رضوی

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रूस और यूक्रेन की जंग ने पश्चिम वालों को यह याद दिलाया कि बड़ी शक्तियों और उनके सहयोगियों के अलावा भी एक दुनिया मौजूद है।

इस दूसरी दुनिया में आम तौर पर अफ़्रीक़ा महाद्वीप, एशिया और लैटिन अमरीका का शुमार होता है, जिन्होंने जंग में किसी एक का पक्ष लेने का विरोध किया है। इसलिए इस जंग की वजह से भू-राजनीति में ग्लोबल साउथ सुर्ख़ियों में आ गया है।

 

ग्लोबल साउथ की वापसी

 

कोल्ड वार के बाद एकध्रुवीय दशकों में ऐसा लगने लगा था कि ग्लोबल साउथ हमेशा के लिए हाशिए पर चला गया है। लेकिन आज फिर से ग्लोबल साउथ सुर्ख़ियों में है। यह वापसी किसी एक समूह या संगठित संगठन के तौर पर नहीं, बल्कि एक भू-राजनीतिक सच्चाई के रूप में हुई है।

 

ग्लोबल साउथ की विशालता

 

ग्लोबल साउथ में दक्षिण पूर्वी एशियाई देश, प्रशांत महासगर के द्वीप और लैटिन अमरीकी देश शामिल हैं।

 

ग्लोबल साउथ में शामिल होने का मापदंड क्या है

 

ग्लोबल साउथ में अलग-अलग तरह के देश हैं, लेकिन उनके बीच कुछ विशेषताएं हैं। यूरोपीय उपनिवेश की यादों ने उनके विचारों को समान आकार प्रदान किया है। इन देशों का फ़ोकस, व्यापार विस्तार, निवेश और मूल्य श्रृंखला को उन्नत करने पर है।

 

ग्लोबल साउथ देशों में धन

 

ग्लोबल साउथ के कई देश, 20वीं सदी के बाद से अधिक अमीर और स्मार्ट हो गए हैं और उन्होंने सीख लिया है कि अपने लिए लाभ हासिल करने के लिए दोनों पक्षों (एक तरफ़ अमरीका, जापान और यूरोप और दूसरी तरफ़ चीन-रूस गठबंधन) के साथ कैसे खेलना है और अपने हित हासिल करने हैं।

 

यूक्रेन युद्ध में ग्लोबल साउथ देशों की भूमिका

 

ग्लोबल साउथ देशों ने इंकार की ताक़त दिखाकर, बड़ी ताक़त हासिल कर ली है। व्यवहारिक रूप से यूक्रेन पर हमले के बाद, रूस पर लगने वाले प्रतिबंधों को सभी ग्लोबल साउथ देशों ने ख़ारिज कर दिया है।      

निर्णय लेने वाली वैश्विक संरचनाओं में अपने महत्व को लेकर वैश्विक दक्षिण देशों का असंतोष

ग्लोबल साउथ के सभी देश निर्णय लेने वाली वैश्विक संरचनाओं में अपने महत्व से बहुत असंतुष्ट हैं।

इनमें से कुछ देशों के पास खनिज संसाधन, आपूर्ति श्रृंखलाएं और नए विचार हैं, जो वैश्विक विकास और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ज़रूरी हैं और यह उन्हें 20वीं सदी की तुलना में अधिक शक्ति प्रदान करता है।

संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में सुधार

ग्लोबल साउथ के सभी देश संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में मूलभूत परिवर्तनों और सुधारों की वकालत करते हैं।

अमरीका आज भी अंतर्राष्ट्रीय वित्त प्रणाली पर दबदबा क़ायम रखे हुए है, जिसकी वजह से वह अपने सहयोगियों के साथ मिलकर, ग्लोबल साउथ के देशों पर प्रतिबंध लगाने में सफल हो जाता है।

ग्लोबल साउथ का भविष्य

न्यू ग्लोबल साउथ, समय बीतने के साथ अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में अपनी मांगों को पूरा करने के लिए बड़ी शक्तियों पर ज़ोर दे सकता है और प्रॉक्सी वार्स से दूरी बना सकता है।

ग्लोबल साउथ के देश, अपने राष्ट्रीय हितों के लिए व्यक्तिगत क़दम उठा सकते हैं। उनकी आवाज़ जलवायु परिवर्तन और डॉलर के आधिपत्य के ख़िलाफ़ प्रभावी तौर पर सुनी जा सकती है।

