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हिज़्बुल्लाह लेबनान के महासचिव सैयद मक़ावमत शहीद सैयद हसन नसरल्लाह की शहादत के बाद संगठन के नए महासचिव को लेकर कई अटकलें चल रही थीं। लेकिन आज हिज़्बुल्लाह ने नए महासचिव का चयन कर लिया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,हिज़्बुल्लाह लेबनान की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि शेख नईम कासिम को हिज़्बुल्लाह लेबनान का नया सचिव जनरल चुन लिया गया है।

अलजज़ीरा और अलमयादीन के अनुसार,हिज़्बुल्लाह लेबनान की केंद्रीय परिषद ने शेख नईम कासिम को संगठन के सचिव जनरल शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह के उत्तराधिकारी के रूप में चुना है।

शेख नईम कासिम कौन हैं?

शेख नईम कासिम का जन्म 1953 में लेबनान के क्षेत्र कफरफीला के एक धार्मिक परिवार में हुआ। उन्होंने धार्मिक शिक्षा मशहूर शिया आलिम ए दीन आयतुल्लाह अलउज़मा मुहम्मद हुसैन फ़ज़्लुल्ला से प्राप्त की और लेबनान की यूनिवर्सिटी से केमिस्ट्री में बैचलर डिग्री हासिल की।

हिज़्बुल्लाह लेबनान के नए जनरल सचिव मुस्लिम छात्र संघ के संस्थापकों में से एक हैं, जिसे 1970 के दशक में स्थापित किया गया था। वह उस समय संगठन में शामिल हुए जब संगठन के प्रमुख इमाम मूसा सदर थे।

शेख नईम कासिम 1974 से 1988 तक लेबनान की इस्लामिक धार्मिक शैक्षिक संघ के अध्यक्ष रहे। उन्होंने लेबनान में अलमुस्तफा स्कूलों के सलाहकार के रूप में भी सेवाएँ दीं। बाद में शेख कासिम ने हिज़्बुल्लाह की बुनियादी गतिविधियों में भाग लिया और 1992 में हिज़्बुल्लाह के डिप्टी सचिव जनरल नियुक्त हुए।

ध्यान रहे कि शेख नईम कासिम पहले ही इजराइल की टारगेट लिस्ट में शामिल हैं जिससे हिज़्बुल्लाह लेबनान के नए सचिव जनरल की शख्सियत का पता चलता है।

शेख नईम कासिम की किताब (हिज़्बुल्लाह) भी महत्वपूर्ण है।

शेख नईम कासिम की किताब "हिज़्बुल्लाह" के कई भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं और इस किताब का अध्ययन बताता है कि शेख नईम कासिम इजराइल के खिलाफ अधिक सख्त नीति अपनाने के हिमायती हैं।

पाकिस्तान के प्रसिद्ध पत्रकार हामिद मीर ने कहा कि उन्होंने यह किताब 2006 में बेरुत में पढ़ी थी और वहां उन्हें पता चला था कि सैयद हसन नसरुल्ला ने इजराइल के खिलाफ प्रतिरोध को एक रेडलाइन तक सीमित रखा है ताकि इजराइल लेबनान पर इतनी बमबारी न करे कि लेबनान का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर नष्ट हो जाए।

शेख नईम कासिम इजराइल के खिलाफ उसी तरह के हमलों के हिमायती रहे हैं, जैसा हमला अक्टूबर 2023 में हमास ने किया था।

शेख नईम कासिम ने अपनी किताब में यह भी लिखा है कि दुश्मन की मजबूत सेना और एयरपावर का एकमात्र हल फिदाई हमले हैं। अगर नईम कासिम ने हिज़्बुल्लाह को उसी रास्ते पर डाल दिया जिसे उन्होंने कई साल पहले अपनी किताब में इंगित किया था, तो मध्य पूर्व का युद्ध अन्य क्षेत्रों में भी फैल सकता है। नेतन्याहू के पास एयरपावर और अमेरिकी ड्रोन हैं लेकिन शेख नईम कासिम के पास हजारों फिदाई हमलावर हैं।

जॉर्डन के विदेश मंत्री ने एक सैन्य विमान में सवार होकर लेबनान से 10 जॉर्डन नागरिकों को निकालने की घोषणा किया है जो लेबनानी लोगों के लिए भोजन, राहत आपूर्ति, दवा और चिकित्सा उपकरण ले गए थे।

