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इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने इस बात की ओर इशारा करते हुए कि ईरानी राष्ट्र कभी भी विदेशियों के सामने नहीं झुकेगा, कहा: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प अगर बातचीत की कोशि में हैं, तो उन्होंने ये गलतियां क्यों कीं?

ईरान के राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान ने सोमवार को इस्लामिक क्रांति की सफलता की 46वीं वर्षगांठ पर इस बात पर ज़ोर दिया कि ईरान, गुंडागर्दी और ज़ोरज़बरदस्ती के ख़िलाफ पूरी ताकत से खड़ा है और वरिष्ठ नेता इमाम ख़ामेनेई के नेतृत्व में साजिशों के ख़िलाफ़ डटा रहेगा।

उनका कहना था कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प बातचीत की बात करते हैं, लेकिन साथ ही वह ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों और साज़िशों के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर भी कर रहे हैं ।

राष्ट्रपति ने यह कहते हुए कि अमेरिका शांति प्रिय होने का दावा करता है, कहा: इस क्षेत्र की शांति किसने भंग की? इस क्षेत्र और ग़ज़ा में हत्या और विनाश का कारण कौन है? दुनिया का कौन सा स्वतंत्र व्यक्ति यह स्वीकार करता है कि आप महिलाओं, बच्चों और बीमारों पर बम बरसाते रहें?

राष्ट्रपति ने कहा कि हम कभी भी विदेशियों के सामने नहीं झुकेंगे। उन्होंने कहा कि दुश्मन ईरान पर हमला करने की अपनी इच्छा दफ़न कर दें।

राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान ने कहा: 22 बहमन अल्लाह का दिन है, क्योंकि ईरान के सभी लोग बिना किसी भेदभाव के मैदान में उतरे और अपनी ताकत, एकजुटता और एकता के बल पर विदेशियों के हाथ काट दिये और अत्याचारियों को देश से बाहर निकाल दिया।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने कहा: हम युद्ध की कोशिश में नहीं हैं, यह ज़ायोनी शासन था जिसने ईरान में नई सरकार की गतिविधियों के पहले ही दिन तेहरान में हमास आंदोलन के प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या कर दी थी।

राष्ट्रपति ने कहा, ये खुद आतंकवादी हैं और फिर हमें आतंकवादी कहते हैं। उन्होंने ईरान में कई लोगों की हत्या की, हम आतंक के शिकार हैं।

ईरान के राष्ट्रपति ने कहा: ट्रम्प का दावा है कि ईरान ने क्षेत्र की सुरक्षा बिगाड़ दी है जबकि अमेरिका के समर्थन से इज़राइल असुरक्षा का मुख्य कारण है और ग़ज़ा, लेबनान, सीरिया, ईरान और जहां भी वह चाहता है वहां के मज़लूमों पर बमबारी करता है।

इस्लामी क्रांति की सालगिरह के मौके पर क़ुम के लोगों ने 22 बहमन की रैली में भरपूर और व्यापक रूप से भाग लेकर क्रांति और इस्लामी व्यवस्था के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया।

एक रिपोर्ट के अनुसार , इस्लामी क्रांति की सालगिरह के अवसर पर क़म के लोगों ने 22 बहमन की रैली में भरपूर और व्यापक रूप से भाग लेकर क्रांति और इस्लामी व्यवस्था के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया।

रैली में शामिल लोग ईरान के झंडे और क्रांतिकारी नारों वाले बैनर हाथ में लिए हुए मुख्य रास्ते पर चल रहे थे इस मौके पर युवाओं, बच्चों और बुजुर्गों की भारी भागीदारी ने एकता और अखंडता का दृश्य प्रस्तुत किया।

यह रैली हर साल इस्लामी क्रांति की सालगिरह पर पूरे ईरान में आयोजित की जाती है और क़म, जो एक महत्वपूर्ण धार्मिक और क्रांतिकारी शहर है यहाँ हमेशा जनता की बड़ी संख्या में भागीदारी होती है।

