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शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2024 19:23

ब्रिटिश ने यमन पर किया बमबारी

ब्रिटेन के युद्धक विमानों ने यमन के पश्चिम में स्थित अलहुदैदा एअरपोर्ट पर दो बार बमबारी की है।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,अमेरिका और ब्रिटेन के युद्धक विमानों ने यमन के पश्चिम में स्थित अलहुदैदा एअरपोर्ट पर दो बार बमबारी की है इस बमबारी से होने वाली संभावित जानी व माली क्षति के बारे में अभी तक कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है।

यमन के विभिन्न क्षेत्रों विशेषकर इस देश के पश्चिम में स्थित अलहुदैदा प्रांत में पिछले महीनों में अमेरिका और ब्रिटेन ने कई बार हमले किए हैं।

यह हमले यमन पर दबाव डालने के लक्ष्य से किये जाते हैं ताकि यमन अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन की ओर जाने वाले जहाज़ों को लक्ष्य न बनाए।

यमनी सेना ने ग़ज़ा की मज़लूम जनता के समर्थन में हालिया महीनों में इज़राइल सरकार का समुद्री परिवेष्टन करके इस सरकार के सैनिक ठिकानों को लक्ष्य बनाया है।

 

यमनी सेना ने कहा है कि जब तक ज़ायोनी सरकार ग़ज़ा पट्टी पर अपने हमलों को नहीं बंद करती तब तक उसके ख़िलाफ़ यमनी सेना के हमले जारी रहेंगे।

इज़राईल ने सात अक्तूबर 2023 से पश्चिमी देशों के व्यापक समर्थन से फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों का नस्ली सफ़ाया आरंभ कर रखा है। प्राप्त अंतिम रिपोर्टों के अनुसार ज़ायोनी सरकार के हमलों में अब तक 42 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और एक लाख से अधिक फ़िलिस्तीनी घायल भी हो चुके हैं।

 

 

 

 

 

ईरान के राष्ट्रपति डॉक्टर मसूद पिज़िश्कियान ने एक संदेश में हिज़बुल्लाह लेबनान के कार्यकारी परिषद के प्रमुख शहीद सैयद हाशिम सफीउद्दीन की शहादत पर शोक व्यक्त किया उन्होंने यह शोक संदेश सर्वोच्च नेता, लेबनान और फिलिस्तीन की वीर जनता, प्रतिरोध मोर्चे के साथी, शहीद के सम्मानित परिवार और दुनिया के सभी स्वतंत्रता लोगो के प्रति व्यक्त किया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार,ईरान के राष्ट्रपति डॉक्टर मसूद पिज़िश्कियान ने एक शोक संदेश में हिज़बुल्लाह लेबनान के कार्यकारी परिषद के प्रमुख शहीद सैयद हाशिम सफीउद्दीन की शहादत पर दुख व्यक्त करते हुए शोक संदेश जारी किया है।

शोक संदेश कुछ इस प्रकार है:

بسم ‏الله الرحمن الرحیم

وَالَّذِینَ هَاجَرُوا فِی سَبِیل‏ اللَّهِ ثُمَّ قُتِلُوا أَوْ مَاتُوا لَیرْزُقَنَّهُمُ اللَّهُ رِزْقًا

ईरान के राष्ट्रपति ने कहां, सैयद हाशिम सफीउद्दीन की शहादत प्रतिरोध आंदोलन लेबनान की जनता और दुनिया के सभी स्वतंत्रता प्रेमियों के लिए एक बड़ी क्षति है।

लेकिन यह ज़ायोनी के खिलाफ प्रतिरोध और संघर्ष के एक नए अध्याय की शुरुआत करेगी। उन्होंने आशूरा के सिद्धांतों से प्रेरणा लेकर साहसपूर्वक अपनी पूरी जिंदगी फ़िलिस्तीन और लेबनान के उत्पीड़ित लोगों की रक्षा और प्रतिरोध की ताकत को मजबूत करने में समर्पित कर दी।

उनका जिहाद और संघर्ष गौरवशाली उपलब्धियां हमेशा चमकती रहेंगी और प्रेरणा देती रहेंगी।

इज़राईल दुश्मन ने हिज़बुल्लाह के दिवंगत महासचिव, शहीद सैयद हसन नसरल्लाह की शहादत के बाद सोचा कि इस महान योद्धा की कायरतापूर्ण हत्या से इस आंदोलन का नेतृत्व बाधित हो जाएगा, लेकिन प्रतिरोध का पवित्र वृक्ष फल फूल रहा है और शहीदों का खून इस आंदोलन को निरंतरता और ताकत प्रदान कर रहा है।