,एक रिपोर्ट के अनुसार ,जॉर्डन के विदेश मंत्री ने एक सैन्य विमान में सवार होकर लेबनान से 10 जॉर्डन नागरिकों को निकालने की घोषणा किया है जो लेबनानी लोगों के लिए भोजन, राहत आपूर्ति, दवा और चिकित्सा उपकरण ले गए थे।

मंत्रालय के प्रवक्ता सुफियान कुदाह ने कहा कि लेबनान भेजे गए जॉर्डन के सहायता विमानों की संख्या 14 तक पहुंच गई है, रविवार को दो सैन्य विमान लेबनान के रफिक हरीरी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे।

मंत्रालय ने कहा कि लेबनान में जॉर्डन के नागरिकों के लिए निकासी उड़ानों की संख्या सात तक पहुंच गई है।

कुदाह ने कहा कि रॉयल जॉर्डनियन वायु सेना के विमानों से 174 जॉर्डन नागरिकों को लेबनान से निकाला गया है।

प्रवक्ता के अनुसार, अगस्त के बाद से, 3,353 जॉर्डन नागरिक क्वीन आलिया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के माध्यम से लेबनान से किंगडम लौट आए हैं, इसके अलावा जो जाबेर बॉर्डर क्रॉसिंग के माध्यम से जमीन से पहुंचे थे।

इसके अलावा, लेबनान में जॉर्डन के नागरिकों को निकालने के लिए सात उड़ानें समर्पित की गई हैं, जिससे निकाले गए नागरिकों की कुल संख्या 174 हो गई है।इन निकासी में बेरूत में जॉर्डन दूतावास में इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफ़ॉर्म पर पंजीकृत सभी लोग शामिल हैं।

 

 

 

 

 

हौज़ा ए इल्मिया ख़ुरासान के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली ख़य्यात ने कहा कि इस्राइल ने शुक्रवार की रात ईरान की हवाई सीमा में घुसपैठ की कोशिश की लेकिन ईरानी एयर डिफेंस की समय पर कार्रवाई से इन हमलों को नाकाम कर दिया गया और कोई नुकसान नहीं हुआ।

एक रिपोर्ट के अनुसार, हौज़ा ए इल्मिया ख़ुरासान के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली ख़य्यात ने कहा कि इस्राइल ने शुक्रवार की रात ईरान की हवाई सीमा में घुसपैठ की कोशिश की लेकिन ईरानी एयर डिफेंस की समय पर कार्रवाई से इन हमलों को नाकाम कर दिया गया और कोई नुकसान नहीं हुआ।

मशहद में हौज़ा-ए-इल्मिया ख़ुरासान के सहायक सदस्यों की बैठक को संबोधित करते हुए हुज्जतुल इस्लाम ख़य्यात ने कहा कि ज़ायोनी ताकतों द्वारा दागे गए अधिकांश मिसाइलों को ईरानी एयर डिफेंस ने सफलतापूर्वक रोक लिया।

उन्होंने कहा कि अब इस मामले की जांच जारी है और इस्राइल द्वारा किए गए 86 में से अधिकतर मिसाइलों को विफल कर दिया गया है।

कुछ तत्वों की जल्दबाज़ी पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे लोग रहबर-ए-मुअज़्ज़म की धैर्य और सहनशीलता की रणनीति को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।

हुज्जतुल इस्लाम ख़यात ने स्पष्ट किया कि ईरान इस्राइल की इस गलती का उचित समय पर करारा जवाब देगा, लेकिन जनता से अपील की कि वह बेवजह दबाव न डालें।

हुज्जतुल इस्लाम ख़य्यात ने इमाम ए जुमआ काज़रून की शहादत पर दुःख व्यक्त करते हुए इस मामले की पूरी जांच की मांग की हैं।

उन्होंने ताफ़तान में आतंकवादी हमले का शिकार हुए दस सैनिक जवानों की शहादत पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि इस आतंकवादी हमले के जिम्मेदारों को उनके अंजाम तक पहुँचाया जाएगा ताकि दुश्मन के लिए यह एक सबक बन सके।

 

 

 

 

 

अवैध राष्ट्र इस्राईल के बर्बर हमलों और ज़ायोनी सेना के जनसंहार का सामना कर रहे फिलिस्तीन की हालत बहुत दयनीय है। फिलिस्तीन इन दिनों अतिक्रमणकारी ज़ायोनी सेना के हमलों से बेहाल है। ऐसे में भारत ने फिलिस्तीन के लिए मदद भेजी है। 

