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ईरान की शक्तिशाली सैन्य यूनिट आईआरजीसी के उप प्रमुख अली फ़दवी ने इस्राईल की ओर से ईरान के खिलाफ किसी भी संभावित हमले के गंभीर नतीजे भुगतने की धमकी देते हुए कहा कि अगर इस्राईल ने कोई मूर्खता की तो उसका नामो निशान मिट जाएगा। ईरान की तेल और गैस सुविधाओं समेत परमाणु संयत्रों पर हमलों की अटकलों के बीच इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के उप कमांडर-इन-चीफ ने चेतावनी दी कि ज़ायोनी शासन की ओर से किसी भी गलती की स्थिति में, ईरान इस शासन की तेल और गैस सुविधाओं को तुरंत नष्ट कर सकता है।

ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के डिप्टी कमांडर सरदार "अली फदवी" ने शुक्रवार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि ज़ायोनी शासन ने गलती की, तो ईरान उसके वुजूद को मिटा देगा।

सरदार "अली फदवी" ने  कहा कि यदि ज़ायोनी  शासन कोई गलती करता है, तो हम उसके सभी ऊर्जा स्रोतों, ऊर्जा संयंत्रों और  रिफाइनरियों और गैस क्षेत्रों को बनाएंगे। ईरान एक बड़ा देश है और इसके कई आर्थिक केंद्र हैं, जबकि अवैध राष्ट्र के पास तीन बिजली संयंत्र और कुछ ही रिफाइनरियाँ हैं। हम इन सभी को एक साथ निशाना बना सकते हैं।

इस हफ़्ते तेहरान की जुमे की नमाज़, इमाम ख़ुमैनी मुसल्ले में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई की इमामत में अदा की जाएगी, जिसमें नमाज़ से पहले रेज़िस्टेंस के मोर्चे के ध्वजवाहक शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह को श्रद्धांजलि पेश करने का प्रोग्राम भी आयोजित होगा।

     अल्लाह की राह के मुजाहिद और इस्लामी उम्मत के अज़ीज़ लीडर हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन सैयद हसन नसरुल्लाह और शहीद जनरल नीलफ़ुरूशान सहित उनके साथियों को श्रद्धांजलि पेश करने का प्रोग्राम इमाम ख़ुमैनी मुसल्ले में शुक्रवार 4 अक्तूबर को सुबह साढ़े 10 बजे शुरू होगा।

श्रद्धांजलि का प्रोग्राम आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई की तरफ़ से रखा गया है।

इस प्रोग्राम के तहत और रेज़िस्टेंस मोर्चे व क़ुद्स की आज़ादी के ध्वजवाहक हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत और इसी तरह फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध के मुजाहिदों की ओर से अलअक़्सा फ़्लड आप्रेशन की पहली सालगिरह के मौक़े पर इस हफ़्ते जुमे की नमाज़ 4 अक्तूबर को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी मुसल्ले में, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयदा अली ख़ामेनेई की इमामत में अदा की जाएगी।

 

 

एक्सियोस ने ज़ायोनी अधिकारियों के हवाले से एक रिपोर्ट में दावा किया कि ज़ायोनी सरकार की कैबिनेट ने कल रात की बैठक में ईरान के खिलाफ "महत्वपूर्ण जवाबी" प्रतिक्रिया पर फैसला किया, लेकिन यह हमले कब, कैसे और कहाँ होंगे इस बारे में अमेरिका की ओर से अनुमति मिलने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। 

एक्सियोस के सूत्रों ने दावा किया कि ज़ायोनी शासन के अधिकारियों ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि ईरान के मिसाइल हमले का जवाब कैसे दिया जाए क्योंकि वह अमेरिकी सरकार से परामर्श और उनकी अनुमति लेने की योजना बना रहे हैं।

एक्सियोस ने आगे दावा किया कि "इस्राईल अपने दम पर जवाब देने का इरादा रखता है, लेकिन स्थिति के रणनीतिक परिणामों को देखते हुए, वह संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपनी योजनाओं का समन्वय करना चाहता है। "यूएस सेंट्रल कमांड (सेंटकॉम) के साथ रक्षा समन्वय के साथ साथ उसे ज़ायोनी वायु सेना के लिए और अधिक हथियार और शायद अन्य परिचालन के लिए भी अमेरिकी  समर्थन की आवश्यकता होगी।

 

