رضوی

رضوی

ईरान पर इस्राईल के हमलों के बीच ज़ायोनी और साम्राज्यवादी मीडिया की ओर से प्रोपगंडा वॉर इन हमलों से पहले ही शुरू हो चुका था।  इन हमलों के बाद 20 से अधिक स्थानों को निशाना बनाने की बात कही जा रही है जिसे ईरान ने रद्द करते हुए कहा है कि तेहरान, ईलाम और ख़ूज़िस्तान प्रांत में कुछ स्थान दुश्मन के निशाने पर थे और हमारे एयर डिफ़ेंस सिस्टम ने हमलों को नाकाम कर दिया है।

 एक जानकार सूत्र ने कहा कि ज़ायोनी सेना का देश में 20 बिंदुओं को निशाना बनाने का दावा झूठा है, लक्ष्य की संख्या इस मात्रा से बहुत कम है। इस सूत्र ने यह भी कहा कि ज़ायोनी कार्रवाई देश की सीमाओं के बाहर हुई और सीमित क्षति हुई।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तेहरान में किसी भी आईआरजीसी सैन्य केंद्र को निशाना नहीं बनाया गया।

यह खबर भी पूरी तरह से झूठी है कि इस हमले में 100 युद्धक विमान शामिल थे ज़ायोनी सेना अपने कमजोर हमले को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना चाहती है।

 

 

 

शनिवार, 26 अक्टूबर 2024 16:44

ईरान पर इज़राईली हमले नाकाम

ईरान पर इज़राइल के अटैक के दावों के बारे में तस्नीम न्यूज़ एजेंसी ने रिपोर्ट दी कि पश्चिमी या दक्षिण पश्चिमी तेहरान में आईआरजीसी या सेना के किसी भी सेंटर पर कोई मिसाइल नहीं गिरा है तेहरान के आस पास के इलाक़ों से सुनी गई आवाज़ें दरअस्ल इज़राइली हमले को हवा में ही नाकाम बना देने के लिए ईरानी एयर डिफ़ेंस सिस्टम की फ़ायरिंग की आवाज़ें थीं।

, एक रिपोर्ट के अनुसार ,ईरान पर इज़राइल के अटैक के दावों के बारे में तस्नीम न्यूज़ एजेंसी ने रिपोर्ट दी कि पश्चिमी या दक्षिण पश्चिमी तेहरान में आईआरजीसी या सेना के किसी भी सेंटर पर कोई मिसाइल नहीं गिरा है तेहरान के आस पास के इलाक़ों से सुनी गई आवाज़ें दरअस्ल इज़राइली हमले को हवा में ही नाकाम बना देने के लिए ईरानी एयर डिफ़ेंस सिस्टम की फ़ायरिंग की आवाज़ें थीं।

 इज़राइली हमला कमज़ोर था जानकार सूत्रों ने बताया कि आरंभिक आंकलन से अंदाज़ा होता है कि तेहरान, ख़ूज़िस्तान और ईलाम में किया गया इज़राइल का हमला सीमित और कमज़ोर था। 

 ज़ायोनिस्ट रेजीम ने तेहरान, ख़ूज़िस्तान और ईलाम के कुछ क्षेत्रों में सैनिक केन्द्रों को लक्ष्य बनाने का प्रयास किया मगर ईरान के एअर डिफ़ेन्स सिस्टम्ज़ के सक्रिय होने की वजह से हमला नाकाम रहा और कुछ स्थानों पर सीमित क्षति हुई है।

 सिपाहे पासदारान आईआरजीसी की ओर से जारी किये गये बयान में बताया गया कि इस्लामी गणराज्य ईरान के अधिकारियों ने पहले ही अपराधी और जाली ज़ायोनिस्ट रेजीम को हर प्रकार की कार्यवाही के संबंध में चेतावनी दी थी उसके बावजूद इस सरकार ने आज सुबह तनाव पैदा करने वाली कार्यवाही के अंतर्गत तेहरान, ख़ूज़िस्तान और ईलाम में कुछ सैनिक केन्द्रों पर हमला किया।

