आज ग़ज़्ज़ा कर्बला की याद दिलाता है

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आज ग़ज़्ज़ा कर्बला की याद दिलाता है

फ़िलिस्तीनी उलेमा परिषद के प्रमुख शेख हुसैन क़ासिम ने उर्मिया में आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हम पैगंबर मुहम्मद (स) के जन्म और हफ़्ता ए वहदत के दिनों में हैं, ये वे दिन हैं जिन्हें सभी मुसलमान ईद के रूप में मनाते हैं। पैग़म्बर मुहम्मद (स) ने अपनी नबूवत के माध्यम से मानवता को शैतान से बचाया और उम्मत को मतभेदों से दूर रहने और अत्याचारियों के खिलाफ एकजुट होने की शिक्षा दी।

फ़िलिस्तीनी उलेमा परिषद के प्रमुख शेख हुसैन क़ासिम ने उर्मिया में आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हम पैगंबर मुहम्मद (स) के जन्म और हफ़्ता ए वहदत के दिनों में हैं, ये वे दिन हैं जिन्हें सभी मुसलमान ईद के रूप में मनाते हैं। पैग़म्बर मुहम्मद (स) ने अपनी नबूवत के माध्यम से मानवता को शैतान से बचाया और उम्मत को मतभेदों से दूर रहने और अत्याचारियों के खिलाफ एकजुट होने की शिक्षा दी।

उन्होंने कहा कि अल्लाह ने हमें एकजुट होने का हुक्म दिया है, लेकिन दुश्मन एक सदी से भी ज़्यादा समय से उम्माह को बाँटने की साज़िश रच रहा है ताकि मुसलमान एक-दूसरे से दूर हो जाएँ। आज हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम अल्लाह की डोर मज़बूती से थामे रहें और भाईचारे व एकजुटता को मज़बूत करें।

शेख हुसैन क़ासिम ने कहा: "आज ग़ज़्ज़ा हमें कर्बला की याद दिला रहा है। जब हम वहाँ कटे हुए सिर देखते हैं, तो हमें इमाम हुसैन (अ) की याद आती है।" उन्होंने आगे कहा कि आज के दौर में, जब मीडिया के ज़रिए ग़ज़्ज़ा पर हो रहे अत्याचारों को दुनिया के सामने लाया जा रहा है, तो इस अत्याचार की आवाज़ को सभी तक पहुँचाना ज़रूरी है।

कर्बला और मौजूदा हालात की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह कर्बला में कुछ लोग धर्म के नाम पर इमाम हुसैन (अ) को शहीद करने पर तुले थे, उसी तरह आज मानवाधिकारों और आज़ादी के नाम पर गाज़ा के बेगुनाह लोगों का कत्लेआम किया जा रहा है, जबकि अफ़सोस की बात है कि कुछ देशों को छोड़कर बाकी उम्माह सिर्फ़ तमाशबीन बनी हुई है।

शेख क़ासिम ने ईरान, यमन, इराक और लेबनान के लोगों का उल्लेख करते हुए कहा कि ये वे देश हैं जो वास्तव में फिलिस्तीनी लोगों के साथ खड़े हैं और उनकी मदद कर रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य से अन्य मुस्लिम देश चुप हैं।

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