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ईरान के राष्ट्रपति ने न्यूयॉर्क में इंटरव्यू देते हुए कहा, ईरान की ओर से हम शांति सुरक्षा का संदेश लेकर आए हैं और भविष्य में सभी लोगों के लिए सुरक्षा और विकास के नारे को पूरा करना हमारा मकसद हैं।

एक समाचार के अनुसार,मसूद पिज़िश्कियान ने स्थानीय समयानुसार रविवार दोपहर को 79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने के लिए न्यूयॉर्क पहुंचने पर इस यात्रा के लक्ष्यों के बारे में संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा हम इस्लामी गणतंत्र ईरान की ओर से शांति और सुरक्षा का संदेश लेकर आ रहे हैं और इस वर्ष के संयुक्त राष्ट्र के शांति और सभी लोगों के लिए सुरक्षा और विकास वाले भविष्य के नारे को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं।

ईरान के राष्ट्रपति ने आगे कहां,हम इस संदेश के वाहक हैं कि रक्तपात युद्ध और हत्या के बजाय हमें एक ऐसी दुनिया बनानी चाहिए जहां सभी लोग अपने रंग, नस्ल,और जिस क्षेत्र में रहते हैं उसकी परवाह किए बिना आराम से रह सकें।

दुर्भाग्य से आज हम जिस दुनिया में रहते हैं वह ऐसी नहीं है यहां दोहरे मानक हैं जिनके आधार पर कुछ अच्छे हैं और कुछ बुरे हैं।परिणामस्वरूप, जो समस्याएँ हम देखते हैं वे उत्पन्न होती हैं।

अंत में पिज़िश्कियान ने इस बात पर जोर दिया हमें पृथ्वी पर रहने का जो अवसर प्राप्त है वह सभी मनुष्यों के लिए समान होना चाहिए।

 

वक़्फ़ बिल को लेकर मचे हंगामे के बीच उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस बिल के पास होने से पहले ही बोर्ड को तगड़ा झटका देते हुए 96 बीघा ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर लिया है।

वक्फ बोर्ड की जमीन को लेकर पूरे देश में बहस चल रही है। इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। देशभर में वक्फ को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इन सब के बीच उत्तर प्रदेश सरकार वक्फ बोर्ड की जमीन पर नजरे टेढ़ी किये हुए है। कौशाम्बी कलेक्ट्रेट ने वक्फ बोर्ड के जमीन पर बड़ी कार्रवाई करते हुए एडीएम न्यायिक कोर्ट से वक्फ बोर्ड की जमीन का पूरा ब्योरा मांगा है।

कौशाम्बी के कड़ा धाम में 96 बीघा जमीन का मामला 1950 से कोर्ट में चल रहा था, लेकिन इसका समाधान नहीं हो रहा था। इसी दौरान एक साल तक दोनों पक्ष के बीच बहस हुई और वक्फ बोर्ड से 96 बीघा जमीन वापस ले ली गई। यह जमीन सरकार के कब्जे में चली गयी है। 

 

ब्रिटेन के उत्तर-पश्चिमी शहर लिवरपूल में, "फिलिस्तीन एकजुटता अभियान", "युद्ध रोकें" और "एकता" जैसे कई संगठनों की कॉल पर "फिलिस्तीन फोरम" द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय मार्च में हजारों प्रदर्शनकारियों ने भाग लिया।

प्रदर्शन में "फ्रेंड्स ऑफ अल-अक्सा", "ब्रिटिश मुस्लिम कॉन्टैक्ट ग्रुप" और "कैंपेन फॉर न्यूक्लियर निरस्त्रीकरण" के सदस्यों ने भाग लिया।

