दुश्मन के ख़तरों से निपटने की तैयारी, डिटरेन्स का काम करती है

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दुश्मन के ख़तरों से निपटने की तैयारी, डिटरेन्स का काम करती है

ऐसा कोई ज़माना तसव्वुर नहीं किया जा सकता कि ख़तरे बिल्कुल न हों। ‎लेहाज़ा मुक़ाबले के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,ऐसा कोई ज़माना तसव्वुर नहीं किया जा सकता कि ख़तरे बिल्कुल न हों। ‎लेहाज़ा मुक़ाबले के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।यह हुक्म(ऐ मुसलमानो! तुम जिस क़द्र ‎क्षमता रखते हो इन कुफ़्फ़ार के लिए क़ुव्वत व ताक़त और बंधे हुए घोड़े तैयार रखो।

ताकि तुम ‎इस जंगी तैयारी से ख़ुदा के दुश्मन और अपने दुश्मनको और खुले दुश्मनों के अलावा दूसरे ‎लोगों को (यानी मुनाफ़िक़ों) को ख़ौफ़ज़दा कर सको) (सूरए अन्फ़ाल,आयत-60) इसी लिए है।यानी ख़ुद को तैयार रखिए।कितना तैयार रखिए? जितना आपसे मुमकिन है।

जितनी आपके ‎अंदर ताक़त और क्षमता है। यही तैयारी और ख़ुद अपनी जगह तैयार रहना, ख़तरे को ‎दूर रखता है। ख़ुद अपनी जगह आमादगी हिफ़ाज़त का ज़रिया है।

लेहाज़ा इसी आयत में अल्लाह ‎कहता है इसके ज़रिए तुम अल्लाह के दुश्मन और अपने दुश्मन को डरा सकते हो। तुम तैयार हो ‎तो दुश्मन को इसका एहसास होता है और वो तुम्हारे ऊपर हमले की हिम्मत नहीं कर पाता। यह ‎तैयारी भी ख़तरे से बचाती है।‎

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