
رضوی
हिज़्बुल्लाह लेबनान के प्रमुख की माँ की मृत्यु पर इस्लामी क्रांति के नेता का शोक संदेश
इस्लामिक क्रांति के सर्वोच्च नेता ने लेबनान में हिजबुल्लाह के प्रमुख की मां के निधन पर शोक व्यक्त किया है.
इस्लामिक क्रांति के नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के कार्यालय के अनुसार, लेबनान में हिजबुल्लाह के महासचिव सैय्यद हसन नसरल्लाह को एक शोक संदेश में उन की मां माजदा की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया। और कहा कि महानता के लिए यह पर्याप्त है कि प्रतिरोध के लोग, सैय्यद हसन नसरुल्लाह, इस शुद्ध आलिंगन से बढ़ें, भगवान की दया और क्षमा उन पर हो, और भगवान का आशीर्वाद और शांति आप पर और प्रतिरोध के महान मुजाहिदीन पर हो .
हिजबुल्लाह लेबनान के महासचिव सैयद हसन नसरल्लाह की मां मृत्यु शनिवार को हुई।
सऊदी अरब, राजनैतिक दमन रोकने की मांग भारी पड़ी, 4 जवानों को क़ैद
सऊदी अरब में राजनैतिक दमन के खिलाफ आवाज़ उठाना क़तीफ के चार जवानों को भारी पड़ा और उन्हें सऊदी तानाशाही ने लंबी अवधि के लिए कारावास की सज़ा सुनाई है।
यूरोपीय-सऊदी मानवाधिकार संगठन के डिप्टी ने घोषणा की है कि रियाज़ आपराधिक न्यायालय ने अपनी राय व्यक्त करने के लिए क़तीफ के 4 नागरिकों को जेल की सजा सुनाई है।
यूरोपीय-सऊदी मानवाधिकार संगठन के डिप्टी "आदिल अस-सईद" ने खबर देते हुए कहा कि रियाज़ की विशेष आपराधिक अदालत ने क़तीफ़ (पूर्वी अरब) के 4 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को कुल 103 साल जेल की सज़ा सुनाई है।
इस मानवाधिकार कार्यकर्ता के अनुसार, "खिज़र अल-अवामी" को 25 साल, "अली जासिब अत-ताहिफा" को 27 साल, शेख "अब्बास अस-सईद" को 27 साल और "हुसैन अल-जायद" को भी 24 साल जेल की सज़ा सुनाई गई है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मानवाधिकार कार्यकर्ता अली जासिब अत-ताहिफा को 2012 से 2018 तक भी 6 साल के लिए सऊदी सरकार ने जेल में डाला था उसके बाद 2022 में भी उन्हें उनकी दुकान से गिरफ्तार किया गया था।
शहीद रईसी हमेशा खुद को सरबाज़-ए-विलायत का सिपाही बताते थे
सरकारी प्रवक्ता ने कहा: शहीद सैयद इब्राहीम रईसी खुद को सरबाज़-ए-विलायत कहते थे और हमेशा खुद को सर्वोच्च नेता का सिपाही कहते थे।
सरकार के प्रवक्ता अली बहादुर जहरमी ने शहीद राष्ट्रपति के व्यक्तित्व का वर्णन करते हुए कहा: "हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन रईसी बहुत व्यस्त जीवन के मालिक थे। वह अक्सर देश की सेवा में यात्रा करते थे और वह अपनी पूरी टीम को देश की सेवा में व्यस्त रखते थे।
उन्होंने कहा: शहीद रईसी की कार्यप्रणाली ऐसी थी मानो उन्होंने कहा हो, "मैं इन सभी मामलो मे सबसे आगे हूं और आप सभी को मुझ तक पहुंचना होगा।"
बहादुर जहरमी ने कहा: आमतौर पर, जब विभिन्न बैठकों मे परियोजनाओं की तारीखों की घोषणा की जाती थी, तो हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रईसी हमेशा इन तारीखों के बारे मे अधिकारियों से चर्चा करते थे, आप इस तारीख की घोषणा क्यों कर रहे हैं? यह कार्य अगले वर्ष क्यो करे? फिर वह उन्हें तरह-तरह के तर्क देकर मजबूर करता कि काम दो महीने मे नहीं, बल्कि दो हफ्ते में पूरा हो जाना चाहिए।
