رضوی
सुन्नी-शिया मतभेद, ज़ायोनियों की चालः आयतुल्लाह काशानी
आयतुल्लाह मुहम्मद इमामी काशानी ने कहा है कि ज़ायोनी, शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच मतभेदों को हवा दे रहे हैं।
तेहरान के अस्थाई इमामे जुमा ने कहा कि ज़ायोनी पहले तो मुसलमानों के बीच मतभेद फैलाते हैं और बाद में अपने प्रभाव वाले संचार माध्यमों में इन मतभेदों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हुए कहते हैं कि यही वास्तविक इस्लाम है।
आयतुल्लाह इमामी काशानी ने अपने जुमे के ख़ुतबे में कहा कि संचार माध्यमों में ब्रिटिश समर्थित तथाकथित शिया गुट की बातें, सुन्नी और शिया मुसलमानों के बीच मतभेद फैलने का कारण बन रही हैं जो वास्तव में ज़ायोनियों की हार्दिक इच्छा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में मुसलमानों के बीच एकता के लिए सबसे उपयुक्त मानदंड "वलीये फ़क़ीह" का है।
तेहरान के इमामे जुमा ने शिया मुसलमानों के छठे इमाम, जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की शहादत की बरसी के संदर्भ में कहा कि जिस तरह से इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम अपने जीवन काल में मुसलमानों के बीच एकता को बनाए रखने के प्रयास किया करते थे उसी प्रकार से इस समय इस्लामी गणतंत्र ईरान, मुस्लिम एकता के लिए प्रयासरत है।
ज्ञात रहे कि 9 जूलाई 2018 को इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की शहादत की बरसी है।
भारत, ईरान से तेल आयात जारी रखेगा, अमेरिका से कोई ख़ुफ़िया समझौता नहीं
भारतीय अधिकारियों का कहना है कि भारत पहले की ही तरह ईरान से तेल आयात जारी रखेगा। नई दिल्ली सरकार का अमेरिका से कोई समझौता नहीं हुआ है।
समाचार एजेंसी तसनीम की रिपोर्ट के मुताबिक़, भारतीय सूत्रों ने बताया है कि ऐसी तमाम ख़बरें झूठी और मनगढ़ंत हैं जिनमें कहा जा रहा है कि भारत और अमेरिका के बीच ऐसा समझौता हुआ है जिसके अनुसार भारत अब ईरान से तेल आयात नहीं करेगा। भारतीय अधिकारियों के मुताबिक़ नई दिल्ली सरकार पहले की भांति ईरान से तेल आयात को जारी रखेगी।
याद रहे कि जून महीने में, अमेरिका की राष्ट्र संघ में प्रतिनिधि निकी हेली, भारत दौरे पर गईं थी, जहां उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात करके अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के उस संदेश को पहुंचाया था जिसमें वॉशिंग्टन ने भारत को निर्देश देने का प्रयास किया था कि वह ईरान से तेल के आयात को बंद कर दे। ट्रम्प के इस निर्देश में यह भी कहा गया था कि, भारत चाबहार बंदरगाह का उपयोग जारी रख सकता है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी अधिकारियों ने दुनिया के सभी देशों को यह धमकी दी है कि वे 4 नवंबर तक ईरान से आयात किए जाने वाले तेल को पूरी तरह बंद कर दें और आगर ऐसा नहीं किया तो अमेरिका उनके ख़िलाफ़ आर्थिक प्रतिबंध लगा देगा। इस बीच भारत सहित कुछ अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने दावा किया था कि भारत, जो ईरान से सबसे अधिक तेल आयात करने वाले देशों में से एक है, ईरान से तेल ख़रीदना बंद करने जा रहा है।
भारतीय अर्थशास्त्रियों के मुताबिक़, वर्तमान में भारत और ईरान के बीच 12 अरब 80 करोड़ डॉलर का व्यापार है, जिसका अधिकतर भाग तेल है। दूसरी ओर भारत से ईरान को निर्यात होने वाली चीज़ें, जिनमें ज़्यादातर खाद्य उत्पादन हैं लगभग 2.4 बिलयन डॉलर की हैं। ऐसा माना जाता है कि भारत, ईरानी तेल के अलावा चाबहार बंदरगाह में भी रूचि रखता है क्योंकि इससे पाकिस्तान के बिना अफ़ग़ानिस्तान सहित दुनिया भर के देशों से भारत को आयात और निर्यात करने में काफ़ी आसानी मिल सकती है।
सुरक्षा परिषद की मेज़ पर रोहिंग्या के विस्थापित व्यक्तियों की फाइल