 प्रसारित की गई तस्वीरें और वीडियो क़म के लोगों की इमाम ख़ुमैनी र.ह. और रहबर मुअज्जम क्रांति के प्रति श्रद्धा और वफादारी को दर्शाती हैं।भागीदारों ने मर्ग बर अमरीका मर्ग बर इस्राइल और "इस्तेक़लाल, आज़ादी, जुम्हूरी इस्लामी" जैसे नारे लगाकर इस्लामी व्यवस्था और क्रांतिकारी दृष्टिकोण का समर्थन किया।

यह भव्य रैली एक बार फिर इस तथ्य को उजागर करती है कि ईरानी जनता एकता और अखंडता के साथ दुश्मनों की हर साजिश का सामना कर रही है और इस्लामी क्रांति के उद्देश्यों की रक्षा कर रही है।

 

ईरान में आज, 10 फरवरी 2025 को, इस्लामी क्रांति की 46वीं वर्षगांठ बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाई जा रही है इस आजादी के मौके पर बुजुर्ग बच्चे महिलाएं बड़े उत्साह और जोश के साथ शामिल हो रहे हैं।

ईरान में आज, 10 फरवरी 2025 को, इस्लामी क्रांति की 46वीं वर्षगांठ बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाई जा रही है इस आजादी के मौके पर बुजुर्ग बच्चे महिलाएं बड़े उत्साह और जोश के साथ शामिल हो रहे हैं।

1979 में हुई इस क्रांति ने देश में कई वर्षों से चली आ रही राजशाही शासन व्यवस्था को समाप्त कर दिया था जिसके परिणामस्वरूप ईरान एक इस्लामी गणराज्य बना।

इस अवसर पर, पूरे देश में दस दिवसीय अशर ए फज्र समारोह आयोजित किए जा रहे हैं जो 1 फरवरी से शुरू होकर 11 फरवरी तक चलते रहे। इन समारोहों में विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम शामिल हैं, जिनमें परेड, प्रदर्शनी, और विशेष प्रार्थनाएं शामिल हैं।

इस्लामी क्रांति की 46वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में, ईरान ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियों को प्रदर्शित किया है, जिनमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, और रक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति शामिल है। इन उपलब्धियों ने देश की स्वायत्तता और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर ईरान के नागरिक अपने देश की स्वतंत्रता, संप्रभुता, और इस्लामी क्रांति के आदर्शों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं, और आने वाले वर्षों में और भी प्रगति की आशा करते हैं।

इस खुशी के अवसर पर हम अपनी हौजा न्यूज़ एजेंसी की पूरी टीम की तरफ से सभी लोगों की खिदमत में बधाई पेश करते हैं।

हौज़ा ए इल्मिया की शोधकर्ता और शिक्षका ने कहा: 22 बहमन की रैली में पूरे राष्ट्र की व्यापक भागीदारी इस्लामी क्रांति के सभी महान शहीदों से नये सिरे से वचनबद्धता का प्रतीक है।

नरजिस शकरज़ादे ने ख़बरगुज़ारी हौज़ा के संवाददाता से बातचीत में कहा कि ईरानी जनता कल की रैली में एक बार फिर यह साबित करेगी कि वह अपने देश की उन्नति और इस्लामी क्रांति की सच्चाई की रक्षा के मार्ग पर पूरी ताकत के साथ डटी हुई है।

उन्होंने कहा, 22 बहमन की रैली में जनता विशेष रूप से युवाओं की व्यापक भागीदारी इस बात का संकेत है कि हम अपनी क्रांति के साथ खड़े हैं और अमेरिका तथा पश्चिमी ताकतों की धमकियों व प्रतिबंधों से प्रभावित नहीं होते।

उन्होंने आगे कहा कि हालांकि कुछ प्रशासनिक अव्यवस्थाओं के कारण आर्थिक हालात ने जनता पर दबाव बढ़ाया है फिर भी लोग यह समझते हैं कि अमेरिका से वार्ता और समझौता देश की समस्याओं का हल नहीं है। समस्याओं का समाधान सही योजनाओं, उचित प्रबंधन और देशी संसाधनों के उचित उपयोग में निहित है।