इसके अलावा, न्यू साउथ के देशों का एक-दूसरे से भौगोलिक अलगाव और उनके केंद्रीय हितों को प्रभावित करने वाले मतभेदों की अनुपस्थिति, शायद यह गारंटी देता है कि भविष्य में उनके संबंध सौहार्दपूर्ण बने रहेंगे।

ईरान की राष्ट्रीय इनडोर हॉकी टीम ने मलेशिया के ख़िलाफ़ जीत हासिल करते हुए एशियाई चैम्पियनशिप जीत ली है।इसके अलावा, ईरानी राष्ट्रीय टीम के स्टार खिलाड़ी सालार आग़ापूर को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ युवा फ़ुटसल खिलाड़ी चुना गया है।

एशियाई प्रतियोगिता में ईरान की राष्ट्रीय इनडोर हॉकी टीम की चैंपियनशिप, सालार आग़ापूर को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ युवा फ़ुटसल खिलाड़ी चुना जाना और विश्व कप में सेपक तकरा की दो सदस्यीय और तीन सदस्यीय राष्ट्रीय टीम की चैंपियनशिप, खेल के मैदान में ईरान से संबंधित कुछ अहम समाचार हैं।

फ़ुटसल प्लैनेट वेबसाइट ने कि जो हर साल विभिन्न श्रेणियों में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फ़ुटसल खिलाड़ियों का परिचय कराती है, इस साल दुनिया के सर्वश्रेष्ठ युवा खिलाड़ियों की श्रेणी में शीर्ष 10 उम्मीदवारों में ईरान के सालार आग़ापूर को भी शामिल किया है। इस विश्वसनीय वेबसाइट ने अंततः सालार आग़ापूर को सर्वश्रेष्ठ युवा खिलाड़ी के रूप में पेश किया है।

ईरानी महिला राष्ट्रीय वॉलीबॉल टीम ने एशिया महिला चैलेंज कप के तीसरे संस्करण के एलिमिनेशन चरण में हांगकांग की राष्ट्रीय टीम का सामना किया और तीन-एक की बढ़त हासिल करते हुए मैच जीत लिया।

2024 विश्व चैम्पियनशिप पैरा-फ़ील्ड प्रतियोगिता की मेज़बानी जापान के कोबे शहर ने की। ईरानी एथलीट सईद अफ़रूज़ ने 34F वर्ग में भाला फेंक कर स्वर्ण पदक जीत लिया। यासीन ख़ोसरवी ने 57F वर्ग में और मेहदी औलाद ने 11 F थ्रो स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल किया। सैयद अली असग़र जवानमर्दी ने 35F वर्ग सादिक़ बेत सय्याह ने 41F वर्ग में भाला फेंक कर रजत पदक अपने नीम किया। ब्लाइंड श्रेणी में अमीर हुसैन अलीपूर और हाजिर सफ़रज़ादे ने 400 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक जीते।

उज़्बेकिस्तान के महाद्वीपीय दौरे की एथलेटिक्स प्रतियोगिता के दौरान, ईरान के थ्रोअर हुसैन रसूली ने डिस्क थ्रोइंग में पहला ख़िताब और स्वर्ण पदक अपने नाम किया। मेहदी साबेरी ने वेट थ्रो स्पर्धा में उपविजेता का ख़िताब जीता।

ईरान की सेपक तकरा दो-खिलाड़ी और तीन-खिलाड़ी राष्ट्रीय टीमें मलेशिया में विश्व कप प्रतियोगिताओं में दो स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहीं।

ईरानी शतरंज खिलाड़ी बर्दिया दानिश्वर ने शारजाह सुपरमास्टर्स की चैंपियनशिप जीत ली। इस टूर्नामेंट में रूसी और अमेरिकी शतरंज खिलाड़ी दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।

ईरान की राष्ट्रीय इनडोर हॉकी टीम ने मलेशिया के ख़िलाफ़ जीत हासिल करके नौवीं बार एशिया चैंपियनशिप जीत ली। ईरान की राष्ट्रीय हॉकी टीम ने कि जो विश्व में दूसरे स्थान पर है, इस चैम्पियनशिप के साथ 2025 विश्व कप में भाग लेने का अधिकार हासिल कर लिया।

