पवित्र स्थलों पर हमले की प्रतिक्रिया अत्यंत कड़ी होगी

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पवित्र स्थलों पर हमले की प्रतिक्रिया अत्यंत कड़ी होगी

तेहरान के अस्थायी इमामे जुमा ने कहा है कि तीस दिसम्बर 2009 को ईरानी जनता ने देश-विदेश के शत्रुओं के सभी षड्यंत्रों को विफल बना दिया।

तेहरान की नमाज़े जुमा आयतुल्लाह मुहम्मद इमामी काशानी की इमामत में अदा की गई। उन्होंने वर्ष 2009 में ईरान की इस्लामी प्रजातांत्रिक व्यवस्था को क्षति पहुंचाने हेतु रचे गए षड्यंत्र को अमरीका व ज़ायोनी शासन की ओर से मिले व्यापक समर्थन की ओर संकेत करते हुए कहा कि ईरानी राष्ट्र ने तीस दिसम्बर 2009 को शत्रु की चालों को समझते हुए उन्हें पूरी तरह से विफल बना दिया। उन्होंने शत्रुओं के षड्यंत्रों के मुक़ाबले में ईरानी राष्ट्र की एकता व एकजुटता की ओर संकेत करते हुए कहा कि शत्रु, ईरान की इस्लामी क्रांति व व्यवस्था को बिल्कुल भी क्षति नहीं पहुंचा सकता क्योंकि ईरानी राष्ट्र सदैव सजग व जागरूक है और षड्यंत्रों को विफल बनाता रहेगा।

तेहरान के अस्थायी इमामे जुमा ने इसी प्रकार ईरानी राष्ट्र के परमाणु अधिकारों के बारे में विदेश मंत्री द्वारा अपने विभिन्न समकक्षों को लिखे गए पत्र की गए संकेत करते हुए कहा कि ईरान अपने परमाणु अधिकारों से पीछे नहीं हटेगा क्योंकि उसने अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों का पालन किया है। आयतुल्लाह इमामी काशानी ने बल देकर कहा कि परमाणु हथियारों के हराम होने के बारे में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का फ़त्वा, ईरान की परमाणु गतविधियों के शांतिपूर्ण होने को पहले से अधिक सिद्ध करता है। उन्होंने गुट पांच धन एक को सचेत किया कि परमाणु वार्ता के विफल होने की ज़िम्मेदारी उसी पर होगी।

उन्होंने करबला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चेहलुम के अवसर पर लगभग तीन करोड़ लोगों के उपस्थित होने के बारे में कहा कि वर्चस्ववादी व्यवस्था, उसके समर्थकों व आतंकी संगठन आईएसआईएल को जान लेना चाहिए कि यदि मुसलमानों के पवित्र स्थलों को क्षति पहुंचाने की कोशिश की गई तो उन्हें इस्लामी जगत की कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ेगा। (HN)

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