सय्यदा फातिमा जहरा स.अ.की सीरत को उजागर करना उम्मत की सामूहिक जिम्मेदारी है

Rate this item
(0 votes)
सय्यदा फातिमा जहरा स.अ.की सीरत को उजागर करना उम्मत की सामूहिक जिम्मेदारी है

 हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने घोषणा की है कि मराजय ए इकराम हौज़ा ए इल्मिया की सुप्रीम काउंसिल और धार्मिक केंद्रों के समर्थन और समन्वय से, दूसरे फातिमी दिनों (अय्याम-ए-फातिमिया) में तब्लिग़ के लिए, हौज़ा ए इल्मिया के उच्च स्तरीय कोर्सेज (सुतूह-ए-आली) और दर्स-ए-ख़ारिज सहित सभी विशेषज्ञता केंद्र 29 जमादिल-अव्वल से 7 जमादिस-सानी 1447 हिजरी तक बंद रहेंगें।

हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने घोषणा की है कि मराजय ए इकराम हौज़ा ए इल्मिया की सुप्रीम काउंसिल और धार्मिक केंद्रों के समर्थन और समन्वय से, दूसरे फातिमी दिनों (अय्याम-ए-फातिमिया) में तब्लिग़ के लिए, हौज़ा ए इल्मिया के उच्च स्तरीय कोर्सेज (सुतूह-ए-आली) और दर्स-ए-ख़ारिज सहित सभी विशेषज्ञता केंद्र 29 जमादिल-अव्वल से 7 जमादिस-सानी 1447 हिजरी तक बंद रहेंगें।

हज़रत फातिमा ज़हेरा (सल्लल्लाहु अलैहा के शोक दिवसों के अवसर पर जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि सिद्दीक़ा-ए-ताहिरा सल्लल्लाहु अलैहा के नाम और चरित्र को जीवित रखना और उनके जीवन-तरीके को दुनिया के सामने पेश करना हम सभी की जिम्मेदारी है।

आयतुल्लाह आराफी ने कहा कि हज़रत ज़हेरा सल्लल्लाहु अलैहा ने अपने चमकदार चरित्र से मानवता को जीवन के वास्तविक अर्थ और ईश्वरीय जीवन-शैली सिखाई। आज की दुनिया, विशेष रूप से महिलाओं, युवाओं और इस्लामी परिवारों को, आधुनिक अज्ञानता के हंगामों में उनके आदर्श चरित्र की सख्त जरूरत है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि इस्लामी क्रांति द्वारा पाली-पोसी गई महिलाओं की उल्लेखनीय उपलब्धियों को दुनिया के सामने पेश किया जाए और मौजूदा कमियों और कमजोरियों को गंभीरता से दूर किया जाए।

आयतुल्लाह आराफी के अनुसार, इस्लामी समाज में पवित्र,और पाकीज़ा परिवार ही पश्चिमी मॉडल का सबसे अच्छा विकल्प हैं, जिसे बुद्धिमत्ता, साहस और समझदारी के साथ पेश करना जरूरी है।

उन्होंने आगे कहा कि आज दुनिया में सत्य और असत्य के बीच बौद्धिक और सांस्कृतिक युद्ध जारी है, और ऐसे में उलेमा की जिम्मेदारी है कि वह ईश्वरीय दायित्व का निर्वाह करते हुए प्रचार, जागरूकता और धार्मिक अंतर्दृष्टि के माध्यम से समाज को विचलन से बचाएं।

ईरान के हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख ने विलायत, मरजइयत और उम्मत की नेतृत्व शक्ति को धर्म और मिल्लत की महानता का स्तंभ बताते हुए कहा कि ईरानी राष्ट्र, युवा पीढ़ी और महिलाएं इस्लामी क्रांति की प्रतिष्ठा और दृढ़ता की वास्तविक वाहक हैं।

उन्होंने उलेमा, इमाम-ए-जुमआ व जमाअत, धार्मिक व सांस्कृतिक संस्थानों और मीडिया से आग्रह किया कि वे समन्वय और सामूहिक प्रयास के माध्यम से धर्म के प्रचार और नई पीढ़ी की शिक्षा में यद-ए-वहीदा की तरह काम करें।

अंत में, आयतुल्लाह आराफी ने देश के सभी जिम्मेदार अधिकारियों पर जोर दिया कि वे जनता की कठिनाइयों के समाधान, कार्यप्रणाली में सुधार और सामाजिक समस्याओं के निवारण के लिए गंभीर कदम उठाएं और लोगों की सेवा को अपनी स्थायी प्राथमिकता बनाएं।

………………………..

Read 5 times