उन्होंने कहा: हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन रईसी हमेशा खुद को सरबाज़-ए-विलायत कहते थे और खुद को सर्वोच्च नेता का सिपाही कहते थे। उनका कहना था कि यदि सर्वोच्च नेता के फ़रमान को अपने मामलो मे ठीक से करे तो आर्थिक समस्याओ सहित सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है।
रफह, शरणार्थी शिविर पर ज़ायोनी सेना का हमला, 40 से अधिक की मौत
अवैध राष्ट्र इस्राईल की ज़ायोनी सेना ने एक बार फिर फिलिस्तीनियों का सामूहिक क़त्ले आम करते हुए
ग़ज़्ज़ा पट्टी के दक्षिण में स्थित रफ़ह शहर के उत्तर-पश्चिम में फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के तंबुओं पर बर्बर हवाई हमले किये जिस में कम से कम 40 से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए और दर्जनों अन्य घायल हो गए।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार इन हमलों में अभी तक 40 लोग मारे जा चुके हैं जबकि अभी भी मलबे के नीचे अन्य लोगों के दबे होने की आशंका है जिनकी खोज बीन जारी है।
यमन ने 100 से अधिक युद्ध बंदियों को मानवीय आधार पर रिहा किया
यमन सरकार और अतिक्रमणकारी गठबंधन के खिलाफ यमन की स्वाधीनता की जंग लड़ रहे अंसारुल्लाह जनांदोलन ने रविवार को देश में लंबे समय से चल रहे संघर्ष में बंधक बनाए गए 113 लोगों को मुक्त कर दिया है।
यमन के युद्धरत पक्षों की तरफ से पिछले साल अप्रैल में देश में बड़े आदान-प्रदान में 800 से अधिक कैदियों को मुक्त करने के एक साल से अधिक समय बाद यह एकतरफा रिहाई हुई। रेड क्रॉस ने कहा, अंसारुल्लाह के समर्थन वाली यमन सरकार ने राजधानी सनआ में रविवार सुबह 113 कैदियों की रिहाई पर मोहर लगाते हुए उन आज़ाद कर दिया। रिहा किए गए बंदियों से रेड क्रॉस के सदस्यों ने मुलाकात की थी और यमन की राजधानी में हिरासत में रहते हुए उनकी मदद भी की थी। संगठन के प्रमुख डैफनी मारेट ने कहा, इससे आगे चलकर अन्य बंदियों की रिहाई का मार्ग भी निकलेगा।
भारतीय आर्मी चीफ का कार्यकाल बढ़ा साजिश तो नहीं: ओवैसी
भारतीय आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे का कार्यकाल बढ़ाने पर राजनीतिक हलकों में बहस शुरू हो गई है। राजनेताओं का कहा है कि सत्ताधारी भाजपा सेना के राजनीतिकरण करने पर तुली हुई है। सत्ताधारी पार्टी को सशस्त्र बलों को राजनीति से दूर रखना चाहिए।
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को थलसेना अध्यक्ष जनरल मनोज पांडे का कार्यकाल बढ़ाने को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि चुनाव के बीच में थलसेना अध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ाने की जरूरत नहीं थी। ओवैसी ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि सत्ताधारी पार्टी को सशस्त्र बलों को राजनीति से दूर रखना चाहिए।
सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे के कार्यकाल को एक महीना बढ़ा दिया गया है। कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने रविवार को जनरल पांडे के सेवा विस्तार को मंजूरी दी है। विस्तार के बाद जनरल पांडे 30 जून तक सेना के अध्यक्ष रहेंगे।
ओवैसी ने लिखा कि 'केंद्र सरकार को पहले से ही जनरल मनोज पांडे की सेवानिवृत्ति की तारीख पता होगी, ऐसे में सरकार को पहले ही नए थलसेना प्रमुख की नियुक्ति कर देनी चाहिए थी।'