 भारत ने फिलिस्तीन के लिए 30 टन मदद का जो सामान भेजा है उसमे ज्यादातर मेडिकल का सामान है। हाल ही में भारत ने वादा किया था कि वह फिलिस्तीन के लोगों की मदद करता रहेगा। ताजा मदद उसी कड़ी का हिस्सा है। 

भारत की तरफ से भेजी जा रही मदद की इस खेप में कई तरह की दवाइयां शामिल हैं। भारत का फिलिस्तीनी समर्थन का एक लंबा इतिहास रहा है। भारत ने फिलिस्तीन संकट के समाधान के लिए हमेशा ही दो-राज्य समाधान की बात की है। 

 

 

मीडिल ईस्ट के कसाई के नाम से कुख्यात नेतन्याहू की हठ फिलिस्तीन और लेबनान में लगभग 50 हज़ार लोगों की जान ले चुकी है जबकि लाखों लोग अपाहिज और बेघर हो चुके हैं।

ऐसे में हिज़्बुल्लाह ने जवाबी पलटवार तेज़ किया तो नेतन्याहू को अपनी जान का डर सताने लगा है।

ज़ायोनी रेडियो और टेलीविज़न विभाग ने खबर देते हुए कहा कि प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने नेसेट बैठक में पूछा: यदि अभी कोई ड्रोन यहां आता है, तो हमें कहां जाना चाहिए? हम यह बैठक कहीं और क्यों नहीं करते? मुझे ड्रोन से डर लगता है।  ज़ायोनी नेता ने कहा कि हालाँकि हमारे पास मिसाइलों का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए अच्छे सिस्टम हैं।

 मुझे समझ नहीं आता कि नेसेट सत्र अपने स्थायी स्थान पर ही क्यों आयोजित हो रहा है, किसी अन्य स्थान पर क्यों नहीं?

बता दें कि पिछले हफ़्ते ज़ायोनी सेना रेडियो ने शबाक के एक सूत्र के हवाले से कहा था कि कैसरिया में नेतन्याहू के घर पर हिज़्बुल्लाह ड्रोन हमले के बाद वरिष्ठ नेताओं और अधिकारीयों के लिए सुरक्षा उपाय तेज़ कर दिए गए हैं।

रिपोर्टों के अनुसार, शबाक ने नेतन्याहू के परिवार की सुरक्षा के लिए भारी रकम खर्च की है, जिसकी ज़ायोनी शासन के हलकों में आलोचना हो रही है ।

 

 

लेबनान में मुंह की खाने वाली ज़ायोनी सेना जहाँ सीज़फायर के लिए कोशिशें कर रही है वहीँ विश्व समुदाय की निरंतर अपील के बाद भी ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल के बर्बर हमले उसी तरह जारी हैं।

ग़ज़्ज़ा पट्टी में फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान जारी कर पिछले साल 7 अक्टूबर से ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी सेना के हमलों में शहीदों और घायलों के नवीनतम आंकड़ें जारी किये हैं।

 फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान के अनुसार, पिछले साल 7 अक्टूबर से ग़ज़्ज़ा पर अतिक्रमणकारी ज़ायोनी सेना के हमलों के परिणामस्वरूप, 43 हजार 61 लोग शहीद हो चुके हैं।

साथ ही, इस फ़िलिस्तीनी चिकित्सा संस्थान ने कहा कि इस क्षेत्र में जनसंहार की शुरुआत के बाद से ज़ायोनी सेना के हमलों से घायलों की कुल संख्या 101,223 लोगों तक पहुँच गई है।

 

     

 

ईलाम प्रांत मे वली फ़कीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लेमीन करीमी तबार ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान की मजबूत रक्षा शक्ति विलायत-ए-फ़क़ीह के नेतृत्व और लोगों की चतुराई का परिणाम है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन करीमी तबार ने इलाम में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान की रक्षा शक्ति विलायत फकीह के नेतृत्व और दृढ़ता का परिणाम है इसमें ईरानी लोगों और मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उन्होंने कहा कि ज़ायोनी शासन ने मनोवैज्ञानिक युद्ध के माध्यम से अपने लक्ष्य हासिल करने की कोशिश की, लेकिन ईरान की धर्मनिष्ठ जनता और घरेलू मीडिया ने दुश्मन की इस साजिश को नाकाम कर दिया।

