हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा पर्दे में छुपा सूरज

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हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा की परवरिश इन महान हस्तियों की छात्र छाया में हुई।

उनके नाना पैग़म्बरे इस्लाम, पिता हज़रत अली और माता हज़रत फ़ातेमा ज़हेरा संपूर्ण मानव जाति की महानतम हस्तियां थीं। अतः हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा की परवरिश अध्यात्म के प्रकाश और पवित्रता की ज्योति में हुई।

हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा का जन्म वर्ष पांच या छह हिजरी क़मरी में जमादिल औवल महीने के 5 तारीख़ को मदीना नगर में हुआ। उनके जन्म पर इमाम हुसैन की ख़ुशी सबसे ज़्यादा थी। वह दौड़ते हुए हज़रत अली अलैहिस्सलाम के पास पहुंचे और उत्साह से चिल्लाते हुए कहा कि अल्लाह ने मुझे एक बहन दी है। मां हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा ने    अपने पति हज़रत अली अलैहिस्सलाम से कहा कि हे अली! हम अपनी बेटी का क्या नाम रखें? हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने उत्तर दिया कि हमारी बेटी का नाम पैग़म्बरे इस्लाम रखेंगे। मैं बेटी का नाम रखने में पहल नहीं कर सकता। पैग़म्बरे इस्लाम उस समय कहीं गए हुए थे। जब वापस आए तो घर पहुंचते ही सीधे अपनी बेटी हज़रत फ़ातेमा के घर पहुंचे। उन्हें अपनी नवासी के जन्म की ख़बर मिल गई थी। पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा कि बेटी फ़ातेमा बच्ची का मेरे पास लाओ मैं उसे देखना चाहता हूं।

 

हज़रत फ़ातेमा ज़हेरा ने नवजात शिशु को पैग़म्बरे इस्लाम की गोद में दिया और कहा कि हम आपकी प्रतीक्षा में थे ताकि आप आकर बच्ची का नाम रखें। बच्ची पैग़म्बरे इस्लाम की गोद में थी और उनके होटों पर मुसकुराहट थी। उन्होंने कहा कि इस बच्ची का नाम ईश्वर रखेगा। मैं प्रतीक्षा करूंगा कि इस बच्ची का आसमानी  नाम निर्धारित हो। इसी बीच ईश्वरीय फ़रिश्ते हज़रत जिबरईल आए और पैग़म्बरे इस्लाम को बताया कि इस बच्ची का नाम ज़ैनब रखा गया है। ज़ैनब का अर्थ होता है पिता की शोभा।

बाल्यकाल से ही हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा को अपने भाई इमाम हुसैन से इतना अधिक लगाव हो गया था कि उसे बयान नहीं किया जा सकता। वह हमेशा अपने भाई के साथ रहना चाहती थीं। प्रेम प स्नेह की यह स्थिति देखकर हज़रत फ़ातेमा को भी आश्चर्य होता था। एक दिन हज़रत फ़ातेमा ने अपने पिता पैग़म्बरे इस्लाम को इस बारे में बताया और कहा कि मैं ज़ैनब और हुसैन के स्नेह व प्रेम से आश्चर्य में हूं। ज़ैनब अगर हुसैन को एक क्षण भी नहीं देखती तो व्याकुल हो जाती है। हुसैन पास न हों तो ज़ैनब तड़पने लगती हैं।

पैग़म्बरे इस्लाम ने जब यह सुना तो उनके चेहरे पर दुख छा गया और आंखों से आंसू बहने लगे। उन्होंने एक आह लेकर कहा कि मेरी बेटी यह बच्ची अपने भाई हुसैन के साथ कर्बला जाएगी और हुसैन के दुख और पीड़ा में साझीदार बनेगी।

 

हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा के ज्ञान, अध्यात्म, महानता, पवित्रता और उपासना की ख्याति पूरे इस्लामी जगत में थी। उनके नाम से अधिक उनकी उपाधियां मशहूर थीं। यहां तक कि हज़रत ज़ैनब का नाम लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी बल्कि उपाधि से ही लोग समझ जाते थे। इसी लिए लोग ज़ैनब कहने के बजाए उपासिका, या पवित्रता का प्रतिमा कहते थे। मुसतफ़ा की चहेती और फ़ातेमा की उत्तराधिकारी जैसी उपाधियां इन महान हस्तियों से उनके विचित्र संबंध को उद्धरित करती थीं। हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा की उपाधियों में सबसे मशहूर उपाधि थी अक़ीलए बनी हाशिम और अक़ीलए अरब। वह अपने ख़ानदान की बड़ी प्रतिष्ठित हस्ती थीं। हज़रत ज़ैनब से विवाह बहुत बड़ी श्रेष्ठता की बात थी इसी लिए अरब के विभिन्न क़बीले हज़रत अली अलैहिस्सलाम के पास प्रस्ताव लेकर आते थे। इनमें एक व्यक्ति का नाम अशअस इब्ने क़ैस कन्दी था। वही व्यक्ति जो वर्ष 10 हिजरी में मुसलमान हुआ था। पैग़म्बरे इस्लाम के स्वर्गवास के बाद उसने इस्लाम धर्म छोड़ दिया और अबू बक्र से पराजित होने तक वह नास्तिक रहा। पराजित होने के बाद वह मुसलमान हो गया तो अबू बक्र ने अपनी नेत्रहीन बहन की उससे शादी करवा दी। उनके दो बच्चे हुए। एक बेटी जिसका नाम असमा था और जिसकी शादी बाद में इमाम हसन से हुई और उसने इमाम हसन को ज़हर दिया। दूसरे बच्चे का नाम मोहम्मद था जो उमरे सअद की सेना में शामिल होकर हज़रत इमाम हुसैन से युद्ध करने कर्बला पहुंचा था। अशअस इब्ने क़ैस समाज में अपना स्थान ऊंचा करने के लिए चाहता था कि हज़रत ज़ैनब से उसकी शादी हो जाए। एक बार उसने मस्जिद में सबके सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो हज़रत अली अलैहिस्सलाम नाराज़ हो गए। उन्होंने ग़ुस्से में कहा कि हे बुनकर के बेटे अबू बक्र ने तुझको बड़ी भूल में डाल दिया है। यदि तुने फिर कभी मेरी बेटी का नाम लिया और लोगों ने सुना तो मैं तेरा जवाब इसी तलवार से दूंगा। हज़रत अली अलैहिस्सलाम का यह जवाब सुनकर अशअस को मानो सांप सूंघ गया। दूसरों को भी पता चल गया कि बहुत सोच समझ कर ही इस बारे में कोई बात कहनी चाहिए। प्रस्ताव देने वालों में एक थे अब्दुल्लाह इब्ने जाफ़रे तय्यार जो दूसरों से भिन्न थे। उनकी उदारता बहुत मशहूर थी। वह भी बनी हाशिम ख़ानदान की गौरवपूर्ण हस्ती थे। उन्होंने किसी को माध्यम बनाकर अपना प्रस्ताव हज़रत अली अलैहिस्सलाम तक पहुंचाया।

