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भारत के सालारे जग़ संग्रहालय में कुरआन की दुर्लभ प्रतियां प्रदर्शित की जाएग़ी
«सियासत» समाचार एजेंसी के हवाले से खबर दी है कि संग्रहालय इस्लामी आर्ट गैलरी के उद्घाटन के साथ कुरआन की दुर्लभ प्रतियों को प्रदर्शित किया जाएग़ा।
इस्लामी आर्ट गैलरी सालारे जग़ संग्रहालय के 26 हजार वर्ग मीटर के एक क्षेत्र में निर्माण किया गया है और 2500 से अधिक इस्लामी पुस्तकों के उद्घाटन के बाद पवित्र कुरान की दुर्लभ प्रतियों सहित तसबीह, सुलेख प्रदर्शित किया जाएगा।
सालारे जग़ संग्रहालय के पास पवित्र कुरान की प्रतियां के एक समृद्ध संग्रह जिसमें कुरान, पांडुलिपियों, हैं।
इसी तरह पवित्र कुरान का पुराना रेहेल जिस पर कुरान कुफी ख़त में हिरण के त्वचा पर लिखा है यह नौवीं शताब्दी का है, और एक कुरआन सेमी लघु कुरान 2 सिनटी मीटर जो 31 शीट पर लिखा है और इसके केवल दो प्रतियां हैं एक ईरान में और एक सालारे जग़ संग्रहालय में मौजुद है इस्लामी कला के उद्घाटन करने के बाद प्रदर्शित किया जाएगा
सालारे जग़ संग्रहालय भारत में पहला संग्रहालय है और मुस्लिम दुनिया में तीसरा संग्रहालय है कि एक इस्लाम गैलरी पर समर्पित हो जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र: 87 हजार म्यांमारी अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर किऐ गऐ
समाचार ऐजेंसी अमातूली तुर्किया के हवाले से, मानवीय मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि कार्यालय की साप्ताहिक रिपोर्ट के आधार पर म्यांमार के मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसक घटनाओं के असर के चलते कम से कम 21,000 आंतरिक रूप से विस्थापित होगऐ और 66,000 अन्य लोग बांग्लादेश चले गए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है उत्तरी म्यांमार में कई क्षेत्रों में मानवीय सहायता शुरू की जा चुकी है, लेकिन अभी भी कुछ क्षेत्रों में म्यांमार सरकार अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों को निवेश की अनुमति नहीं देरही है।
म्यांमार की सरकार ने 1982 में एक कानून पारित कर के अराकान क्षेत्र के मुसलमानों से म्यांमार की नागरिकता छीन ली है,हाल के वर्षों में संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा में वृद्धि के साथ 130 हजार से अधिक मुसलमान म्यांमार से पलायन करने पर मजबूर हुऐ हैं।
उल्लेखनीय है कि म्यांमार के अराकान राज्य के मुस्लिम नागरिकों पर बौद्ध हमले जो कि 2012 में शुरू हुऐ अब तक ऐक बड़ी संख्या में मारे गऐ हैं। इन हमलों में, सैकड़ों घरों और कारखानों को आग लगा दी गई और बहुत से क्षेत्रीय मुसलमानों को अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर किया गया।
सुब्रमणयम की याचिका पर सुनवाई अनिश्चितकाल तक स्थगित
बाबरी मस्जिद के मालेकाना हक़ के विवाद में डाक्टर सुब्रमणयम स्वामी की हस्तक्षेपकर्ता बनने की याचिका की अपील पर सुप्रिम कोर्ट के दो सदस्यीय बेंच के जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस अमित्वराय ने कोई कार्यवाही न करते हुए मामले की सुनवाई अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दी है।
सुप्रिम कोर्ट में जमिअते ओलमाए हिंद के प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी के निर्देश पर दाख़िल की गयी याचिका में अदालत से मांग की गयी थी कि सुब्रमणयम स्वामी को इस मामले में हस्तक्षेपकर्ता बनने की अनुमति न दी जाए।