 जिसे एअर डिफ़ेन्स सिस्टम्ज़ ने कामयाबी के साथ नाकाम कर दिया।आईआरजीसी के बयान में लोगों से एकजुटता व शांति बनाये रखने की अपील की गयी है और कहा गया है कि इस संबंध में दुश्मन के दुष्प्रचारों पर ध्यान न दें।

 

 

 

 

 

 

आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी ने ईरान के क़ुम अल-मुक़द्दस शहर में नमाजे जुमा के खुत्बे में फारस की खाड़ी के तीन द्वीपों के बारे में बोलते हुए कहा: ईरान को विभाजित करने का सपना कभी सच नहीं होगा। ईरान के लोग अपने तमाम मतभेदों के बावजूद अपने देश की स्वतंत्रता, महानता और गौरव के लिए एकजुट हैं और ईरान की पवित्र भूमि का हर इंच हर ईरानी और इस्लामी व्यवस्था के लिए एक लाल रेखा है।

आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी ने 25 अक्टूबर, 2024 को मुसल्ला कुद्स, क़ुम में नमाजे जुमा के खुत्बे के दौरान कहा: फारस की खाड़ी में तीन द्वीपों के बारे में जो कहा जा रहा है वह ईरान और इस्लामी व्यवस्था के साथ विश्वासघात है ।

उन्होंने कहा: दुनिया ने हमारी आठ साल की पवित्र रक्षा का अनुभव देखा है, जहां सद्दाम को कई देशों का समर्थन प्राप्त था, लेकिन ईरान के लोगों, बसिज बलों और इस्लामी गणराज्य की सेनाओं ने उत्पीड़न का विरोध किया और ईरान के दुश्मनों को हराया। धरती से एक इंच भी पीछे हटने का सपना दिल में रखना पड़ा।

आयतुल्लाह आराफ़ी ने कहा: यह ईरान का अनुभव है और आज भी हमारा युवा और समाज जागृत है और हमारे पास इमाम खुमैनी (र) के नेतृत्व की अभिव्यक्ति है।

उन्होंने कहा: तीन द्वीपों पर कोई बातचीत या सौदेबाजी नहीं हो सकती। यह कोई 200-300 वर्ष पहले की बात नहीं है जब कमजोर शासकों ने विदेशी शक्तियों के सामने घुटने टेक दिये थे। ईरान के लोग महानता और स्वतंत्रता के लिए एकजुट हैं और ईरानी पवित्र भूमि का हर इंच हमारी लाल रेखा है।

फ़िलिस्तीन के मुद्दे पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा: कभी-कभी सवाल उठता है कि क्या यह सभी संघर्ष और खर्च के लायक है। लेकिन हमें यह समझना होगा कि फिलिस्तीन एक मानवीय समस्या है और कोई भी इंसान इस क्रूर कब्जे को स्वीकार नहीं करता है। इस्लाम हमें उत्पीड़ितों का समर्थन करने का आदेश देता है।

उन्होंने कहा: फिलिस्तीन का मुद्दा ईरान, तुर्की, पाकिस्तान, सऊदी अरब और फारस की खाड़ी का मुद्दा है क्योंकि इजरायल के पीछे एक बुरा मकसद है। उनकी योजना नील नदी से लेकर फ़रात तक इस्लाम की भूमि को जीतने की है। यह कोई सीमित क्षेत्रीय समस्या नहीं है बल्कि इस्लामी उम्माह के जीवन और स्वतंत्रता के लिए एक सांस्कृतिक युद्ध है।

 

 

 

 

 

अमेरिका ने ईरान के अंदर इस्राईल के हमलों में अपनी कोई भी भूमिका होने से इंकार करते हुए कहा कि हमारा इन हमलों से कोई लेना देना नहीं है।

अमेरिकी रक्षा सचिव ऑस्टिन ने ज़ायोनी युद्ध मंत्री युआव गैलेंट के साथ फोन पर बातचीत की । अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से अमेरिकी मीडिया ने दावा किया कि आज रात ईरान पर हुए कथित ज़ायोनी हमले में वाशिंगटन की कोई भागीदारी नहीं थी।