उन्होने कहा कि इज़राइल भी पूर्ण पैमाने पर युद्ध छेड़ने की तैयारी कर रहा था, लेकिन ईरानी सेना और वायु रक्षा प्रणाली की खुफिया जानकारी ने इन योजनाओं को विफलता में बदल दिया।

 

करीमी तबार ने जोर देकर कहा कि ईरान की सार्वजनिक और राष्ट्रीय सुरक्षा गर्व का विषय है और इसकी सुरक्षा के लिए जिहाद तबीन, जिसका अर्थ है स्पष्टीकरण और जागरूकता का कर्तव्य अनिवार्य है। उन्होंने लोगों में निराशा फैलाने की दुश्मन की साजिश का भी जिक्र किया और मीडिया से इसका डटकर मुकाबला करने को कहा।

 

 

 

 

 

ज़ायोनी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मक़बूज़ा फिलिस्तीन के ज़ायोनी शासन की सेना के जवानों में हिज़्बुल्लाह लेबनान का खौफ बढ़ता ही जा रहा है। हिज़्बुल्लाह के ज़बरदस्त जवाबी हमलों के बाद, ज़ायोनी सेना के जवानों ने दक्षिणी लेबनान की सीमाओं पर ड्यूटी करने से इनकार कर दिया है।

ज़ायोनी न्यूज़ एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कुल 13,000 ज़ायोनी सैनिकों ने युद्ध के मैदान में जाने से इनकार कर दिया है।

हिज़्बुल्लाह ने युद्ध के बीच कई ज़ायोनी इलाक़ों में रह रहे अतिक्रमणकारियों को साफ़ सन्देश दिया है कि वह अपने अपने इलाक़े से निकल जाएं क्योंकि उनके मकान ज़ायोनी सेना का अड्डा बन चुके हैं और वह हिज़्बुल्लाह के निशाने पर हैं।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रतिष्ठित प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी ने अपने इंटरव्यू में कहा कि मैं दुआ करता हूँ कि ईरान इसी तरह इसराइल के खिलाफ पूरी ताकत से डटा रहे। ईरान इस समय एकमात्र देश है जो फिलिस्तीनी के लिए खड़ा है और अगर यह दृढ़ता बनी रही तो इंशाअल्लाह, हालात बेहतर होंगे।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रतिष्ठित प्रवक्ता मौलाना साज्जद नोमानी को भारत में इस्लामी शिक्षाओं और मुस्लिम सामाजिक कानूनों के एक सम्मानित और जागरूक नेता के रूप में जाना जाता है।

मौलाना साज्जद नोमानी की शख्सियत उनके विचार, और उनकी गहरी दृष्टि ने उन्हें इस संगठन में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया है और वे समाज में इस्लामी पहचान को मजबूत करने के लिए एक अहम भूमिका निभा रहे हैं।

अरब देशों की हालिया नीतियों, खासकर फिलिस्तीन मुद्दे और इज़राइल के साथ उनके संबंधों को लेकर उनके दिए गए एक महत्वपूर्ण इंटरव्यू को हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के ज़रीया पाठकों के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है।

मेज़बान:अस्सलाम वालेकुम! आज हमारे साथ मौलाना साज्जद नोमानी साहब हैं, जो इस्लामी दुनिया में एक जाने-माने आलिम हैं मौलाना को उनके धार्मिक ज्ञान, सेवाओं और धार्मिक मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय देने के लिए जाना जाता है। आज हम उनसे अरब देशों की हालिया नीतियों पर बात करेंगे खासकर फिलिस्तीन मुद्दे और इज़राइल के साथ उनके संबंधों पर।

मौलाना, आपका स्वागत है!

मौलाना साज्जद नोमानी: वाअलैकुम अस्सलाम, आपका बहुत बहुत शुक्रिया आपने इस महत्वपूर्ण विषय पर बात करने का अवसर दिया।

मेज़बान: आपने हाल के दिनों में देखा होगा कि ईरान और इज़राइल के बीच तनाव बढ़ रहा है और ईरान अकेला देश है जो प्रतिरोधी ताकतों का साथ दे रहा है, जबकि दूसरी ओर अरब देशों की ओर से खामोशी छाई हुई है। कुछ देश तो इज़राइल का समर्थन करते हुए भी दिखाई दे रहे हैं, जैसे कि सऊदी अरब के अखबारों ने हाल ही में फिलिस्तीनी नेता यहिया सिनवार की शहादत पर जश्न मनाया आप इस स्थिति को कैसे देखते हैं?