एक रिपोर्ट के अनुसार, इज़राइल ने गुरुवार सुबह मध्य बैरूत के अलबचौरा क्षेत्र में हिजबुल्लाह से संबद्ध स्वास्थ्य प्राधिकरण केंद्र को निशाना बनाकर हवाई हमला किया जिससे 5 लोग शहीद हो गए है।

स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इज़राइल ने गुरुवार सुबह मध्य बेरूत के अल-बचौरा क्षेत्र में हिजबुल्लाह से संबद्ध स्वास्थ्य प्राधिकरण केंद्र को निशाना बनाकर हवाई हमला किया, जिससे भीषण आग लग गई।

टीवी फ़ुटेज में इमारत से भारी काला धुआँ उठता हुआ दिखाई दे रहा है।

हवाई हमले से आसपास के घरों और पार्क किए गए वाहनों को भी काफी नुकसान हुआ समाचार एजेंसी ने बताया कि बचाव के लिए एम्बुलेंस और नागरिक सुरक्षा दल इलाके में पहुंच गए हैं।

लेबनान के सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अलबचौरा क्षेत्र में हवाई हमले में कम से कम 5 लोग मारे गए।

टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य बेरूत में हमले से कुछ समय पहले इज़राइल ने बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में हरेत ह्रेइक क्षेत्र पर तीन हवाई हमले किए है।

इज़राइली शासन के खिलाफ ईरान के जवाबी हमले पर तीन यूरोपीय देशों ने क्या कहा? इज़राइल पर ईरान के मिसाइल हमले पर यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी और इंग्लैंड ने प्रतिक्रियाएं व्यक्त की हैं।

यूरोपीय संघ, फ़्रांस, जर्मनी और इंग्लैंड के प्रमुखों ने ज़ायोनी शासन के आतंकवादी और अवैध कृत्यों का उल्लेख किए बिना, मंगलवार को इज़राइल पर इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स आईआरजीसी के मिसाइल हमले के जवाब में इस शासन के अपराधों का समर्थन किया।

यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रभारी जोसेफ़ बोरेल ने पूरे क्षेत्र में तत्काल युद्धविराम की आवश्यकता पर ज़ोर दिया और दावा किया कि यूरोपीय ब्लॉक क्षेत्रीय युद्ध को रोकने में मदद करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

बोरेल ने घोषणा की कि हमलों और प्रतिशोध का ख़तरनाक चक्र नियंत्रण से बाहर होने का ख़तरा है। यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष और यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रभारी चार्ल्स मिशेल ने भी कहा: मध्यपूर्व में तनाव के घातक चक्र को अब रोका जाना चाहिए, यह क्षेत्रीय युद्ध किसी के हित में नहीं है।

इज़राइल पर ईरान के मिसाइल हमले का ज़िक्र करते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रॉ ने कहा कि पेरिस ने इज़राइल की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के संकेत के रूप में पश्चिम एशिया में अपनी सैन्य सुविधाएं जमा कर ली हैं।

दूसरी ओर, जर्मनी की विदेशमंत्री अनलना बेरबाक ने ज़ायोनी शासन के आतंकवादी आप्रेशन्ज़ का जिक्र किए बिना, जिसके कारण क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है, ईरान के मिसाइल हमलों को तत्काल रोकने की मांग की।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री केयर स्टार्मर ने भी कहा: हम इज़राइल के साथ खड़े हैं और ईरान के ख़िलाफ़ अपनी रक्षा करने के उसके अधिकार को पहचानते हैं।

इज़राइल के हालिया अपराधों के जवाब में मंगलवार को आईआरजीसी की वायु सेना ने दर्जनों बैलिस्टिक मिसाइलों से इस्राईल के महत्वपूर्ण सैन्य और सुरक्षा लक्ष्यों को निशाना बनाया।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने इज़राइली शासन के सैन्य और सुरक्षा मुख्यालय पर ईरान के सैन्य हमलों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दावा किया कि अगर वह अमेरिकी राष्ट्रपति होते, तो ऐसा कभी नहीं होता।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और देश में आगामी चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनल्ड ट्रम्प ने इज़राइल के अपराधों के खिलाफ ईरान के मिसाइल ऑप्रेशन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक बयान में दावा किया: दुनिया कंट्रोल से बाहर हो गयी है।

इस बयान में ट्रम्प ने स्वीकार किया कि इजराइल के अपराधों पर ईरान की शक्तिशाली सैन्य प्रतिक्रिया से वाइट हाउस के अधिकारी सकते में आ गए। उनका कहना था कि हमारे (अमेरिका) पास कोई नेता नहीं है और कोई भी देश का प्रबंधन नहीं कर रहा है।

