رضوی

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केंद्र सरकार की ओर से बांग्लादेश, पाकिस्तान व अफगानिस्तान में उत्पीड़न के शिकार और 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत आए हिंदुओं, सिखों, जैनियों, बौद्धों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए लाए गए विवादस्पद क़ानून के बाद देश भर में आंदोलन फूट पड़ा था हालाँकि दिसंबर, 2019 में लागू किए गए इस क़ानून के खिलाफ आंदोलन कोरोना के चलते खत्म हो गया था।

केंद्र सरकार ने बुधवार को बंगाल, हरियाणा और उत्तराखंड में सीएए के तहत नागरिकता देना शुरू कर दिया। गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि तीनों राज्यों के आवेदकों को बुधवार को संबंधित राज्य की अधिकार प्राप्त समिति द्वारा नागरिकता प्रदान की गई।

 

संयुक्त राष्ट्र, जिसने गाज़ा में अकाल की चेतावनी दी है बुधवार को कहा कि इस महीने दक्षिणी गाजा पट्टी में इजरायल के सैन्य आक्रमण शुरू होने के बाद से क्षेत्र में प्रवेश करने वाली मानवीय सहायता की मात्रा में दो तिहाई की गिरावट आई हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने कहा कि गाजा में प्रवेश करने वाले भोजन और अन्य सहायता की मात्रा पहले से ही बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त थी 7 मई के बाद से इसमें और कमी आई है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 7 मई से मंगलवार तक प्रतिदिन औसतन 58 सहायता ट्रक गाजा पहुंचे, जबकि 1 अप्रैल से 6 मई तक प्रतिदिन औसतन 176 सहायता ट्रक पहुंचे, जो निजी क्षेत्र के उपकरण और में 67 प्रतिशत की कमी दर्शाता हैऔर ईंधन भी शामिल हैं।

संयुक्त राष्ट्र ने लंबे समय से कहा है कि हर दिन कम से कम 500 ट्रक सहायता और वाणिज्यिक सामान गाजा में प्रवेश करने की आवश्यकता है।

 

 

 

 

 

फिलिस्तीन के समर्थन में ज़ायोनी लॉबी और अब अमेरिका और ब्रिटेन के अतिक्रमणकारी हमलों का सामना कर रहे यमन ने अमेरिका को गहरी चोट देते हुए अमेरिका के अत्याधुनिक ड्रोन «MQ-9» का शिकार करते हुए सकुशल उतार लिया।

मिजोरम में सोमवार रात आए रेमल चक्रवात के कारण जिले में 34 लोगों की मौत हो गई। राज्य आपदा प्रबंधन और पुनर्वास विभाग के अधिकारियों ने भारी बारिश और तेज़ तूफ़ान के कारण इमारतों और संरचनाओं को व्यापक क्षति होने की सूचना दी है। विस्तृत क्षति आकलन अभी संकलित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आइजोल जिले में 127 घर क्षतिग्रस्त हो गए है जिनमें से 28 को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त, 53 को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त और 46 को आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त के रूप में वर्गीकृत किया गया है। कुल 163 घरों को खाली कराया गया है।

 राज्य भर में कई भूस्खलन, पेड़ उखड़ने और बिजली के खंभे गिरने की खबरें आई हैं, जिससे दैनिक जीवन गंभीर रूप से बाधित हुआ है। राज्य लोक निर्माण विभाग और ठेकेदार सड़कों की रुकावटों को दूर करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं, हालांकि आज देर रात तक कई सड़कें भूस्खलन से बाधित रहीं।

भारत ओर पाकिस्तान के बीच T20 वर्ल्ड कप 2024 के अंतर्गत होने वाले मैच से पहले ही इस पर संकट के बादल गहराने लगे हैं। न्यूयॉर्क में खेले जाने वाले भारत-पाक (IND vs PAK) के हाई-वोल्टेज मैच से पहले एक बड़ी खबर सामने आई है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन आईएसआईएस- खुरासन (ISIS-K) ने भारत-पाक मैच में हमले की खुली धमकी दे दी है। इस आतंकी संगठन ने एक वीडियो जारी कर स्वतंत्र हमलावरों से इस काम को अंजाम देने को कहा है।

इस आतंकी संगठन ने एक वीडियो जारी कर स्वतंत्र हमलावरों से इस काम को अंजाम देने को कहा है। हालांकि, इस धमकी भरे वीडियो के बाद आईसीसी (ICC) ने चुप्पी तोड़ी है और कहा है कि भारत-पाक मैच के लिए उन्होंने अपनी सुरक्षा बढ़ा दी है।