शकरज़ादे ने जोर देकर कहा कि 22 बहमन की रैली में भाग लेना इस्लामी क्रांति के सभी शहीदों से नये सिरे से वचनबद्धता का प्रतीक है।उन्होंने कहा 22 बहमन जनता के लिए अपने दुश्मनों के खिलाफ संघर्ष के मैदान में उतरने का सही अवसर है क्योंकि यह ऐतिहासिक रैली वस्तुत दुश्मनों के खिलाफ एक "सॉफ़्ट वॉर" का मोर्चा है।

इस दिन जनता क्रांति की सफलता का जश्न मनाते हुए विशेष रूप से इमाम ख़ुमैनी र.ह.और महान शहीदों के आदर्शों के प्रति अपनी निष्ठा दोहराती है और सर्वोच्च नेता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दुनिया के सामने प्रस्तुत करती है।

जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की गाज़ा पट्टी से फिलिस्तीनियों को स्थानांतरित करने की योजना की आलोचना करते हुए इसे घोटाला बताया हैं।

जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की गाज़ा पट्टी से फिलिस्तीनियों को स्थानांतरित करने की योजना की आलोचना करते हुए इसे घोटाला बताया हैं।

शोल्ज़ और विपक्षी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन के नेता फ्रेडरिक मर्ज़ ने 23 फरवरी को बुंडेस्टैग चुनावों से पहले रविवार शाम को पहली टेलीविज़न बहस में हिस्सा लिया चर्चा किए गए प्रमुख विषयों में से एक यह था कि ट्रम्प के प्रशासन के तहत जर्मनी को संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ कैसे जुड़ना चाहिए।

एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य पूर्व के मुद्दे को संबोधित करते हुए स्कोल्ज़ ने ट्रम्प के गाज़ा प्रस्ताव के प्रति अपने विरोध की पुष्टि की हैं।

शुक्रवार को एक अभियान कार्यक्रम में बोलते हुए स्कोल्ज़ ने अपनी अस्वीकृति व्यक्त करते हुए कहा,हमें गाजा की आबादी को मिस्र में नहीं बसाना चाहिए और योजना को पूरी तरह से अस्वीकार किया।

रविवार की बहस के दौरान शोल्ज़ ने ट्रम्प से निपटने के लिए अपनी रणनीति को स्पष्ट शब्दों और मैत्रीपूर्ण बातचीत के रूप में वर्णित किया।

मर्ज़ ने ट्रम्प के प्रस्ताव पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे अमेरिकी प्रशासन के परेशान करने वाले प्रस्तावों की एक श्रृंखला का हिस्सा बताया हालांकि उन्होंने सुझाव दिया कि जर्मनी को यह देखने के लिए प्रतीक्षा करनी चाहिए कि अमेरिकी सरकार किन योजनाओं को गंभीरता से आगे बढ़ाने का इरादा रखती है।

संभावित अमेरिकी टैरिफ के मुद्दे पर शोल्ज़ ने पुष्टि की कि यूरोपीय संघ यदि आवश्यक हो तो एक घंटे के भीतर कार्रवाई करने के लिए तैयार है।

इस बीच मर्ज़ ने यूरोपीय एकता के महत्व पर जोर दिया जिसमें ब्रेक्सिट के बावजूद ब्रिटेन के साथ सहयोग शामिल है चुनौतियों से निपटने के लिए एक आम यूरोपीय रणनीति का आह्वान किया।

 

महाराष्ट्र शिया उलेमा बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सय्यद मोहम्मद असलम रिज़वी ने कहां,कि आज दीने इस्लाम के नाम पर कुछ लोग नफ़रत फैलाने का काम करते हैं जो सही नहीं है। इस्लाम ने हमेशा भाईचारे और मोहब्बत का पैग़ाम दिया है ऐसे में हम लोगों को हज़रत मो. मुस्तफ़ा (स) और अहलेबैत (अ) के बताए हुए रास्ते पर चलने की ज़रूरत है।