वर्ल्ड फ़ेडरेशन द्वारा घोषित नवीनतम विश्व स्केटिंग रैंकिंग में, ईरान के रज़ा लेसानी ने इनलाइन फ्रीस्टाइल श्रेणी में दुनिया में पहली रैंक हासिल की और रोमिना सालिक युवा आयु वर्ग में सफल प्राप्त करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया।

ईरानी युवा टीम ने दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक के साथ जॉर्जिया के नोगज़ार एस्किरली कप की अंतर्राष्ट्रीय युवा फ्रीस्टाइल कुश्ती प्रतियोगिता का ख़िताब जीत लिया।

मैं यह खत उन जवानों को लिख रहा हूँ जिनके बेदार ज़मीरों ने उन्हें ग़ज़्ज़ा के मजलूम बच्चों और औरतों की रक्षा के लिए उत्साहित किया। संयुक्त राज्य अमेरिका के नौजवान छात्रों ! यह आपसे हमारी हमदिली और एकजुटता का पैग़ाम है।  इतिहास बदल रहा है और इस समय आप सही पक्ष में खड़े हो !

आज आपने प्रतिरोध का एक छोटा सा मोर्चा बनाया है। और अतिक्रमणकारी ज़ायोनी शासन का खुल्लम-खुल्ला समर्थन कर रही अपनी सरकार के अन्यायपूर्ण दबाव के बावजूद प्रतिरोध का बिगुल फूंका है। 

प्रतिरोध का एक बड़ा मोर्चा आपकी इन्ही भावनाओ और जज़्बात के साथ आपसे दूर क्षेत्र  में संघर्ष कर रहा है। इस प्रतिरोध का मक़सद उस ज़ुल्म और अत्याचार को रोकना है जो ज़ायोनी दहशतगर्द नेटवर्क वर्षों से फिलिस्तीन पर कर रहा है और उनके देश पर क़ब्ज़ा करने के बाद से उन्हें गंभीर दबाव और उत्पीड़न का शिकार बना रहा है। रंगभेदी ज़ायोनी शासन के हाथों आज का नरसंहार दशकों की क्रूरता का ही सिलसिला है। फ़िलिस्तीन एक संप्रभु भूमि है जहाँ मुसलमान, ईसाई और यहूदियों का एक लंबा इतिहास है। 

विश्व युद्ध के बाद, ज़ायोनी लॉबी के पूंजीपतियों ने ब्रिटिश सरकार की मदद से धीरे-धीरे हजारों आतंकवादियों को इस धरती पर भेजा जिन्होंने फिलिस्तीन के शहरों और गांवों पर हमला किया, हजारों लोगों को मार डाला या घायल कर दिया, उन्हें पड़ोसी देशों की तरफ भगा दिया,  उनके घरों, बाज़ारों और कृषि भूमियों को छीन लिया और फ़िलिस्तीन की हड़पी हुई भूमि पर इस्राईल नामक अवैध राष्ट्र का गठन किया। 

अंग्रेज़ों की शुरूआती मदद के बाद इस अवैध शासन का सबसे बड़ी मददगार अमेरिका की सरकार है जिसने इस सरकार को लगातार राजनैतिक, आर्थिक और यहाँ तक की सैन्य मदद जारी रखी है।  यहाँ तक कि नाक़ाबिले मुआफी लापरवाही करते हुए इस सरकार के लिए परमाणु हथियार बनाने के रास्ते भी खोल दिए और इस मामले में उसकी भरपूर मदद भी की। 

ज़ायोनी शासन ने पहले दिन से ही निहत्थे असहाय फिलिस्तनी लोगों के विरुद्ध आक्रमक और हिंसक रवैया अपनाया और तमाम मानवीयय और धार्मिक मूल्यों और इंसानी भावनाओं को रौंद डाला जो गुज़रते समय के साथ बढ़ता ही गया। 

अमेरिकी सरकार और उसके घटक देशों ने राज्य प्रायोजित इस आतंकवाद और ज़ुल्म पर ज़रा सी नाराज़गी का इज़हार भी नहीं किया आज भी ग़ज़्ज़ा के दिल दहला देने वाले जघन्य अपराधों पर अमेरिकी सरकार के बयान सच्चाई पर आधारित न होकर बस औपचारिक होते हैं।  

प्रतिरोधी मोर्चा ऐसे अंधेर और उदासीन माहौल के बीच से उभरा, ईरान की इस्लामी क्रांति ने इस आंदोलन को बढ़ावा और ताक़त दी। 

