ज़ियारत ए आशूरा के जुमले में इमाम हुसैननؑ अ.स.की अज़ीम मुसीबत का ज़िक्र

Rate this item
(0 votes)
ज़ियारत ए आशूरा के जुमले में इमाम हुसैननؑ अ.स.की अज़ीम मुसीबत का ज़िक्र

ज़ियारते आशूरा के मशहूर फ़र्क़े «या आबाअब्दुल्लाह लक़द अज़मत अलरज़ीया» में इस हक़ीक़त का इतिराफ़ किया गया है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और आपके अहले बैतؑ की शहादत ऐसी अज़ीम और दिल दहलाने वाली मुसीबत है जिसने पूरी कइनात को ग़मज़दा कर दिया हैं।

ज़ियारते आशूरा के मशहूर फ़र्क़े «या आबाअब्दुल्लाह लक़द अज़मत अलरज़ीया» में इस हक़ीक़त का इतिराफ़ किया गया है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और आपके अहले बैतؑ की शहादत ऐसी अज़ीम और दिल दहलाने वाली मुसीबत है जिसने पूरी कइनात को ग़मज़दा कर दिया हैं।

यह फ़र्क़ा दरअसल अहले बैतؑ अ.स.के साथ हमदर्दी और कर्बला के हादसे की अज़मत को समझने की दावत देता है। इसमें यह साफ़ किया गया है कि यह मुसीबत किसी एक क़ौम या दौर तक सीमित नहीं बल्कि हमेशा के लिए आज़ाद दिलों पर असर डालती रहेगी और मोहब्बत रखने वालों के दिलों पर इसका बोझ बाकी रहेगा।

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत सबसे बड़ी और दिल दहला देने वाली मुसीबत है। इस हादसे की ख़ासियत यह है कि इसमें सिर्फ एक नेक और हक़ तलब शख़्स को नहीं बल्कि एक मासूम इमाम, असहाब-ए-केसाअ के पाँचवें फ़रद और रसूल अल्लाह स.ल.व. की बेटी हज़रत फातिमा ज़हरा स.ल. के फ़रज़ंद को ऐसे लोगों ने शहीद किया जो खुद को उम्मत-ए-पैग़ंबर कहते थे। यह वाक़िया निहायत दर्दनाक और तारीख में बे मिसाल है।

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम जैसे अज़ीम इमाम को रोज़-ए-रौशन में मैदान-ए-करबला में शहीद करना ऐसा वाक़िया था जिसे तारीख़ कभी भूला नहीं सकती।

इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की एक रिवायत के मुताबिक, इमाम हुसैनؑ असहाब-ए-कसाअ में सबसे आख़िरी शख़्सियत थे, और आपकी शहादत ग़ोया सब असहाब-ए-किसाअ के जाने के बराबर थी। इसी वजह से आपकी मुसीबत को सबसे क़ठिन और बदतर दिन कहा गया है।

 

 

 

Read 2 times