हमारे पास एक बेकार राष्ट्रपति और एक पूरी तरह से अनुपस्थित उपराष्ट्रपति है जो वित्तीय सहायता की मांग कर रहा है। देश के प्रबंधन और नेतृत्व में कोई भी शीर्ष पर नहीं है और बाइडेन और हैरिस, में से कोई भी नहीं जानता कि क्या हो रहा है।

उन्होंने ईरान के ख़िलाफ़ शत्रुतापूर्ण बयान देते हुए दावा किया कि उनके राष्ट्रपति काल में ईरान नियंत्रण में था। इस बयान में उन्होंने ईरान पर पश्चिम एशियाई क्षेत्र को तबाह करने का आरोप लगाया।

ट्रम्प ईरान द्वारा इस क्षेत्र के विनाश का दावा एसी हालत में कर रहे हैं कि पिछले वर्ष के दौरान ज़ायोनी शासन ने ग़ज़ा पट्टी, लेबनान के खिलाफ युद्ध और तेहरान में आतंकवादी कार्रवाइयों के साथ पूरे क्षेत्र को युद्ध के कगार पर पहुंचा दिया है।

अपनी संप्रभुता के उल्लंघन के ख़िलाफ काफ़ी संयम बरतने के बाद आख़िरकार शहीद इस्माईल हनीया, सैयद हसन नसरल्लाह, सीनियर कमान्डर मेजर जनरल सैयद अब्बास नीलफ़ूरुशान की हत्या, और ज़ायोनीवादियों द्वारा निर्दोष़ फ़िलिस्तीनी और लेबनानी महिलाओं और बच्चों का नरसंहार की वजह से इस्लामी गणतंत्र ईरान ने संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुसार वैध रूप से अपनी रक्षा के अधिकार की परिधि में मंगलवार रात को कम से कम 200 बैलिस्टिक मिसाइलों से इज़राइल के सैन्य और सुरक्षा मुख्यालय को निशाना बनाया। तेहरान ने इस ऑपरेशन का नाम "वादए सादिक़- 2" यानी सच्चा वादा-2 रखा है।

 

 

इस्लामी क्रांति के नेता ने यह भी जोर देकर कहा कि वह जल्द ही गाज़ा और लेबनान के मुद्दों पर ईरानी जनता से बात करेंगे उन्होंने कहा, क्षेत्र की समस्याओं की जड़ अमेरिका और कुछ यूरोपीय देश की वजह से है जो झूठे तौर पर शांति और स्थिरता की बात करते हैं इसलिए क्षेत्र में संघर्षों और युद्धों को समाप्त करने का एकमात्र तरीका इन देशों की बुराई को कम करना है।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 2 अक्तूबर 2024 की सुबह ज्ञान विज्ञान के मैदानों में सक्रिय देश के सैकड़ों जीनियस व असाधारण प्रतिभा के धनी स्टूडेंट्स और जवानों से मुलाक़ात की।

उन्होंने इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में महान मुजाहिद सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत के वाक़ए की ओर इशारा करते हुए कहा कि हम इन दिनों सोगवार हैं, ख़ासकर मैं बहुत ग़मज़दा हूं, क्योंकि जनाब हसन नसरुल्लाह को खो देना कोई मामूली वाक़या नहीं है लेकिन मुल्क में आम शोक के बावजूद हमने पहले से तयशुदा इस मुलाक़ात को किसी और वक़्त के लिए स्थगित नहीं किया।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने जीनियस और असाधारण सलाहियत के धनी लोगों से तयशुदा वक़्त पर मुलाक़ात की वजह के बारे में कहा कि इस बैठक का पैग़ाम यह है कि अगरचे हम शोकाकुल हैं लेकिन हमारा शोक मातम में पड़ जाने, उदास हो जाने और एक कोने में बैठ जाने के अर्थ में नहीं है, बल्कि हमारा शोक, इमाम हुसैन के शोक की तरह है यानी ज़िंदा करने वाला, आगे बढ़ाने वाला, काम और तरक़्क़ी के सिलसिले में प्रेरित करने वाला है।

