رضوی

رضوی

माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं

اَللّٰهُمَّ اجْعَلْنِی فِیهِ مِنَ الْمُسْتَغْفِرِینَ، وَاجْعَلْنِی فِیهِ مِنْ عِبادِكَ الصَّالِحِینَ الْقانِتِینَ وَاجْعَلْنِی فِیهِ مِنْ أَوْلِیائِكَ الْمُقَرَّبِینَ بِرَأْفَتِكَ یَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِینَ

اے معبود! آج کے دن مجھے توبہ و استغفار کرنے  والوں میں سے قرار دے آج کے دن مجھے اپنے نیکوکار عبادت گزار بندوں میں سے قرار دے اور آج مجھے اپنے مقرب اولیاء میں سے قرار دے اپنی محبت سے اے سب سے زیادہ رحم کرنے والے۔

ऐ माबूद! आज के दिन मुझे तौबा व इस्तेग़फार करने वालों में से क़रार दें। आज के दिन मुझे अपने नेकु़कार (अच्छा)इबादत गुज़ार बंदे में से करार दे और आज मुझे अपने मुकर्रब ओलिया में से करार दें, अपनी मोहब्बत से आए सबसे ज़्यादा रहम करने वाले,

 

इस्राईल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने ग़ज़ा में युद्धविराम पर हमास के जवाब पर प्रारंभिक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नेतन्याहू हमास की शर्तों को स्वीकार नहीं करते हैं।

 

फ़िलिस्तीनी समाचार एजेंसी समा के अनुसार, ग़ज़ा में संघर्ष विराम समझौते के संबंध में हमास द्वारा दिए गये गई प्रारंभिक प्रतिक्रिया पर ज़ायोनी प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान में दावा किया गया है कि हमास ने जिन शर्तों की पेशकश की है वे अनुचित हैं और हम उन्हें स्वीकार नहीं कर सकते। बयान में यह भी दावा किया गया कि संघर्ष विराम वार्ता को लेकर हमास का नया रुख भी उनकी आधारहीन मांगों पर आधारित

नौसेना ने एक बयान में कहा भारतीय नौसेना को इस जहाज के अपहरण की सूचना मिलते ही कार्रवाई करते हुए एमवी अब्दुल्ला जहाज को बचाने के लिए एक LRMP एयरक्राफ्ट और वॉरशिप को तैनात कर दिया था।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,भारतीय नौसेना ने बांग्लादेशी जहाज एमवी अब्दुल्लाह पर हमला करने वाले समुद्री डाकुओं पर कार्रवाई की है बांग्लादेशी झंडा लगा ये जहाज मोजाम्बिक से संयुक्त अरब अमीरात के अल हमरियाह बंदरगाह जा रहा था।

तभी कार्गो जहाज को समुद्री डाकुओं ने अपहरण लिया समुद्री डाकुओं द्वारा जहाज के अपहरण की सूचना मिलते ही भारतीय नौसेना ने एमवी अब्दुल्लाह जहाज को बचाने के लिए एक LRMP एयरक्राफ्ट और वॉरशिप को तैनात कर दिया था।

नौसेना ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि भारतीय नौसेना ने बांग्लादेश के फ्लैग्स वाले कार्गो जहाज के एसओएस का जवाब दिया है डाकुओं ने इस हफ्ते की शुरुआत में सोमालिया के तट पर समुद्री डाकुओं ने अपहरण कर लिया था. डाकुओं जहाज के 23 सदस्यीय चालक दल को भी बंधन बना लिया है।

डाकुओं द्वारा जहाज के अपहरण की जानकारी मिलते ही एलआरएमपी को तुरंत तैनात किया गया था और 12 मार्च की शाम को एमवी का पता लगाने पर. जहाज के चालक दल संपर्क करने की कोशिश की गई. हालांकि, जहाज की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

