
رضوی
अमरीकी ईरान की प्रगति से क्रोधित हैं और यह क्रोध उन्हें ले डूबेगा, आयतुल्लाह इमामी काशानी
तेहरान के जुमे के इमाम ने कहा है कि अमरीकी ईरान की प्रगति से क्रोधित हैं और इसी क्रोध में मर जाएंगे।
तेहरान की जुमे की नमाज़ आयतुल्लाह मोहम्मद इमामी काशानी की इमामत में अदा की गयी। उन्होंने नमाज़ के विशेष भाषण में दुश्मन और उनकी साज़िश को पहचानने पर बल देते हुए कहाः "अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प की परमाणु समझौते जेसीपीओए के संबंध में कार्यवाही से पता चलता है कि इस देश के अधिकारियों को इस्लाम से दुश्मनी है और वे इस्लामी समाज को नुक़सान पहुंचाने में लगे हुए हैं।"
उन्होंने इस बात का उल्लेख करते हुए कि दुश्मन चाहते हैं कि इस्लामी जगत आर्थिक व सुरक्षा के क्षेत्र में हमेशा मुश्किल में फंसा रहे, कहा कि दुश्मन जानते हैं कि इस्लाम, समाजों की प्रगति, सम्मान और शक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है, इसलिए इस ईश्वरीय धर्म को नुक़सान पहुंचाने में लगे हैं।
तेहरान के जुमे के इमाम ने ईश्वर पर आस्था, दृढ़ता, आंतरिक क्षमता के इस्तेमाल, एकता और युवा व उपयोगी मानव संसाधन के इस्तेमाल को दुश्मन की साज़िशों से निपटने के उपाय बताए।
आयतुल्लाह इमामी काशानी ने कहा कि भविष्य इस्लामी जगत का है और दुश्मनों का विनाश होगा।
अमरीका और यूरोप के बारे में ईरान का रोडमैप तय, वरिष्ठ नेता ने पेश कर दिया पूरा ख़ाका
ईरान में इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था में इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण और निर्णायक है।
इस समय जब ईरान के संबंध में अमरीका ने दुस्साहसी क़दम उठाया है और परमाणु समझौते से बाहर निकल कर ईरान पर प्रतिबंध लगाने का एलान कर दिया है तो वरिष्ठ नेता ने अपने भाषण में बड़े ही स्पष्ट शब्दो में अनेक तथ्यों को बयान किया और अमरीका से निपटने और साथ ही यूरोप के बारे में बड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित किया।
अमरीका के बारे में इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने महत्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित कियाः
- इस बात की संभावना ही नहीं है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, अमरीका से इंटरैक्शन कर सकेः अमरीका अपनी प्रतिबद्धताओं का भी ध्यान नहीं रखता। आप यह न कहिए कि यह तो इस सरकार ने किया है, ट्रम्प ने किया है, नहीं, पिछली सरकार भी जिसने हमसे वार्ता की, जिसके विदेश मंत्री दस दिन पंद्रह दिन तक यूरोप में बड़ी तनमयता से इस वार्ता में लगे रहे, उस सरकार ने भी एक अलग अंदाज़ से उल्लंघन किया। उसने भी प्रतिबंध लगाए और उसने भी अपनी प्रतिबद्धताओं के ख़िलाफ़ काम किया।
- ईरान से अमरीका की गहरी दुशमनीः यह दुशमनी मामूली नहीं है। विरोध परमाणु कार्यक्रम जैसी चीज़ों के कारण नहीं है। बहस यह है कि वह इस शासन व्यवस्था के ही विरोधी हैं जो इस संवेदनशील क्षेत्र में मज़बूत से खड़ी है, विकास कर रही है, अमरीका के अत्याचारों का विरोध करती है, अमरीका को कोई भी ग़ुंडा टैक्स देने के लिए तैयार नहीं है, जिसने पूरे इलाक़े में प्रतिरोध की भावना में नई जान डाल दी है, अमरीका इस शासन व्यवस्था के ख़िलाफ़ है।