अनातोलियन समाचार एजेंसी द्वारा उद्धृत की रिपोर्ट;न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, संयुक्त राष्ट्र के स्वीडिश राजदूत अलूफ़ स्कोग ने कहाः कि म्यांमार मामलों में संयुक्त राष्ट्र के नए राजदूत, क्रिस्टीन श्वार्जर बोगनर ने इस बैठक में रोहिंग्या शरणार्थी संकट के बारे में अपने पहले निष्कर्षों की रूपरेखा दी।
उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सुरक्षा परिषद के सभी सदस्य बांग्लादेश में म्यांमार के शरणार्थियों की वापसी के लिए शर्तों में सुधार करने के लिए काम करेंगे, उन्होंने कहा:इसे शरणार्थियों और म्यांमार सरकार के बीच विश्वास बनाने की जरूरत है, जो दुर्भाग्य से अभी यह भरोसा नहीं है।
स्कोग ने कहा, रोहिंग्या शरणार्थियों को अपने देश जाने से इनकार करने का कारण मैं पूरी तरह से समझता है, और मुझे विश्वास है कि हमें बांग्लादेश और उन क्षेत्रों कि कॉक्स मार्केट में इन शरणार्थियों को स्वीकार करते हैं को मदद करनी चाहिए।
म्यांमार में शरणार्थियों के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की बैठक के गठन के अनुरोध के संबंध में उन्होंने कहा: हम चाहते हैं कि इस बैठक के आयोजन के साथ अल्पसंख्यकों सहित म्यांमार में सभी व्यक्ति के लिए शांतिपूर्ण जीवन के लिए दबाव जारी रहे।
याद रहे कि 25 अगस्त, 2017 को, म्यांमार सेना और बौद्ध कट्टरपंथी मिलिटेंस ने राख़ीन प्रांत में रोहिंग्या अल्पसंख्यक मुस्लिमों के खिलाफ क्रूर हमलों की शुरुआत की, जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा नस्लीय सफाई कहा गया, और कम से कम 9 हजार लोगों की हत्या की गई और 700,000 से ज्यादा रोहिंग्याई जिनमें से 60% बच्चे थे सीमा की ओर भाग निकले।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, म्यांमार सरकार, रोहिंग्या अल्पसंख्यक कि संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनिया में सबसे ज्यादा उत्पीड़ित अल्पसंख्यक हैं, अवैध आप्रवासी मानती है जो बांग्लादेश से आऐ हैं।
कुरान की तारीख़ प्रकाशित हुई
इस्लामी संस्कृति और संचार संगठन की सूचना और संचार केंद्र के अनुसार; आयतुल्लाह मारेफ़त द्वारा संकलित पुस्तक "द हिस्ट्री ऑफ द कुरान" का अनुवाद "टॉप" प्रोजेक्ट के रूप में थाईलैंड में ईरानी सांस्कृतिक सलाहकार द्वारा सह-प्रायोजित थाई में किया गया और एक हजार प्रतियों को प्रकाशित किया गया।
अन्य भाषाओं में ईरानी इस्लामी विचारों और राय का परिचय, फारसी साहित्य का परिचय, अनुवादकों और फारसी कार्यों का अनुवाद करने वाले विदेशी प्रकाशकों का प्रोत्साहन, पुस्तकों के विश्व बाजार में उपस्थिति और ... इस परियोजना के लक्ष्यों में हैं।
इस समाचार के मुताबिक, पुस्तक के लेखक ने इसे अलग अध्यायों में स्थापित किया है जो कुरान को संकलित, लिखित, और प्रकाशन और वहि व नुज़ूल व किताबे वहि की अवधारणा से संबंधित है। लेखक की कोशिश है कि नुज़ूल के समय से पवित्र कुरान के उतार-चढ़ाव और खलीफा के ज़माने से वर्तमान समय और लेखन और कुरान को इकट्ठा करने में इमाम अली (अ.) की भूमिका की समीक्षा करे।
कनाडियन मुसलमान संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश करने के बारे में चिंतित हैं
ट्रम्प ने पहली बार सितंबर 2017 में संयुक्त राज्य अमेरिका में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगाने वाले क़ानून को लागू किया था, जिसमें ईरान, लीबिया, सोमालिया, सीरिया और यमन समेत सात देशों हैं।
यद्यपि इस क़ानून में कनाडा का नाम नहीं दिया गया है, लेकिन बहुत से कनाडाई मुस्लिम भेदभाव और विभिन्न समस्याओं के साथ अमेरिकी सीमा पार करने के बारे में चिंतित हैं।
टोरंटो, कनाडा के ऐक निवासी, जो अपने परिवार को शिकागो में देखने के लिए सालाना कई बार संयुक्त राज्य अमेरीका की सीमा से यात्रा करना पड़ता है, ने कहा, "हर बार जब मैं सीमा पार करना चाहता हूं, तो मेरा दिल जल उठता है और सांसे रुक जाती हैं। मुझे नहीं पता कि वे मुझे वीज़ा देंगे या नहीं। क्योंकि मैंने अन्य मुसलमानों से कुछ ऐसी बातें सुनी हैं जिनसे मैं चिंतित हूं और मैं डरता हूं कि मेरे साथ भी उसी तरह का व्यवहार और भेदभाव करें।