भारतीय नौसेना के प्रवक्ता ने ट्विटर पर कहा कि भारतीय नौसेना ने गुरुवार को 14 मार्च को सोमालिया के पास एक बांग्लादेशी कार्गो जहाज एमवी अब्दुल्ला को समुद्री डाकुओं ने बचाया है।

प्रवक्ता ने बताया कि जहाज पर समुद्री डकैती के हमले की सूचना मिलने के बाद नौसेना ने अपना मिशन तैनात युद्धपोत और एक लंबी दूरी की समुद्री गश्ती (एलआरएमपी) शुरू की. नौसेना ने बांग्लादेशी जहाज को रोक लिया और सोमालियाई जलक्षेत्र में एंट्री करने तक उसका करीब से पीछा करते हुए सभी बंधकों की सलामती का आश्वासन दिया.

 

 

 

 

 

अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक बार फिर रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतीन को लेकर भाषा की मर्यादा को नज़रअंदाज़ करते हुए उन्हें ठग बता दिया।

जो बाइडन ने एक समरोह को संबोधित करते हुए इस शब्द का इस्तेमाल किया। इससे पहले बाइडन ने रूसी राष्ट्रपति को क़ातिल, तानाशाह, क़साई और युद्ध अपराधी कहा था जबकि रूसी राष्ट्रपति ने इस तरह के ज़बानी हमलों पर कभी भी बाइडन के लिए कोई कठोर शब्द इस्तेमाल नहीं किया। इस तरह के शब्दों के प्रयोग पर वो बाइडन के लिए लंबी उम्र की दुआएं करते रहे हैं।

रूसी राष्ट्रपति पुतीन का कहना है कि बाइडन ट्रम्प से बेहतर हैं क्योंकि उनके कामों और फ़ैसलों के बारे में अनुमान लगाना संभव है।

पार्स टुडे- ज़ायोनी शासन ने हालिया महीनों में झूठ और अफ़वाहें फैलाकर यह कोशिश की कि काल्पनिक उपलब्धियां हासिल करे और ग़ज़ा में अपनी दरिंदगी का तर्क पेश करे मगर अब तक उसे बदनामी के सिवा कुछ हासिल नहीं हुआ।

1-

हम ज़ायोनी शासन के सात बड़े झूठ पर एक नज़र डालें इस्राईल के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू ने एक बड़ झूठ यह बोला कि फ़िलिस्तीन के रेज़िस्टेंस संगठन हमास ने तूफ़ान अलअक़सा आप्रेशन करके संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है।

यह झूठ बड़ी ठिढाई के साथ तब फैलाया गया जब 7 अक्तूबर 2023 के तूफ़ान अलअक़सा आप्रेशन से पहले इस्राईली सेना ने अनेक बार ग़ज़ा पट्टी पर हमले किए थे और वेस्ट बैंक में 230 से अधिक फ़िलिस्तीनियों को क़त्ल कर चुकी थी। इस तरह साबित है कि तूफ़ान अलअक़सा से पहले ही संघर्ष विराम का उल्लंघन इस्राईल ने किया।

2-

इस्राईल का दूसरा झूठ यह है कि उसकी पहली प्राथमिकता ग़ज़ा में मौजूद इस्राईली क़ैदियों की रिहाई है।

जाने माने पत्रकार महदी हसन के बक़ौल सच्चाई यह है कि इस्राईली क़ैदियों की रिहाई ज़ायोनी अधिकारियों की प्राथमिकताओ में है ही नहीं। ग़ज़ा में बड़ी संख्या में इस्राईली क़ैदी ख़ुद इस्राईली सेना के हमलों में मारे गए हैं

3-

तीसरा बड़ा झूठ बच्चों के क़त्ल के बारे में है। इस्राईल ने झूठ बोला कि हमास ने हमास के लड़ाकों ने 40 नवजात शिशुओं के सिर काटे। यह इतना बड़ा झूठ था कि इसे प्रसारित करने के बाद सीएनएन को माफ़ी मांगनी पड़ी थी।