- यदि अमरीका के सामने नर्मी बरती जाए तो वह और दुस्साहसी हो जाता हैः हम जिस मामले में भी ज़रा सा पीछे हटे उस मामले में अमरीका अधिक दुस्साहसी हो गया। वह दुष्ट राष्ट्रपति जो दुष्टता की प्रतिमा था अर्थात बुश जूनियर उसने उस समय की ईरानी सरकार की ओर से दिखाई गई नर्मी और ढील के जवाब में ईरान की दुष्टता की धुरी कहा था।
- यदि डट जाया जाए तो अमरीका पीछे हटने पर मजबूर हो जाता हैः संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने यूरेनियम के संवर्धन के ईरान के अधिकार को स्वीकार किया तो इसका कारण वार्ता नहीं थी। कोई भी इस भूल में न रहे। इसकी वजह थी हमारी प्रगति। चूंकि हम प्रगति कर चुके थे। चूंकि हम आगे बढ़ चुके थे। चूंकि हम 20 प्रतिशत के ग्रेड तक पहुंच चुके थे तो वह स्वीकार करने पर मजबूर हुए, वरना अगर वार्ता से हमें यह अधिकार मिलने की बात होती तो हमें कभी भी यह अधिकार नहीं मिल पाता।
- महत्वपूर्ण मामलों में यूरोप अमरीका के साथ खड़ा होता हैः हम यूरोप से झगड़ा करने का इरादा नहीं रखते लेकिन सच्चाई से हमें अवगत होना चाहिए। इन तीनों देशों ने साबित कर दिया है कि संवेदनशील मामलों में वह अमरीका का साथ देते हैं और अमरीका के पदचिन्हों पर चलते हैं। परमाणु वार्ता के दौरान फ़्रांस के विदेश मंत्री की घटिया हरकत सबको याद है। अच्छे पुलिस मैन और बुरे पुलिस मैन के खेल में फ़्रांस को बुरे पुलिस मैन का रोल दिया गया था अलबत्ता अमरीका के समन्वय से।
- देश के महत्वपूर्ण मामलों के समाधान को विदेशी मामलों और परमाणु समझौते पर निर्भर करना बड़ी ग़लती हैः देश के महत्वपूर्ण मुद्दों को, आर्थिक विषयों को, देश के दूसरे महत्वपूर्ण विषयों को एसी चीज़ से जोड़ देना जो हमारे अपने हाथ में नहीं है देश के बाहर है, उसका फ़ैसला देश के बाहर होता है, उचित नहीं है। यदि हम अपने आर्थिक मामलों को, रोज़गार के मामलों को परमाणु समझौते से जोड़ेंगे तो नतीजा यह होगा कि सबको कई महीना इंतेज़ार करना पड़ेगा कि यह पता चले कि विदेशी क्या फ़ैसला करते हैं।
अमरीका ने तो परमाणु समझौते से बाहर निकलने की घोषणा कर दी है लेकिन यूरोपीय संघ बार बार कह रहा है कि वह परमाणु समझौते का पालन करता रहेगा। इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता का कहना है कि यूरोप के साथ भी यदि परमाणु समझौते को जारी रखना है तो उससे ठोस गैरेंटी हासिल कर ली जाए क्योंकि यूरोपीय देशों पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता।
इस्लामी क्रान्ति का कहना है कि यूरोप गैरेंटी के रूप में छह क़दम उठाएः
- यूरोप अमरीका के हाथों परमाणु समझौते के उल्लंघन पर अपनी ख़ामोशी की भरपाई करे।
- सुरक्षा परिषद में अमरीका के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पेश करे कि उसने प्रस्ताव 2231 का उल्लंघन किया है।
- मिसाइली ताक़त और क्षेत्र में इस्लामी गतणंत्र ईरान की उपस्थिति को यूरोप न उठाए।
- इस्लामी गणतंत्र ईरान पर लगने वाले हर प्रतिबंध का मुक़ाबला करे।