 

 इस प्रस्ताव के बाद हज़रत ज़ैनब का विवाह अब्दुल्लाह इब्ने जाफ़र से हुआ लेकिन हज़रत ज़ैनब की शर्त थी कि उन्हें उनके भाई हुसैन से अलग न किया जाए और जब इमाम हुसैन यात्रा पर जाएंगे तो हज़रत ज़ैनब भी उनके साथ जाएंगी। अब्दुल्लाह इब्ने जाफ़र ने यह शर्तें मान लीं क्योंकि उन्हें भी पता था कि हज़रत ज़ैनब को कर्बला में महान दायित्व पूरा करना है।

हज़रत ज़ैनब उपसना और अध्यात्म में अपने माता-पिता की सच्ची वारिस थीं। वह बहुत अधिक उपासना करती थीं और हमेशा क़ुरआन की तिलावत करती थीं। वह वाजिब नमाज़ों के साथ ही मुसतहेब नमाज़ें भी कभी भी नहीं छोड़ती थीं। कर्बला की घटना दस मोहर्रम को हुई उस दिन भी हज़रत ज़ैनब की कोई नमाज़ नहीं छूटी। इमाम हुसैन के पुत्र हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम कहते हैं कि मैंने उस भयानक समय में भी देखा कि फूफी ज़ैनब पूरी तनमयता से ईश्वर की इबादत करती थीं।

इंसान की श्रेष्ठता का मुख्य आधार ज्ञान है। और सबसे श्रेष्ठ ज्ञान वह है जो प्रत्यक्ष रूप से ईश्वर से प्राप्त किया जाए। ईश्वर ने अपने पैग़म्बर हज़रत ख़िज़्र के बारे में क़ुरआन में कहा कि हमने अपने पास से उन्हें बहुत ज्ञान प्रदान किया। इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम कहते हैं कि हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा का ज्ञान भी एसा ही था। वह उन्हें ऐसी ज्ञानी कहते थे जिन्हें किसी इंसान ने ज्ञान नहीं दिया बल्कि ईश्वर ने ज्ञान प्रदान किया है।

एक दिन हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा अपने भाइयों हज़रत इमाम हसन और हज़रत इमाम हुसैन के पास बैठी थीं। दोनों भाई पैग़म्बरे इस्लाम के किसी कथन के बारे में बात कर रहे थे। हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाहे अलैहा ने कहा कि मैंने आप लोगों से यह सुना कि पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा है कि कुछ चीज़ें हलाल हैं और कुछ चीज़ें हराम हैं जिनसे लोग अवगत हैं लेकिन कुछ चीज़ें एसी हैं जो संदिग्ध हैं और लोगों को उनके बारे में नहीं पता कि वह हलाल हैं या हराम। जो व्यक्ति इस प्रकार की संदिग्ध चीज़ों से परहेज़ करे उसने मानो अपने धर्म और अपनी आबरू की रक्षा की है। जबकि इस प्रकार के कामों में लिप्त हो जाने वाले व्यक्ति के पांव हराम कामों की ओर भी फिसलने लगते हैं। उसकी मिसाल उस चरवाहे जैसी है जो अपने बकरियां किसी भयानक दर्रे के क़रीब से गुज़ारता है और उनके गिर जाने का ख़तरा बना रहता है। जान लो कि हर चीज़ में एक पहलू गहराई में गिर जाने का होता है और हराम काम यही खाइयां हैं। संदिग्ध चीज़ें इसी खाई के क़रीब से गुज़रने जैसा है। इंसान के शरीर में एक अंग एसा है कि यदि वह अच्छा हो तो पूरा शरीर अच्छा  रहता है और यदि वह ख़राब हो जाए तो पूरा शरीर ख़राब हो जाएगा। वह अंग है दिल। हे मेरे भाइयो क्या पैग़म्बरे इस्लाम से सुना है कि उन्होंने कहा कि ईश्वर ने मुझे प्रशिक्षित किया और शिष्टाचार सिखाया है। हलाल वही है जिसे ईश्वर ने हलाल ठहराया है। कुरआन ने उसे बयान किया है और पैग़म्बर ने उसका विवरण दिया है।

जब हज़रत ज़ैनब की यह बात पूरी हो गई तो इमाम हसन और इमाम हुसैन ने कहा कि ईश्वर तुम्हारी महानता में और वृद्धि करे। तुमने बिल्कुल सही कहा। तुम पैग़म्बरी की खदान का रत्न हो।      

 

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