आज हम देख रहे हैं कि हिज़बुल्लाह पहले से भी अधिक सशक्त और दृढ़ है और अपने उद्देश्यों को और अधिक प्रभावशाली ढंग से प्राप्त कर रहा है।

उन्होंने अंत में कहा,जब तक फ़िलिस्तीन और लेबनान की पीड़ित जनता पर अत्याचार जारी रहेगा ज़ायोनी आक्रमणकारियों और उनके समर्थकों के खिलाफ प्रतिरोध और संघर्ष दिन-ब-दिन मजबूत होता जाएगा।

मसूद पिज़िश्कियान

ईरान के राष्ट्रपति

ईरान की इस्लामिक्रंति के सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनेई के बेटे तेहरान में स्थित फिलिस्तीन की आज़ादी के लिए सशस्त्र संघर्ष के अग्रणी दल हमास के दफ्तर पहुंचे जहाँ उन्होंने इस आंदोलन के प्रतिनिधियों से मुलाक़ात की।

ईरान के राष्ट्रपति डा᳴क्टर पिज़िश्कियान ने कहा है कि पश्चिमी देशों का समर्थन ज़ायोनी सरकार के अपराधों के जारी रहने का कारण है।

डाक्टर पिज़िश्कियान ने आज बुधवार को रूस की अपनी यात्रा के कार्यक्रम को जारी रखते हुए इथोपिया के प्रधानमंत्री श्री आबी अहमद से मुलाक़ात के दौरान कहा कि मैंने राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरता के साथ अपने देश में और दूसरे देशों के साथ सहयोग को मज़बूत करने के नारे के साथ चुनावी प्रतिस्पर्धा में भाग लिया और मुझे राष्ट्रपति चुना गया और लोगों ने मेरे इस व्यवहार को पसंद किया।

इसी प्रकार उन्होंने कहा कि ज़ायोनी सरकार ने हमारे आधिकारिक कार्यकाल के पहले दिन ही इस्लामी गणतंत्र ईरान के आधिकारिक मेहमान इस्माईल हनिया को शहीद करके हमारे उद्देश्यों के मार्ग में विघ्न उत्पन्न कर दिया।

डाक्टर पिज़िश्कियान ने कहा कि ईरान ने इस उम्मीद के साथ ज़ायोनी सरकार के अपराधों के मुक़ाबले में संयंम से काम लिया कि ग़ज़ा पट्टी में शांति स्थापित होगी परंतु ग़ज़ा पट्टी और लेबनान तक उसके अपराध फ़ैल गये और उसके इन अपराधों ने हमें जवाब देने के लिए मजबूर कर दिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि पश्चिमी देशों का समर्थन ज़ायोनी सरकार के अपराधों के जारी रहने का कारण है और अगर ज़ायोनी सरकार ने ग़लती की और इस्लामी गणतंत्र ईरान के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही की तो करारा और अविश्वसनीय जवाब मिलेगा। साथ ही राष्ट्रपति ने कहा कि हम क्षेत्र में लड़ाई और तनाव में वृद्धि के बिल्कुल भी इच्छुक नहीं हैं और शांति व सुरक्षा की दिशा में हम हर क़दम का स्वागत करते हैं परंतु ज़ायोनी सरकार की कार्यवाहियां पूरे क्षेत्र में युद्ध की आग देने के लक्ष्य से अंजाम पाती हैं। अतः दूसरे देशों विशेषकर पश्चिमी देशों के लिए ज़रूरी है कि वे इस अतिक्रमणकारी सरकार को नियंत्रित करें।

इथोपिया गणराज्य के प्रधानमंत्री ने भी इस मुलाक़ात में कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान इथोपिया में जाना पहचाना है और दोनों देशों के संबंधों से हमारे लोगों के ज़ेहनों में सकारात्मक यादें मौजूद हैं और हम आप के क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों की प्रक्रिया को चिंता की दृष्टि से देखते हैं।

इथोपिया के प्रधानमंत्री आबी अहमद ने इसी प्रकार कहा कि ईरान एक मज़बूत और स्वाधीन देश है और इस समय दुनिया की जो व्यवस्था है वह असंतुलित है और ब्रिक्स जैसे संगठन इस असमानता को दूर करने में बहुत प्रभावी हैं।

मेहर न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता हज़रत आयतुल्लाह सय्यद अली खामेनेई ने आज फ़ार्स प्रांत के शहीदों की कांग्रेस के आयोजकों के साथ एक बैठक में क्षेत्र की घटनाओं और प्रतिरोध के संघर्ष पर चर्चा की। उन्होंने प्रतिरोध को क्षेत्र की नियति और इतिहास में बदलाव का कारक बताया।