इस्राईल ने यह झूठ पूरी दुनिया में बहुत बड़े पैमाने पर फैलाया। मगर बाद में साबित हुआ कि यह आरोप पूरी तरह बेबुनियाद और झूठ था।

सीएनएन की पत्रकार सारा सिडनर ने इस झूठ के बारे में अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि इस्राईल ने खुद कहा है कि नेतनयाहू के कार्यालय से फैलाए गए झूठ की पुष्टि नहीं की जा सकती। मुझे अपनी बातों पर और अधिक ध्यान रखने की ज़रूरत है और मैं इस बारे में माफ़ी मांगती हूं।

सीएनएन की पत्रकार सारा सैंडर्ज़ का ट्वीट

4-

चौथा झूठ यह कि हमास का हेडक्वार्टर शिफ़ा हास्पिटल के बेसमेंट में है।

अस्पतालों पर हमलों की वजह से ज़ायोनी शासन की सारी दुनिया में थू थू हत रही है। इसलिए इस्राईल ने अपने इस अमानवीय अपराध को सही ठहराने के लिए यह झूठ बोला कि हमास की सैनिक शाखा का कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम ग़ज़ा पट्टी में शिफ़ा अस्पताल के बेसमेंट में है।

अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने इस्राईल के इस झूठ को बेनक़ाब कर दिया।

जिस समय ज़ायोनी सैनिकों ने शिफ़ा अस्पताल पर हमला किया और उसके बेसमेंट तक पहुंचे उसम समय अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधि भी वहां पहुंचे तो देखा कि वहां कमांड एंड कंट्रोल सेंटर जैसी कोई चीज़ नहीं है।

वैसे इस्राईल के पूर्व प्रधानमंत्री एहूद बाराक ने सीएनएन को दिए गए इंटरव्यू में भी माना कि यह दावा झूठा है।

5-

पांचवां झूठ फ़िलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों ग़लत बताना

जब इस्राईली सेना के हमलों में भारी संख्या में फ़िलिस्तीनी आम नागरिक, महिलाएं और बच्चे शहीद होने लगे तो दुनिया भर में ज़ायोनी शासन की आलोचना होने लगी। इस पर इस्राईली सेना के प्रवक्ता ने यह शिगोफ़ा छोड़ा की ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों पर भरोसा नहीं करना चाहिए लेकिन व्यवहारिक रूप से यह हुआ कि ख़ुद इस्राईली पत्रकारों और टीकाकारों ने देखा कि ग़ज़ा की घटनाओं के मामले में सबसे विश्वस्त जानकारी का स्रो ग़ज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय ही है। इस्राईली अख़बारों ने अपनी ख़बरों में ग़ज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय को भी सोर्स के रूप में इस्तेमाल किया।

ताज़ा आंकड़ों के अनुसार ज़ायोनी सेना के हमलों में अब तक 31 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं और घायलों की संख्या 72 हज़ार से ज़्यादा है।

6-

छठा झूठ ग़ज़ा में खाने पीने की चीज़ों सहित ज़रूरी वस्तुओं की क़िल्लत न होने का दावा है। इस्राईल ने यह दावा किया लेकिन इस दावे को अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने ख़ारिज कर दिया।

युनिसेफ़ के जेम्ज़ एल्डर ने कहा कि ग़ज़ा में मानवीय त्रास्दी के हालात हैं इस दुर्दशा को बयान करने के लिए कोई उपयुक्त शब्द मौजूद नहीं है।

7-

सातवां झूठ फ़िलिस्तीनियों की बड़ी संख्या मं शहादतों की वजह हमास है।

इस्राईल का कहना है कि ग़ज़ा के लोग बड़ी संख्या में इसलिए शहीद हुए और हो रहे हैं कि उन्होंने हमास को वोट दिया। जबकि ग़ज़ा में आख़िरी बार चुनाव 20 साल पहले हुए थे और हज़ारों की संख्या में शहीद वो हैं जिनकी उम्र बीस साल से कम है यानी वो मतदान के समय पैदा भी नहीं हुए थे।