इससे पहले इसी महीने की चार तारीख़ को आयोध्या के ढांचे के मालेकाना हक़ के विवाद को लेकर सुप्रिम कोर्ट आफ़ इंडिया के दो सदस्यीय बेंच ने निचली अदालत की कार्यवाही को डिजिटल फ़ार्म में तैयार किए जाने वाले मामले में सुप्रिम कोर्ट के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी करते हुए उससे इसी महीने की 23 तारीख़ को अपना जवाब देने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी थी। सोमवार को एक फिर जमीअते ओलमाए हिंद के हस्तक्षेप के बाद सुब्रमणयम स्वामी की याचिका पर कोई फ़ैसला नहीं हो सका और मामले की सुनवाई स्थगित कर दी गयी।
इसी मध्य जमीअते ओलमाए हिंद के मीडिया विभाग के अनुसार, सुब्रमणयम स्वामी के हस्तक्षेपकर्ता बनने की अनुमति न देने और इस मामले को अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित किए जाने पर मौलाना अरशद मदनी ने संतोष व्यक्त किया है और कहा है कि उनके हस्तक्षेपकर्ता बनने का उद्देश्य मुक़द्दमे को सही तरफ़ जाने से रोकना है।
अंग्रेजी समाचार पत्र में मुसलमानों के बारे में झूठी रिपोर्ट का सुधार
अंतरराष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी ने «मेल ऑनलाइन» समाचार एजेंसी के अनुसार अंग्रेजी समाचार पत्र हमेशा मुसलमानों के बारे में झूठी कहानियों को प्रकाशित करता है।
ब्रिटिश राष्ट्रीय अखबारों ने हाल के महीनों में 20 से अधिक बार सुर्खियों में मुसलमानों से जुड़े हुई झूठी खबर प्रकाशित किया है।
ब्रिटेन मुस्लिम काउंसिल के सहायक महासचिव मिक्दाद वरसी पिछले साल नवंबर से रिपोर्टों मीडिया दुष्प्रचार के जाच करने का जिम्मेदार बनाया है।
उन्होंने कहा कि अब तक मुसलमानों के बारे में 20 गलत सूचना को सही किया है और 20 अन्य शिकायतों जांच की जा रही है।
मिक्दाद वरसी ने कहा कि समाचार पत्र "सन" की पांच झूठी रिपोर्ट,और तीन झूठी रिपोर्ट "एक्सप्रेस" और "मेल ऑनलाइन"की तीन प्रकाशित हुई है।
उन्होंने कहा कि गलत खबरें ग्रेट ब्रिटेन में मुसलमानों के खिलाफ दुश्मनी बढ़ा रही है।
मिक्दाद वरसी ने कहा कि इस रिपोर्ट का वास्तविक जीवन में ग़लत परिणाम होग़ा
हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ ऑस्ट्रिया में विरोध प्रदर्शन
प्रदर्शनकारी विन्शेआर विश्वविद्यालय के सामने जमा हो कर हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ के विरोध प्रदर्शन करते हुए धार्मिक स्वतंत्रता की मांग किया।
कोरटेज ने पिछले सप्ताह खुद से सरकारी सेवकों के लिए हिजाब पर प्रतिबंध लगाने की अपनी बात कही थी
मुसलमान उदारवादी और समाजवादी संस्थानों के साथ-साथ प्रतिबंध के खिलाफ विरोध शुरू कर दिया है।
ऑस्ट्रिया में मुस्लिम युवा संगठन महिलाओं की उपस्थिति के आधार पर नीतिगत निर्णय बताते हुए निंदा किया है।
सोमवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान ऑस्ट्रिया युवाओं के प्रवक्ता "Janan Yashar" ने अपने दावे में कार्यस्थल में मुस्लिम महिलाओं द्वारा हिजाब के नकारात्मक प्रभाव को खारिज कर दिया है।
ऑस्ट्रिया की सोशलिस्ट युवा संगठन के के एक सदस्य फियोना Herzog " ने इस तरह की कार्रवाई को अस्वीकार्य किया है
भारत में 'चमत्कार' नामी कुरानी प्रदर्शनी
