बच्चों को नाकामी का सामना करने के लिए कैसे तैयार करें?

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बच्चों को नाकामी का सामना करने के लिए कैसे तैयार करें?

बच्चों को नाकामी का सामना करने और मजबूत रहने की ट्रेनिंग देना माता-पिता के लिए सबसे अहम ट्रेनिंग स्किल्स में से एक है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों की मदद करें ताकि वे नाकामी को अंजाम नहीं, बल्कि सीखने के प्रक्रिया का एक हिस्सा समझें। इस मकसद के लिए, नाकामी के बाद मलामत करने के बजाय, माता-पिता को चाहिए कि बच्चे से उस तजुर्बे से हासिल होने वाले सबक पर बात करें।

बच्चों को नाकामी का सामना करने और मजबूत रहने की ट्रेनिंग देना माता-पिता के लिए सबसे अहम ट्रेनिंग स्किल्स में से एक है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों की मदद करें ताकि वे नाकामी को अंजाम नहीं, बल्कि सीखने के प्रक्रिया का एक हिस्सा समझें। इस मकसद के लिए, नाकामी के बाद मलामत करने के बजाय, माता-पिता को चाहिए कि बच्चे से उस तजुर्बे से हासिल होने वाले सबक पर बात करें।

बच्चों को इस तरह तैयार करना कि वे नाकामी से न घबराएं बल्कि उसे सीखने का हिस्सा समझें माता-पिता की एक बुनियादी जिम्मेदारी है।

मिसाल के तौर पर, अगर बच्चा खेल या किसी तालीमी सरगर्मी में मतलूबा नतीजा हासिल न कर सके, तो माता-पिता को चाहिए कि उसे मलामत करने के बजाय उससे बात करें कि उस तजुर्बे से उसने क्या सीखा और आइंदा वह कैसे बेहतर कर सकता है।

यह रवैया बच्चे को यह समझने में मदद देता है कि नाकामी दरअसल तरक्की का एक मौका है, और इस तरह वह उससे डरने के बजाय सीखने की कोशिश करता है।इसके अलावा, माता-पिता को खुद भी बच्चों के सामने नाकामी के वक्त सकारात्मक रवैया दिखाना चाहिए।

मिसाल के तौर पर अगर आप खुद किसी काम में कामयाब न हो सकें तो घबराने के बजाय पुरसुकून अंदाज में अपने बच्चे से उस तजुर्बे और उससे हासिल होने वाले सबक के बारे में बात करें।

इसी तरह, बच्चों को दोबारा कोशिश करने की हौसला अफजाई करें और उनकी मेहनत और इस्तिकलाल (लगन) की तारीफ करें, चाहे नतीजा मुकम्मल न हो।

यह तरीका बच्चों में खुद पर भरोसा पैदा करता है और उन्हें जिंदगी के चुनौतियों का सामना करने के काबिल बनाता है।

 

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