'सत्ताधारी पार्टी को हमारे सशस्त्र बलों को राजनीति से दूर रखना चाहिए, लेकिन बीते एक दशक में हमने देखा है कि मोदी सरकार में हमारे सैनिकों को चुनावी फायदे के लिए इस्तेमाल किया गया। हमने देखा कि चीन की सीमा पर हमारे सैनिक पेट्रोलिंग नहीं कर पा रहे हैं।'
'जनरल मनोज पांडे का कार्यकाल सिर्फ एक महीने के लिए बढ़ाया गया है, मतलब ये एक अस्थायी उपाय है, इससे सरकार में प्रशासन की साफ कमी दिखती है। अगर ये अक्षमता नहीं है तो इसमें कोई साजिश भी हो सकती है।'
पश्चिमी बंगाल में साइक्लोन का क़हर, जनजीवन ठप
पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों पर चक्रवाती तूफान रेमल का कहर दिखाई देने लगा है। लैंडफॉल की प्रक्रिया आधी रात से शुरू हो चुकी है। इस दौरान समुद्र में चक्रवाती तूफान की अधिकतम रफ्तार 135 किमी प्रतिघंटा दर्ज की गई। इसके प्रभाव से पश्चिम बंगाल में भारी तबाही और बर्बादी देखने को मिल रही है।
इस चक्रवाती तूफान का असर बीरभूम, पूर्वी बर्धमान, नदिया, पूर्वी मेदिनीपुर, बांकुड़ा, दक्षिण 24 परगना, उत्तर 24 परगना, कोलकाता, बिधाननगर के अलग-अलग इलाकों में देखने को मिल रहा है। यहां तेज बारिश शुरू हो गई है।
कोलकाता के शेक्सपियर सारणी और कैमक एसटी में सड़कें जलमग्न हो गई हैं। कोलकाता पुलिस, कोलकाता नगर निगम के साथ मिलकर यात्रियों के लिए सड़कों से उखड़े हुए पेड़ों को हटा रही है।
आईएमडी की जानकारी के अनुसार बांग्लादेश और उससे सटे पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्रों में लैंडस्लाइड की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह प्रक्रिया अगले कई घंटे तक जारी रह सकती है।
तेहरान में शहीद राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी के सम्मान में शोक समारोह
हेलीकॉप्टर हादसे में जान गंवाने वाले ईरान के लोकप्रिय राष्ट्रपति शहीद इब्राहीम रईसी और उनके साथियों के सम्मान में तेहरान के शहीद मुतह्हरी शिक्षा केंद्र में एक भव्य समारोह आयोजित किया गया।
कुछ दिनों पहले एक हवाई दुर्घटना में इस्लामी गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति सहित कई महत्वपूर्ण व्यक्ति शहीद हो गए। इस घटना के बाद पूरी दुनिया शोक में डूब गई। भारत सरकार ने भी एक दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की और ईरान के राष्ट्रपति और विदेश मंत्री को विशेष श्रद्धांजलि देने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतिनिधिमंडल ईरान भेजा, जिसमें भारत के उपराष्ट्रपति भी शामिल थे।
ईरान और भारत की संस्कृति में समानता/ मौलाना सैयद जाबिर जौरासी
मौलाना सैयद जाबिर जौरासी ने भारत और ईरान की संस्कृतियों में समानता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सांस्कृतिक विरासतें, धार्मिक विश्वास और परंपराएं कई मायनों में एक-दूसरे से मिलती-जुलती हैं, जो दोनों देशों के बीच के रिश्तों को और भी मजबूत बनाती हैं।
लखनऊ: कुछ दिनों पहले एक हवाई दुर्घटना में इस्लामी गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति सहित कई महत्वपूर्ण व्यक्तित्व शहीद हो गए। इस घटना के बाद पूरी दुनिया शोक में डूब गई। भारत सरकार ने भी एक दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की और ईरान के राष्ट्रपति और विदेश मंत्री को विशेष श्रद्धांजलि देने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतिनिधिमंडल ईरान भेजा, जिसमें भारत के उपराष्ट्रपति भी शामिल थे।
