्लत और रुसवाई की शुरुआत
डॉ. सैयदा फातेमा ने कहा कि ऑपरेशन तूफाने अलअक्सा वर्तमान समय में इज़राईल हुकूमत की बेइज्जती और ज़िल्लत की शुरुआत साबित हुई है।
डॉ. सैयदा फातेमा सैयद मदलल ने तूफाने अलअक्सा ऑपरेशन की सालगिरह के मौके पर इस क्षेत्र और विशेष रूप से कब्जे वाले फ़िलिस्तीन पर इसके प्रभाव और सफलताओं पर रौशनी डाली।
हा कि जैसा कि रहबर-ए-इंकलाब और प्रतिरोध की अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों ने भी ज़ोर दिया है इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि इसने इज़राईल सरकार के पतन और अंत की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है।
तूफाने अलअक्सा से पहले इस्राइली सरकार अपनी सुरक्षा की चिंता से मुक्त होकर क्षेत्र के देशों को सदी की डील जैसी साजिशों के ज़रिए खुद को मान्यता दिलाने पर मजबूर करने की कोशिश कर रही थी।
उन्होंने आगे कहा कि एक साल बीत जाने के बाद, इस्राइली सरकार अपने अस्तित्व को लेकर भारी दहशत में है क्योंकि उसने ऐसे हालात का सामना किया है जो उसने पहले कभी नहीं देखे थे।
डॉ. सैयद मदलल ने आगे कहा कि ग़ाज़ा और हाल के दिनों में लेबनान में इज़राईली सरकार द्वारा महिलाओं, बच्चों और पुरुषों के खिलाफ किए गए अभूतपूर्व अपराधों के बाद, वैश्विक जनमत इस्राइली अपराधियों के खिलाफ हो गया है।
और मानवता में एक बड़ी जागरूकता पैदा हुई है जो इजराईली आक्रांताओं की साख को बुरी तरह प्रभावित कर रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि तूफाने अलअक्सा ऑपरेशन इजराईली सरकार की अजेयता के मिथक के अंत की शुरुआत थी यह ऑपरेशन न केवल इस्राइल की हार की शुरुआत थी बल्कि इसके बाद प्रतिरोध के विभिन्न समूहों द्वारा किए गए हमलों ने इज़राईल सरकार को और अधिक अपमानित कर दिया हैं।
जो कुछ ज़मीन के ऊपर करेंगें जमीन के अंदर उसका जवाब देना है
इमाम जुमआ मुंबई ने कहा, शैतान ने पहले ही दिन से यह स्वीकार कर लिया था कि अल्लाह के सच्चे और नेक बंदों पर उसका कोई बस नहीं चलेगा,उसका बस उन बंदों पर चलेगा जो अल्लाह के सच्चे बंदे नहीं होंगें।
मुंबई के इमाम-ए-जुमआ हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सैयद अहमद अली आबदी ने शिया खोजा जामा मस्जिद, मुंबई में जुमे के खुत्बे में कहा कि रसूल ए अकरम हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा स.अ.व. ने दुनिया और आखिरत में हमारी भलाई और हमारी कामयाबी के लिए जो बातें बयान की हैं अगर वाकई में हम और पूरी क़ायनात उस पर अमल करने लगें, तो यह क़ायनात अमन और सुकून का गहवारा बन जाएगा।
लड़ाई झगड़े और कत्ल-ओ-गारत (खून-खराबा) से दुनिया महफूज़ हो जाएगी लेकिन शैतान ने ग़ल्बा (कब्जा) कर लिया है और नफ्स-ए-अम्मारा (बुरी इच्छाओं) की हुकूमत है।
तो ज़मीन पर हुकूमत की खातिर एक इंसान दूसरे इंसान का खून बहा रहा है और यह एहसास नहीं है कि जिस जमीन पर हम खून बहा रहे हैं, हमें एक दिन इसी जमीन के अंदर जाना है और जब जमीन के अंदर जाएंगे, तो जो कुछ हमने जमीन के ऊपर किया है उसका एक-एक हिसाब लिया जाएगा, और उस वक्त हमारी कोई मदद और पुकार सुनने वाला नहीं होगा।
आगे उन्होंने कहा,शैतान ने पहले ही दिन यह मान लिया था कि अल्लाह के सच्चे और नेक बंदों पर उसका कोई काबू नहीं होगा उसका बस उन बंदों पर चलेगा, जो अल्लाह के सच्चे बंदे नहीं होंगें।
अल्लाह के सच्चे बंदे यानी वह बंदे जिनके वजूद में अल्लाह के अलावा कोई दूसरी चीज़ नहीं है वहां शैतान का कोई असर नहीं है।
कुरान खुद कहता है कि शैतान उन्हीं लोगों को गुमराह करता है जो उसकी विलायत सरपरस्ती को क़ुबूल कर लें यानी शैतान को हम खुद मौका देते हैं अपने ऊपर कब्जा करने का।