अमेरिका और यूरोप के अधिकांश मीडिया संसाधनों के मालिक या उन्हें अपनी आर्थिक शक्ति के अधीन रखने वाले ज़ायोनी लॉबी के सरग़नाओं ने इस प्रतिरोध को आतंकवाद के नाम से बदनाम किया। क्या अतिक्रमणकारी अत्याचारियों से अपने देश और अपनी मातृभूमि की रक्षा करना आतंकवाद है ? क्या ऐसी क़ौम और ऐसे राष्ट्र की मानवीय सहायता और उसके बाज़ुओं को मज़बूत करना आतंकवाद की मदद कहा जा सकता है ?

 दुनिया पर दमनकारी प्रभाव रखने वाले सरगना मानवीय मूल्यों की भी परवाह नहीं करते। वह इस्राईल की अतिक्रमणकारी अत्याचारी सरकार के आतंक को आत्मरक्षा बताते हैं और अपनी आज़ादी, सुरक्षा और भविष्य के लिए संघर्ष कर रहे फिलिस्तीनियों को दहशतगर्द कहते हैं। 

मैं आपको यक़ीन दिलाना चाहता हूँ कि आज माहौल बदल रहा है।  एक नया भविष्य पश्चिमी एशिया के संवेदनशील इलाक़े का इंतेज़ार कर रहा है   विश्व स्तर पर बहुत से ज़मीर बेदार हो चुके हैं और हक़ीक़त खुल कर सामने आ चुकी है। प्रतिरोधी मोर्चा भी शक्तिशाली हो चुका है जो अभी और ताक़तवर और मज़बूत होगा। इतिहास बदल रहा है। तारीख़ के पन्ने भी पलटने वाले हैं।  

संयुक्त राज्य अमेरिका के दर्जनों विश्वविद्यालयों में आप जैसे छात्रों के अलावा, अन्य देशों के विश्वविद्यालय और वहां के लोग भी उठ खड़े हुए हैं। विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा आप जैसे विद्यार्थियों का सहयोग एवं समर्थन एक महत्वपूर्ण एवं निर्णायक घटना है। इस से सरकार का दमनकारी रवैया और आप पर पड़ने वाला दबाव कुछ हद तक कम हो सकता है।  मैं भी आप नौ जवानों के प्रति सहानुभूति रखता हूं आप से हमदर्दी का इज़हार करता हूँ और आपकी दृढ़ता की सराहना करता हूं।

हम मुसलमानों और दुनिया के सभी लोगों के लिए पवित्र क़ुरआन की सीख यह है कि सच्चाई के रास्ते पर डटे रहो "استقم کما اُمرت۔"

मानवीय रिश्तों के बारे में भी क़ुरआने मजीद का साफ़ साफ़ दर्स है कि " न ज़ुल्म कर और न ही ज़ुल्म सहो" لاتَظلمون و لاتُظلمون۔"

प्रतिरोधी मोर्चा इन अहकाम और आदेश तथा इन जैसी सैंकड़ों तालीम और सिद्धांतों को सीख कर और इन पर अमल करते हुए आगे बढ़ रहा है और एक दिन अल्लाह की मर्ज़ी से कामयाब भी होगा। 

मैं अपील करता हूँ कि क़ुरआन को जानने की कोशिश कीजिये। 

सय्यद अली ख़ामेनई 25 मई 2024

ग़ज़्ज़ा के रफह में ज़ायोनी सेना की ओर से मचाए जा रहे जनसंहार पर दुनियाभर से कड़ी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। ऐसे में इस्राएल के बड़े कारोबारी और रणनीतिक साझीदार तुर्की ने एक बार फिर नेतन्याहू पर ज़बानी हमला बोला है।

तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोग़ान ने ज़ायोनी प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ बयान बाज़ी करते हुए कहा कि कि इस कार्रवाई से एक 'आतंकवादी राज्य' के चेहरे से पर्दा हट गया।

तुर्क राष्ट्रपति ने जोर देकर यह भी कहा कि ज़ायोनी पीएम और उनके सहयोगी सजा से बच नहीं पाएंगे। इन लोगों का हश्र जर्मनी के क्रूर शासक एडोल्फ हिटलर और युद्ध अपराधियों जैसा ही होगा।