दरअसल, 9 जून को न्यूयॉर्क के नसाउ काउंटी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेले जाने वाले भारत-पाकिस्तान के मैच को लेकर अमेरिका ने सुरक्षा बढ़ा दी है। डेली मैल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ISIS के एक संगठन ने भारत-पाक मैच पर आतंकी हमले की धमकी दी है।

ब्रिटिश फुटबॉल टीम के पूर्व स्टार और यूनिसेफ (संयुक्त राष्ट्र बाल कोष) के दूत डेविड बैकहम ने इंस्टाग्राम पर अपने एकाउंट पर एक स्टोरी शेयर करते हुए रफह पर ज़ायोनी सेना के बर्बर हमलों पर प्रतिक्रिया व्यक्त की।

बैकहम ने अपनी स्टोरी पर लिखा रफ़ह में शरणार्थियों के ख़ैमों पर बमबारी के दौरान जले हुए बच्चों और परिवारों की वायरल तस्वीरों ने हम सभी को झकझोर कर रख दिया है।

ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनी शासन के हमलों की शुरुआत से अब तक हज़ारों बच्चों की मौत और बड़ी संख्या में उनके घायल होने का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अब बच्चों के इस क़त्ले आम को तत्काल रोक देना चाहिए।

अफ़ग़ानिस्तान ली सत्ता पर क़ाबिज़ तालिबान को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में बिखराव का दौर शुरू हो चुका है। रूस अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के खिलाफ जाते हुए तालिबान सरकार को मान्यता देने का मन बना रहा है।

अमेरिका के अफगानिस्तान से निकलने के बाद अगस्त 2021 में तालिबान ने बिना एक भी गोली चलाए सत्ता को अपने हाथ में ले ली। अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े के साथ ही क्षेत्री देशों और इंटरनेशनल ताकतों के बीच एक आम सहमति थी। अमेरिका, चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान और ईरान समेत अन्य प्रमुख शक्तियों के बीच इस बात पर आम सहमति थी कि तालिबान सरकार को तब तक मान्यता नहीं दी जाएगी, जब तक वह कुछ शर्तों को पूरा नहीं कर लेता।

इन शर्तों में समावेशी सरकार बनाना, महिलाओं और मानवाधिकारों का सम्मान करना और अफगान धरती को आतंकी समूहों के इस्तेमाल के लिए इस्तेमाल न होने देना शामिल है।

लेकिन तालिबान को लेकर अंतरराष्ट्रीय सहमति टूटती दिख रही है। दरार का पहला संकेत मार्च में दिखा जब चीन ने तालिबान शासन की ओर से नियुक्त पूर्णकालिक राजदूत को स्वीकार कर लिया। चीन ने तालिबान सरकार को आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है। लेकिन पूर्णकालिक राजदूत को स्वीकार करना एक मौन मान्यता के तौर पर देखा जा रहा है।

अब अफगान तालिबान के साथ एक और देश पूर्ण संबंध स्थापित करने के करीब पहुंच गया है। रूस ने तालिबान सरकार को मान्यता का संकेत दिया है। पहले कदम के तहत रूसी न्याय और विदेश मंत्रालय ने राष्ट्रपति पुतिन से अफगान तालिबान को आतंकी संगठनों की लिस्ट से हटाने की सिफारिश की। रूस ने 2003 में अफगान तालिबान पर प्रतिबंध लगा दिया था। अगर रूस प्रतिबंध हटा लेता है, तो तालिबान सरकार की संभावित मान्यता का रास्ता साफ हो जाएगा।

भारत से जारी सीमा विवाद के बीच चीन ने भारत से लगती सीमा पर 600 से अधिक गाँव बसा लिए हैं जहाँ जल्द ही सेना को तैनात किया जा सकता है।

चीन और भारत में सीमा विवाद चल रहा है, इसको लेकर दोनों देशों की सेनाओं में झड़प की खबरें भी आती रहती हैं। ऐसे में वॉशिंगटन थिंक टैंक सेंटर फॉर इंटरनेशनल एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज (CSIS) की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हिमालय में चीन भारत के साथ अपनी विवादित सीमा पर सैकड़ों गांवों बसा रहा है।

न्यूजवीक की रिपोर्ट में तो सैटेलाइट तस्वीरों का हवाला दिया गया इसमें 2022 से 2024 की तस्वीरों से तुलना की गई। चीन ने पिछले 4 साल के भीतर ही 624 गांवों का निर्माण किया है। CSIS रिपोर्ट में बताया गया कि 2018 और 2022 के बीच चीन ने 624 गांवों का निर्माण किया है और लगातार इसका काम जारी है।

अरुणाचल प्रदेश के पास 4 अलग-अलग जगहों पर ये गांव बसाए जा रहे हैं। अरुणाचल भारत का हिस्सा है, जबकि चीन इसे अपना इलाका होने का दावा करता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये जो गांव बसाए गए हैं, इनमें गुप्त रूप से सैनिक तैनात किए जा सकते हैं।