पार्स टुडे- फ़्रांसीसी मैगज़ीन लिबरेशन ने रमज़ान के पवित्र महीने में ग़ज़ा के अवाम की भूख के बारे में नस्लभेदी कैरीकेचर पब्लिश किया है।

फ़्रासीसी मैगज़ीन लिबरासियोन या लिब्रेशन के नस्लभेदी और अपमानजनक कार्टून में दिखाया गया है कि एक फ़िलिस्तीनी महिला अपने मासूम बच्चे के पास बैठी है जिसकी ज़बान भूख की वजह से बाहर निकल आई है। एक क्रोधित मर्द जिसकी मुंह से राल टपक रही है उन चूहों के पीछे दौड़ रहा है जिनके मुंह में हड्डी है।

मर्द कोशिश करता है कि चूहों के मुंह से हड्डी छीने लेकिन महिला पुरुष से कहती है कि सूरज डूबने से पहले यह काम न करो। यहां पर तात्पर्य मग़रिब की अज़ान और इफ़तार का समय है।

ज़न,ज़िंदगी,आज़ादी नामक झूठी किताब, पिछले साल ईरान में पश्चिम के समर्थन से हुए उपद्रव से संबन्धित ईरान विरोधी झूठ का पुलंदा है।

ज़न,ज़िंदगी,आज़ादी नामक किताब को फ़ारसी भाषी 5 पश्चिमी संचार माध्यमों ने केवल 46 दिनों के घटनाक्रम के आधार पर अपने हिसाब से तैयार किया है।

झूठी किताब ज़न,ज़िंदगी,आज़ादी

ईरान की छवि को ख़राब करने के उद्देश्य से फ़ारसी भाषा में एक किताब तैयार की गई है जिसका शीर्षक है, "ज़न,ज़िंदगी, आज़ादी" जिसका हिंदी में अनुवाद होगा-महिला,जीवन, स्वतंत्रता।

पार्सटुडे के अनुसार ज़न, ज़िंदगी, आज़ादी नामक झूठी किताब, पिछले साल ईरान में पश्चिम के समर्थन से हुए उपद्रव से संबन्धित ईरान विरोधी झूठ का पुलंदा है।  ईरान विरोधी कुछ पश्चिमी देशों ने पिछले साल 2023 में ईरान के विरुद्ध एक षडयंत्र लागू किया था।  इस षडयंत्र से उनका उद्देश्य, ईरान की आर्थिक समस्याओं की आड़ में यूनिवर्सिटियों को लक्ष्य बनाकर देश को गृहयुद्ध में झोंकना था।

वाइस आफ अमरीका की सरकारी कर्मचारी महीस अलीनेज़ाद जो ईरान विरोधी अभियान के मुख्य तत्वों में से एक हैं।

ईरान विरोधी पश्चिमी धड़ा, अपने षडयंत्र को लागू कर ही रहा था कि इसी बीच शहरीवर माह अर्थात अगस्त 2023 के अंत में पुलिस की कस्डटी में महसा अमीनी नामक ईरानी लड़की की मौत हो जाती है।वह ईरानी कुर्द जाति से संबन्धित थी जो एक अल्पसंख्यक समुदाय है।  इस मुद्दे ने पश्चिमी नेताओं को एक अच्छा अवसर उपलब्ध करवा दिया।  इस बीच औपनिवेशिक इतिहास रखने वाले देशों से संबन्धित फारसी भाषी चैनेलों ने अपनी गतिविधियां तेज़ कर दीं और वे चौबीसों घंटे ईरान विरोधी दुष्प्रचार में लग गए।  उदाहरण स्वरूप बीबीसी के फारसी भाषी टीवी चैनेल ने अपने चेहरे पर पड़ी तथाकथित निष्पक्षता की नक़ाब हटाते हुए ईरानी राष्ट्र के विरुद्ध कमर कस ली।