अगर हम उसे मौका न दें और इस हालात में अल्लाह से पनाह मांगें और जब हमें यह एहसास हो जाए कि हमारा नफ्स-ए-अम्मारा (बुरी इच्छाएं) और हमारी ख्वाहिशात (इच्छाएं) और शैतान मिलकर हम पर ग़ालिब (हावी) होना चाहते हैं तो उस वक्त हमारी जिम्मेदारी है कि अपनी कमजोरी को महसूस करते हुए अल्लाह, रसूल और उसके औलिया अ.स. का सहारा लें उन्हें पुकारें।
मौलाना सैयद अहमद अली आबदी ने जियारत-ए-मोमिन के बारे में एक हदीस बयान करते हुए कहा,आज हमारे यहां जो मोबाइल आ गया है, उससे एक-दूसरे के घर आना-जाना कम हो गया है, मुलाकातें,मिलने का सिलसिला सीमित हो गई हैं।
जिससे जिंदगी की बरकतें (खुशहाली) भी कम हो गई हैं जब हमारे यहां दोस्त आते थे अज़ीज़ (रिश्तेदार) आते थे, मेहमान आते थे, तो बातचीत के साथ-साथ बरकतें भी लाते थे अच्छाइयां लाते थे, बुराइयां ले जाते थे और अच्छाइयां छोड़ कर जाते थे घरों से नहूसत (मनहूसियत) ले जाते थे और बरकतों को छोड़ जाते थे।
मौलाना सैयद अहमद अली आबदी ने अमीरूल मोमिनीन, इमाम अली अ.स. की हदीस का हवाला देते हुए कहा, अगर अल्लाह ने गुनाहों पर अज़ाब (सज़ा) का वादा न भी किया होता तब भी अल्लाह की नेमतों के शुक्र का तकाजा यही होता कि इंसान गुनाह न करे।
वह बच्चा जो मां-बाप के डर से ठीक रहता है, और दूसरा बच्चा जो मां-बाप की खिदमतों सेवाओं को देखकर उनकी नाफरमानी नहीं करता तो कौन बेहतर है?
वह बच्चा अच्छा है, जिसे मां-बाप का खौफ सीधे रास्ते पर रखता है, या वह बच्चा अच्छा है, जिसे मां-बाप की मोहब्बत और शफक़त (स्नेह) सीधे रास्ते पर रखती है? वह बच्चा कहता है कि मुझे मां-बाप का खौफ नहीं है, लेकिन मेरे मां-बाप ने मेरे लिए इतनी मेहनत की है।
इतनी मुशक्कत (परिश्रम) की है कि मैं जिंदगी भर उनकी खिदमत (सेवा) करूं, तब भी उनका हक़ अदा नहीं कर सकता। मां-बाप की मोहब्बतें मुझे यह इजाज़त नहीं देतीं कि मैं उनके हुक्म की खिलाफ़वरज़ी (अवज्ञा) करूं।
तो कौन सा बच्चा अच्छा है? उसी तरह, वह मोमिन जो अज़ाब के खौफ से गुनाह नहीं करता और दूसरा वह मोमिन जो अल्लाह की नेमतों के शुक्रिया के तौर पर गुनाहों से बचता है, कहता है: "ऐ परवरदिगार! जब सुबह आंख खोलता हूं, तो हर तरफ तेरी नेमतें ही देखता हूं, तेरा रहम और करम ही महसूस करता हूं।
गुस्ताख़े नबी के खिलाफ प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश के श्रीवस्ती जिले में व्यापार मंडल प्रमुख ने पैगंबर मोहम्मद (अ.स.) के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की जिसके बाद स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए मामला दर्ज कराने के लिए थाने पहुंच गए।
रसूले इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने वाले व्यापार मंडल प्रमुख के खिलाफ कोई कार्रवाई करने से पहले पुलिस ने खुद प्रदर्शनकारियों के खिलाफ विवादित नारा लगाने के आरोप में कार्रवाई करते हुए 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार विरोध प्रदर्शन के दौरान भीड़ ने कथित तौर पर 'सर तन से जुदा' का नारा लगाया। जिसके बाद पुलिस ने विवादित नारा लगाने वाले 12 लोगों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। सभी आरोपियों के खिलाफ इकौना थाने में मामला दर्ज किया गया है।
इकौना थाने के प्रभारी (एसएचओ) अश्विनी कुमार दुबे ने न्यूज एजेंसी ‘पीटीआई- भाषा’ से बात करते हुए कहा कि सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक’ पर पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने को लेकर इकौना इलाके की व्यापार मंडल इकाई के अध्यक्ष कन्हैया कसौंधन के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।