मुस्लिम नागरिकों के खिलाफ भेदभाव के इसी तरह के मामले उच्च रहे हैं, और पिछले हफ्ते कनाडा में निवासी कई सीरियाई बच्चों को वाशिंगटन स्थित त्यौहार में भाग लेने के लिए वीजा जारी नहीं किया।
कनाडियन मुस्लिम राष्ट्रीय परिषद ने इस देश के मुस्लिमों को सलाह दी है, अमेरिकी दूतावास में प्रवेश करने से पहले टिकट और सही पता जहां स्वयं जाना चाहते हैं सभी दस्तावेजों के साथ जाऐं, और अगर उनका वीज़ा रद्द कर दिया गया हो और उनके साथ भेदभाव किया गया हो तो चाहिए कि अधिकारी से अपने वीजा के रद्द होने का कारण का विवरण लिखित रूप लें और उन्हें उस व्यक्ति का नाम भी याद रखें जिसने इनकार कर दिया था। इसके अलावा, अगर कोई गवाह है, तो उस से टेलीफ़ून नंबर ले लें।
भारतीय व पाकिस्तानी मीडिया, ईरान के ख़िलाफ़ कार्यवाही करने की अमेरिका में हिम्मत नहीं: वरिष्ठ नेता
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने 30 जून को हज़रत इमाम हुसैन (अ.स.) कैडिट कॉलेज के दिक्षान्त समारोह को संबोधित करते हुए जो भाषण दिया था उसको भारत और पाकिस्तान के समाचार पत्रों ने विशेष कवरेज दी है।
भारत से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों, वेब साइटों, समाचार पोर्टलों और कई चैनलों में ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के भाषड़ को प्रमुखता से पेश किया है।
कई भारतीय समाचार पत्रों ने लिखा है कि ईरान के वरिष्ठ नेता का ताज़ा बयान उन सभी अरब देशों के लिए शिक्षाप्रद है जो अमेरिका और पश्चिमी देशों की ग़ुलामी के चक्कर में अरब देशों और मुसलमानों के मान सम्मान का भी सौदा कर रहे हैं।
भारत से प्रकाशित समाचार पत्रः
दैनिक इंक़ेलाब ने लिखा है कि ईरान के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने अपने बयान में कहा है कि " अमेरिका ईरान पर गंभीर आर्थिक प्रतिबंध लगाकर ईरानी जनता को देश की सरकार के विरुद्ध खड़ा करना चाहता है" वरिष्ठ नेता ने कहा है कि अमेरिका, ईरानी जनता को इस्लामी व्यवस्था के ख़िलाफ़ खड़ा करने की नाकाम कोशिश कर रहा है, लेकिन सभी प्रयासों के बावजूद, अमेरिका ईरान के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही करने की स्थिति में नहीं है क्योंकि ट्रम्प से पहले भी 6 अमेरिकी राष्ट्रपति ईरान पर दबाव डालने के लिए असफल प्रयास कर चुके हैं और अमेरिका को अभी भी उसके द्वारा किए जा रहे कुप्रयासों से विफलता ही हाथ लगेगी।
समाचार सुबह-नामा अपने लेख में लिखाता है कि, वरिष्ठ नेता ने अपने भाषण में कहा है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, ईरान की होशियार जनता और उसके मज़बूत ईमान पर टिका हुआ है, अमरीका के पिछले सभी राष्ट्रपतियों द्वारा इस्लामी गणतंत्र ईरान के ख़िलाफ़ किए गए तमाम कुप्रयास विफल रहे हैं। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अपने बयान में कहा है कि अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए जा रहे कड़े आर्थिक प्रतिबंधों के पीछे दुश्मन का लक्ष्य केवल जनता को झुकाना है, लेकिन ईश्वर की कृपा से हम जनता के साथ अपनी घनिष्ठता को और बढ़ाएंगे और अपनी एकता की रक्षा करते हुए मोमिन, उत्सुक और कर्मठ पीढ़ी को तैयार करेंगे।
दूसरी ओर पाकिस्तान से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र, वेबसाइट और टेलीविज़न चैनलों की ख़बरों का शीर्षक, वरिष्ठ नेता के भाषण पर आधारित रहा।
पाकिस्तान से प्रकाशित होने वाले समाचारपत्र एक्सप्रेस ने लिखा हैः
ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने कहा है कि अमेरिका ईरान के ख़िलाफ़ किसी भी तरह की कार्यवाही करने में अकेला सक्षम नहीं है, अगर वह सक्षम होता तो कभी अपने सहयोगियों से सहायता ने लेता। उन्होंने कहा कि अमेरिका ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाकर ईरान को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अकेला करना चाहता है और वित्तीय दबाव के माध्यम से ईरानी जनता को सरकार विरोधी करना चाहता है। वरिष्ठ नेता ने कहा है कि अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ मिलकर ईरान में अराजकता पैदा करने का भरपूर प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका अकेले कार्यवाही करने में सक्षम होता तो कभी भी वह अपने सहयोगियों से मदद नहीं लेता।