«टाइम्स ऑफ इंडिया»के हवाले बताया कि यह प्रदर्शनी इस्लाम के सही अर्थ को बताने के लिए भारत के राज्य "कर्नाटक" के शहर "मंगलौर" में 5 दिनों के लिए 'चमत्कार' नामी कुरानी प्रदर्शनी आयोजित किया गया।
इस बैठक के दौरान अन्य विषयों जैसे भ्रूणविज्ञान, मानव शरीर रचना विज्ञान, शराब के हानिकारक प्रभावों,आईएसआईएस और आतंकवाद की कुरान के अनुसार जांच की गई।
प्रदर्शनी अधिकारियों में से मोहम्मद हनीफ, ओपीनाथ ग़ाधी ने कहा कि इस्लाम हमको शांति सिखाता है और पवित्र कुरान स्पष्ट रूप से हत्या से मना करता है।
उन्होंने कहा कि कुरान के अनुसार अग़र किसी ने अग़र कोई कीसी मानव को मारे तो ग़ोया उसने सभी मानवता को मार डाला है।
ओपीनाथ ग़ाधी ने कुरान की शिक्षाओं पर बल दिया: कुछ लोग़ इस्लाम को आतंकवाद संबंधित करते है जो पूरी तरह से गलत हैं।
यह 5 दिवसीय प्रदर्शनी 10 जनवरी से शुरू हुआ, हर दिन विभिन्न धर्मों के 5 हजार लोग आते थे।
हज़रत मासूमा का स्वर्गवास
हज़रत मासूमा का जन्म वर्ष 173 हिजरी क़मरी के ज़ीक़ादा महीने में हुआ और वर्ष 201 हिजरी क़मरी के रबीउस्सानी महीनें उन्होंने इस नश्वर संसार से विदा ली। पवित्रता और आध्यात्मिक महानता की दृष्टि से उनका स्थान बहुत ऊंचा है।
संयम, सहनशीलता और दृढ़ता उनके व्यक्तित्व की स्पष्ट विशेषताएं हैं। रबीउस्सानी महीने की दस तारीख़ को हज़रत मासूमा का स्वर्गवास हुआ और पूरा इस्लामी जगत शोक में डूब गया। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम दिनों में क़ुम नगर में क़दम रखकर इस शहर को हमेशा के लिए सुशोभित कर दिया और इसी नगर में उनका निधन हो गया। हम भी अपने दिलों को इस महान हस्ती की ओर उन्मुख करते हुए उन पर सलाम भेजते हैं। सलाम हो आप पर हे पवित्र, प्रशंसनीय, सदाचारी, बुद्धिमान और ईश्वर की पसंदीदा हस्ती।
हज़रत मासूमा का पालन पोषण एसे ख़ानदान में हुआ जो ज्ञान, सदाचार और शिष्टाचारिक विशेषताओं की दृष्टि से अद्वितीय था। उनके पिता सातवें इमाम हज़रत मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम थे और उनकी माता हज़रत नजमा ख़ातून थीं जिन्हें पहली संतान अर्थात हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम के जन्म के बाद ताहेरा अर्थात पवित्र की उपाधि मिली थी। इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की संतानों में हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम के बाद हज़रत मासूमा ज्ञान और शिष्टाचार की दृष्टि से सबसे बड़े दर्जे पर थीं। यह बात ईश्वरीय दूतों द्वारा उनकी प्रशंसा से पूरी तरह स्पष्ट है।
हज़रत मासूमा को करीमए अहले बैत अर्थात पैग़म्बरे इस्लाम के ख़ानदान की महान दाता की उपाधि मिली जो पैग़म्बरे इस्लाम के वंशजों में से किसी भी महिला को नहीं मिली। उनकी एक अन्य उपाधि थी सिद्दीक़ा अर्थात बड़ी सच्ची महिला। उनकी एक अन्य उपाधि मुहद्देसा अर्थात पैग़म्बरे इस्लाम तथा अन्य ईश्वरीय दूतों के कथनों की ज्ञानी महिला थी। अपने भाई हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम की इमामत के काल में हज़रत मासूमा हदीसें बयान करके आम लोगों को ईश्वरीय तथ्यों से अवगत करवाती थीं। वह अपने पिता और पूर्वजों की हदीसें और कथन बयान करती थीं जो शीया और सुन्नी धर्मगुरुओं के लिए ज्ञान का आधार बनीं। हज़रत मासूमा द्वारा बयान किए गए कथनों में चूंकि किसी शक और संदेह की गुंजाइश नहीं होती थी अतः उन्हें सभी लोग स्वीकार करते थे। उदाहरण स्वरूप हज़रत मासूमा ने एक हदीस बयान की कि पैग़म्बरे इस्लाम का कथन है कि जान लो कि जो भी पैग़म्बर के वंशजों की मुहब्बत में मरे व शहीद है।