अर्दोग़ान ने कहा कि ग़ज़्ज़ा में 36 हजार से अधिक लोग ऐसे लोगों की हरकतों से शहीद हो गए, जिन्हें वे कसाई और हत्यारे कहते हैं। ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी हमले पर तत्काल रोक लगाने के अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के आदेश के बावजूद इस्राईल मान नहीं रहा है। उसने न्यायालय के आदेश के बाद रफह में शरणार्थी शिविर पर 'आपराधिक हमला' किया। बेंजामिन नेतन्याहू और उनका हत्यारा नेटवर्क फिलिस्तीनी प्रतिरोध को हराने में नाकाम होने पर आम लोगों का नरसंहार करके सत्ता पर पकड़ मजबूत करना चाह रहा है।

अरब मीडिया ने घोषणा की है कि यमन में "मार्ब" प्रांत के पूर्व में "अल-वादी" शहर के उपनगरीय इलाके में एक अमेरिकी ड्रोन एमक्यू-9 को मार गिराया गया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, मीडिया सूत्रों ने बताया कि यमनी सशस्त्र बलों ने एक और अमेरिकी ड्रोन मार गिराया।

अरब मीडिया ने घोषणा की है कि यमन के "मरीब" प्रांत के पूर्व में अल-वादी शहर के उपनगरीय इलाके में 31 मिलियन डॉलर मूल्य के अमेरिकी ड्रोन एमक्यू-9 को मार गिराया गया है।

ऐसा तब है जब कुछ मीडिया ने घोषणा की है कि यमनी सशस्त्र बलों ने एक अमेरिकी ड्रोन को निशाना बनाया है, मीडिया सूत्रों ने मारिब के रेगिस्तान में ड्रोन की तस्वीरें भी प्रकाशित की हैं।

इससे पहले, यमनी सशस्त्र बलों के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल याह्या अल-सारी ने घोषणा की थी कि उनके देश की सेना ने पिछले कुछ महीनों में पांच अमेरिकी एमक्यू-9 ड्रोन को रोका और मार गिराया है।

साड़ी ने आज यह भी घोषणा की कि शाम 4:00 बजे वह चौथे वृद्धि ऑपरेशन के ढांचे में व्यापक सैन्य अभियान पर एक बड़ा बयान जारी करेंगे।

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने मामून के नाम जो  लिखा था उसमें फ़रमाया है कि अल्लाह के दोस्तों के साथ दोस्ती वाजिब है, इसी प्रकार अल्लाह के दुश्मनों से दुश्मनी रखना और बेज़ारी करना वाजिब है।

हज़रत अली बिन मूसा अर्रज़ा अलैहिस्सलाम सातवें इमाम, इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के बेटे हैं और वह इस्ना अश्री शियों के आठवें इमाम और पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हैं और उनके बारे में पैग़म्बरे इस्लाम की सिफारिशें हैं।

20 वर्षों तक इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की इमामत थी। जिस समय इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की इमामत थी उस वक्त हारून रशीद, अमीन और मामून अब्बासी शासकों का शासन था। सन् 200 हिजरी क़मरी में मामून ने इमाम को मदीना से ईरान के ख़ुरासान प्रांत के मर्व शहर आने पर मजबूर किया। मर्व उस समय अब्बासी ख़लीफ़ाओं की सरकार का केन्द्र था। मामून ने इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम को उत्तराधिकारी के पद को क़बूल करने पर बाध्य किया और अंततः उसने 203 हिजरी क़मरी में इमाम को ज़हर देकर शहीद करवा दिया। उसके बाद इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम को जिस जगह पर दफ्न किया गया वह जगह "मशहदुर्रज़ा" के नाम से मशहूर हो गयी और आज दुनिया के लाखों शिया और ग़ैर शिया पूरे साल उनकी पावन समाधि की ज़ियारत के लिए आते रहते हैं।

यहां पर हम मोमिन की विशेषताओं के बारे में इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की कुछ हदीसों को बयान कर रहे हैं।

 हक़ीक़ते ईमान के शिखर पर पहुंचने का रास्ता

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम इरशाद फ़रमाते हैं  कोई भी बंदा ईमान की हक़ीक़त के शिखर पर नहीं पहुंच सकता मगर यह कि उसमें तीन विशेषतायें हों। धर्म की पहचान, जिन्दगी में सही कार्यक्रम बनाना और जीवन की कठिनाइयों व सख्तियों पर धैर्य करना। (तोहफ़ुल उक़ूल)

