अड़तीस हज़ार झूठ पर आधारित ईरान विरोधी झूठी किताब, "ज़न,ज़िंदगी,आज़ादी"

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अड़तीस हज़ार झूठ पर आधारित ईरान विरोधी झूठी किताब, "ज़न,ज़िंदगी,आज़ादी"

ज़न,ज़िंदगी,आज़ादी नामक झूठी किताब, पिछले साल ईरान में पश्चिम के समर्थन से हुए उपद्रव से संबन्धित ईरान विरोधी झूठ का पुलंदा है।

ज़न,ज़िंदगी,आज़ादी नामक किताब को फ़ारसी भाषी 5 पश्चिमी संचार माध्यमों ने केवल 46 दिनों के घटनाक्रम के आधार पर अपने हिसाब से तैयार किया है।

झूठी किताब ज़न,ज़िंदगी,आज़ादी

ईरान की छवि को ख़राब करने के उद्देश्य से फ़ारसी भाषा में एक किताब तैयार की गई है जिसका शीर्षक है, "ज़न,ज़िंदगी, आज़ादी" जिसका हिंदी में अनुवाद होगा-महिला,जीवन, स्वतंत्रता।

पार्सटुडे के अनुसार ज़न, ज़िंदगी, आज़ादी नामक झूठी किताब, पिछले साल ईरान में पश्चिम के समर्थन से हुए उपद्रव से संबन्धित ईरान विरोधी झूठ का पुलंदा है।  ईरान विरोधी कुछ पश्चिमी देशों ने पिछले साल 2023 में ईरान के विरुद्ध एक षडयंत्र लागू किया था।  इस षडयंत्र से उनका उद्देश्य, ईरान की आर्थिक समस्याओं की आड़ में यूनिवर्सिटियों को लक्ष्य बनाकर देश को गृहयुद्ध में झोंकना था।

वाइस आफ अमरीका की सरकारी कर्मचारी महीस अलीनेज़ाद जो ईरान विरोधी अभियान के मुख्य तत्वों में से एक हैं।

ईरान विरोधी पश्चिमी धड़ा, अपने षडयंत्र को लागू कर ही रहा था कि इसी बीच शहरीवर माह अर्थात अगस्त 2023 के अंत में पुलिस की कस्डटी में महसा अमीनी नामक ईरानी लड़की की मौत हो जाती है।वह ईरानी कुर्द जाति से संबन्धित थी जो एक अल्पसंख्यक समुदाय है।  इस मुद्दे ने पश्चिमी नेताओं को एक अच्छा अवसर उपलब्ध करवा दिया।  इस बीच औपनिवेशिक इतिहास रखने वाले देशों से संबन्धित फारसी भाषी चैनेलों ने अपनी गतिविधियां तेज़ कर दीं और वे चौबीसों घंटे ईरान विरोधी दुष्प्रचार में लग गए।  उदाहरण स्वरूप बीबीसी के फारसी भाषी टीवी चैनेल ने अपने चेहरे पर पड़ी तथाकथित निष्पक्षता की नक़ाब हटाते हुए ईरानी राष्ट्र के विरुद्ध कमर कस ली।

ईरान में फैलाई गई अशांति के काल में अर्थात 14 सितंबर 2023 से 31 अक्तूबर 2023 तक 46 दिनों के भीतर ईरान विरोधी फारसी भाषी 5 संचार माध्यमों ने 38000 झूठ फैलाए।  वे ईरान विरोधी पश्चिमी संचार माध्यम, जिन्होंने 46 दिनों के भीतर 38000 से अधिक झूठ फैलाए उनके नाम इस प्रकार से हैं।  ब्रिटेन सरकार से संबन्धित बीबीसी की फार्सी सेवा, सऊदी अरब और इस्राईल का आशीर्वाद प्राप्त "ईरान इंटरनैश्नल" चैनेल, अमरीकी सरकार से संबन्धित "वाइस आफ अमेरिका" और "रादियो फर्दा" तथा ब्रिटेन और इस्राईल की कृपाद्ष्टि से संचालित "मनोतो" नामक चैनेल।

"ज़न, ज़िंदगी, आज़ादी" नामक उपद्रव से कुछ पश्चिमी राजनेताओं का दिखावटी समर्थन

झूठ का पुलिंदा, ज़न,ज़िंगदी,आज़ादी नामक किताब पिछले वर्ष उपद्रव से संबन्धित उन झूठी बातों का संग्रह है जिसमें एकल ईरान को क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से ईरानी जनता की शांति एवं सुकून को छीनने के प्रयास किये गए।