रूस और यूक्रेन की जंग ने पश्चिम वालों को यह याद दिलाया कि बड़ी शक्तियों और उनके सहयोगियों के अलावा भी एक दुनिया मौजूद है।

इस दूसरी दुनिया में आम तौर पर अफ़्रीक़ा महाद्वीप, एशिया और लैटिन अमरीका का शुमार होता है, जिन्होंने जंग में किसी एक का पक्ष लेने का विरोध किया है। इसलिए इस जंग की वजह से भू-राजनीति में ग्लोबल साउथ सुर्ख़ियों में आ गया है।

 

ग्लोबल साउथ की वापसी

 

कोल्ड वार के बाद एकध्रुवीय दशकों में ऐसा लगने लगा था कि ग्लोबल साउथ हमेशा के लिए हाशिए पर चला गया है। लेकिन आज फिर से ग्लोबल साउथ सुर्ख़ियों में है। यह वापसी किसी एक समूह या संगठित संगठन के तौर पर नहीं, बल्कि एक भू-राजनीतिक सच्चाई के रूप में हुई है।

 

ग्लोबल साउथ की विशालता

 

ग्लोबल साउथ में दक्षिण पूर्वी एशियाई देश, प्रशांत महासगर के द्वीप और लैटिन अमरीकी देश शामिल हैं।

 

ग्लोबल साउथ में शामिल होने का मापदंड क्या है

 

ग्लोबल साउथ में अलग-अलग तरह के देश हैं, लेकिन उनके बीच कुछ विशेषताएं हैं। यूरोपीय उपनिवेश की यादों ने उनके विचारों को समान आकार प्रदान किया है। इन देशों का फ़ोकस, व्यापार विस्तार, निवेश और मूल्य श्रृंखला को उन्नत करने पर है।

 

ग्लोबल साउथ देशों में धन

 

ग्लोबल साउथ के कई देश, 20वीं सदी के बाद से अधिक अमीर और स्मार्ट हो गए हैं और उन्होंने सीख लिया है कि अपने लिए लाभ हासिल करने के लिए दोनों पक्षों (एक तरफ़ अमरीका, जापान और यूरोप और दूसरी तरफ़ चीन-रूस गठबंधन) के साथ कैसे खेलना है और अपने हित हासिल करने हैं।

 

यूक्रेन युद्ध में ग्लोबल साउथ देशों की भूमिका

 

ग्लोबल साउथ देशों ने इंकार की ताक़त दिखाकर, बड़ी ताक़त हासिल कर ली है। व्यवहारिक रूप से यूक्रेन पर हमले के बाद, रूस पर लगने वाले प्रतिबंधों को सभी ग्लोबल साउथ देशों ने ख़ारिज कर दिया है।      

निर्णय लेने वाली वैश्विक संरचनाओं में अपने महत्व को लेकर वैश्विक दक्षिण देशों का असंतोष

ग्लोबल साउथ के सभी देश निर्णय लेने वाली वैश्विक संरचनाओं में अपने महत्व से बहुत असंतुष्ट हैं।

इनमें से कुछ देशों के पास खनिज संसाधन, आपूर्ति श्रृंखलाएं और नए विचार हैं, जो वैश्विक विकास और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ज़रूरी हैं और यह उन्हें 20वीं सदी की तुलना में अधिक शक्ति प्रदान करता है।

संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में सुधार

ग्लोबल साउथ के सभी देश संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में मूलभूत परिवर्तनों और सुधारों की वकालत करते हैं।

अमरीका आज भी अंतर्राष्ट्रीय वित्त प्रणाली पर दबदबा क़ायम रखे हुए है, जिसकी वजह से वह अपने सहयोगियों के साथ मिलकर, ग्लोबल साउथ के देशों पर प्रतिबंध लगाने में सफल हो जाता है।

ग्लोबल साउथ का भविष्य

न्यू ग्लोबल साउथ, समय बीतने के साथ अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में अपनी मांगों को पूरा करने के लिए बड़ी शक्तियों पर ज़ोर दे सकता है और प्रॉक्सी वार्स से दूरी बना सकता है।

ग्लोबल साउथ के देश, अपने राष्ट्रीय हितों के लिए व्यक्तिगत क़दम उठा सकते हैं। उनकी आवाज़ जलवायु परिवर्तन और डॉलर के आधिपत्य के ख़िलाफ़ प्रभावी तौर पर सुनी जा सकती है।