उन्होंने ज़ायोनी शासन द्वारा 50,000 से अधिक निर्दोष लोगों के नरसंहार के बावजूद प्रतिरोध को नष्ट करने में ज़ायोनी शासन की शर्मनाक विफलता की ओर इशारा करते हुए कहा कि अवैध राष्ट्र इस्राईल से शर्मनाक हार पश्चिमी देशों के शासकों, उनकी संस्कृति और सभ्यता की हुई है। आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि प्रतिरोधी मोर्चे और बुराई के खिलाफ जारी इस टकराव में जीत प्रतिरोधी मोर्चे की ही होगी।

उन्होंने कहा कि अगर इस इलाक़े में शहीद सैय्यद हसन नसरुल्लाह और अंतिम सांस तक मोर्चा संभाल कर मैदान में लड़ने वाले शहीद सिनवार जैसे ज्याले न होते तो आज क्षेत्र की हालत कुछ अलग ही होती।

इस्लामी गणतंत्र ईरान की पहली प्रतिरोध महिला शहीद मासूमा करबासी के पार्थिव शरीर के स्वागत और दफन की रस्म आज रात इमाम रज़ा (अ) के हरम में आयोजित की जाएगी।

ईरान में "मासूमा करबासी" के पार्थिव शरीर के आगमन और मेराज शोहदा तेहरान में इस शहीद महिला के स्वागत के बाद, आज रात, 23 अक्टूबर 2024 ई, इस शहीद महिला का अंतिम संस्कार समारोह मग़रिब और ईशा की नमाज़ के बाद इमाम रज़ा (अ) के हरम मे इमाम खुमैनी (र) हॉल मे ज़ाएरीन और लोगो की उपस्थिति मे आयोजित किया जाएगा।

स्वागत समारोह आज शाम 3:30 बजे मशहद हवाई अड्डे पर आयोजित करने के बाद फिर शहीद महिला के पार्थिव शरीर को इमाम रज़ा (अ) के हरम ले जाया जाएगा।

ज्ञात रहे कि कुछ दिन पहले, इस्राईली शासन द्वारा किए गए एक ड्रोन ऑपरेशन में, लेबनान के शिया रेज़ा अवाज़ेह और उनकी पत्नी मासूमा करबासी मिसाइलों की चपेट में आकर शहीद हो गए थे।

शहीद मासूमा करबासी ने शिराज विश्वविद्यालय के कम्पूटर इंजीनियरिंग से स्नातक किया था। करबासी ने अपने लेबनानी सहपाठी डॉ. रेजा अवाज़ेह से शादी करने के पश्चात अपने पति के साथ लेबनान चली गईं थी।

ईरान के राष्ट्रपति डॉ मसऊद पीज़िशकियान और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुलाक़ात करते हुए पश्चिम एशिया में इस्राईल की विनाशकारी नीतियों पर चर्चा की।

प्रधानमंत्री मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति मसऊद पीज़िशकियान से मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और पश्चिम एशिया में बढ़ते संघर्ष पर चिंता जताई। दोनों नेताओं ने चाबहार बंदरगाह पर एग्रीमेंट और क्षेत्रीय सहयोग पर चर्चा की। मोदी ने ब्रिक्स में ईरान का स्वागत भी किया।

 दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की। दोनों ने चाबहार बंदरगाह के लॉन्ग टर्म एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर को द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया।  इसके अलावा उन्होंने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और पुनर्विकास के साथ साथ सेंट्रल एशिया के साथ व्यापार और आर्थिक संबंधों को बढ़ाने पर भी चर्चा की।

 

 

तुर्की से बड़े आतंकी हमले की खबर आ रही है। तुर्की की राजधानी अंकारा में एविएशन कंपनी तुर्की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (TUSAS) के मुख्यालय के बाहर एक बड़ा आतंकी हमला हुआ है। घटनास्थल पर अभी भी गोलीबारी जारी है।  यहाँ अब भी दो आतंकवादी मौजूद हैं जो लगातार हमला कर रहे हैं। आतंकियों ने कई लोगों को बंधक भी बना लिया है। अभी तक इस हमले में 10 लोगों की मौत की खबर सामने आ रही है, हालांकि मौत का यह आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है।

गृह मंत्रालय की तरफ से पोस्ट में कहा गया है कि “तुर्किए एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के खिलाफ एक आतंकवादी हमला किया गया। दुर्भाग्यवश हमारे जवान शहीद हुए हैं और कई लोग घायल हैं।

आईआरजीसी के क़ुद्स फ़ोर्स के कमांडर ने तेहरान में हमास कार्यालय में भाग लेते हुए याह्या सनवर की शहादत पर अपनी संवेदना व्यक्त की।

