किसी भी सकारात्मक परिश्रम के गुज़र बसर के लिए परमेश्वर की बंदगी और आराधना होने मे कोई संदेह नही है; क्यो कि दयालु परमेश्वर ने पवित्र क़ुरआन के बहुत से आयात मे अपने बंदो को पृथ्वी को बसाने,हलाल रोज़ी कमाने,जीवन निर्वाह एवम व्यापार करने और सुरक्षित खरीदने और बेचने का हूक़्म देता है, अल्लाह की इताअत बंदगी एवम आराधना है और यह बंदगी व तौबा आराधना क़यामत मे इनाम रखती है।
किसी भी सकारात्मक परिश्रम के गुज़र बसर के लिए परमेश्वर की बंदगी और आराधना होने मे कोई संदेह नही है; क्यो कि दयालु परमेश्वर ने पवित्र क़ुरआन के बहुत से आयात मे अपने बंदो को पृथ्वी को बसाने,हलाल रोज़ी कमाने,जीवन निर्वाह एवम व्यापार करने और सुरक्षित खरीदने और बेचने का हूक़्म देता है, अल्लाह की इताअत बंदगी एवम आराधना है और यह बंदगी व तौबा आराधना क़यामत मे इनाम रखती है।
क्रय विक्रय, व्यापार, पट्ठा, वकालत(क़ानूनी), सिचाई, कृषि, मुज़ारबा, हिस्सा(मुशारेकत), उद्योग, पढाना, सुलेख(किताबत), सिलाई, कढ़ाई, चमड़े की रंगाई, पशुपालन यह सब कार्य इस्लामी और इंसानी शर्तो के साथ माद्दी नेमतो के हासिल करने के सकारात्मक तरीक़े है।
प्रत्येक मामले का कार्यकर्ता परमेश्वर के नज़दीक महबूब है, इसके अलावा प्रत्येक से अलग होना और मानवता, अख़लाक़ एवम इस्लामी तरीक़ के खिलाफ किसी और तरीक़े से रोज़ी रोटी कमाना परवेश्वर की घृणा का कारण है।
क़ुरआने करीम इस संबंध मे बयान करता है:
يَا أيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لاَ تَأْكُلُوا أَمْوَالَكُم بَيْنَكُم بِالْبَاطِلِ إِلاَّ أَن تَكُونَ تِجَارَةً عَن تَرَاض مِنْكُمْ . . .(सूरा 4, आयत 29)
ए इमान वालो आपस मे एक दूसरे की संपत्ति (माल) को नाहक़ तरीक़े से नही खा जाया करो, लेकिन यह कि आपसी सहमति से समझमलत हो
يَا أَيُّهَا النَّاسُ كُلُوا مِمَّا فِي الْأَرْضِ حَلاَلاً طَيِّباً وَلاَ تَتَّبِعُوا خُطُواتِ الشَّيْطانِ إِنَّهُ لَكُمْ عَدُوٌّ مُبِينٌ(सूरा 2, आयत 168)
ए मानाव! भूमि मे जो कुछ भी हलाल और तैयब है उसे प्रयोग करे और शैतानी क़दम का पालन न करो कि वह तुम्हारा खुला हुआ दुशमन है।
वैध व्यवसायो से बर्बाद किए बिना और अपशिष्ट इस्तेमाल के माध्यम से प्राप्त हुआ माल हर स्तिथि मे परमेश्वर द्वारा हलाल घोषित किया गया है,और अवैध माध्यम से प्राप्त किया हुआ माल अगरचे ज़ाती तौर पर हलाल हो, जैसे खाद्य और पेय पदार्थ एवम कपड़े उनका प्रयोग हराम, उसे बचाकर रखना निषिद्ध(मना) है और उसको उसके मूल स्वामी (असली मालिक) को लौटाना अनिवार्य है।