प्रदर्शनकारियों ने फिलिस्तीन पर ज़ायोनी क़ब्ज़ा खत्म करने के लिए ब्रिटिश सरकार से मांग करते हुए कहा कि वह इस्राईल का सैन्य समर्थन बंद करे और सत्तारूढ़ लेबर पार्टी ग़ज़्ज़ा में चल रहे नरसंहार के खिलाफ ठोस कदम उठाए।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, उनकी बहन रेहाना और 69 अन्य के खिलाफ एक कपड़ा श्रमिक की हत्या के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। शेख हसीना के खिलाफ अब तक 194 मामले दर्ज हो चुके हैं. यह मुकदमा मृतक कर्मी की पत्नी ने दर्ज कराया है. मजिस्ट्रेट ने पुलिस को जांच के बाद रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया है।

5 अगस्त को ढाका में कोटा प्रणाली के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान एक कपड़ा श्रमिक की हत्या के आरोप में बांग्लादेश की पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना, उनकी बहन रेहाना और 69 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। डेली स्टार अखबार के मुताबिक, बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के दौरान इस्तीफा देकर भारत आने वाली शेख हसीना (76) पर 194 मामले चल रहे हैं, जिनमें हत्या के 173 मामले, अपहरण के 3 मामले, हत्या के प्रयास के 6 मामले और एक मामला शामिल है बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की रैली पर हमला करने के लिए मामला दर्ज किया गया।

मृतक की पत्नी ने यह मामला ढाका मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट मुहम्मद सैफुल इस्लाम की अदालत में दायर किया है। सुनवाई के बाद मजिस्ट्रेट ने बांग्लादेश पुलिस ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन को जांच के बाद रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया. रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्नी ने अपनी शिकायत में कहा है कि उसके पति मोहम्मद फजलू को 5 अगस्त की सुबह मीरपुर 14 में पुलिस के सामने गोली मार दी गई थी. उनके पति को इलाज के लिए मैक्स मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था जहां डॉक्टरों ने उनका इलाज किया मृत घोषित कर दिया गया। गौरतलब है कि मोहम्मदपुर में 18 जुलाई को 14 वर्षीय मदरसा छात्र और 19 जुलाई को 12 वर्षीय रकीब हसन की मौत के मामले में शेख हसीना और अन्य के खिलाफ रविवार को मामला दर्ज किया गया था।

 

 

 

 

 

अमेरिका केदौरेपर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र की बैठक के लिए आए कई देशों के नेताओं के बीच फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से मुलाकात की। ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी सेना की ओर से मचाए जा रहे जनसंहार के बीच भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की यह मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है। पीएम मोदी ने ग़ज़्ज़ा में मानवीय स्थिति पर गहरी चिंता जताई है।

मोदी ने फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से मुलाकात कर फिलिस्तीन के लोगों के लिए भारत के साथ का आश्वासन दिया है।

बता दें कि इस समय संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली में हिस्सा लेने के लिए दुनिया भर के नेता न्यूयॉर्क में इकट्ठा हुए हैं। UN जनरल असेंबली सेशन के साइड लाइन आपसी मुलाक़ातों का दौर चल रहा है। इसी कड़ी में पीएम मोदी और फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के बीच मुलाकात हुई है।

मोदी की राष्ट्रपति महमूद से मुलाकात इसलिए भी अहम मानी जा रही है, क्योंकि ग़ज़्ज़ा संघर्ष की शुरुआत से ही भारत शांति की अपील करता रहा है।

अफ़ग़ानिस्तान में लगातार आतंकी हमलों और तालिबान शासन के दमन का शिकार हो रहे शिया समुदाय ने तालिबान को अपने रवैये में बदलाव लाने के लिए कहा है। अब तालिबान को दो टूक शब्दों में अफगान शिया उलमा काउंसिल के सदस्यों ने कहा है कि शिया समुदाय अपनी जायज मांगों से पीछे नहीं हटेगा, हमारी मांगें उचित हैं और इस्लामी शरिया ने हमे यह अधिकार दिए हैं।