जौनपुर; नगर के बलुआघाट स्थित पंजतनी कमेटी के कैम्प कार्यालय में महाराष्ट्र शिया उलेमा बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सै. मो. असलम रिजवी का सदस्यों ने जोरदार स्वागत कर अंगवस्त्रम व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

पुणे से आये मौलाना असलम रिज़वी ने कहा कि समाज को शिक्षित करने से जहां देश विकास करता है वहीं लोगों के जीने का दृष्टिकोण भी बदलता है। ऐसे में हम लोगों को चाहिए कि शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जो भी कदम उठाना पड़े उससे पीछे नहीं हटना चाहिए।

मौलाना असलम रिज़वी ने कहा कि आज दीने इस्लाम के नाम पर कुछ लोग नफ़रत फैलाने का काम करते हैं जो सही नहीं है। इस्लाम ने हमेशा भाईचारे और मोहब्बत का पैग़ाम दिया है। ऐसे में हम लोगों को हज़रत मो. मुस्तफ़ा (स) और अहलेबैत (अ) के बताए हुए रास्ते पर चलने की ज़रूरत है।

उन्होंने कहा कि ग़रीब, बेसहारा व मज़लूमों की हमेशा मदद करनी चाहिए चाहे वह किसी भी धर्म का हो क्योंकि इंसानियत से बड़ा कोई भी धर्म नहीं है। कर्बला में हजरत इमाम हुसैन ने दीने इस्लाम को बचाने के साथ-साथ मानवता की भी रक्षा की थी।

उन्होंने समाज के सभी वर्गों से शिक्षा में योगदान की अपील करते हुए कहा कि शिक्षा के दम पर लोगों के किरदार में निखार आता है तो वहीं देश-दुनिया में शिक्षा के दम पर उनके समाज की भी अलग पहचान बनती है, यही वजह थी कि हजरत मोहम्मद मुस्तफा (स.अ.) ने कहा था कि अगर शिक्षा को हासिल करने के लिए दूर देश भी जाना चाहिए तो पीछे नहीं हटना चाहिए।

इस मौके पर सै. अब्बास सिबतैन सिराजी, यूशा अब्बास, पंजतनी कमेटी के अध्यक्ष शाहिद मेहंदी, उपाध्यक्ष नेहाल हैदर,,अंजुमन हुसैनिया के अध्यक्ष सकलैन हैदर खान कंपू, महासचिव मिर्जा जमील, मिर्जा वकार, अफरोज कमर, मो. कमर सहित अन्य लोग मौजूद रहे। आभार सै. हसनैन कमर दीपू ने प्रकट किया।

आज जर्मन पुलिस ने बर्लिन में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया और फिलिस्तीन समर्थक रैली के दौरान उन्हें फिलिस्तीनियों के खिलाफ इज़रायल की नस्लीय सफाई और नरसंहार के लिए नारे लगाने पर रोक दिया।

आज जर्मन पुलिस ने बर्लिन में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया और फिलिस्तीन समर्थक रैली के दौरान उन्हें फिलिस्तीनियों के खिलाफ इज़रायल की नस्लीय सफाई और नरसंहार के लिए नारे लगाने पर रोक दिया।

बर्लिन के वाटेनबर्गप्लात्ज़ मेट्रो स्टेशन के पास सोमवार को सैकड़ों फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारी एकत्र हुए जिन्होंने वेस्ट बैंक में अत्याचार बंद करो और “इज़रायल को हथियार सप्लाई न करें जैसे नारे लगाए।

फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों के हाथों में झंडे थे जिन पर वेस्ट बैंक में अपना अत्याचार बंद करो”फिलिस्तीन को आज़ाद करो और फिलिस्तीनी बच्चों को बड़े होने का अधिकार है जैसे नारे लिखे हुए थे रैली के दौरान कई प्रदर्शनकारियों ने अरबी में भाषण भी दिए और इज़रायल के अत्याचारों और अरब संगीत की धुन पर इज़रायल के नरसंहार और अमेरिकी सहायता के खिलाफ नारे भी लगाए।