इतिहासकारों ने लिखा है कि एक दिन पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनों के श्रद्धालु फ़िक़ह तथा अन्य विषयों के बारे में अपने कुछ सवाल लेकर मदीना नगर पहुंचे। वह पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम से अपने सवालों के जवाब प्राप्त करना चाहते थे। जब यह लोग हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के घर पहुंचे तो पता चला कि इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम सफ़र पर गए हुए हैं। उन्होंने अपने सवाल लिखित रूप में इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के घर दे दिया और कहा कि जब अगली बार वह मदीना आएंगे तो अपने सवालों के उत्तर ले लेंगे। कुछ दिन बाद वह मदीने से रवाना होने से पहले इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के घर विदा लेने गए तो उन्हें पता चला कि इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की सुपुत्री हज़रत मासूमा ने सारे सवालों के जवाब लिखकर तैयार कर दिए हैं। अपने सवालों के जवाब पाकर वह सब बहुत ख़ुश हुए। जब वह लोग मदीना से लौट रहे थे तो रास्ते में उन्हें इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम मिले। उन लोगों ने पूरी बात इमाम को बताई। इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने सवाल और उनके जवाब देखे तो कहा कि सारे जवाब सही हैं और फिर भावुक होकर कहा कि इस बेटी पर बाप क़ुरबान जाए।
वैसे तो नबी और इमाम की एक विशेषता मासूम अर्थात हर प्रकार के गुनाह और ग़लती से सुरक्षित होना है लेकिन कुछ ऐसे लोग भी इतिहास में गुज़रे हैं जो इमाम और नबी न होने क बावजूद अपनी तपस्या और पवित्रता से बहुत महान स्थान पर पहुंचे और उन्होंने ख़ुद को हर प्रकार की ग़लती और भूल से सुरक्षित बना लिया। शिष्टाचारिक बुराइयां उनसे कोसों दूर रहीं। हज़रत मासूमा भी ऐसी ही हस्तियों में से एक थीं। उनका नाम फ़ातेमा कुबरा था लेकिन वह इतने महान आध्यात्मिक स्थान पर पहुंच गईं कि उनके भाई हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम ने उन्हें मासूमा की उपाधि दी। उन्होंने कहा कि जिनके भी क़ुम में मासूमा की क़ब्र की ज़ियारत की उसने मानो मेरी ज़ियारत की है। इससे पहले हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम के दादा हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम भी जब क़ुम और इस शहर की महानता के बारे में बात होती तो हज़रत मासूमा का उल्लेख करते हुए कहते कि क़ुम छोटा कूफ़ा है। स्वर्ग के आठ दरवाज़े हैं और इनमें तीन दरवाज़ें क़ुम की ओर खुलते हैं। मेरी औलाद में से एक महिला वहां दफ़्न होगी जिसका नाम फ़ातेमा होगा और जिसकी सिफ़ारिश से शीया स्वर्ग में जाएंगे।