ब्रिटिश न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स ने दावा किया कि आज रात ईरान में कुछ लक्ष्यों पर ज़ायोनी शासन के कथित हमले में संयुक्त राज्य अमेरिका की कोई भागीदारी नहीं थी।

 एक अमेरिकी अधिकारी ने अल जज़ीरा को बताया कि आज रात ईरान पर इस्राईल के हमलों में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी।

 

           

इस्लामी क्रांति के नेता हज़रत आयतुल्लाह खामेनेई ने प्रतिरोध मोर्चे के प्रिय युवाओं को संबोधित एक संदेश में, लेबनान के हिज़्बुल्लाह की कार्यकारी परिषद के प्रमुख सय्यद हाशिम सफ़ीउद्दीन  के व्यक्तित्व की महिमा पर जोर दिया। आज भी, हिज़्बुल्लाह लेबनान का सबसे मजबूत रक्षक है और ज़ायोनी शासन के लालच के खिलाफ सबसे मजबूत ढाल है, जिसका उद्देश्य लंबे समय से लेबनान का विघटन करना है।

इस्लामी क्रांति के नेता के संदेश का पाठ इस प्रकार है:

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम

प्रतिरोध मोर्चे के प्रिय युवाओं

सय्यद मुजाहिद रशीद और निस्वार्थ, जनाब सय्यद हाशिम सफीउद्दीन रिज़वानुल्लाह प्रतिरोध के शहीदों की श्रेणी में शामिल हो गए और पवित्र स्थान के रास्ते में जिहाद के आसमान को एक और चमकते सितारे ने सुशोभित किया। वह हिज़्बुल्लाह के सबसे प्रमुख व्यक्तित्वों में से एक थे और सय्यद हसन नसरूल्लाह के निरंतर मित्र और साथी थे। उनके जैसे नेताओं की चतुराई और साहस के साथ हिज़्बुल्लाह, लेबनान को विघटन के खतरे से बचाने और हड़पने वाले शासन के खतरे को बेअसर करने में सक्षम था, जिसकी क्रूर और क्रूर सेना ने कभी-कभी बेरूत को भी लात मारी थी। उनकी बहादुरी और बलिदान और अन्य कमांडर और मुजाहिदीन नसरूल्लाह की धुरी थे, जिन्होंने दक्षिण में कब्ज़ा करने और फ़िलिस्तीन पर कब्ज़ा करने के खतरे को हटा दिया, और जीवन, संपत्ति को बचाया। उन्होंने हिजबुल्लाह की बहुमूल्य प्रतिष्ठा को उस देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए मैदान में उतारा और आक्रामक तथा अपराधी ज़ायोनी शासन को विफल कर दिया।

आज, नसरूल्लाह और सफीउद्दीन जैसे नेता जाहिर तौर पर इस संसार में मौजूद नहीं हैं, लेकिन उनकी भावना और नेतृत्व मैदान में मौजूद है और लेबनान और उसके असहाय लोगों की रक्षा करते है। आज भी, हिज़्बुल्लाह लेबनान का सबसे मजबूत रक्षक और ज़ायोनी शासन के लालच के खिलाफ सबसे मजबूत ढाल है, जो लंबे समय से लेबनान के विभाजन का लक्ष्य बना रहा है। दुश्मन लेबनान के लिए हिज़्बुल्लाह की निस्वार्थ भूमिका को नकारने की कोशिश करता है। लेबनान के हमदर्दों को यह ग़लत बयान अपने गले से नहीं उतरने देना चाहिए।

हिज़्बुल्लाह जीवित है और बढ़ रहा है तथा अपनी ऐतिहासिक भूमिका निभा रहा है। हमेशा की तरह इस्लामिक रिपब्लिक कुद्स मुजाहिदीन और फ़िलिस्तीन पर कब्ज़ा करने वाले आपराधिक गिरोह के कब्जे का विरोध करने वालों की मदद करेगा।

मैं हमारे प्रिय सय्यद हाशिम सफीउद्दीन की शहादत पर उनके प्रिय परिवार, रिश्तेदारों और प्रतिरोध के सभी मोर्चों पर काम करने वाले साथियों को बधाई देता हूं।

वस सलामो अला ऐबादिल लाहिस सालेहीन

सय्यद अली खामेनेई

 