- इस्लामी गणतंत्र ईरान जितना चाहे उतना तेल बेचे।
- यूरोपीय बैंक ईरान से व्यापार से संबंधित पैसे का ट्रांज़ैक्शन करें।
- अगर यूरोप ने इन मांगों को पूरा करने में टालमटोल किया तो रोकी जा चुकी परमाणु गतिविधियों को शुरू करने का ईरान को पूरा अधिकार होगा।
हरियाणा, गुरुग्राम में 37 स्थानों पर होगी जुमे की नमाज़
हरियाणा के गुरुग्राम शहर में प्रशासन ने जुमे की नमाज के लिए 37 स्थानों को चिन्हित किया है जहां पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गये हैं।
गुरुवार को मुस्लिम समुदाय की पुलिस के साथ बैठक में इस बात पर सर्व सम्मति बन गई है। पुलिस आयुक्त कार्यालय में तीन घंटे चली बैठक में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने नमाज के दौरान इन सभी जगहों पर पुलिस सुरक्षा की मांग की। पुलिस ने भी उन्हें सुरक्षा देने का भरोसा दिया है।
सूत्रों का कहना है कि इनमें 13 खुली जगह हैं जबकि बाकि 24 मुस्लिम समुदाय के अपने स्थान हैं। सूत्रों का कहना है कि जुमे की नमाज़ पार्क, ग्रीन बेल्ट और सड़क पर अदा नहीं की जाएगी।
सूत्रों का कहना है कि पूर्वी ज़ोन में 12 जगह, पश्चिमी ज़ोन में पांच जगह, मानेसर ज़ोन में तीन और दक्षिणी ज़ोन में पांच जगह पर नमाज अदा की जाएगी। ज्ञात रहे कि 20 अप्रैल को कुछ कट्टरपंथी हिन्दु संगठनों ने नमाज पढ़ रहे लोगों को जबरन हटा दिया था और उसका वीडियो सोशल साइट पर वायरल भी कर दिया था।
पुलिस ने इस संबंध में 25 अप्रैल को मामला दर्ज कर गुरुवार को छह युवकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। तनाव से पहले पहले मुस्लिम समुदाय शहर में 110 जगहों पर नमाज़ अदा करते थे।
परमाणु समझौते से अमेरिका का निकलना ग़लत थाः भारत
भारत के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि परमाणु समझौते से अमेरिका का निकलना असंतुलित और गलत था।
सहर टीवी की रिपोर्ट के अनुसार रविश कुमार ने गुरूवार को बल देकर कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान अब तक परमाणु समझौते के प्रति कटिबद्ध रहा है।
भारत के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने अमेरिका की ओर से परमाणु समझौते से निकलने पर खेद जताया और परमाणु समझौते के दूसरे पक्षों का आह्वान किया है कि वे इस समझौते के प्रति कटिबद्ध रहें।
रविश कुमार ने इसी प्रकार बल देकर कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण रहा है और परमाणु ऊर्जा से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए लाभ उठाने हेतु ईरान के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिये।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को सांप्रदायिक ताकतें बदनाम करना चाहतीं हैं, मौलाना कल्बे जवाद
लखनऊ 11 मई अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्नाह की तस्वीर पर सांप्रदायिक ताकतों द्वारा योजनाबद्ध हंगामा करने और हालात ख़राब करने की निंदा करते हुए आज मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्नाह की तसवीर बरसों से लगी हुई है, यह अचानक आज कैसे तसवीर की याद आ गई है?