लखनऊ के ऐतिहासिक हुसैनाबाद स्थित हुसैनिया मोहम्मद अली शाह (छोटा इमामबाड़ा) में रविवार की शाम शहीदों की याद में डूब गई, जहां ऐनुल हयात ट्रस्ट, इदारा इल्म व दानिश और हैदरी एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी के अलावा दर्जनों धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने "याद-ए-सफीरान-ए-इंकलाब" कार्यक्रम का आयोजन किया।
इस कार्यक्रम में मौलाना सैयद जाबिर जौरासी ने भारत और ईरान की संस्कृतियों में समानता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सांस्कृतिक विरासतें, धार्मिक विश्वास और परंपराएं कई मायनों में एक-दूसरे से मिलती-जुलती हैं, जो दोनों देशों के बीच के रिश्तों को और भी मजबूत बनाती हैं।
ईरान के शहीद राष्ट्रपति आयतुल्लाह सैय्यद इब्राहीम रईसी, ईरान के विदेश मंत्री शहीद हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन, तबरेज़ के इमाम जुमा शहीद आयतुल्लाह सैयद आले -हाशिम के सिलसिले में हुए इस कार्यक्रम का शुभारंभ कारी बदर-उल-दुजा ने सूरह बकरा की उन आयतों की तिलावत से किया जिनमें सब्र और शहादत का उल्लेख है।
इसके बाद कार्यक्रम के संचालक मौलाना सैयद हैदर अब्बास रिजवी ने मौजूदा हालात का मुख़्तसर खाका पेश किया और जनाब वसी काज़मी को अशआर पढ़ने के लिए माइक पर बुलाया। जनाब वसी काज़मी ने बेहद खूबसूरत आवाज़ में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिससे सैकड़ों की तादाद में मौजूद हाज़िरीन की आंखें अश्कबार हो गईं।
इसके बाद कार्यक्रम के संचालक ने पहले मुक़र्रिर के तौर पर डॉ. सैयद क़ल्बे सब्तैन नूरी को आमंत्रित किया जिन्होंने अपनी तक़रीर में शहीद इब्राहिम रईसी और उनके साथियों को याद किया ।
दूसरे स्पीकर मशहूर आलिम और खतीब मौलाना सैयद मोहम्मद हसनैन बाकरी ने कहा कि राष्ट्रपति रईसी ने नि:स्वार्थ सेवाओं के माध्यम से लोगों के दिलों पर राज किया, जिसका अंदाज़ा उनके जनाज़े में उमड़े जनसैलाब से हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि राजनीति का मतलब है देश और क़ौम की सेवा, लोगों के बीच मुहब्बत और प्यार का माहौल कायम करना और मजलूमों की मदद और समर्थन करना।
इसके बाद तीसरे स्पीकर मशहूर पत्रकार शकील रिजवी ने बयान किया कि ईरानी राष्ट्रपति आयतुल्लाह इब्राहीम रईसी भारत के साथ संबंधों को और मजबूत करने के लिए प्रयासरत थे। शायद इसी वजह से ईरानी सरकार ने इस साल फरवरी से भारतीय नागरिकों को बिना वीजा ईरान यात्रा की सुविधा प्रदान की, ताकि पश्चिमी देशों की उन नीतियों को विफल किया जा सके जो ईरान के प्रति नफरत फैलाने वाली थीं।
पत्रकार शकील रिज़वी की तक़रीर के बाद नाज़िम ने मौलाना इस्तिफा रजा को आमंत्रित किया जिन्होंने कहा कि कभी-कभी नाम का असर किरदार में देखने को मिलता है। हज़रत इब्राहीम जो तौहीद के मुनादी थे, उन्होंने अपने दुश्मनों से कभी समझौता नहीं किया उसी तरह आयतुल्लाह शहीद इब्राहिम रइसी ने भी कभी भी दुश्मनों से समझौता नहीं किया ।
