शहीद रईसी के दिल और दिमाग़ में हमेशा मुक़ावमत का ख्याल रहता था

Rate this item
(0 votes)
शहीद रईसी के दिल और दिमाग़ में हमेशा मुक़ावमत का ख्याल रहता था

 हिज़्बुल्लाह लेबनान के डिप्टी सेक्रेटरी जनरल शेख़ नाईम क़ासिम ने रविवार के दिन एक तक़रीर (भाषण) में शोहदा ए ख़िदमत को याद किया और शहीद सैयद इब्राहीम रईसी को उनके मुक़ावमत के जज़्बे और सम्मानजनक किरदार के लिए ख़िराज-ए-तहसीन पेश की।

हिज़्बुल्लाह लेबनान के डिप्टी सेक्रेटरी जनरल शेख़ नाईम क़ासिम ने रविवार के दिन एक तक़रीर (भाषण) में शोहदा ए ख़िदमत को याद किया और शहीद सैयद इब्राहीम रईसी को उनके मुक़ावमत के जज़्बे और सम्मानजनक किरदार के लिए ख़िराज-ए-तहसीन पेश की।

शेख नाईम क़ासिम ने कहा,स्वर्गीय और शहीद ईरानी राष्ट्रपति, देश के लिए एक महान पूंजी थे। शहीद रईसी के दिल और दिमाग में हमेशा फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध ज़िंदा रहता था।

उन्होंने आगे कहा,शहीद रईसी ने अपनी ज़िंदगी की सबसे कठिन परिस्थितियों और फैसलों में भी अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया और हमेशा साहसिक रूप से अपने रुख पर कायम रहे हमारी ओर से उन पर दरूद व सलाम हो।

शेख क़ासिम ने इस बात पर ज़ोर दिया,इस महान शख्सियत शहीद सैयद इब्राहीम रईसी की कोशिशों का नतीजा वही विचारधारा थी जिसे इमाम खुमैनी ने महत्व दिया और जिसे रहबर-ए-मुअज्ज़म इमाम ख़ामेनेई ने ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

उन्होंने आगे कहा,लेबनानी प्रतिरोध (मुक़ावमत) हमेशा उनकी पहली प्राथमिकताओं में रहा वे हमेशा उम्मत के शिक्षक और शहीद, सैयद हसन नसरुल्लाह से हालात और तफ़्सीलात के बारे में जानकारी लेते रहते थे।

शेख नाईम क़ासिम ने अपनी बात इस वाक्य से खत्म की हमें गर्व है कि हम हक़ के मोर्चे पर लेबनानी मुक़ावमत, फ़िलिस्तीन, लेबनान, ईरान और क्षेत्र के सभी सम्मानित मुजाहिदों के साथ — एक ही सफ़ में खड़े हैं।

 

Read 3 times