मौलाना साज्जद नोमानी : देखिए यह बात अब छुपी हुई नहीं है कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश इज़राइल के साथ संबंध बढ़ा रहे हैं। यह संबंध सिर्फ राजनीतिक या कूटनीतिक नहीं हैं, बल्कि इनके अंदर गहरी मानसिक समानता है जो अब सामने आ रही है।

सऊदी अरब के अखबारों में जो खबरें आईं उनमें फिलिस्तीनी नेता के बारे में जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया गया, वह अत्यंत दुखद है। इज़राइली मीडिया ने शायद इतनी तीव्रता से ऐसे शब्द नहीं इस्तेमाल किए होंगे यह अरब देश इज़राइल के एजेंडे पर चलकर फिलिस्तीन मुद्दे की अनदेखी कर रहे हैं और यह न सिर्फ उम्मत ए मुस्लिम के साथ बल्कि अपनी जनता के साथ भी गद्दारी है।

मेज़बान: आपका मतलब है कि अरब देश इज़राइल के साथ खुलकर खड़े हैं। यह क्यों हो रहा है? क्या आपको लगता है कि उनकी सरकारें इज़राइल का समर्थन कर रही हैं?

मौलाना साजिद नोमानी: जी हाँ, बिल्कुल यही बात है। अरब देश खासकर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की सरकारें अब इज़राइल के समर्थन में खुलकर सामने आ रही हैं। और यह सच्चाई अब छिपी हुई नहीं रही।

अगर आप उनके मीडिया और अधिकारियों के बयानों को देखें तो यह साफ दिखाई देता है कि वे लोग इज़राइली विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं। मैंने पहले भी कहा है और आज भी यही कहता हूँ कि इन देशों के शासक जो कर रहे हैं, वह दरअसल अमेरिकी और इज़राइली हितों को पूरा कर रहा है। इन शासकों ने शायद खुद को इज़राइल का वफादार समझ लिया है, और यह उनके व्यवहार से साफ जाहिर होता है।

मेज़बान: लेकिन मौलाना साहब जब हम उलेमा की बात करते हैं तो क्या वजह है कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के उलेमा इस मसले पर खामोश हैं?

मौलाना सज्जाद नोमानी: वहाँ के उलेमा में जो भी सरकार की नीति के खिलाफ बोलता है उसे जेल में डाल दिया जाता है। खौफ और जुल्म का ऐसा माहौल बना दिया गया है कि कोई आलिम-ए-दीन एक ट्वीट तक नहीं कर सकता। आप सोचिए कि वहाँ के बड़े उलेमा में से एक ने सिर्फ फिलिस्तीन के हक में दुआ की थी और इसके नतीजे में उन्हें जेल में डाल दिया गया।

यह स्थिति इस हद तक खराब है कि कोई व्यक्ति अपनी राय देने का साहस नहीं कर पाता इस माहौल में सऊदी या संयुक्त अरब अमीरात की सरकारों से किसी भी अच्छे की उम्मीद करना बेकार है।

मेज़बान: मौलाना सज्जाद नोमानी आपने ईरान की तरफ भी इशारा किया। ईरान और इज़राइल के बीच इस समय जो तनाव है उसे आप कैसे देखते हैं?

मौलाना सज्जाद नोमानी: मैं दुआ करता हूँ कि ईरान इसी तरह इज़राइल के खिलाफ पूरी ताकत से डटा रहे ईरान इस समय वह एकमात्र देश है जो फिलिस्तीनी काज के लिए खड़ा है, और अगर यह स्थिरता बरकरार रही तो, इंशाअल्लाह, हालात बेहतर होंगे। मेरी दुआ है कि ईरानी नेतृत्व इस्लाम के सच्चे वफादार बनकर काम करे और हमें यह उम्मीद रखनी चाहिए कि उम्मत-ए-मुस्लिम के सभी तबके चाहे शिया हों या सुन्नी, एकजुट हों।

मेज़बान: आपके विचार में शिया और सुन्नी एकता संभव है?