आईआरजीसी के कुद्स फोर्स के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल इस्माइल कानी ने तेहरान में हमास कार्यालय में भाग लिया और याह्या सनवर की शहादत के लिए हमास के प्रतिनिधि के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की।

शहीद सनवार का स्मरणोत्सव समारोह अक्टूबर के 22 और 23 तारीख को तेहरान में हमास कार्यालय में आयोजित किया जाएगा।

बहुत सी ईरानी महिलाओं ने फ़िलिस्तीनी और लेबनानी लोगों की मदद के लिए अपने आभूषणों को भी भेंट कर दिया।

"बनी आदम एक दूसरे का हिस्सा हैं" शीर्षक के अंतर्गत फ़िलिस्तीनी और लेबनानी लोगों की मदद के लिए ईरानियों के सहायता कार्यक्रम का चौथा दौर आयोजित हुआ।

पिछले महीने ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने फ़िलिस्तीनी और लेबनानी लोगों की सहायता के संबंध में संदेश दिया था जिसके बाद से ईरान के विभिन्न वर्गों के लोग फ़िलिस्तीनी और लेबनानी लोगों की मदद की दिशा में सक्रिय व प्रयासरत हो गये हैं।

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता इमाम ख़ामेनेई ने 28 सितंबर को एक संदेश में फ़रमाया था कि समस्त मुसलमानों का दायित्व व फ़र्ज़ है कि वे अपनी संभावनाओं के साथ लेबनान के लोगों और हिज़्बुल्लाह के शूरवीर जवानों की मदद करें और अतिग्रहणकारी, अत्याचारी और दुष्ट ज़ायोनी सरकार के मुक़ाबले में उनकी सहायता करें।

"ईरान हमदिल" नामक संस्था ग़ज़ा और लेबनान पर ज़ायोनी सरकार द्वारा हमला करने से पहले अपनी पूरी ऊर्जा व संभावना का प्रयोग ईरान के अंदर ग़रीब लोगों पर ख़र्च करती थी और अब उसने फ़िलिस्तीनी और लेबनानी लोगों की सहायता के लिए विस्तृत पैमाने पर प्रयास आरंभ कर दिया है और फ़िलिस्तीनी और लेबनानी लोग उसकी सहायता सेवा में सर्वोपरि हैं।

इस संस्था ने अपनी सहायता का तीसरा दौर वर्ष 2020 से 2022 तक आयोजित किया था जिसमें अरबों तूमान नक़दी और ग़ैर नक़दी के रूप में जमा किये गये।

इस संस्था का चौथा दौर ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता के संदेश के बाद आरंभ हुआ जिसमें बहुत सी ईरानी महिलाओं ने अपने ज़ेवर भी भेंट कर दिये।

ईरान के हितैषी व शुभचिंतक लोगों के अलावा बहुत से अधिकारी और ज़िम्मेदार भी ईरान हिमदिल संस्था से जुड़ गये हैं।

ईरानी संसद मजलिसे शुराये इस्लामी के सभापति मोहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़ ने इस संस्था से जुड़ने के बाद लोगों का आह्वान किया है कि ईरानी मुसलमान लेबनान और फ़िलिस्तीन के बेघर होने वाले लोगों की सहायता करके अपना नाम प्रतिरोध मोर्चे की सहायता करने वालों में पंजीकृत करायें।

ईरान हमदिल नामक संस्था या चैरेटी लोगों से जो सहायता इकट्ठा कर रही है उसे ईरान की रेड क्रिसेन्ट संस्था और फ़िलिस्तीनी व लेबनानी लोगों की सहायता की दिशा में जो लोग सक्रिय हैं वे उस सहायता को लोगों तक पहुंचा रहे हैं।

फ़िलिस्तीन और लेबनान के पीड़ित लोगों की सहायता चाहे सरकारी संगठन कर रहे हैं या ग़ैर सरकारी एक प्रिय कार्य है और दुनिया के स्वतंत्र लोग इस प्रकार के प्रयास का समर्थन व सराहना कर रहे हैं।

इससे पहले इराक़ के उच्चतम धर्मगुरू आयतुल्लाह सीस्तानी ने भी एक बयान जारी करके इराक़ के मोमिन लोगों का आह्वान किया था कि वे लेबनानी राष्ट्र के दुःखों और समस्याओं को कम करने के लिए उनकी मानवता प्रेमी सहायता करें। इराक के उच्चतम धर्मगुरू के इस आह्वान व संदेश के बाद इराक में लेबनानी लोगों के लिए सहायता एकत्रित करके भेजी गयी।