ईरानः फ़िलिस्तीन के समर्थन में यमनियों की कार्यवाहियां

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ईरानः फ़िलिस्तीन के समर्थन में यमनियों की कार्यवाहियां

इस्लामी गणराज्य ईरान के विदेश मंत्रालय ने यमन की जनता के आत्मरक्षा में साहसिक कार्यों और फिलिस्तीनी लोगों के समर्थन को ईरान से जोड़ने के आधारहीन दावों को इस शक्तिशाली और पीड़ित राष्ट्र का अपमान बताया है।

इस्लामी गणराज्य ईरान के विदेश मंत्रालय ने रविवार की शाम को एक बयान जारी करके यमन के संबंध में तेहरान पर लगाए गए आरोपों की निंदा की।

 इस बयान में कहा गया है कि निः संदेह यमनी लोगों द्वारा फिलिस्तीनी लोगों का समर्थन करने का कदम एक स्वतंत्र निर्णय और फिलिस्तीनी भाइयों और बहनों के प्रति उनकी मानवीय और इस्लामी एकजुटता की भावना का परिणाम है और इसे ईरान से जोड़ना गुमराह करने वाला है और इसका लक्ष्य फ़िलिस्तीन में ज़ायोनी सरकार के अपराधों से ध्यान हटाना, उस पर पर्दा डालना, अपनी नाकामियों को छुपाना और पश्चिमी एशिया के क्षेत्र को और अधिक अस्थिर व अशांत बनाने का बहाने देना है।

ईरान के विदेश मंत्रालय ने इस बयान में अपने सिद्धांतिक रुख पर ज़ोर देते हुए अमेरिका के यमन में सैन्य हमलों को संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के बुनियादी नियमों का घोर उल्लंघन करार दिया और इसकी भर्त्सना की।

 इसी प्रकार विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता के बयान में देशों की क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय संप्रभुता का सम्मान करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। बयान में याद दिलाया गया है कि यह अमेरिकी सेना है जो जनसंहार करने वाले इस्राईल के समर्थन में यमन की जनता के खिलाफ युद्ध में शामिल हुई है और इस देश के विभिन्न शहरों में बुनियादी ढांचे और असैन्य लक्ष्यों पर हमले करके युद्ध अपराध कर रही है।

 ईरान के विदेश मंत्रालय ने इस बयान में पश्चिम एशिया और लाल सागर के क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता पर इन हमलों के लगातार प्रभावों और ख़तरनाक परिणामों की याद दिलाते हुए अतिग्रहित फ़िलिस्तीन में नरसंहार और हत्या को समाप्त करने की मांग की है जो पूरे क्षेत्र में असुरक्षा के निरंतर बने रहने का मुख्य कारण है।

 इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्रालय के बयान में आया है कि ईरानी सपूत व जवान हर प्रकार की दुष्टता और ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों के खिलाफ हर प्रकार की अवैध कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं। इसी प्रकार बयान में अमेरिका और ज़ायोनी शासन की हालिया धमकियों की निंदा की गयी है और कहा गया है कि इसके परिणामों और प्रभावों की ज़िम्मेदारी अमेरिकी सरकार और ज़ायोनी सरकार पर है।

 

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