मौलाना सैयद हैदर अब्बास रिजवी ने इसके बाद मौलाना अख्तर अब्बास जौन को आमंत्रित किया जिन्होंने अपने व्याख्यान में कहा कि इब्राहीम रईसी बेताल ताकतों को परास्त करने में रहबर-ए-इंकलाब के भरोसेमंद साथी थे और कठिन समय में इस्लामी दुनिया और शिया समुदाय की उम्मीद थे।
इसके बाद के प्रसिद्ध लेखक एवं विश्लेषक मौलाना सैयद मुशाहिद आलम रिजवी थे, जिन्होंने कहा कि आज क्रांति के राजदूतों की शहादत पर सच्चाई और हक़ के सभी दीवाने शोक में हैं। अयातुल्लाह इब्राहिम रईसी ईरान के एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन्होंने तीन साल की अवधि में राजनीति को सेवा, मजलूमों की सहायता और जनता की समस्याओं के समाधान का बेहतरीन जरिया बनाया।
इस प्रोग्राम के अंतिम वक्ता खतीब, जनाब मौलाना सैयद मोहम्मद जाबिर जौरासी थे, जिन्होंने कहा कि भारत और ईरान की संस्कृति में समानता है, इसका प्रमाण हिंद और ईरान की अज़ादारी है। भारत के उपराष्ट्रपति शहीद रईसी की शहादत पर जब उपस्थित हुए, तो उन्होंने काला वस्त्र पहनकर यह साबित किया कि भारत और ईरान में सांस्कृतिक समानता है।
मौलाना जौरासी ने अपनी बातचीत के अंत में बहुत संक्षिप्त में मसाएब (मुसिबतों की कहानी) पेश की, जिससे सभी मौजूद लोग रो पड़े।
कार्यक्रम के समापन पर मौलाना सैयद हैदर अब्बास रिजवी ने उन सभी संगठनों की ओर से विद्वानों, मौलवियों और उपस्थित लोगों का धन्यवाद किया जिन्होंने क्रांति के राजदूतों की याद में आयोजित इस कार्यक्रम को अपनी उपस्थिति से रोशन किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विद्वानों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और समुदाय के बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम को ऐनुल हयात ट्रस्ट, इदारा इल्म व दानिश, हैदरी एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी, प्रिंट पॉइंट, हुदा मिशन, इलाही घराना, तहा फाउंडेशन, तनज़ील एकेडमी, वली अल-असर एकेडमी, जामिया-तुल-ज़हरा, इदारा-ए-इस्लाह, अल-मुअम्मल कल्चरल फाउंडेशन, नबा फाउंडेशन, केयर इस्लाम, बहजत-उल-अदब, अहयू - अम्रना ट्रस्ट, अर्श एसोसिएट, गाजी चैनल, गौहर एजेंसी, हादी टीवी, विलायत टीवी, ग्राफ एजेंसी, महदीयनज़ ऑर्गनाइजेशन और अवधनामा आदि संगठनों के संयुक्त प्रयासों से आयोजित किया गया।
क्या राजनेता अल्लाह की इस नेअमत को समझते हैं? छठे इमाम की एक हदीस की शरह
शियों के छठे इमाम फ़रमाते हैं" वह ख़ुशनसीब है जो अल्लाह की नेअमतों को कुफ्र में नहीं बदलता है और ख़ुशनसीब वे लोग हैं जो अल्लाह के लिए एक दूसरे से प्रेम करते हैं।
अल्लाह की नेअमतों से सही तरह से लाभ उठाना एक बहुत महत्वपूर्ण मामला व विषय है और वह एक इंसान और समाज की ज़िन्दगी को दिशा देता है।
शियों के छठे इमाम, इमाम जाफ़रे सादिक़ अलैहिस्सलाम से रिवायत है जिसमें आप फ़रमाते हैं" ख़ुशनसीब वह है जो अल्लाह की नेअमत को कुफ्र में नहीं बदलता है और वे ख़ुशनसीब हैं जो अल्लाह के लिए एक दूसरे से प्रेम करते हैं।"
ईरान की इस्लामी क्रांति के नेता सैयद इमाम ख़ामेनेई ने इस हदीस की संक्षिप्त शरह में फ़रमाया कि طُوبىٰ لِمَن لَم یُبَدِّل نِعمَةَ اللهِ کُفراً
यह बहुत महत्वपूर्ण बात है, अल्लाह की नेअमत को कुफ्र में बदलने की, अमले काफ़िराना और कुफ्र जो पवित्र क़ुरआन में और सूरे इब्राहीम की 28वीं और 29वीं आयतों में भी आया है
«اَلَم تَرَ اِلَی الَّذینَ بَدَّلوا نِعمَتَ اللهِ کُفرًا وَ اَحَلّوا قَومَهُم دارَ البَوار، جَهَنَّمَ یَصلَونَها وَ بِئسَ القَرار»