जामिया अल मुस्तफ़ा स.ल.ने सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन की शहादत पर गहरे दु:ख और संवेदना व्यक्त की है और कहा शहीदों का बलिदान को इस्लामी मूल्यों और न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हौज़ा इल्मिया जामिया अल मुस्तफ़ा स.ल.ने सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन की शहादत पर शोक संदेश जारी किया है।

शोक संदेश कुछ इस प्रकार है:

بسم الله الرحمن الرحیم

فَلْیُقَاتِلْ فِی سَبِیلِ اللَّهِ الَّذِینَ یَشْرُونَ الْحَیَاةَ الدُّنْیَا بِالْآخِرَةِ ۚ وَمَنْ یُقَاتِلْ فِی سَبِیلِ اللَّهِ فَیُقْتَلْ أَوْ یَغْلِبْ فَسَوْفَ نُؤْتِیهِ أَجْرًا عَظِیمًا

बहादुर योद्धा और कुद्स के मार्ग के महान कमांडर, हिज़बुल्लाह लेबनान की कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैय्यद हाशिम सफीउद्दीन ज़ालिम इज़राईल शासन के आतंकवादी हमले में शहादत के उच्चतम दर्जे पर पहुंच गए।

इस अटल मुजाहिद ने वर्षों तक अपनी कीमती ज़िंदगी को लेबनान और फिलिस्तीन के मज़लूम लोगों की इज़्ज़त और इस्लामी प्रतिरोध के समर्थन में समर्पित किया। अपनी वर्षों की संघर्षशीलता का इनाम उन्हें शहादत के रूप में मिला और वे अपने शहीद साथियों से जा मिले जिनमें शहीद  अल्लामा सैय्यद हसन नसरल्लाह भी शामिल हैं।

जामिया अलमुस्तफा अलआलमिया, इस महान मुजाहिद और अडिग आलिम की शहादत पर हज़रत वली अस्र अ.ज.रहबर ए मोअज्जम लेबनान की बहादुर क़ौम उनके साथियों और इस शहीद के सम्मानीय परिवार के प्रति अपनी ताज़ियत पेश करता है।

यह घोषणा भी करता है कि ज़ायोनी आतंकी और शैतानी शासन के खिलाफ इस्लामी प्रतिरोध का रास्ता इन घटनाओं से नहीं रुकेगा बल्कि इस जालिम और अपार्थीड शासन की पूरी तरह से तबाही तक जारी रहेगा।

जामियाअलमुस्तफाअलआलमिया
24 अक्टूबर 2024

 

 

 

हौज़ा इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने कहां, सैयद हाशिम सफीउद्दीन न केवल एक महान नेता थे, बल्कि हिज़्बुल्लाह के नायकों और पूरे प्रतिरोध मोर्चे के लिए हिक्मत कि निशानी धैर्य प्रतिरोध, दृढ़ता और बलिदान का प्रतीक थे।

हौज़ा इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने सैयद हाशिम सफीउद्दीन की शहादत पर शोक संदेश जारी किया है।

शोक संदेश कुछ इस प्रकार है:

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलऐहे राजेेऊन

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

بسم الله الرحمن الرحیم

مِنَ الْمُؤْمِنِینَ رِجَالٌ صَدَقُوا مَا عَاهَدُوا اللَّهَ عَلَیْهِ ۖ فَمِنْهُمْ مَنْ قَضَیٰ نَحْبَهُ وَمِنْهُمْ مَنْ یَنْتَظِرُ ۖ وَمَا بَدَّلُوا تَبْدِیلًا.