 ईमान के पहलु

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ईमान के बारे में इरशाद फ़रमाते हैं "दिल से पहचान व क़बूल करना, ज़बान से स्वीकार करना और शरीर के अंगों से अमल करना। (तोहफ़ुल उक़ूल) 

 क्रोध और ख़ुशी की हालत में मोमिन का व्यवहार

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम इरशाद फ़रमाते हैं कि मोमिन जब ग़ुस्सा करता है तो उसका ग़ुस्सा उसे हक़ से बाहर नहीं करता है और जब राज़ी व ख़ुश होता है तो उसकी ख़ुशी उसे बातिल व ग़लत चीज़ों में दाख़िल नहीं करती है और जब ताक़त व क़ुदरत पैदा करता है तो अपने हक़ से अधिक नहीं लेता है। (बेहारुल अन्वार)

 अल्लाह के दोस्तों के साथ दोस्ती और अल्लाह के दुश्मनों से दुश्मनी व बेज़ारी

इमाम रज़ा अलैहिस्लाम इरशाद फ़रमाते हैं कि अल्लाह के दोस्तों से दोस्ती करना वाजिब और इसी तरह उसके दुश्मनों और सरगनाओं से दुश्मनी और बराअत व बेज़ारी वाजिब है। (वसाएलुश्शिया)

  अल्लाह के बेहतरीन बंदे

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम से अल्लाह के नेक बंदों के बारे में सवाल किया गया तो इमाम ने फ़रमाया अल्लाह के नेक बंदे जब नेक काम करते हैं तो प्रसन्न होते हैं, जब ग़लत काम व गुनाह करते हैं तो इस्तेग़फ़ार करते हैं, जब उन्हें कोई चीज़ दी जाती है वे उसका शुक्र अदा करते हैं और जब किसी मुसीबत में गिरफ्तार होते हैं तो धैर्य करते हैं और जब क्रोधित होते हैं तो माफ़ और नज़रअंदाज़ कर देते हैं। (मुसनद अलइमाम रज़ा अलैहिस्सलाम) 

 लोगों का शुक्रिया अदा करना अल्लाह का शुक्र है

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम इरशाद फ़रमाते हैं कि जो लोगों का शुक्रिया अदा नहीं करता वह अल्लाह का भी शुक्र अदा नहीं करता। (उयूनो अख़बार्रिज़ा अलैहिस्सलाम)

 दुनिया से हलाल लाभ उठाना

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम इरशाद फ़रमाते हैं कि दुनिया से लाभ उठाओ। इसलिए कि हलाल की हद तक दिल की मांगों को पूरा करो, जहां तक मुरव्वत ख़त्म न हो और उसमें फ़ुज़ूलख़र्ची न हो। इस तरीक़े से धार्मिक कार्यों में मदद लो। (फ़िक़्हुर्रज़ा)

 बाप के सामने विन्रम रहना

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम इरशाद फ़रताते हैं कि तुम पर बाप की इताअत और उसके साथ नेकी करना वाजिब है, उससे नम्रता से और झुक कर पेश आओ, इसी प्रकार बाप का सम्मान करो और उसकी मौजूदगी में आवाज़ नीची रखो। (फ़ेक़हुर्ररज़ा अलैहिस्सलाम)

 

उत्तरी अमेरिकी मैक्सिको में फ़िलिस्तीन के समर्थकों में इज़रायल के घातक हमले के ख़िलाफ़ मैक्सिको सिटी में इज़रायली दूतावास के सामने प्रदर्शन किया हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,उत्तरी अमेरिकी के मैक्सिको में फ़िलिस्तीन के समर्थकों में फ़िलिस्तीनी शरणार्थी टेंटों पर इज़रायल के घातक हमले के ख़िलाफ़ मैक्सिको सिटी में इज़रायली दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन हुआ।

राफह में शरणार्थी शिविरों पर इजरायली हमले में कम से कम 45 लोगों की मौत और सैकड़ों फिलिस्तीनियों के घायल होने के बाद मेक्सिकोवासियों ने इज़रायली दूतावास के सामने प्रदर्शन किया हैं।

मेक्सिको सिटी में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन की जो तस्वीरें सामने आई हैं उनमें देखा जा सकता है कि पुलिस और फोर्स अलग अलग तरीकों से प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं और सड़कों को ब्लॉक कर रहे हैं।

