जॉर्डन के एक विश्लेषक ने कहा है कि इस्राईल ने ईरान के परमाणु खतरे के बारे में जो दावा किया है उसका लक्ष्य इस शासन द्वारा अरबों के ख़िलाफ़ किये जा रहे अपराधों से आमजनमत का ध्यान हटाना है।
जॉर्डन के एक विश्लेषक "इब्राहीम क़बीलात" ने जॉर्डन के समाचार पत्र निसान में एक लेख में लिखा कि इस्राइल, ईरान जैसे अपने काल्पनिक दुश्मनों के माध्यम से क्षेत्रीय शक्तियों को निष्क्रिय करने की कोशिश कर रहा है ताकि वह अपनी दादागीरी व वर्चस्व बना सके।
क़बीलात ने इस्राइली सरकार के वित्त मंत्री "बेज़ालेल स्मोट्रिच" की उन बयानों की ओर संकेत किया जिसमें उन्होंने कहा था कि ग़ज़ा युद्ध की समाप्ति के लिए सीरिया और अरबों का विभाजन ज़रूरी है।
इस राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि इस्राईल सीरिया में दुरूज़ियों के समर्थन" के बहाने इस देश को रणक्षेत्र बनाए रखना चाहता है ताकि सीरिया में एकता को रोक सके। ग़ाज़ा में भी, फिलिस्तीनी शरणार्थियों का मुद्दा न केवल हमास से प्रतिशोध है, बल्कि प्रतिरोध को समाप्त करने का बहाना है।
क़बीलात ने अमेरिका की भूमिका को इन जघन्य अपराधों के साथ सहयोग के रूप में बताया और कहा कि इस्राइल आर्थिक संकट पैदा करके और अंदरूनी विवादों को बढ़ाकर अरबों को कमज़ोर कर रहा है।
इस जॉर्डन के विश्लेषक ने बल देकर कहा कि अरबों की एकता एक ऐसा हथियार है जिससे इस्राईल डरता है और इस्राईल से मुक़ाबला उसके षडयंत्रों की जानकारी और अरबों की एकता से आरंभ होता है न कि आंतरिक लड़ाई व विवाद से।