अफ़ग़ानिस्तान में शिया समुदाय के अतीत का उल्लेख करते हुए हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन सय्यद हुसैन आलमी बल्खी ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में शिया समुदाय का इतिहास बहुत पुराना है खुद हज़रत अली अ.स. ने यहाँ के लोगों के लिए संदेश भेजा था जिसके बाद लोगों ने इस्लाम और शिया मज़हब क़ुबूल किया।

उन्होंने कहा कि अफगानी शिया इस्लामी समाज और मुसलमानों के हितों के प्रति धैर्यवान है और इसी आधार पर जब इस देश में नई सरकार की स्थापना हुई तो शिया बुजुर्गों ने इस्लामी अमीरात (तालिबान) के साथ बातचीत का रास्ता अपनाया टकराव का नहीं।

आलमी बल्खी ने तालिबान सरकार से साफ तौर पर कहा कि वह अफगान शियाओं की मांगों पर ध्यान दे और इन मांगों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दे, क्योंकि इससे अफगानिस्तान की मौजूदा व्यवस्था मजबूत होगी और इस देश में भाईचारा और मजबूत होगा।

 

ईरान के हौज़ा इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी ने तबस खदान में श्रमिकों की घातक दुर्घटना पर गहरा दुख और शोक व्यक्त किया। अपने शोक संदेश में उन्होंने कहा कि तबस के समर्पित और मेहनती खनिकों की दर्दनाक मौत ने पूरे देश और शिक्षा जगत को दुखी कर दिया है।

हौज़ा इल्मिया ईरान के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी ने तबस खदान में श्रमिकों की घातक दुर्घटना पर गहरा दुख और अफसोस व्यक्त किया और कहा: इज़ा असाबतहुम मुसीबा कालू इन्ना लिल्लाहे वा इन्ना इलैहे राजेऊन पवित्र पैगंबर हजरत मुहम्मद मुस्तफा (स) ने कहा: अलकाद्दो अला अयालेही मिन हलालिन कल मुजाहिदे फ़ी सबीलिल्लाह

अपने शोक संदेश में उन्होंने कहा कि तबस के समर्पित और मेहनती खनिकों की दर्दनाक मौत ने पूरे देश और शिक्षा जगत को दुखी कर दिया है।

आयतुल्लाह आराफ़ी के अनुसार, खनिक कठिन और थका देने वाली परिस्थितियों में भी देश की अर्थव्यवस्था के मुख्य स्तंभ हैं और उन्हें पूरा सम्मान दिया जाना चाहिए, दुर्भाग्य से, ऐसी दुखद दुर्घटनाएँ विभिन्न कारणों से होती हैं, जिनकी भरपाई नहीं की जा सकती।

उन्होंने ईरान के लोगों, विशेषकर तबास के निवासियों और मृत श्रमिकों के परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त की और सरकार से इन परिवारों की देखभाल करने की अपील की, साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि सभी खदानों में सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए सुनिश्चित किया जाए तथा इस दुर्घटना के संभावित दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए।

वस सलामो अलैकुम व रहमतुल्लाह व बराकातोह।

अली रज़ा आराफ़ी

मंगलवार, 24 सितम्बर 2024 17:34

ग़ज़्ज़ा से निकले शवों का DNA टेस्ट

हमास के प्रमुख याह्या सिनवार इस्राईल के लिए अबूझ पहेली बने हुए हैं। ग़ज़्ज़ा में 42 हज़ार से अधिक बेगुनाह लोगों का क़त्ले आम करने के बाद भी अवैध राष्ट्र अपने किसी उद्देश्य में सफल नहीं हो सका है। ज़ायोनी सेना ने सोमवार को ग़ज़्ज़ा से निकाले गए शवों के डीएनए की जांच की ताकि पता चल सके कि उसमें से कोई शव हमास के टॉप कमांडर याह्या सिनवार का है या नहीं, लेकिन नतीजा निगेटिव निकला। इसका मतलब साफ है कि इस बार भी वह ज़ायोनी हमलों से बच निकले।

