जब तवक्कुल की जगह गैर-अल्लाह पर निर्भरता हो जाए तो इबादत का संतुलन बिगड़ जाता है

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जब तवक्कुल की जगह गैर-अल्लाह पर निर्भरता हो जाए तो इबादत का संतुलन बिगड़ जाता है

माज़ंदरान के इस्लामिक तबलीगात के कुरआनी मामलों के प्रमुख ने कहा,मार्गदर्शन केवल अल्लाह के अधिकार में है और समाज की मुक्ति का रास्ता कुरआन और रहबर के आचरण की ओर लौटने में है।

माज़ंदरान में इस्लामिक तबलीगात के कुरआनी मामलों के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम इस्माइल रमज़ानी ने शनिवार सुबह आयात के साथ जीवन परियोजना की कार्यकारी समूह की बैठक में इस्लामी क्रांति के ऐतिहासिक अनुभवों का हवाला देते हुए कहा, जहां भी क्रांति के रास्ते में काम खालिस नीयत और अल्लाह पर भरोसे के साथ आगे बढ़ा, वहां समाज में बरकत और सुकून पैदा हुआ।

लेकिन जब गैर-अल्लाह पर निर्भरता ने भरोसे (तवक्कुल) की जगह ले ली तो इबादत का संतुलन बिगड़ गया और नेमतें एक एक करके हमसे छिन गईं। 

उन्होंने कुरआन और रहबर के आचरण की ओर लौटने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा अब समय आ गया है कि एकता, भरोसा और समझ बसीरत के साथ अपना रास्ता कुरआन और क्रांति के नेता के मार्गदर्शन से प्राप्त करें यह कोई नारा नहीं, बल्कि इस्लामी ईरान की मुक्ति का एक व्यावहारिक और प्रभावी कार्यक्रम है। 

हुज्जतुल इस्लाम रमज़ानी ने कुरआन की आयत «إِنَّکَ لَا تَهْدِی مَنْ أَحْبَبْتَ وَلَٰکِنَّ اللَّهَ يَهْدِی مَنْ يَشَاءُ»
(सूरा अल-कसस: 56) का हवाला देते हुए कहा, मार्गदर्शन केवल अल्लाह तआला के अधिकार में है; न पूर्व, न पश्चिम, न कोई सम्प्रदाय और न ही कोई ताकतें इसकी हकदार हैं।

जो लोग दूसरों को जबरदस्ती अपने धार्मिक विचारों पर थोपने की कोशिश करते हैं, वह उसी रास्ते पर चलते हैं जो जहन्नमियों का था क्योंकि उन्होंने भी दावत के बजाय जबरदस्ती का रास्ता अपनाया। 

उन्होंने पैगंबर-ए-इस्लाम स.अ.व.व. के आचरण का उदाहरण देते हुए कहा,रसूल-ए-इस्लाम "बशीर व नज़ीर" थे, लेकिन उन्होंने कभी किसी को इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर नहीं किया आज भी अगर हम कुरआनी मार्गदर्शन से दूर हो जाएंगे, तो बातिल संतुलन और खतरनाक फितनों में फंस जाएंगे। 

 

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