एक उपद्रवी सड़कों और राजमार्गों को बंद करते हुए

इस किताब के पहले अध्याय में पश्चिम द्वारा तैयार की गई योजना के अन्तर्गत आम जनमत को भ्रमित करने के लिए ख़ूब बढा-चढाकर हत्याओं का उल्लेख किया गया।  यहां तक कि उस दौरान ईरान के किसी भी भाग में अगर किसी की भी मौत होती थी तो उसको भी यही दिखाया जाता था कि मानो उसको उपद्रव के दौरान ईरान की सरकार ने मारा है।

सावर्जनिक संपत्तियों, बैंकों और मस्जिदों को नुक़सान पहुंचाते उपद्ववी

उनके लिए उस समय ख़ूबसूरत लड़कियों का अधिक महत्व था क्योंकि उनके द्वारा गढ़े गए नारे ज़न-ज़िंदगी,आज़ादी से वे अधिक निकट दिखाई देती थीं।  इस दौरान ईरान में जो लोग किसी एक्सीडेंट में मर जाते या जो लोग आत्महत्याएं कर रहे थे उन सबको एसे दिखाया जा रहा था कि मानो वे पुलिस कर्मियों के हाथों मारे गए हैं।  बात तो इससे भी बहुत आगे बढ चुकी थी।  यहां तक कि बहुत से वे लोग जो ज़िंदा थे उनको भी मुर्दा दिखाया गया।  इसके अतिरिक्त जो लोग ग़ुडों या लफ़ंगों के हाथो मारे गए उनको भी ईरान की पुलिस के खाते में ही डाल दिया गया।

ज़न,ज़िंदगी,आज़ादी नामक आन्दोलन के समर्थक एटीएम को नष्ट करते हुए।

अमरीका का समर्थन प्राप्त ईरान विरोधी अभियान ने उपद्रव के दौरान जैसे ही मृतकों के बारे में अफवाहें आरंभ कीं तो जनमत को भड़काने, लोगों को निराश करने और अधिकारियों तथा जनता के बीच दूरी पैदा करने के उद्देश्य से व्यापक स्तर पर झूठ फैलाना शुरू कर दिया गया।  जब इस काल्पनिक प्रक्रिया ने अपने हिसाब से इस्लामी गणतंत्र ईरान की समाप्ति को निकट देखा तो उसने इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की बीमारी और ईरान के अधिकारियों के पश्चिम की ओर फरार होने की झूठी ख़बरें फैलानी शुरू कर दीं

उपद्रव के दौरान देश में अधिक से अधिक अशांति को दर्शाने के लिए पुरानी फ़िल्मों या अलग-अलग तिथियों के चित्रों को एक साथ दिखाया जाने लगा और फिर इनके माध्यम से झूठी ख़बरों की बमबारी की गई।  दुश्मन के संचार माध्यमों ने व्यापक स्तर पर जाने माने लोगों, विद्धार्थियों और पत्रकारों की गिरफ़्तारियों की झूठी ख़बरों के साथ ही जेल के बंदियों को यातानाएं देने जैसी झूठी ख़बरों को भी खूब चलाया।

अमरीका और पश्चिम ने अपने देशी और विदेशी तत्वों को अलर्ट करने के साथ ही आम लोगों को भड़काने के लिए जो उपाय ढूंढे थे उनमे से एक था सेलिब्रिटी का प्रयोग करना ताकि उनके माध्यम से दुष्प्रचार की आग तेज़ी से भड़काई जा सके।

सेलिब्रिटीज़ में कुछ एसे भी थे जो पहले से विदेशों में रह रहे थे और जिनकी ईरान विरोधी गतिविधियां पूर्व में ही सिद्ध हो चुकी थीं।  इनमें से कुछ एसी भी सेलिब्रिटीज़ थीं जो ईरान विरोधी प्रक्रिया का समर्थन करने के बावजूद देश के भीतर से अपनी गतिविधियां अंजाम दे रही थीं। कुछ एसे चेहरे भी थे जिनका पूरा प्रयास यह था कि किसी तरह से वे पश्चिम का आशीर्वाद प्राप्त करने में सफल हो जाएं।  इन्होंने इस काम के लिए ईरानी जनता और ईरान की शासन व्यवस्था को क्षति पहुंचाने के साथ ही अमरीका और यूरोप में अपनी नागरिक के काम को सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश की।

इसी बीच कुछ एसे व्यक्तित्व भी दिखाई दिये जो क्रांति विरोधी मीडिया के दबाव में आकर सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए विवश थे हालांकि उनमें से कुछ माहौल से प्रभावित भी दिखाई दिये।

 

      

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