डील ऑफ़ सैंच्यूरी अमरीका का बड़ा जाल है, जिसमें कुछ अरब देश फंस चुके है
मस्जिदुल अक़सा के इमामे जुमा ने कुछ अरब देशों द्वारा अमरीका की डील ऑफ़ सैंच्यूरी पर सहमति के प्रति चेतावनी दी है।
शुक्रवार को मस्जिदुल अक़सा में जुमे का ख़ुतबा देते हुए शेख़ अकरमा सबरी ने कहा, अमरीका की डील ऑफ़ सैंच्यूरी इस शताब्दी की सबसे बड़ी साज़िश है और इसमें बैतुल मुक़द्दस को हर प्रकार की वार्त से अलग रखा गया है, इसलिए कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प का मानना है कि बैतुल मुक़द्दस की फ़ाइल बंद कर दी गई है।
सबरी के अनुसार, तथाकथित डील ऑफ़ सैंच्यूरी का दूसरा ख़तरा, बेघर फ़िलिस्तीनियों की घर वापसी के विषय को ही ख़त्म करना है, हालांकि अपने घरों को वापसी फ़िलिस्तीनियों का मूल अधिकार है और फ़िलिस्तीनी शरणार्थी अपने इस अधिकार से किसी भी क़ीमत पर समझौता नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा, इस तथाकथित समझौते में फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में ज़ायोनियों की अवैध बस्तियों को बाक़ी रखने की बात कही गई है, हालांकि यह बस्तियां ग़ैर क़ानूनी हैं, जिन्हें कभी क़ानूनी रूप नहीं दिया जा सकता।
मुम्बई में भारी बारिश से अब तक कम से कम 8 लोगों की मौत
मुम्बई में भारी बारिश के चलते जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
पवई इलाक़े में स्थित पवई लेक और डैम पूरी तरह भर चुके हैं।
जून में मॉनसून की बारिश शुरू होने के बाद से अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है।
रविवार शाम के बाद से भारी के कारण कम से कम चार लोगों की मौत हुई है।
रविवार को मुम्बई के आज़ाद मैदान के पास एक पेड़ गिर जाने से दो लोगों की मौत हो गई थी और सोमवार को मलाड पश्चिम में एक 15 साल के युवक की गड्ढे में डूबकर मौत हो गई।
सोमवार को ही ठाणे में दीवार गिरने से एक 13 साल की बच्ची की मौत हो गई।
बारिश की वजह से हिंदमाता, चेंबूर, लोअर परेल जैसे कई इलाक़ों में जलभराव हो गया है।
मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों तक मुम्बई सहित कोंकण इलाके में भारी बारिश का अनुमान लगाया है जिसके बाद बारिश की तीव्रता में कमी आएगी।
ईरानी जनता किसी के आगे झुकने वाली नहीं हैः वरिष्ठ नेता + फ़ोटो
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा है कि पवित्र क़ुरआन के आदेशों के अनुसार अत्याचारियों के साथ किसी भी समझौते पर भरोसा नहीं किया जा सकता और ईरान की जनता आज इस वास्तविकता को अच्छी तरह देख रही है।
मजलिसे शूराए इस्लामी के संसद सभापति डाक्टर और सांसदों ने बुधवार को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात की। वरिष्ठ नेता ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कुछ कन्वेन्शनों और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों में शामिल होने और उन पर अमल की सही शैलियों का विवरण देते हुए कहा कि यह मामले पहले बड़ी शक्तियों के थिंकटैंक में उनके हितों की प्राप्ति के लिए तैयार किए जाते हैं और फिर इन समझौतों में बड़ी शक्तियों की पिट्ठु, अनुसरणकर्ता और डरपोक सराकारों के शामिल होने के बाद यह विदित रूप से अंतर्राष्ट्रीय रूप धारण कर लेते हैं।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि इसके बाद यदि ईरान जैसा कोई स्वतंत्र और स्वाधीन देश इन समझौतों या कन्वेन्शनों को स्वीकार न करे तो उस पर भीषण हमला कर देती हैं और दिखाने के लिए यह दावा करती हैं कि मानो एक सौ पचास देशों ने तो इन समझौतों या कन्वेन्शनों को स्वीकार किया है , आप इसे क्यों रद्द कर रहे हैं?
वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरान की संसद समझदार और बुद्धिमान है और आतंकवाद निरोधक और मनि लांड्रिंग के विरुद्ध अभियान जैसे मामलों में उसे स्वयं क़ानून बनाना चाहिए।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने विश्व की ज़ोर ज़बरदस्ती करने वाली शक्तियों की व्यक्तिगत और आंतरिक दुष्टता के दिन प्रतिदिन बढ़ने की ओर संकेत करते हुए कहा कि अमरीका की सीमा पर माओ से उनके हज़ारों बच्चों को ज़बरदस्ती अलग करने की हृदय विदारक घटना और आपराधिक वीडियो और फ़ोटो देखने के हर इंसान तड़प उठता है किन्तु अमरीकी अधिकारी पुरी दुष्टता के साथ बच्चों को शरणार्थी माता पिता से ज़बरदस्ती अलग कर रहे हैं।
वरिष्ठ नेता ने यमन की अत्याचारग्रस्त जनता के हाथ से एक बंदरगाह को छीन लेने के लिए विकसित हथियारों से संपन्न विभिन्न देशों के पाश्विक और रक्तरंजित हमलों को विश्व की ज़ोरज़बरदस्ती करने वाली शक्तियों की आंतरिक दुष्टता का एक अन्य नमूना क़रार दिया।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि मानवता के यह शत्रु ईरानी जनता के प्रतिरोध और उनके न्यायप्रियम के कारण इस्लामी गणतंत्र ईरान के भी दुश्मन हैं और दुश्मनी कर रहे हैं किन्तु ईश्वर की कृपा, राष्ट्रीय एकता और देश की मज़बूती के कारण ईरानी जनता अमरीका और दूसरे दुश्मन देशों पर सफल होगी।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि ईरानी जनता के दुश्मन वास्तविकता में ग़ुंडे और ब्लेकमेलर हैं और यह बात सभी जानते हैं कि ईरान की इस्लामी व्यवस्था, अधिकारी और जनता किसी भी ज़ोर ज़बरदस्ती करने वाली शक्ति के सामने झुकने वाली नहीं है।
ईरान के खिलाफ अमरीकी प्रतिबंध से , ट्रम्प की फज़ीहत होगी , तेहरान के इमामे जुमा
तेहरान के अस्थायी इमामे जुमा ने ईरान के खिलाफ अमरीका के संभावित प्रतिबंधों के बारे में कहा कि , इन प्रतिबंधों का परिणाम, अमरीका और स्वंय ट्रम्प की फज़ीहत होगी।
याद रहे ट्रम्प ने गत 8 जूलई को ईरान के खिलाफ निराधार आरोप दोहराते हुए, जेसीपीओए से अमरीका के निकलने और आगामी छे महीनों के भीतर ईरान के खिलाफ प्रतिबंध वापस लौटने की घोषणा की थी।
आयतुल्लाह मुहम्मद अली मुवह्हेदी ने तेहरान में जुमा की नमाज़ के भाषण में इस बात का उल्लेख करते हुए कि अमरीका के नेतृत्व में साम्रज्वादी, इस्लामी क्रांति को नुक़सान पहुंचाने के लिए अपने सभी साधनों को प्रयोग कर रहे हैं, कहा कि दुश्मन, उन्हीं साधनों से जिन्हें वह यमन , फिलिस्तीन और इलाक़े के कुछ अन्य देशों में अपराध के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, तबाह हो जाएंगे।
उन्होंने कहा कि अमरीका के लिए केवल उसके हित महत्वपूर्ण हैं और वह किसी भी समझौते का पालन नहीं करता।