ईरान में फैलाई गई अशांति के काल में अर्थात 14 सितंबर 2023 से 31 अक्तूबर 2023 तक 46 दिनों के भीतर ईरान विरोधी फारसी भाषी 5 संचार माध्यमों ने 38000 झूठ फैलाए।  वे ईरान विरोधी पश्चिमी संचार माध्यम, जिन्होंने 46 दिनों के भीतर 38000 से अधिक झूठ फैलाए उनके नाम इस प्रकार से हैं।  ब्रिटेन सरकार से संबन्धित बीबीसी की फार्सी सेवा, सऊदी अरब और इस्राईल का आशीर्वाद प्राप्त "ईरान इंटरनैश्नल" चैनेल, अमरीकी सरकार से संबन्धित "वाइस आफ अमेरिका" और "रादियो फर्दा" तथा ब्रिटेन और इस्राईल की कृपाद्ष्टि से संचालित "मनोतो" नामक चैनेल।

"ज़न, ज़िंदगी, आज़ादी" नामक उपद्रव से कुछ पश्चिमी राजनेताओं का दिखावटी समर्थन

झूठ का पुलिंदा, ज़न,ज़िंगदी,आज़ादी नामक किताब पिछले वर्ष उपद्रव से संबन्धित उन झूठी बातों का संग्रह है जिसमें एकल ईरान को क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से ईरानी जनता की शांति एवं सुकून को छीनने के प्रयास किये गए।

एक उपद्रवी सड़कों और राजमार्गों को बंद करते हुए

इस किताब के पहले अध्याय में पश्चिम द्वारा तैयार की गई योजना के अन्तर्गत आम जनमत को भ्रमित करने के लिए ख़ूब बढा-चढाकर हत्याओं का उल्लेख किया गया।  यहां तक कि उस दौरान ईरान के किसी भी भाग में अगर किसी की भी मौत होती थी तो उसको भी यही दिखाया जाता था कि मानो उसको उपद्रव के दौरान ईरान की सरकार ने मारा है।

सावर्जनिक संपत्तियों, बैंकों और मस्जिदों को नुक़सान पहुंचाते उपद्ववी

उनके लिए उस समय ख़ूबसूरत लड़कियों का अधिक महत्व था क्योंकि उनके द्वारा गढ़े गए नारे ज़न-ज़िंदगी,आज़ादी से वे अधिक निकट दिखाई देती थीं।  इस दौरान ईरान में जो लोग किसी एक्सीडेंट में मर जाते या जो लोग आत्महत्याएं कर रहे थे उन सबको एसे दिखाया जा रहा था कि मानो वे पुलिस कर्मियों के हाथों मारे गए हैं।  बात तो इससे भी बहुत आगे बढ चुकी थी।  यहां तक कि बहुत से वे लोग जो ज़िंदा थे उनको भी मुर्दा दिखाया गया।  इसके अतिरिक्त जो लोग ग़ुडों या लफ़ंगों के हाथो मारे गए उनको भी ईरान की पुलिस के खाते में ही डाल दिया गया।

ज़न,ज़िंदगी,आज़ादी नामक आन्दोलन के समर्थक एटीएम को नष्ट करते हुए।

अमरीका का समर्थन प्राप्त ईरान विरोधी अभियान ने उपद्रव के दौरान जैसे ही मृतकों के बारे में अफवाहें आरंभ कीं तो जनमत को भड़काने, लोगों को निराश करने और अधिकारियों तथा जनता के बीच दूरी पैदा करने के उद्देश्य से व्यापक स्तर पर झूठ फैलाना शुरू कर दिया गया।  जब इस काल्पनिक प्रक्रिया ने अपने हिसाब से इस्लामी गणतंत्र ईरान की समाप्ति को निकट देखा तो उसने इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की बीमारी और ईरान के अधिकारियों के पश्चिम की ओर फरार होने की झूठी ख़बरें फैलानी शुरू कर दीं