 

सुरक्षा बलों की फ़िलिस्तीनी समर्थकों के साथ झड़प हुई और मैक्सिकन प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और बलों पर पत्थर और वस्तुएँ फेंककर जवाब दिया हैं।

 

 

 

 

 

ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी सेना की ओर से 7 महीने से अधिक समय से जारी क़त्ले आम और रफह में हालिया नरसंहार के बीच यूरोपीय यूनियन के तीन देशों स्पेन, नॉर्वे और आयरलैंड ने फिलिस्तीन को अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी है जिस पर अवैध राष्ट्र इस्राईल भड़क गया है।

इस्राईल और हमास के बीच जारी युद्ध के बीच यूरोपीय संघ (ईयू) के कुछ सदस्य देशों ने मंगलवार को औपचारिक रूप से फिलिस्तीन राज्य को मान्यता दे दी है। जिन देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता दी है, उनमें स्पेन, नॉर्वे, आयरलैंड शामिल है। यूरोपीय देशों की इस कार्रवाई से इस्राईल पर दबाव बढ़ सकता है।

स्पेन के राष्ट्रपति पेड्रो सांचेज ने इस कदम को एक ऐतिहासिक निर्णय बताया। उन्होंने कहा कि इसका एक ही लक्ष्य है कि फिलिस्तीनी नागरिक शांति प्राप्त करें। आयरलैंड के प्रधानमंत्री साइमन हैरिस ने कहा कि इससे दुनिया में एक संदेश जाता है कि आप दो राज्य समाधान के लिए इस तरह के कदम उठा सकते हैं। यूरोपीय संघ के सदस्य माल्टा और स्लोवेनिया ने भी पुष्टि की है कि वे भी ऐसा कुछ कर सकते हैं पर तुरंत नहीं। बता दें, संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधित्व करने वाले 190 से अधिक देशों में से लगभग 140 देश पहले ही फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता दे चुके हैं।

यूक्रेन युद्ध की आग को भड़का रहे यूरोपीय देशों को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी देते हुए कहा की यूरोप के इन ज़रा ज़रा से देशों को भूलना नहीं चाहिए कि वह किस के साथ खेल रहे हैं।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों को यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति को लेकरचेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर पश्चिमी देश रूस पर हमला करने के लिए यूक्रेन को अपने हथियारों का इस्तेमाल की इजाजत देते है तो इसका अंजाम बहुत बुरा होगा। पुतिन ने यह चेतावनी तब दी, जब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि रूस जहां से यूक्रेन पर हमला कर रहा है, उन ठिकानों को नष्ट करने के लिए यूरोपीय देशों को यूक्रेन की मदद करनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा, यूरोप के छोटे-छोटे देशों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि वे किसके साथ खेल रहे हैं।

नॉलेज बेस्ड कंपनियां, आज किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी मानी जाती हैं। ईरान में इस तरह की कई कंपनियां सक्रिय हैं।

कुछ नॉलेज बेस्ड ईरानी कंपनियां अपने प्रोडक्ट दूसरे देशों में निर्यात कर रही हैं, ख़ास तौर पर नैनो, मेडिकल इंजिनीयरिंग, दवा और मेडिकल डिवाइसेस के क्षेत्र में।

ईरान की 11वीं संसद में पारसियों के प्रतिनिधि डा. इसफ़ंदयार बख़्तियारी कि जो देश में नॉलेज बेस्ड कंपनियों से संबंधित दो महत्वपूर्ण क़ानूनों को पारित कराने में अहम भूमिका रखते हैं, यज़्द में पहले टेक्नो सैंटर के संस्थापक भी हैं, जिन्हें ईरान की नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था और नॉलेज पार्कों का जनक भी कहा जाता है।

डा. इसफ़ंदयार बख़्तियार से बातचीत की है, जिसे हम यहां पेश कर रहे हैं।

डा. साहब नॉलेज बेस्ड कंपनी क्या है?