हज़रत मासूमा ने अपने भाई हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम की ज़ियारत के लिए मदीने से जो यात्रा की वह उनकी राजनैतिक और सामाजिक कार्यशैली को समझने के लिए काफ़ी है। जब अब्बासी ख़लीफ़ा मामून ने हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम को अपना उत्तराधिकारी बनने पर मजबूर दिया और उन्हें मदीना छोड़कर मर्व जाना पड़ा तो हज़रत मासूमा ने अपने भाइयों और श्रद्धालुओं के साथ मर्व जाने का इरादा किया ताकि अब्बासी शासकों के असली चेहरे को बेनक़ाब करें और समाज के लोगों को असली स्थिति से अवगत करवाएं। इस यात्रा में हज़रत मासूमा ने धर्म की शिक्षाओं का प्रचार किया। उन्हेंने इमामत के बारे में पैग़म्बरे इस्लाम के कथनों को बयान किया और अब्बासी शासकों की हक़ीक़त आम लोगों के सामने खोल कर रख दी। जब हज़रत मासूमा मदीने से निकलीं और रास्ते में अब्बासी शासक के कारिंदों ने उनके कारवां पर हमला किया और झड़पें हुईं तो सबको मालूम हो गया कि मामून ने हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम को अपना उत्तराधिकारी केवल जनता को धोखा देने और अपनी छवि सुधारने के लिए बनाया है। जब हज़रत मासूमा का कारवां सावे शहर के क़रीब पर पहुंचा और उस पर अब्बासी शासक के कारिंदों का हमला हुआ तो सबको मालूम हो गया कि अब्बासी ख़लीफ़ा पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनों का दुशमन है। अब्बासी ख़लीफ़ा के कारिंदों ने हज़रत मासूमा के कारवां का रास्ता रोक लिया और उनके काफ़िले में शामिल कई लोगों को शहीद कर दिया। यह घटना इतनी भयानक थी कि इसके कारण हज़रत मासूमा गंभीर रूप से बीमार हो गईं। जब हज़रत मासूमा को यह यक़ीन हो गया कि वह मर्व की ओर अपनी यात्रा जारी नहीं रख सकेंगी तो उन्होंने अपने कारवां के लोगों से कहा कि क़ुम की ओर बढ़ें। उन्होंने इसकी वजह भी बयान की। हज़रत मासूमा ने कहा कि मुझे क़ुम ले चलो इस लिए कि मैंने अपने पिता से सुना है कि यह शहर पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के श्रद्धालुओं का है। इस निर्णय से भी हज़रत मासूमा की दूरदर्शिता और ज्ञान पूर्णतः स्पष्ट है।
जब क़ुम के लोगों को यह पता चला कि हज़रत मासूमा इस शहर की ओर आ रही हैं तो पूरा शहर उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़ा। सअद ख़ानदान के मूसा इब्ने ख़ज़रज सबसे पहले हज़रत मासूमा के पास जा पहुंचे और हज़रत मासूमा के ऊंट की मेहार अपने हाथ में ले ली और उन्हें अपने घर लाए। लेकिन हज़रत मासूमा सावे की घटना से इतनी आहत थीं कि वह बीमारी से उबर नहीं सकीं और 16 या 17 दिन बाद उनका निधन हो गया।
हज़रत मासूमा ने क़ुम में 16 या 17 दिन मूसा इब्ने ख़ज़रज के घर में एक उपासना स्थल में व्यतीत किए जो आ भी बाक़ी है। इस समय वहां बड़ी वैभवशाली इमारत बनी हुई है जिसमें अनेक कमरे है। और वहां धार्मिक शिक्षार्थी रहते हैं। इस इमारत से लगी हुई एक मस्जिद है।
हज पर चर्चा करने के लिए ईरानी प्रतिनिधिमंडल सऊदी अरब की यात्रा
हज की वेबसाइट के हवाले से, हुज्जतु ल इस्लाम सैय्यद अली क़ाजी, हज और तीर्थयात्रा मामलों में सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि और ईरानियों के सरपरस्त ने कहा, इन्शाअल्लाह, उसी तारीख पर कि सऊदी अधिकारियों ने कहा है ईरानी प्रतिनिधिमंडल वार्ता के लिए सऊदी अरब की यात्रा करेगा।
हज मामलों में सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि इस बारे में कि ईरानी प्रतिनिधिमंडल किस तारीख में सऊदी अरब का दौरा करेगा, कहाः ईरानी प्रतिनिधिमंडल 24 फ़रवरी को सऊदी अरब की यात्रा करेगा और हम आशा करते हैं कि इस बैठक में अपनी स्थिति को स्पष्ट कर सकें और विशिष्ट परिणाम प्राप्त कर सकें।