 

मौलाना सज्जाद नोमानी : बिल्कुल मैं इस बात पर पूरा विश्वास रखता हूँ कि आने वाले समय में शिया और सुन्नी मतभेद खत्म होंगे। हमारे बड़े उलेमा ने इस बात की भविष्यवाणी की है कि इमाम महदी अ.ज. के ज़ुहूर के वक्त उम्मत-ए-मुस्लिम एक हो जाएगी।

यह एकता उस समय होगी जब इमाम महदी अ.ज. असल मायने में दुनिया के सामने आएँगे, और तब उम्मत-ए-मुस्लिम एक मजबूत और एकीकृत ताकत के रूप में सामने आएगी। इस एकता के कारण हम अपनी खोई हुई इज्जत और ताकत वापस पा सकेंगे।

मेज़बान: मौलाना साहब, यह बहुत ही उत्साहवर्धक बात है। आपकी बातचीत से बहुत कुछ सीखने को मिला अल्लाह आपको सलामत रखे और आपकी कोशिशों को कबूल फरमाए।

इराकी विश्लेषक कासिम सलमान अलअबूदी ने कहा कि इज़राइल दक्षिणी लेबनान और गाज़ा में अपनी असफलता और बदनामी को छुपाने के लिए एक नकली जीत हासिल करने की कोशिश कर रहा है।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,हाल के दिनों में इज़राइल ने अमेरिका के पूर्ण समर्थन के साथ ईरान के खिलाफ भड़काऊ कार्रवाइयाँ कीं। जवाब में, ईरान ने चेतावनी दी कि वह इन कार्रवाइयों को नज़रअंदाज़ नहीं करेगा।

इज़राइल ने तेहरान, ख़ुज़िस्तान और ईलाम में नकली और प्रतीकात्मक हमले किए, लेकिन ईरान की हवाई रक्षा की समय पर सतर्कता के कारण ये असफल रहे।

इसके बाद हिब्रू मीडिया ने गाजा और दक्षिणी लेबनान में युद्ध को समाप्त करने की बात कही इस दौरान दक्षिणी लेबनान में इज़राइली सेना को भारी नुकसान हुआ और इज़राइली अधिकारियों ने घोषणा की कि ज़मीनी हमले को एक या दो हफ्ते में समाप्त कर दिया जाएगा। इज़राईल के स्रोतों ने स्वीकार किया कि ईरान पर हमले से उन्हें कोई विशेष लाभ नहीं हुआ।

इराकी विश्लेषक अलअबूदी ने कहा कि इज़राइल की ओर से शनिवार सुबह ईरान पर किया गया यह निराशाजनक हमला इज़राइल के लिए विनाशकारी परिणाम लाएगा।

उन्होंने कहा कि इस्लामी प्रतिरोध की ताकत इज़राईल के खिलाफ जवाब देने के लिए पर्याप्त है और यह हमला उन यहूदियों के लिए भी एक सख्त संदेश है जो नेतन्याहू की नेतृत्व वाली दक्षिणपंथी सरकार से नाखुश हैं।

अलअबूदी ने आगे कहा कि ईरानी सशस्त्र बलों की ठोस प्रतिक्रिया ने इज़राईल को और भड़का दिया है, और ईरान संभवत,अपनी रणनीति के तहत तुरंत जवाब देने के बजाय धैर्य रखेगा ताकि इज़राइल पर प्रतिरोधी ताकत का दबाव बढ़ता रहे।

क्षेत्र में इज़राइल का समर्थन करने वाले देशों को भी जवाब मिलेगा

इराकी विश्लेषक ने कहा कि उन अरब देशों को भी प्रतिरोधी ताकतों की ओर से जवाब मिलेगा जो इज़राइल को अपनी भूमि से गुजरने की अनुमति दे रहे हैं।

 

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह जवाब केवल सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं हो सकता बल्कि इसमें आर्थिक कदम भी शामिल हो सकते हैं जैसे इराक और जॉर्डन के बीच होने वाले समझौते जिनके तहत इराक का तेल जॉर्डन के रास्ते अम्मान को भेजा जा रहा है।

ईरान का जवाबी हमला अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत उसका अधिकार है

अलअबूदी ने कहा कि इज़राईल की आक्रामकता के जवाब में ईरान को कानूनी अधिकार प्राप्त है, जो संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 51 के तहत है, और ईरान इस अधिकार का उपयोग अपने नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए कर सकता है।

अलअबूदी ने आगे कहा कि उनके विचार में ईरान की प्रतिक्रिया इज़राइली क्षेत्रों में ही होगी जिसे ईरान की नेतृत्व देश की सुरक्षा और स्थिरता की रक्षा के लिए उपयुक्त समय और स्थान पर लागू