इसके अलावा, न्यू साउथ के देशों का एक-दूसरे से भौगोलिक अलगाव और उनके केंद्रीय हितों को प्रभावित करने वाले मतभेदों की अनुपस्थिति, शायद यह गारंटी देता है कि भविष्य में उनके संबंध सौहार्दपूर्ण बने रहेंगे।

ईरान की राष्ट्रीय इनडोर हॉकी टीम ने मलेशिया के ख़िलाफ़ जीत हासिल करते हुए एशियाई चैम्पियनशिप जीत ली है।इसके अलावा, ईरानी राष्ट्रीय टीम के स्टार खिलाड़ी सालार आग़ापूर को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ युवा फ़ुटसल खिलाड़ी चुना गया है।

एशियाई प्रतियोगिता में ईरान की राष्ट्रीय इनडोर हॉकी टीम की चैंपियनशिप, सालार आग़ापूर को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ युवा फ़ुटसल खिलाड़ी चुना जाना और विश्व कप में सेपक तकरा की दो सदस्यीय और तीन सदस्यीय राष्ट्रीय टीम की चैंपियनशिप, खेल के मैदान में ईरान से संबंधित कुछ अहम समाचार हैं।

फ़ुटसल प्लैनेट वेबसाइट ने कि जो हर साल विभिन्न श्रेणियों में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फ़ुटसल खिलाड़ियों का परिचय कराती है, इस साल दुनिया के सर्वश्रेष्ठ युवा खिलाड़ियों की श्रेणी में शीर्ष 10 उम्मीदवारों में ईरान के सालार आग़ापूर को भी शामिल किया है। इस विश्वसनीय वेबसाइट ने अंततः सालार आग़ापूर को सर्वश्रेष्ठ युवा खिलाड़ी के रूप में पेश किया है।

ईरानी महिला राष्ट्रीय वॉलीबॉल टीम ने एशिया महिला चैलेंज कप के तीसरे संस्करण के एलिमिनेशन चरण में हांगकांग की राष्ट्रीय टीम का सामना किया और तीन-एक की बढ़त हासिल करते हुए मैच जीत लिया।

2024 विश्व चैम्पियनशिप पैरा-फ़ील्ड प्रतियोगिता की मेज़बानी जापान के कोबे शहर ने की। ईरानी एथलीट सईद अफ़रूज़ ने 34F वर्ग में भाला फेंक कर स्वर्ण पदक जीत लिया। यासीन ख़ोसरवी ने 57F वर्ग में और मेहदी औलाद ने 11 F थ्रो स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल किया। सैयद अली असग़र जवानमर्दी ने 35F वर्ग सादिक़ बेत सय्याह ने 41F वर्ग में भाला फेंक कर रजत पदक अपने नीम किया। ब्लाइंड श्रेणी में अमीर हुसैन अलीपूर और हाजिर सफ़रज़ादे ने 400 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक जीते।

उज़्बेकिस्तान के महाद्वीपीय दौरे की एथलेटिक्स प्रतियोगिता के दौरान, ईरान के थ्रोअर हुसैन रसूली ने डिस्क थ्रोइंग में पहला ख़िताब और स्वर्ण पदक अपने नाम किया। मेहदी साबेरी ने वेट थ्रो स्पर्धा में उपविजेता का ख़िताब जीता।

ईरान की सेपक तकरा दो-खिलाड़ी और तीन-खिलाड़ी राष्ट्रीय टीमें मलेशिया में विश्व कप प्रतियोगिताओं में दो स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहीं।

ईरानी शतरंज खिलाड़ी बर्दिया दानिश्वर ने शारजाह सुपरमास्टर्स की चैंपियनशिप जीत ली। इस टूर्नामेंट में रूसी और अमेरिकी शतरंज खिलाड़ी दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।

ईरान की राष्ट्रीय इनडोर हॉकी टीम ने मलेशिया के ख़िलाफ़ जीत हासिल करके नौवीं बार एशिया चैंपियनशिप जीत ली। ईरान की राष्ट्रीय हॉकी टीम ने कि जो विश्व में दूसरे स्थान पर है, इस चैम्पियनशिप के साथ 2025 विश्व कप में भाग लेने का अधिकार हासिल कर लिया।

वर्ल्ड फ़ेडरेशन द्वारा घोषित नवीनतम विश्व स्केटिंग रैंकिंग में, ईरान के रज़ा लेसानी ने इनलाइन फ्रीस्टाइल श्रेणी में दुनिया में पहली रैंक हासिल की और रोमिना सालिक युवा आयु वर्ग में सफल प्राप्त करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया।

ईरानी युवा टीम ने दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक के साथ जॉर्जिया के नोगज़ार एस्किरली कप की अंतर्राष्ट्रीय युवा फ्रीस्टाइल कुश्ती प्रतियोगिता का ख़िताब जीत लिया।