उन्होंने कहा कि क्षेत्र की अस्ल मुश्किल और क्षेत्र में टकराव और जंगें शुरू होने की मुख्य वजह, अमरीका और कुछ योरोपीय देशों की मौजूदगी है जो अमन व शांति के झूठे वादे करते हैं और अगर इस इलाक़े से उनका नापाक वजूद ख़त्म हो जाए तो टकराव और जंगें भी ख़त्म हो जाएंगी और ख़ुद देश क्षेत्र का संचालन करने के क़ाबिल और अमन व शांति के साथ मिल जुलकर रहने वाले हैं।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने ईरान पर हमले के लिए सद्दाम को वरग़लाने और उसके बाद की कटु घटनाओं को क्षेत्र में अमरीका और पश्चिमी ताक़तों की भड़काउ गतिविधियों और युद्धोन्माद का एक नमूना बताया। उन्होंने इस सिलसिले में कहा कि इस वक़्त ईरान और इराक़ के बीच जो मोहब्बत है और जिसका सबसे अच्छा नमूना अरबईन के अज़ीम मार्च में दिखाई देता है, एक साफ़ मिसाल है जो बताती है कि क्षेत्र की सभी मुश्किलों की जड़, अमन के झूठे दावेदार हैं जिनके नापाक वजूद को अल्लाह की तौफ़ीक़ से, ईरानी क़ौम के दृढ़ संकल्प से, इस्लामी इंक़ेलाब की शिक्षाओं से मदद हासिल करके और दूसरी क़ौमों के सहयोग से ख़त्म कर देना चाहिए।

उन्होंने इस मौक़े पर अपने ख़ेताब के एक दूसरे हिस्से में मुलाक़ात से संबंधित तीन विषयों यानी मुल्क में असाधारण सलाहियत के वजूद, जीनियस लोगों की रक्षा और उनकी तादाद बढ़ाने और असाधारण सलाहियत के धनी लोगों की ज़िम्मेदारियों पर भी रौशनी डाली।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने असाधारण सलाहियत और असाधारण सलाहियत के धनी लोगों को सामने लाने की राहों को मुल्क की सबसे क़ीमती संपत्ति में से एक क़रार दिया और उद्दंडी शाही सरकार के ज़माने में इन चीज़ों पर ध्यान न दिए जाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि इंक़ेलाब के बाद असाधारण सलाहियत के लोगों की मुख़्तलिफ़ क्षमताओं पर ध्यान दिया गया लेकिन तेल, गैस, परमाणु क्षमता, नैनो और एआई जैसे आधुनिक ज्ञान सहित मुख़्तलिफ़ विभागों में उन्हें शामिल करके इस पर अधिक ध्यान दिया जाए।

उन्होंने मुल्क के जीनियस लोगों की ज़िम्मेदारियों के बारे में कहा कि जीनियस लोगों की ज़िम्मेदारी आम लोगों से ज़्यादा है क्योंकि उन्हें इल्म, इज़्ज़त और संपत्ति जैसी नेमतें और अल्लाह का करम दूसरों की तुलना में ज़्यादा हासिल है।

उन्होंने दुनिया में साइंस के क्षेत्र में तेज़ी से होने वाले बदलाव की ओर इशारा करते हुए असाधारण प्रतिभा के लोगों का एक नए वैज्ञानिक अभियान के लिए उठ खड़े होने का आह्वान किया और कहा कि मुल्क को नए वैज्ञानिक अभियान की ज़रूरत है और यह जीनियस लोगों की ज़िम्मेदारी है, अलबत्ता इस सिलसिले में साइंटिफ़िक और रीसिर्च सेंटरों की भी ज़िम्मेदारी है, लेकिन अस्ल काम जीनियस लोगों का है।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इस बात पर बल देते हुए कि नए वैज्ञानिक अभियान से प्रतिद्वंद्वियों पर श्रेष्ठता हासिल होगी, कहा कि विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में श्रेष्ठता का एक नतीजा यह होगा कि दुश्मन ग़ज़ा और ज़ाहिया के लोगों को नुक़सान नहीं पहुंचा सकेगा और उन भड़काउ हरकतों की रोकथाम होगी जो लोगों और जवानों के दिलों में आग लगा देती हैं।

 

 

 

 

 

तेल अवीव ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के इज़राइल में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। इज़राइल के अनुसार, ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि "एंटोनियो गुटेरेस इज़राइल पर ईरान के हमले की स्पष्ट रूप से निंदा करने में विफल रहे हैं।"