पुलिस ने अरबी संगीत पर प्रतिबंध का हवाला देते हुए प्रदर्शनों को रोकने को कहा। पुलिस वाहन के माध्यम से किए गए ऐलान में कहा गया कि अरबी में नारे लगाने और भाषण देने पर प्रतिबंध लगाया गया है और इसकी अवहेलना की वजह से इस प्रदर्शन को यहीं समाप्त हो जाना चाहिए।

अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को आदेश दिया कि वे चौक खाली करें और यहां से चले जाएं लगभग 50 प्रदर्शनकारियों ने चौक छोड़कर जाने से इनकार कर दिया और धरना दिया जिसकी वजह से पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की।

पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया प्रदर्शनों से पहले पुलिस ने मार्च के दौरान केवल जर्मन और अंग्रेजी भाषा में नारे लगाने और भाषण देने की अनुमति दी गई थी। लगभग 250 पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद थे जब प्रदर्शन जारी थे।

आंखों के इलाज के इंतजार में बैठे जरूरतमंद मरीजों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। एएमआर मेडिकल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट, दिल्ली और लाइफलाइन अस्पताल दिल्ली के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है, जिसके तहत आंखों की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित जरूरतमंद मरीजों को आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

आंखों के इलाज के इंतजार में बैठे जरूरतमंद मरीजों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। एएमआर मेडिकल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट, दिल्ली और लाइफलाइन अस्पताल दिल्ली के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है, जिसके तहत आंखों की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित जरूरतमंद मरीजों को आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

इस समझौते के तहत योग्य मरीजों को आंखों का पूरा इलाज आधुनिक जांच और ऑपरेशन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि वे बेहतर और साफ नजर पा सकें। इस योजना का उद्देश्य उन लोगों की मदद करना है जो आर्थिक कठिनाइयों के कारण महंगे इलाज का सामना नहीं कर पाते।

एएमआर मेडिकल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट के प्रवक्ता के अनुसार,यह कदम आंखों के मरीजों के लिए एक आशा की किरण साबित होगा और हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक लोग इस सुविधा का लाभ उठा सकें।

संपर्क करें:

? 99712 76600

यह समझौता आंखों की बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए एक दुर्लभ अवसर है, जहां वे कम लागत या मुफ्त में उच्च गुणवत्ता का इलाज प्राप्त कर सकेंगे।

 

बांग्लादेश के मुख्य चुनाव आयुक्त  एएमएम नासिर उद्दीन ने कहा है कि आयोग किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन या विरोध करने का इरादा नहीं रखता है और तटस्थ रहने की कसम खाई है।

बांग्लादेश के मुख्य चुनाव आयुक्त  एएमएम नासिर उद्दीन ने कहा है कि आयोग किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन या विरोध करने का इरादा नहीं रखता है और तटस्थ रहने की कसम खाई है।

उन्होंने कहा,हम आयोग में राजनीति में शामिल नहीं होना चाहते हैं हम किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष या विरोध में खड़े नहीं होना चाहते हैं उन्होंने कहा,हम तटस्थ रहना चाहते हैं।

उन्होंने रविवार को राजधानी के निर्वचन भवन में चुनाव और लोकतंत्र के लिए रिपोर्टर्स फोरम की वार्षिक आम बैठक और पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित करते हुए ये टिप्पणियां कीं। नासिर उद्दीन ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग पर राजनीतिक नियंत्रण इसकी भूमिका की आलोचना का मुख्य कारण है।

 उन्होंने कहा यही सबसे बड़ा कारण है कि चुनाव आयोग को राजनीतिक नियंत्रण में रखा गया है। इसके सैकड़ों कारण हो सकते हैं, लेकिन मेरा मानना ​​है कि चुनाव आयोग पर राजनीतिक नियंत्रण सबसे महत्वपूर्ण कारक है।

