उम्मत को नैतिक चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होना होगा

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उम्मत को नैतिक चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होना होगा

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलहाज हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी के बेटे और केंद्रीय कार्यालय के निदेशक हुज्जतुल इस्लाम शैख़ अली नजफ़ी ने केंद्रीय कार्यालय नजफ़ अशरफ़ में जामेअतुल अज़हर के अध्यापकों, बसरा से आए हुए विद्वानों और ईसाई धार्मिक व्यक्तित्वों पर आधारित एक प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलहाज हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी के बेटे और केंद्रीय कार्यालय के निदेशक हुज्जतुल इस्लाम शैख़ अली नजफ़ी ने केंद्रीय कार्यालय नजफ़ अशरफ़ में जामेअतुल अज़हर के अध्यापकों, बसरा से आए हुए विद्वानों और ईसाई धार्मिक व्यक्तित्वों पर आधारित एक प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया।

इस मुलाक़ात के दौरान मौजूदा समय में उम्मत को दरपेश अहम चुनौतियों पर चर्चा की गई। ख़ास तौर पर उन साज़िशों का ज़िक्र किया गया जो धर्म और उसकी मूल क़ीमतों को निशाना बना रही हैं।

ये साज़िशें नई पीढ़ी के मन में शक और भ्रम पैदा करके धर्म की छवि बिगाड़ने की कोशिश करती हैं, जिसके नतीजे के तौर पर विचारों में बिख़राव पैदा होता है, जो धार्मिक समाजों को ख़तरे में डाल देता है और एकजुटता को कमज़ोर कर देता है।

हुज्जतुल इस्लाम शैख़ अली नजफ़ी ने स्पष्ट किया कि ये हरकतें यूँ ही नहीं हो रहीं, बल्कि ये सोची-समझी साज़िशों का हिस्सा हैं, जिन्हें समाजों के नैतिक ढांचे को नुक़सान पहुँचाने के लिए अंजाम दिया जा रहा है।

ये साज़िशें अलग-अलग तरीकों और योजनाओं के ज़रिए ऐसा माहौल बना रही हैं, जो राजनीतिक और आर्थिक फ़ायदों को पूरा करता है,और यह सब बाहरी ताक़तों के हित में हो रहा है।

हुज्जतुल इस्लाम शैख़ अली नजफ़ी ने स्पष्ट किया कि इन योजनाओं के पीछे मौजूद ताक़तें अच्छी तरह जानती हैं कि धर्म और धार्मिक पहचान अतीत में उनकी तमाम कोशिशों को नाकाम बनाने वाली मज़बूत दीवार रही है। इसलिए आज वो सीधे तौर पर धर्म को निशाना बना रही हैं।

उन्होंने लोगों से कहा कि वो जागरूकता बढ़ाएँ, धार्मिक सिद्धांतों से मज़बूती से जुड़े रहें, और आने वाली पीढ़ियों व समाज को इन ख़तरों से बचाने के लिए एकता और एकजुट होकर रहने की भावना को बढ़ावा दें।

 

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