मौलाना ने कहा कि वास्तव में सांप्रदायिक ताक़तों को जिन्ना की तस्वीर के बहाने मुस्लिम विश्वविद्यालय को निशाना बनाना था क्योंकि यह लोग विश्वविद्यालय को सहन नहीं कर पा रहे हैं। वे चाहते हैं मुसलमान शिक्षा प्राप्त न कर पायें और जाहिल रहें, ताकि वे उन्हें अपना ग़ुलाम बना सकें और उनकों अपने फायदे के लिये इस्तेमाल कर सकें।
मौलाना ने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्र बधाई के पात्र है कि जिन्होंने सब्र एवं धैर्य से काम लिया क्योंकि अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है।
मौलाना ने कहा कि एक साज़िश के तहत हंगामा किया जा रहा है ताकि विश्वविद्यालय को बदनाम किया जा सके, इस पूरे मामले में हम विश्वविद्यालय और उसके छात्रों के साथ है, यदि छात्र धैर्य एवं सब्र से काम नहीं लेते तो हालात बहुत ख़राब हो सकते थे। इस मामले में, कुलपति की सराहना की जाती है जिनकी सूझ-बूझ और समझदारी के कारण हालात संभल गये, वरना सांप्रदायक ताक़तों की साजिश सफल हो गई होती।
अगर युरोपीय देशों ने गारंटी नहीं दी तो परमाणु समझौता नहीं रहेगा , वरिष्ठ नेता
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति ने पिछली रात मूर्खतापूर्ण बातें कीं, शायद उनकी बातों में दस झूठ थे, उन्होंने सरकार और जनता को धमकी भी दी।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि मैं, ईरान की जनता की ओर से कहता हूं कि श्रीमान ट्रम्प आप कुछ बिगाड़ नहीं सकते।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने बुधवार को " फरहंगियान विश्व विद्यालय " में शिक्षकों और छात्रों से एक भेंट में कहा कि हमने पहले ही कहा था कि ईरान के साथ अमरीका की समस्या, परमाणु ऊर्जा नहीं है बल्कि यह सब बहाने हैं, अब सब ने देख लिया , हमने जेसीपीओए को स्वीकार किया लेकिन इस्लामी गणतंत्र ईरान के साथ शत्रुता जारी है।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि अब इलाक़े में हमारी भूमिका और मिसाइल का मुद्दा उठाया जा रहा है अगर हम इसे भी स्वीकार करें तो भी समस्या खत्म नहीं होगी कोई दूसरा मुद्दा आरंभ कर दिया जाएगा ।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान का अमरीका की ओर से विरोध का कारण यह है कि अमरीका का पूरी तरह से वर्चस्व था और इस्लामी क्रांति ने उसके रोक दिया। अमरीकी अन्य देशों में एसे शासक चाहते हैं जिनके धन वह लें और जो उनके आदेशों का पालन करें। वह इस्लामी गणतंत्र ईरान को भी आदेश देना चाहते हैं, अतीत में वह आदेश देते रहे हैं लेकिन अब क्रांति के बाद अमरीकियों को यह ईरान सहन नहीं हो रहा है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति का मूर्खतापूर्ण व आलोचनीय क़दम, हमारी आशा के विपरीत नहीं है, इस से पहले के राष्ट्रपतियों ने भी इस प्रकार के काम किये हैं, ईरानी राष्ट्र पूरी ताक़त से डटा हुआ है, वह सारे राष्ट्रपति मर चुके हैं , उनकी हड्डियां गल चुकी हैं और इस्लामी गणतंत्र ईरान यथावत बाक़ी है। यह श्रीमान भी मिट्टी में मिल जाएंगे और उनके शरीर को सांप बिच्छु खा जाएंगे और इस्लामी गणतंत्र ईरान यथावत बाक़ी रहेगा।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि अब यह कहा जा रहा है कि तीन युरोपीय देशों के साथ समझौता जारी रहेगा, मुझे इन तीन देशों पर भी भरोसा नहीं, इन पर भी भरोसा न करें अगर समझौता करना है तो व्यवहारिक गांरटी लेंगे अन्यथा यह देश भी अमरीका वाला ही काम करेंगे। अगर इन देशों से गारंटी नहीं ले पाए तो फिर जेसीपीओए को जारी नहीं रखा जा सकता।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि देश के नेता कड़ी परीक्षा में हैं , राष्ट्रीय सम्मान व राष्ट्रीय हितों की सही अर्थों में सुरक्षा होनी चाहिए।
