अमेरिका के खिलाफ इस्तेकामत ही ईरान के साथ दुश्मनी की असली वजह

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अमेरिका के खिलाफ इस्तेकामत ही ईरान के साथ दुश्मनी की असली वजह

 ईरान के पूर्वी अज़रबाइजान प्रांत में वली-ए-फकीह के प्रतिनिधि और तबरेज़ के इमाम-ए-जुमआ हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन अहमद मोत्तहेरी असल ने कहा कि इस्लामी व्यवस्था की दृढ़ता और स्वतंत्रतापसंद नीति ही वास्तव में वैश्विक अहंकारी ताकतों की दुश्मनी की मूल वजह है।

तबरेज़ के इमाम-ए-जुमआ ने कृषि मंत्री ग़ुलामरज़ा नूरी से मुलाकात में कहा कि हज़रत आदम (अ.स.) को सबसे पहला काम जिसकी शिक्षा फरिश्ते जिब्राईल ने दी, वह कृषि थी, जिससे स्पष्ट होता है कि मानव जीवन की शुरुआत ही भोजन की उपलब्धता से जुड़ी हुई है।

उन्होंने पैगंबर-ए-इस्लाम (स.अ.व.) का कथन बयान किया,ऐ अल्लाह! हमारी रोटी और रोज़गार को बंद न कर, क्योंकि हमारी इबादत इसी के सहारे है और फरमाया कि यही सच्चाई सरकारों की जिम्मेदारी को स्पष्ट करती है कि कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे।

हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन अहमद मोहतरी-असल ने कहा कि जिहाद-ए-किशावरज़ मंत्रालय चूंकि आम लोगों की अर्थव्यवस्था से सीधे जुड़ा हुआ है, इसलिए हमेशा जनता का ध्यान और आलोचना का केंद्र रहता है।

उन्होंने पवित्र कुरआन की आयत
«وَ تَوَاصَوْا بِالْحَقِّ وَ تَوَاصَوْا بِالصَّبْرِ»
और एक-दूसरे को सच्चाई और सब्र की सलाह देते रहो) का हवाला देते हुए कहा कि सच बोलने के साथ-साथ धैर्य भी जरूरी है, लेकिन अफसोस आज धैर्य की सीख को कमजोरी समझा जाता है।

उन्होंने इस्लामी क्रांति की भावना की ओर इशारा करते हुए कहा कि ईरानी राष्ट्र ने जागरूकता के साथ क्रांति की और वह जानता था कि स्वतंत्रता और अहंकारी ताकतों का सामना करने में मुश्किलें आएंगी। अहंकारी ताकतों ने कभी दया नहीं दिखाई, जैसा कि आज फिलिस्तीन और गाजा में मासूम बच्चों के कत्लेआम से स्पष्ट है। इमाम ख़ुमैनी (र.ह.) का यह कथन कि अमेरिका बड़ा शैतान है, आज दिन के उजाले की तरह स्पष्ट हो चुका है।

तबरीज़ के इमाम-ए-जुमआ ने कहा कि ईरान ने इसी बड़े शैतान के सामने डटकर दृढ़ता दिखाई, और यही दृढ़ता दुश्मनी की असली वजह है। उन्होंने कहा कि दुश्मन हर संभव तरीके से ईरानी राष्ट्र को कमजोर करने की साजिश करता है, खासतौर पर भोजन के क्षेत्र में।

उन्होंने आगे कहा कि हाल ही में युद्ध के दिनों में जन सामान्य की शांति की एक बड़ी वजह यह थी कि देश में खाद्य आपूर्ति में कोई व्यवधान नहीं आया। दुश्मनों की कोशिश के बावजूद आज ईरान में भोजन और कृषि उत्पादों की भरमार है, जो सरकार और निजी क्षेत्र की ईमानदार कोशिशों का नतीजा है।

अंत में उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर कभी धन तो हो लेकिन भोजन न हो तो यही असली खतरा है। सौभाग्य से आज ईरान में खाद्य सुरक्षा कायम है, और यही दुश्मन की सारी साजिशों के खिलाफ सबसे मजबूत हथियार है।

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