तथाकथित इस्लामी गुटों के माध्यम से नरसंहार, इस्लामो फ़ोबिया का एक उदाहरण।

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तथाकथित इस्लामी गुटों के माध्यम से नरसंहार, इस्लामो फ़ोबिया का एक उदाहरण।

इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनई की मौजूदगी में आज सुबह (सोमवार) इमाम अली अ. फ़ौजी यूनिवर्सिटी में ईरान की फ़ौजी यूनिवर्सिटीयों के प्रशिक्षित जवानों की संयुक्त आठवें शपथ ग्रहण और पदक वितरण समारोह आयोजित हुआ।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर, समारोह स्थल पर पहुंच कर सबसे पहले शहीदों के मज़ारों पर उपस्थित हुए और शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए अल्लाह की बारगाह में उनके लिए दुआ की। उसके बाद मैदान में मौजूद फ़ौजियों ने इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर को सलामी दी।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने इस समारोह में सशस्त्र बलों को हर देश की हुकूमत के बुनियादी स्तंभों में गिनते हुए कहा कि सशस्त्र बलों के वास्तविक राजाधिकार के लिए ईमान, अंतर्दृष्टि, दृढ़ता, प्रतिबद्धता और वास्तविक जिम्मेदारी के एहसास के साथ नवीनतम हथियारों से लैस होना और प्रशिक्षित जवानों की आवश्यकता है।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने आज की दुनिया को वास्तविक इस्लाम के सच्चे संदेश के लिए प्यासा बताते हुए कहा कि विश्व साम्राज्यवादी और मुंहज़ोर ताक़तें, फ़ौजी ताक़त, कला, राजनीति और अपने सभी संसाधनों द्वारा वास्तविक इस्लाम की आवाज को रोकने और दबाने की कोशिश कर रही हैं और साम्राज्यवादी ताक़तों का भढ़ता भय इस बात का स्पष्ट सबूत है।


इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने सशस्त्र बलों की ताक़त के बारे में कहा कि किसी देश की सशस्त्र सेना की ताक़त का कारण केवल नवीनतम हथियार, प्रशिक्षित जवान और सैनिकों की संख्या नहीं होती है बल्कि आध्यात्मिक भावना, ज़िम्मेदारी की वास्तविक पहचान और विभिन्न दिशाओं पर गहरी नज़र हावी होना चाहिए।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर और सशस्त्र बलों के कमांडर इंचीफ़ ने इराक़ द्वारा थोपी गई आठ वर्षीय जंग के दौरान देश की सशस्त्र सेनाओं के पुख्ता प्रतिबद्धता, नवीनीकरण, ताक़त, शैक्षिक और आधयात्मिक क्षमताओं की तरफ इशारा करते हुए कहा:
ईरान की सशस्त्र सेना पर दुनिया की गहरी नज़र है और दुनिया ईरानी सशस्त्र बलों को गंभीरता से ले रही है क्योंकि दुनिया जानती है कि जब भी जंग की बात होगी वहां ईरानी सशस्त्र बल अपनी तमाम क्षमताओं का प्रदर्शन करेंगे।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने इमाम अली अ. यूनिवर्सिटी के गौरव और इस यूनिवर्सिटी के महान शहीदों की ओर इशारा किया और यूनिवर्सिटी के कैडिटों को संबोधित करते हुए कहा कि देश की ताक़त के एक सदस्य के हिसाब से सशस्त्र बलों के लगातार विकास और ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए शैक्षिक और फ़ौजी संग्रह में आप अपने आपको अच्छी तरह तैयार करें और बुद्धिजीवियों और विशेषज्ञों की तरह जो साइंस और टेक्नालॉजी के क्षेत्र में आधुनिक रचनाएं पेश कर रहे हैं। आप भी अत्याधुनिक फ़ौजी संसाधन के निर्माण द्वारा देश के फ़ौजी तंत्र को मजबूत और स्थिर बनाने और उसकी महानता व ऊंचाई के लिए अपने इल्म और ज्ञान का भरपूर इस्तेमाल करें।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने अपने भाषण के दूसरे हिस्से में हर दौर से ज़्यादा इंसानियत के लिए ईरानी राष्ट्र के इस्लामी संदेश जरूरत पर बल देते हुए कहा कि विश्व साम्राज्यवादी और मुंह जोर शक्तियां इस्लामी संदेश को अपने हितों के लिए खतरा सोचते हुए गंभीर रूप से भयभीत हैं और वह इस्लाम की आवाज को दबाने के लिए अपने सभी संसाधनों, राजनीति और क्षमताओं को भुनाने में लगी हैं और दुनिया को इस्लाम से भयभीत और डरा रही हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने इस्लाम के नाम पर आतंकवादी गुटों के गठन, तथाकथित इस्लामी सरकार (ISIL) के गठन और उन आतंकवादी गुटों द्वारा निर्दोष लोगों के नरसंहार को इस्लाम से डराने और आतंकित करने का दुश्मनों का एक नया तरीका बताते हुए कहा: इंसानियत के लिए इस्लाम का संदेश शांति सुलह और सम्मान पर आधारित है लेकिन इस्लाम के दुश्मन नहीं चाहते कि कौमें इस संदेश से परिचित हो सकें।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने इमाम अली अलैहिस्सलाम यूनिवर्सिटी के कैडिटों को संबोधित करते हुए कहा कि आपसे पहले वाली पीढ़ी ने इस्लाम के संदेश को हाथ में लेकर जंग, राजनीति और इंक़ेलाब के मैदानों में दुनिया के सामने पेश किया है और अब आप इन महान शहीदों के वारिस हैं और इस संदेश को अब दुनिया के सामने पेश करना आपकी जिम्मेदारी है।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर के भाषण से पहले इमाम अली सैन्य यूनिवर्सिटी के कमांडर जनरल फौलादी ने स्वागत कहते हुए इस यूनिवर्सिटी की शैक्षणिक और ट्रेनिंग सम्बंधी गतिविधियों और कार्यक्रमों के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत की।.
इस समारोह में कमांडरों, फ़ौजी उस्तादों, ईरानी सेना के प्रमुख जवानों और एक शहीद की माँ को क़ुरआन की एक जिल्द और पुरुस्कार दिया गया और नए फ़ौजी जवानों के प्रतिनिधि ने भी इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर से अपने पदक को हासिल किया।

 

 

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