इस वक्त दु:ख और शोक का समय है जब हमें फिर से एक और महान योद्धा और सत्य के ध्वजवाहक, हज़रत हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सय्यद हाशिम सफीउद्दीन हिज़बुल्लाह के वीर और कार्यकारी सहायक और एक बुद्धिमान और साहसी योद्धा की शहादत की ख़बर प्राप्त हुई है।

उनकी शहादत ने हमारे दिलों में गहरा दर्द भर दिया है वह केवल एक महान नेता ही नहीं बल्कि हिज़बुल्लाह और पूरी प्रतिरोधी धारा के लिए हिकमत, धैर्य, प्रतिरोध, स्थिरता, और त्याग का प्रतीक थे।

सय्यद हाशिम सफीउद्दीन जिन्होंने अपनी जवानी और उम्र इस्लाम के लिए समर्पित कर दी अपने शक्तिशाली प्रबंधन प्रज्वलित और ठोस खुत्बों के माध्यम से सदैव इज़राईल शासन के खिलाफ खड़े रहे।

उन्होंने हमें सिखाया कि कैसे गुमनामी में भी ईमान, इरादा, सूझबूझ और इख्लास के साथ चुनौतियों का सामना किया जा सकता है और कठिनाइयों पर विजय प्राप्त की जा सकती है, और एक एक कदम आगे बढ़कर उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है।

उनकी याद और उनकी विरासत हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी और अल्लाह की कृपा से हम उनके जैसे शहीदों की याद के साथ प्रतिरोध और न्याय एवं स्वतंत्रता के संघर्ष के रास्ते पर चलते रहेंगे जब तक सत्य की अंतिम विजय न हो जाए।

उनके सम्मानित परिवार और उनके सभी दोस्तों, समर्थकों और हिज़बुल्लाह के वीरों को मेरी संवेदनाएं अल्लाह तआला से मैं उनके लिए ऊंचे दर्जे की दुआ करता हूं और उनके परिजनों के लिए धैर्य और सहनशीलता की कामना करता हूं।

अली रज़ा आराफी

प्रमुख हौज़ा ए इल्मिया

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन पूरज़हबी ने कहा,शहीद याह्या सानवार इस्लामी उम्मत में इज़राईल के खिलाफ प्रतिरोध और संघर्ष की प्रतीक थे।

एक रिपोर्ट के अनुसार,ईरान के कुर्दिस्तान प्रांत में वली ए फ़क़ीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अब्दुलरज़ा पूरज़हबी ने बच्चों के क़ातिल इज़राईल शासन द्वारा याह्या सीनवार की शहादत पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, जो कुछ हमने शहीद याह्या सीनवार के बारे में सुना और जाना है, वह यह है कि वह वर्षों तक इज़राईल की क़ैद में रहे और फ़िलिस्तीनी कैम्पों में जन्म के समय से ही इज़राईल के खिलाफ प्रतिरोध में डटे रहे।

उन्होंने आगे कहा शहीद याह्या सीनवार इस्लामी उम्मत में इज़राईल के खिलाफ प्रतिरोध और संघर्ष की मिसाल थे।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन पूरज़हबी ने कहा,शहीद सानवार ने कई सालों तक जेल में समय बिताया और फिर शहीद इस्माइल हनिया के साथ मिलकर इज़राईल के खिलाफ संघर्ष किया।

उन्होंने आगे कहा,शहीद सानवार ने प्रतिरोध के रास्ते में कभी आराम या किसी तरह की स्वार्थी इच्छा नहीं की जबकि वे इज़राईल की कैद से रिहाई के बाद पीछे हट सकते थे लेकिन वे अपने रास्ते और अपने लक्ष्य पर डटे रहे।

सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणियों और रोक के बावजूद योगी सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं है एटीएस ने 4,000 से अधिक गैर-अनुमोदित मदरसों का निरीक्षण किया है।

उत्तर प्रदेश के मदरसों का मामला भले ही सुप्रीम कोर्ट में चल रहा हो, लेकिन योगी सरकार और उसके अधीनस्थ संस्थानों की कार्रवाई जारी है। सरकार ने निर्देश जारी किया है कि राज्य के 4,000 से अधिक मदरसों और स्कूलों के निरीक्षण में एटीएस सहयोग करेगी। एटीएस इसकी जांच करेगी कि उक्त मदरसे कितने समय से चल रहे हैं और उनका अब तक पंजीकरण क्यों नहीं कराया गया। इसके अलावा उनकी फंडिंग और अन्य पहलुओं की गहन जांच, सत्यापन और जांच के बाद एक स्पष्ट और विस्तृत रिपोर्ट एटीएस महानिदेशक कार्यालय को उपलब्ध कराई जाएगी।