तेल अवीव ने आज संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के इज़राइल में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। इजराइल के अनुसार ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि ''एंटोनियो गैट्रिस इजराइल पर ईरान के हमले की स्पष्ट रूप से निंदा करने में विफल रहे हैं।'' ईरान का यह हमला ऐसे वक्त हुआ है जब इजरायली सैनिकों ने लेबनान में जमीनी ऑपरेशन शुरू किया।

इस संदर्भ में तेल अवीव ने कहा, "फैसला किया है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को इज़राइल में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और जो कोई भी लगभग सभी देशों की तरह इजरायल पर ईरान के हमले की स्पष्ट रूप से निंदा नहीं करता है उसको इजरायली क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।"

 

ईरान द्वारा मंगलवार को इजराइल पर मिसाइलें दागे जाने के बाद गुटेरेस ने कहा कि उन्होंने मध्य पूर्व में संघर्ष बढ़ने की निंदा की और मांग दोहराई कि ''वे युद्ध की शुरुआत से ही एंटोनियो गुटेरेस की इजराइल विरोधी नीति का विरोध करते हैं.'' इजराइल का संयुक्त राष्ट्र से कई बार टकराव हो चुका है।

 

 

 

 

 

हिज़्बुल्लाह प्रमुख शहीद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर भारत के अयोध्या में शोक सभाएं की गईं और इजराइल की निंदा की गई।

लंका में घमंडी रावण का वध कर मानवता का पाठ पढ़ाने वाले भारत के पुरूषोत्तम श्रीराम ने हिजबुल्लाह प्रमुख शहीद हसन नसरल्लाह की शहादत पर उनकी जन्मस्थली अयोध्या में शोक मनाया।

बज़मे-अब्बासिया ने मोती मस्जिद में एक भव्य जलसे और मजलिस का आयोजन किया, जिसने न केवल अयोध्या में बल्कि पूरी दुनिया में सनसनी फैला दी।

मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना अजीम बाकरी ने हसन नसरुल्लाह को एक सच्चे देशभक्त, स्वतंत्रता सेनानी और मानवता के सेवक के रूप में याद किया। उन्होंने कहा कि हसन नसरल्लाह ने लेबनान में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई संस्थानों की स्थापना की और लेबनान के कुछ क्षेत्रों को इजरायली कब्जे से मुक्त कराया। उनके संघर्ष का मुख्य लक्ष्य फ़िलिस्तीन की मुक्ति और मुसलमानों के पहले किबला को इज़रायल के क़ब्ज़े से आज़ाद कराना था। उन्होंने फिलिस्तीन के उत्पीड़ितों पर मानवीय हमलों के लिए जिम्मेदार इजराइल के अत्याचारों की कड़ी निंदा की।

मौलाना काजिम ने भी मजलिस को संबोधित किया और गाजा में इजरायल द्वारा किए जा रहे अत्याचारों और मानवाधिकारों के उल्लंघन की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि जिस तरह भारत में हजारों देशभक्तों ने अंग्रेजों के खिलाफ अपनी जान कुर्बान कर दी, उसी तरह हसन नसरुल्लाह ने भी गाजा में इजराइल के जुल्म के खिलाफ आवाज उठाकर शहादत हासिल की। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत हमेशा फिलिस्तीन के साथ खड़ा है और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी फिलिस्तीन के समर्थक थे।

अहंकार और जुल्म के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक रही अयोध्या में इस तरह के आयोजन से दुनिया को यह संदेश गया कि मानवता और न्याय की लड़ाई हर युग में जारी रहेगी और इजराइल के अत्याचारों की हर मंच पर निंदा की जाएगी

 

मीडिल ईस्ट में क़त्लेआम मचा रहे इस्राईल के खिलाफ ईरान की जवाबी कार्रवाई के बाद इलाके में तनाव गहराने की आशंका है। ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल से हमले के बाद मिडिल ईस्ट में तनाव और बढ़ गया है। हालात की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने भारतीय नागरिकों को हवाई यात्रा को लेकर एडवाइजरी जारी की है।

भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इस क्षेत्र में युद्ध की स्थिति पर सरकार की तरफ से पूरी निगरानी रखी जा रही है। केंद्र सरकार ने अपनी एडवाइजरी में कहा कि भारतीय नागरिकों को आगाह किया जाता है कि वे बिना बहुत जरूरी ईरान की यात्रा ना करें। सरकार ने ये भी कहा है कि जो भारतीय फिलहाल ईरान में रह रहे हैं उनको सलाह दी जाती है कि वे तेहरान में भारतीय दूतावास से संपर्क बनाए रखें।