"क्या उन लोगों को नहीं देखा जिन्होंने अल्लाह की नेअमत को कुफ्र में बदल दिया और अपनी क़ौम को बर्बादी के घर में पहुंचा दिया? वह बर्बादी का घर जहन्नम है और उसमें दाख़िल होंगे और कितना बुरा ठिकाना है।"
कभी अल्लाह ने इंसान को कोई नेअमत दिया है मिसाल के तौर पर बयान की नेअमत, यह एक अच्छी नेअमत है। एलाही शिक्षाओं के प्रचार- प्रसार और अख़लाक़ में इस नेअमत से लाभ उठाया जा सकता है और इसके विपरीत दूसरे काम में भी इस नेअमत का प्रयोग किया जा सकता है। अगर कोई इस नेअमत का प्रयोग एलाही मक़ासिद और उद्देश्यों के विपरीत करता है तो उसने कुफ्राने नेअमत किया है और नेअमत को बदला और उसका दुरुपयोग व कुफ्र किया है या मान लीजिये कि माले दुनिया का होना एक नेअमत है, माले दुनिया एक नेअमत है जिसे अल्लाह कुछ लोगों को अता करता है, इस नेअमत से बुलंद दर्जों को प्राप्त किया जा सकता है, सदक़ा व दान दिया जा सकता है, ख़र्च किया जा सकता है, किसी को मुसीबत और भूख से नजात दी जा सकती है, इसका उल्टा भी किया जा सकता है, इस पैसे को फ़साद और हराम के रास्तों में यानी ख़ुद और दूसरों को बर्दाद करने के रास्ते में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह अल्लाह की नेअमत का कुफ्राने नेअमत है।
इसी प्रकार ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई फ़रमाते हैं कि किसी चीज़ के प्रबंधन की शक्ति व क्षमता और पदों को स्वीकार करना भी अल्लाह की एक नेअमत है। यह भी एक नेअमत है कि अल्लाह एक रास्ते को उत्पन्न करने या उसके बदलने की ताक़त किसी को दे। इस नेअमत का किस तरह प्रयोग करना चाहिये? अगर लोगों की सेवा और समाज के मार्गदर्शन में उसका प्रयोग किया जाये तो यह शुक्रे नेअमत है, अगर इस नेअमत का प्रयोग इस मार्ग में नहीं किया गया तो यह कुफ्रे नेअमत है।
इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता फ़रमाते हैं कि इन नेअमतों का कुफ्रान कभी इस सीमा तक होता है कि उसकी भरपाई भी नहीं की जा सकती। मान लीजिये कि एक देश में एक राष्ट्र ने प्रतिरोध व आंदोलन किया है, अमेरिका, साम्राज्यवादियों और ज़ोरज़बरदस्ती करने वाले दूसरे देशों के खिलाफ़, एसे लोग सत्ता में आ गये जिनके पास देश के संचालन की क्षमता नहीं थी। इन लोगों ने इस अवसर से लाभ नहीं उठाया या देश का सही से संचालन नहीं किया और इसका प्रयोग विपरीत दिशा में किया और अपने देश के लोगों और ख़ुद को बर्बाद कर दिया। राष्ट्र को भी बर्बाद कर दिया, यह वही «اَلَم تَرَ اِلَی الُّذینَ بَدَّلوا نِعمَتَ اللهِ کُفرا»].
है।
طُوبىٰ لِلمُتَحابّین فِی الله
इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के हवाले से जो हदीस रिवायत की गयी है उसमें आगे कहा गया है कि ख़ुशनसीब वे लोग हैं जो अल्लाह की रज़ा के लिए एक दूसरे से प्रेम करते हैं। متحابّین بالله یا فی الله
का अर्थ है कि यानी उनके प्रेम का आधार अल्लाह की रज़ा है। अमुक व्यक्ति से अल्लाह के लिए प्रेम करते हैं और किसी से संबंध विच्छेद करते हैं तो अल्लाह के लिए। mm
स्रोतः इमाम ख़ामेनेई, 1396/02/10. हदीस (طُوبىٰ لِمَن لَم یُبَدِّل نِعمَةَ اللهِ کُفراً طُوبىٰ لِلمُتَحابّین فِی الله) की शरह, अमालिये तूसी किताब, अलमिस्बाहुल लिलकफ़अमी।