सीईसी ने स्वतंत्र निष्पक्ष और विश्वसनीय तरीके से चुनाव कराने के लिए आयोग की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। यह बयान संघर्ष से ग्रस्त बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली के लिए उम्मीद की किरण दिखाता है।

शेख हसीना का एक बड़े राजनीतिक तख्तापलट द्वारा बेवजह बाहर निकलना लोकतंत्र के लिए एक झटका था। बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसा ने न केवल उसके नाजुक लोकतंत्र को झटका दिया है, बल्कि एक धर्मनिरपेक्ष राज्य होने की क्षमता को भी कमजोर कर दिया है। बांग्लादेश में 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में चुनाव होने वाले हैं जिसे देश में मौजूदा संकट का एकमात्र व्यवहार्य समाधान माना जा रहा है।

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के अचानक पद से हटने और उसके बाद के राजनीतिक नतीजों ने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली मौजूदा कार्यवाहक सरकार के लिए निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए व्यवस्था बहाल करना चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

अगस्त में पैदा हुए राजनीतिक और सुरक्षा शून्य ने पहले ही छात्र समूहों और कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लाम जैसे कई नए अभिनेताओं को जन्म दे दिया है। शेख मुजीबुर रहमान के ऐतिहासिक निवास, धानमंडी 32 का हाल ही में हुआ विनाश बांग्लादेश में एक नाजुक व्यवस्था का स्पष्ट बयान है।

लेबनानी सेना ने घोषणा की है कि उसने सीरिया से तोपखाने की गोलाबारी के जवाब में जवाबी हमले शुरू किए हैं और ताबड़तोड़ कई हमले किए।

लेबनानी सेना ने घोषणा की है कि उसने सीरिया से तोपखाने की गोलाबारी के जवाब में जवाबी हमले शुरू किए हैं।

एक बयान में सेना ने रविवार को लेबनानी सीमा क्षेत्रों पर बार बार गोलाबारी की सूचना दी और पुष्टि की कि उसकी इकाइयाँ उसी के अनुसार जवाब देना जारी रखती हैं

एक बयान के अनुसार, सीमा पर असाधारण सुरक्षा उपाय लागू किए जा रहे हैं जिसमें निगरानी बिंदु, गश्त और अस्थायी चौकियाँ स्थापित करना शामिल है। सेना ने इस बात पर जोर दिया कि वह स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रही है और ज़रूरत पड़ने पर उचित उपाय करेगी।

शनिवार को लेबनानी सेना के मार्गदर्शन निदेशालय ने घोषणा की कि सीरियाई क्षेत्र से गोलाबारी का जवाब देने के लिए उत्तरी और पूर्वी सीमाओं पर सैन्य इकाइयाँ तैनात की गई हैं।

और इसके जवाब में कई हमले किए गए।

रविवार को बताया कि सीरिया से दागे गए रॉकेट पूर्वी लेबनान के कई गांवों में गिरे और सीमा क्षेत्र में दो सीरियाई ड्रोन को मार गिराया गया। लेबनानी-सीरियाई सीमा के करीब हरमेल के पास लेबनानी कबीलों और सशस्त्र समूहों के बीच झड़पों में पिछले कुछ दिनों में हताहत हुए हैं।

इससे पहले लेबनानी सेना ने कहा था कि उसने सीरियाई सीमा पर तैनात सैनिकों को सीरियाई क्षेत्र से होने वाली गोलीबारी का जवाब देने का आदेश दिया है। सेना ने एक बयान में कहा कि उसने लेबनान के राष्ट्रपति जोसेफ औन के निर्देशों पर काम किया है, जिसमें उत्तरी और पूर्वी सीमाओं पर सैन्य इकाइयों को सीरियाई क्षेत्र से आने वाली गोलीबारी के स्रोतों का जवाब देने और लेबनानी क्षेत्रों को निशाना बनाने का आदेश दिया गया है।

बयान में कहा गया है कि इकाइयों ने हाल ही में हुई झड़पों के बाद उचित हथियारों के साथ जवाब देना शुरू कर दिया है, जिसमें कई लेबनानी क्षेत्रों पर गोलाबारी हुई थी।