"...तो इस्लामी गणतंत्र ईरान तेल-अवीव और हैफा को मिट्टी में मिला देगा। ! "
तेहरान में जुमा की नमाज़ के इमाम ने जेसीपीओए से अमरीका के निकलने की ओर संकेत करते हुए कहा कि, अमरीका और युरोपीय संघ में से किसी पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता और ब्रसल्ज़ भी वचन तोड़ने में वाशिंग्टन से कम नहीं है।
आयतुल्लाह अहमद खातमी ने शुक्रवार के दिन तेहरान में आयोजिन जुमा की नमाज़ के दौरान अपने भाषण में कहा कि ईरान की मिसाइल शक्ति का अमरीका और युरोपीय संघ से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि तेहरान की ओर से युरोपीय संघ को दी गयी कुछ हफ्ते की समय सीमा के दौरान ईरान के नुक़सान की भरपाई नहीं हुई तो इस्लामी गणतंत्र ईरान, जेसीपीओए में बाक़ी नहीं रहेगा।
उन्होंने कहा कि ईरान में इस्लामी क्रांति की विजय के बाद से ही दुश्मन, इस व्यवस्था को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं और वास्तव में दुश्मन, कमज़ोर ईरान के इच्छुक हैं तथा अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और इलाक़े के कुछ तुच्छ सरकारों को ईरान की शक्ति से परेशानी है।
तेहरान के इमाम जुमा ने इस बात पर बल देते हुए कि इस्लामी गणतंत्र ईरान अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाता रहेगा कहा कि अगर ज़ायोनी शासन ने ईरान के खिलाफ पागलपन दिखाया तो इस्लामी गणतंत्र ईरान तेलअबीव और हैफा को मिट्टी में मिला देगा।
तेहरान के इमामे जुमा ने कहा है कि अमरीका ने अगर ईरान पर युद्ध थोपने की ग़लती की तो उसे पछताना पड़ेगा
तेहरान के इमामे जुमा ने जुमे की नमाज़ में ख़ुतबा देते हुए कहा है कि ईरान के ख़िलाफ़ अमरीका और उसके घटकों की धमकियां प्रभावहीन हैं।
आयतुल्लाह मोहम्मद अली किरमानी ने कहा, अमरीका और उसके घटकों ने अगर धमकियों से आगे बढ़कर ईरान पर युद्ध थोपने की ग़लती की तो उन्हें अपमानजनक हार का सामना करना पड़ेगा।
आयतुल्लाह किरमानी का कहना था कि अमरीका, यूरोपीय देशों, सऊदी अरब और इस्राईल के साथ मिलकर ईरान विरोधी गठबंधन बनाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, ईरान शक्तिशाली है और वह साम्राज्यवादी शक्तियों का डटकर मुक़ाबला करेगा।
तेहरान के इमामे जुमा ने कहा, ईरान एक शक्तिशाली देश है और दुश्मनों की गीदड़ भभकियां उसे अपने रास्ते से हटा नहीं सकेंगी।
उन्होंने कहा, इस्लाम, कुफ़्र के मुक़ाबले में डट गया है और ईरान को इस बात पर गर्व है कि इस्लाम का झंटा उसके हाथों में है।
अमरीका, क्षेत्र से बोरिया बिस्तर बांध लेः वरिष्ठ नेता
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि फ़ार्स की खाड़ी और पश्चिमी एशिया हमारा घर है और इस क्षेत्र से ईरान नहीं बल्कि अमरीका को निकलना होगा।
मई दिवस या श्रमिक दिवस के अंतर्राष्ट्रीय दिन के अवसर पर श्रमिकों और उद्योगपतियों की बड़ी संख्या ने सोमवार को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
वरिष्ठ नेता ने इस मुलाक़ात में अपने संबोधन के दौरान मानवता के अंतिम मोक्षदाता हज़रत इमाम मेहदी (अ) के शुभ जन्म दिवस की बधाई पेश करते हुए कहा कि शाबान के महीने की विभूतियों से अधिक से अधिक लाभ उठाने की आवश्यकता है।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि 15 शाबान, दुनिया के निश्चित सुधार के लिए ईश्वर के अपरिहार्य वादे की शुभसूचना का इतिहास हैै और यह वह वचन है जिसमें कहा गया है कि हज़रत इमाम मेहदी के पवित्र हाथों से अत्याचार समाप्त होगा और दुनिया में न्याय और इंसाफ़ की स्थापना होगी।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अपने संबोधन में क्षेत्र में अमरीका की उपस्थिति के कारण जारी युद्ध और रक्तपात तथा अशांति व संकट का उल्लेख करते हुए कहा कि जिसको क्षेत्र से निकलना होगा वह इस्लामी गणतंत्र ईरान नहीं बल्कि अमरीका है और जैसा कि कुछ साल पहले भी मैंने कहा था कि मार कर भाग जाने का दौर अब ख़त्म हो गया है।