नॉलेज बेस्ड कंपनियों की स्थापना, विचार और ज्ञान के आधार पर की जाती है। दर असल यह कंपनियां, अपने आईडियाज़ और डिज़ाइंस को लागू करती हैं और उन्हें बेचती हैं। नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था में हम इनोवेशन और टैक्नॉलोजी पर भरोसा करते हैं। इस अर्थव्यवस्था वाले मॉडल में कस्टमर, इनोवेशन और नए विचारों के लिए भुगतान करते हैं, इसलिए यह सिलसिला कभी रुकता नहीं है, क्योंकि सोच कभी रुकती नहीं होती।

दर असल, नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था में महान ईरानी शायर सादी के इस कथन को अमली जामा पहनाया जाता है, जो कहते हैः जो बुद्धिमान है, वही सक्षम है।

ईरान में नॉलेज बेस्ड कंपनियों का आइडिया कब आया और कब से इस पर काम शुरू हुआ?

ईरान में नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था का आग़ाज़ लगभग 22 साल पहले हुआ, जब देश में पहले नॉलेज पार्क की स्थापना की गई। उसके  9 साल बाद, इससे संबंधित एक क़ानून पारित किया गया, जिसमें नॉलेज बेस्ड कंपनियों और नॉलेज पार्कों के बुनियादी ढांचे का समर्थन किया गया था और इन कंपनियों को परिभाषित किया गया था।

इस क़ानून की बुनियाद पर कई कंपनियों ने काम शुरू किया और कुछ पुरानी कंपनियों ने भी नए जोश के साथ इसे अपनाया। दो साल पहले नॉलेज बेस्ड उत्पादन में वृद्धि से संबंधित एक दूसरा क़ानून पारित किया गया।

आज ईरान में नॉलेज बेस्ड कंपनियों की क्या स्थिति है?

हमें इस फ़ील्ड में अच्छा अनुभव है। दर असल ईरान इस फ़ील्ड में पूरे पश्चिम एशिया का हब बन गया है। विश्व स्तर पर भी उसकी स्थिति अच्छी है। ऐसी कुछ कंपनियों का एक्सपोर्ट और टर्नओवर अच्छा है और वह विश्व स्तर पर काम कर रही हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इससे रिलेटेड हम किन मामलों में सफल हैं?

हमारे देश में अकसर ऐसी कंपनियां, टैक्नॉलोजी और इंजीनियरिंग, मेडिकल रोबोट, मेडिकल इंजीनियरिंग, आईटी और नैनो टैक्नॉलोजी के क्षेत्र में सक्रिय हैं।

ईरान की कई नॉलेज बेस्ड कंपनियां, मेडिकल उपकरण बनाने में कई मल्टीनेशनल कंपनियों से मुक़ाबला कर रही हैं। कई कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स दूसरे देशों को एक्सपोर्ट कर रही हैं।

क्या यह कंपनियां, ह्यूमैनिटीज़ और आर्ट में भी यह कंपनियां सक्रिय हैं?

हां, हर वह क्षेत्र जहां नए विचार पैदा हों, और यह विचार अर्थव्यवस्था में भूमिका अदा करें, तो उसे नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था कहा जाता है। मिसाल के तौर पर टूरिज़म में उस पहले शख़्त के विचार को कि जिसने अपने निजी घर को टूरिस्टों के ठहरने और उससे पैसा कमाने की शुरूआत की, नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था कहा जाएगा।

नॉलेज बेस्ड कंपनियों पर अमरीकी पाबंदियों का क्या असर पड़ा?

पाबंदियों ने तरीक़े से काफ़ी मदद की, क्योंकि ऐसी कई कंपनियों की बुनियाद, ज़रूरत और अभाव के आधार पर पड़ी। जैसे कि कोरोना के ज़माने में जब ईरान को वेंटिलेटर्स के इम्पोर्ट की इजाज़त नहीं मिली, तो इन कंपनियों ने ख़ुद नए प्रकार के वेंटिलेटर्स को डिज़ाइन किया और बनाया। दर असल, पाबंदियों की वजह से कई क्षेत्रों में इन कंपनियों को बढ़ावा मिला।

लेकिन पाबंदियों से नुक़सान भी हुआ, क्योंकि इन कंपनियों को दूसरे देशों को अपने प्रोडक्ट्स बेचने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और वह पैसे का लेन-देन आसानी से नहीं पा रही हैं।      

नॉलेज बेस्ड कंपनियों का भविष्य कैसा है?

ईरानियों के पास बुद्धि और ज्ञान दोनों हैं, इसलिए नॉलेज बेस्ड कंपनियां अच्छा काम कर सकती हैं, लेकिन इस शर्त के साथ कि अर्थव्यवस्था के सरकारी होने की समस्या उनके रास्ते में रुकावट न बने।