ज़ायोनी चैनल 12 की रिपोर्ट में कहा गया है कि आईडीएफ ने हाल ही में ग़ज़्ज़ा से कई शव निकाले और उनकी जांच की ताकि पता चल सके कि उनका डीएनए हमास नेता याह्या सिनवार से मेल खाता है या नहीं, लेकिन रिजल्ट ज़ायोनी सेना के लिए निराश करने वाला रहा। 

 

लेबनान और इराक़ के प्रतिरोध बलों ने इज़राइल के रडार मुख्यालय और गोलानी ब्रिगेड की बेस को निशाना बनाया।

अल जज़ीरा के अनुसार, हिज़्बुल्लाह ने सोमवार को एक बयान जारी किया कि: ग़ज़ा पट्टी में फिलिस्तीनी राष्ट्र का समर्थन करने के लिए, प्रतिरोधकर्ताओं ने एक मिसाइल से मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन के उत्तर में ज़ायोनी सेना के "अल-बग़दादी" बेस को निशाना बनाया।

हिज़्बुल्लाह ने ज़ोर दिया: इस बेस की ओर दागे गए रॉकेट अपने लक्ष्य पर सटीक हमला करने में कामयाब रहे।

इस बयान के अनुसार, "मइयान बारूख़" बेस पर मिसाइल हमला, लेबनान के मक़बूज़ा शबआ फ़ार्म्ज़ में रडार मुख्यालय पर हमला, "जल अल-अल्लाम" बेस में ज़ायोनी सैनिकों को निशाना बनाना और "अल मरज" बेस में मरकावा टैंक की तबाही, हिज़्बुल्लाह के अभियानों में शामिल था।

दूसरी ओर, इराक़ के इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन ने भी घोषणा की: कल सुबह, उसने अपने ड्रोन का इस्तेमाल करके मक़बूज़ा क्षेत्रों में "गोलानी ब्रिगेड" के बेस को निशाना बनाया।

हिब्रू सूत्रों ने यह भी स्वीकार किया कि इस्राईल की सेना के डिफ़ेंस सिस्टम ने इस ड्रोन के मक़बूज़ा क्षेत्र "बीसान" में दाख़िल होने के बाद निशाना बनाया, लेकिन वे इसे मार गिराने में नाकाम रहे। अभी तक ज़ायोनी अधिकारियों ने इस हमले में संभावित रूप से होने वाले जानी और माली नुक़सान के बारे में कोई सूचना नहीं दी है।

7 अक्टूबर को ग़ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी शासन के हमलों की शुरुआत के साथ, लेबनान, इराक़ और यमन में प्रतिरोधकर्ता बल ग़ज़ा में लोगों पर दबाव कम करने के लिए, ज़ायोनी शासन के ठिकानों पर रोज़ाना हमले कर रहे हैं।

इराक के सर्वोच्च धर्मगुरु और मरजए तक़लीद आयतुल्लाह सय्यद अली हुसैनी सीस्तानी ने "लेबनान के मज़लूम लोगों के साथ एकजुटता दिखते हुए आपदा की इस घड़ी में इस देश और जनता के लिए सहानुभूति व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि अल्लाह लेबनान के प्रिय लोगों, को दुश्मनो और दुष्टों एवं उनके षडयंत्रों से बचाएं। शहीदों पर उसकी रहमत हो और घायलों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिले।

उन्होंने कहा कि लेबनान पर दुश्मन के हमलों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया जाए और दुश्मन के हमलों के दुष्प्रभाव और नुकसान से उन्हें बचाने के लिए हर संभव प्रयास किये जाएं।

उन्होंने अपील करते हुए कहा कि लेबनान के लोगों के दुःख और संकट को दूर करने के लीये जो कुछ बन पड़े करना चाहिए और उन्हें मानवीय सहायता प्रदान की जाए।