वरिष्ठ नेता ने अमरीका को संबोधित करते हुए कहा कि फ़ार्स की खाड़ी और पश्चिमी एशिया हमारा घर है किन्तु तुम यहां पराए हो और शैतानी लक्ष्यों की प्राप्ति और मतभेद पैदा करने के प्रयास में व्यस्त हो। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने पश्चिमी एशिया में अमरीका की उपस्थिति के परिणाम में पाई जाने वाली अशांति और युद्ध व रक्तपात का हवाला देते हुए कहा कि यही कारण है कि इस क्षेत्र में अमरीका के पैर तोड़कर उसे पश्चिमी एशिया से निकाल बाहर करना चाहिए।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरान की स्वतंत्र और स्वाधीन व्यवस्था का मुक़ाबला करने के लिए अमरीका ने जो तरीक़ा अपना रखा है उनमें से एक यह है कि वह कुछ ना समझ सरकारों को उकसा कर क्षेत्र में युद्ध और रक्तपात का बाज़ार गर्म कर रहा है।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमरीकियों का प्रयास है कि वह सऊदी सरकार और क्षेत्र के कुछ दूसरे देशों को उकसा कर उन्हें ईरान के मुक़ाबले में ला खड़ा करें किन्तु यदि यह देश बुद्धि रखते होंगे तो उन्हें अमरीका के धोखे में नहीं आना चाहिए।
उन्होंने इस बात का उल्लेख करते हुए कि अमरीकियों का प्रयास है कि वह ईरान की शक्तिशाली जनता और मज़बूत तथा सक्षम इस्लामी व्यवस्था का मुक़ाबला करने की क़ीमत ख़ुद न चुकाएं बल्कि क्षेत्र की कुछ सरकारों के ज़िम्मे डाल दें, कहा कि यह सरकारें ईरान के मुक़ाबले पर आईं तो निश्चित रूप से उन्हें भारी नुक़सान उठाना पड़ेगा और बुरी तरह पराजित होंगी।
चार दशकों से ईरानी राष्ट्र, वर्चस्ववाद के मुक़ाबले में डटा हुआ हैः हुसैन बूतोराबी फ़र्द
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैयद मुहम्मद हसन अबूतोराबी फ़र्द ने कहा है कि पिछले चार दशकों से ईरान की जनता, विश्व वर्चस्ववाद का मुक़ाबला कर रही है।
तेहरान के इमामे जुमा ने अमरीकी राष्ट्रपति की ओर से परमाणु समझौते से निकल जाने की धमकी पर प्रतिक्रिया स्वरूप कहा है कि ईरानी राष्ट्र कई दशकों से पूरी शक्ति के साथ वर्चस्ववाद का मुक़ाबला कर रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्चस्ववादियों ने विभिन्न शैलियों से ईरानी राष्ट्र को दबाने के प्रयास किये किंतु अपने हर प्रयास में वे विफल रहे। सैयद बूतोराबी फ़र्द ने कहा कि ईरान पर युद्ध थोपना, प्रतिबंध लगाना या उसपर राजनैतिक दबाव बनाने जैसी बातें, वर्चस्ववादी शक्तियों की शैलियां रही हैं।
तेहरान के इमामे जुमा ने कहा कि जेसीपीओए सहित विभिन्न क्षेत्रों में अमरीकी उल्लंघनों के कारण ईरान की जनता और यहां के अधिकारियों ने एकमत होकर यह निर्णय लिया है कि तेहरान, विश्वसनीय देश को ही अपना सहयोगी बनाए। हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैयद मुहम्मद हसन अबूतोराबी फ़र्द ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि ईरानी राष्ट्र ने कभी भी वर्चस्वादी व्यवस्था पर भरोसा नहीं किया और वह किसी भी स्थिति में उसपर भरोसा नहीं करेगा।
ज्ञात रहे कि परमाणु समझौते के अन्य पक्षों के विपरीत अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प, इस समझौते को ख़तरनाक समझौता बताकर उससे निकलना चाहते हैं जबकि जेसीपीओए के अन्य सदस्य इसके विरोधी हैं।