यूपी के और अन्य सभी संबंधित अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है कि 21 अक्टूबर को जमीयत उलेमा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के गैर मान्यताप्राप्त मदरसों के संबंध में एनसीपीसी, मुख्य सचिव और अन्य विभागों द्वारा जारी सभी आदेशों पर रोक लगा दी थी।

गौरतलब है कि यूपी में मदरसों की फंडिंग, मदरसों में पढ़ने वाले हिंदू छात्रों की संख्या और उनके दूसरे स्कूलों में प्रवेश और गुणवत्ता नियंत्रण से संबंधित आदेश पहले ही जारी किए जा चुके हैं। हालांकि, एक बार फिर से फरमान जारी होने से मदरसों से जुड़े लोगों की चिंता बढ़ गई है।

 

 

 

 

 

 

शहीद याह्या सनावार ने ग़ाज़ा छोड़ने और मिस्र में सुरक्षित शरण लेने के प्रस्ताव को ठुकराकर अपनी ज़मीन और अपने लोगों के साथ अंतिम सांस तक संघर्ष करने का संकल्प लिया और हमेशा मज़लूम की आवाज बनकर इसराइल को मुंहतोड़ जवाब दिया

एक रिपोर्ट के अनुसार ,हमास आंदोलन के प्रमुख नेता शहीद याह्या सिनवार ने ग़ाज़ा छोड़ने और मिस्र में सुरक्षित शरण लेने के प्रस्ताव को ठुकराकर अपनी ज़मीन और अपने लोगों के साथ अंतिम सांस तक संघर्ष करने का संकल्प लिया।

यह घटना उस वक्त की है जब ग़ाज़ा पर इज़रायली हमले बेहद तीव्र थे और हर पल खतरे में घिरे फिलिस्तीनी नेता को बचाने के लिए अरब मध्यस्थों ने उन्हें मिस्र जाने का मौका दिया था। लेकिन याह्या सिनवार, जो अपने दृढ़ विश्वास और संघर्ष के प्रतीक के रूप में जाने जाते थे मौत को गले लगाना बेहतर समझा।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इस घटनाक्रम की गहराई से जांच की और स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि की कि सिनवार ने न केवल इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया बल्कि अपनी शहादत के बाद हमास के भविष्य को लेकर भी गहन विचार किया।

सिनवार का कहना था कि उनकी शहादत के बाद हमास को एक सामूहिक नेतृत्व परिषद बनानी चाहिए जिससे यह संगठन और भी मजबूत होकर इज़रायल के खिलाफ संघर्ष जारी रख सके। उन्होंने इस बात का भी अनुमान लगाया था कि उनकी शहादत के बाद इज़रायल विभिन्न प्रकार के प्रस्तावों के साथ हमास को गुमराह करने की कोशिश करेगा लेकिन फिलिस्तीनी प्रतिरोध को कभी हार नहीं माननी चाहिए।

याह्या सनावार का जन्म और उनकी पूरी जिंदगी ग़ाज़ा की संघर्षरत जमीन से जुड़ी रही। 16 अक्टूबर को ग़ाज़ा के रफ़ाह इलाके में इज़रायली बलों के साथ मुठभेड़ में, वे शहीद हो गए। इससे पहले इस्माइल हानिये के ईरान में शहीद होने के बाद, याह्या सिनवार को हमास का नेता नियुक्त किया गया था। अपनी शहादत तक उन्होंने फिलिस्तीनी प्रतिरोध की कमान संभाली और हमास की रणनीति और दिशा को मजबूती से आगे बढ़ाया।

इज़रायली सेना ने लगातार यह दावा किया कि सिनवार ग़ाज़ा की सुरंगों में छिपे हुए थे और उन्होंने इज़रायली बंधकों को ढाल बना रखा था। लेकिन इस दावे को उनकी शहादत के बाद झूठा साबित किया गया। सिनवार न केवल ग़ाज़ा में इज़रायली सेना के खिलाफ जमीनी संघर्ष में शामिल थे, बल्कि अपने आखिरी वक्त तक अपने लोगों के साथ खड़े रहे।