क़ाज़ी अस्कर इस बारे में कि हमारे देश के विदेश मंत्री ने घोषणा की है कि हज तमत्तो इस साल ना मुम्किन है,कहाःकि वर्तमान में इस बारे में कोई बात यक़ीनी नहीं है और हम जब तक हमारे लिऐ शरायत मौजूद होंगे तो हज में जाऐंगे लेकि बिला शक समस्याऐं अधिक हैं उनका समाधान होना चाहिऐ।
ईरान से भारत तेल निर्यात में रिकार्ड तोड़ वृद्धि
पश्चिम की ओर से ईरान पर लगे प्रतिबंधों के हटने के बाद भारतीय तेल कंपनियों ने ईरान से बड़ी मात्रा में तेल आयात करना आरंभ कर दिया है।
रोइटर्ज़ के हवाले से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार भारत ने वर्ष 2016 में ईरान से तेल आयात करने में रिकार्ड तोड़ वृद्धि की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत द्वारा ईरान से बड़ी मात्रा में तेल ख़रीदने की वजह से वर्ष 2016 में ईरान, भारत के तेल की आपूर्ति करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है जबकि वर्ष 2015 में ईरान पांचवें नंबर पर था। प्रतिबंधों से पहले तक ईरान, भारत को तेल की आपूर्ति करने वाले दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश था।
रिपोर्टों से पता चलता है कि वर्ष 2016 में दुनिया में तीसरे नंबर पर सबसे अधिक तेल ख़र्च करने वाले देश के रूप में भारत ने प्रतिदिन चार लाख 73 हज़ार बैरल तेल ईरान से ख़रीदे जबकि वर्ष 2015 में यह संख्या 2 लाख 8 हज़ार तीन सौ बैरल प्रतिदिन थी।
दिसंबर के महीने पिछले वर्ष की तुलना में ईरान से भारत ने तीन गुना तेल आयात किया है और इस प्रकार प्रतिदिन पांच लाख 46 हज़ार 600 बैरल तेल ईरान से ख़रीदता रहा है। भारतीय तेल कंपनियों ने वर्ष 2015 में ईरान पर लगे पश्चिम के प्रतिबंधों और बीमा समस्याओं के कारण ईरान से तेल ख़रीदना कम कर दिया था।
रिलायंस इन्टरप्राइज़ेज़, भारत पेट्रोलियम, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम और मित्तल एनर्जी जैसी भारत की प्रसिद्ध तेल कंपनियों ने पिछले वर्ष तेहरान की ओर से दी गयी भारी छूट के बाद ईरान से पुनः तेल की ख़रीदारी शुरु कर दी।
पिछले सप्ताह म्यांमार से 22 हजार मुसलमानों ने फरार किया
समाचार चैनल अल-आलम के हवाले से, संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय ने सोमवार को कहाःपिछले सात दिनों में, 22 हजार रोहिंग्याई मुसलमान म्यांमार से बांग्लादेश के लिए भाग गए। पिछले वर्ष अक्टूबर से म्यांमार में रोहिंग्याई मुसलमानों के खिलाफ सैन्य अभियान की शुरुआत के बाद से, 65 हजार लोग बांग्लादेश के लिए भाग चुके हैं।
म्यांमार सेना, रोहिंग्याई मुसलमानों पर नौ पुलिस वालों की हत्या का आरोप लगाती है। बहुत से रोहिंग्याई शरणार्थियों ने, म्यांमार सेना पर नरसंहार, बलात्कार के कृत्य और मकान जलाने का आरोप लगाया है।
पिछले हफ्ते, म्यांमार सरकार ने वादा किया था 4 अधिकारियों को जिन्हों ने एक वीडियो में रोहिंग्याई युवाओं के खिलाफ हिंसा का इस्तेमाल किया है परिक्षण करेगी। लेकिन इस देश की सरकार, सेना और सुरक्षा बलों के खिलाफ लगाऐ गए सभी आरोपों से इनकार कर दिया।
कुछ 1 मिल्युन 1 लाख रोहिंग्याई मुस्लिम म्यांमार के राखिने राज्य में रहते हैं,इस देश की बहुमत बौद्ध ने उन्हें धार्मिक अल्पसंख्यकों के बुनियादी अधिकारों से वंचित कर दिया है। "यांग ली", म्यांमार मामलों में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के प्रतिनिधि ने वर्तमान में इस देश का दौरा किया है।