उपद्रव के दौरान देश में अधिक से अधिक अशांति को दर्शाने के लिए पुरानी फ़िल्मों या अलग-अलग तिथियों के चित्रों को एक साथ दिखाया जाने लगा और फिर इनके माध्यम से झूठी ख़बरों की बमबारी की गई।  दुश्मन के संचार माध्यमों ने व्यापक स्तर पर जाने माने लोगों, विद्धार्थियों और पत्रकारों की गिरफ़्तारियों की झूठी ख़बरों के साथ ही जेल के बंदियों को यातानाएं देने जैसी झूठी ख़बरों को भी खूब चलाया।

अमरीका और पश्चिम ने अपने देशी और विदेशी तत्वों को अलर्ट करने के साथ ही आम लोगों को भड़काने के लिए जो उपाय ढूंढे थे उनमे से एक था सेलिब्रिटी का प्रयोग करना ताकि उनके माध्यम से दुष्प्रचार की आग तेज़ी से भड़काई जा सके।

सेलिब्रिटीज़ में कुछ एसे भी थे जो पहले से विदेशों में रह रहे थे और जिनकी ईरान विरोधी गतिविधियां पूर्व में ही सिद्ध हो चुकी थीं।  इनमें से कुछ एसी भी सेलिब्रिटीज़ थीं जो ईरान विरोधी प्रक्रिया का समर्थन करने के बावजूद देश के भीतर से अपनी गतिविधियां अंजाम दे रही थीं। कुछ एसे चेहरे भी थे जिनका पूरा प्रयास यह था कि किसी तरह से वे पश्चिम का आशीर्वाद प्राप्त करने में सफल हो जाएं।  इन्होंने इस काम के लिए ईरानी जनता और ईरान की शासन व्यवस्था को क्षति पहुंचाने के साथ ही अमरीका और यूरोप में अपनी नागरिक के काम को सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश की।

इसी बीच कुछ एसे व्यक्तित्व भी दिखाई दिये जो क्रांति विरोधी मीडिया के दबाव में आकर सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए विवश थे हालांकि उनमें से कुछ माहौल से प्रभावित भी दिखाई दिये।

 

      

इस्लामी सहयोग संगठन ओआईसी ने एक बयान जारी कर कहा है कि बैतुल मुक़द्दस, फिलिस्तीन का अभिन्न अंग और उसकी राजधानी है और मस्जिदुल अल-अक्सा मुसलमानों का एकमात्र इबादत स्थल है।

इस्लामी सहयोग संगठन के बयान के मुताबिक, ज़ायोनी शासन मस्जिदुल अक्सा की सीमाओं पर लोहे की सलाखें लगाकर और इस पवित्र स्थान तक पहुंचने के लिए बाधाएं खड़ी करके पहले क़िबला की कानूनी और ऐतिहासिक स्थिति को बदलना चाहता है।

ओआईसी के इस बयान में ज़ायोनियों की इन हरकतों को अस्वीकार्य और निंदनीय बताया गया है।

इस्लामी सहयोग संगठन के बयान में मस्जिदुल अल-अक्सा और उसके प्रांगणों तथा वहां मौजूद नमाज़ियों पर ज़ायोनी कट्टरपंथियों और सैनिकों के हमलों को अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों और संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्तावों का स्पष्ट उल्लंघन बताया गया है।

बयान में कहा गया है कि ज़ायोनी शासन, मस्जिदुल अल-अक्सा और मुसलमानों और ईसाइयों के धार्मिक और पवित्र स्थानों पर लगातार घुसपैठ करके अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहता है जो अंतरराष्ट्रीय क़नून के खिलाफ है।

इस्लामी सहयोग संगठन के बयान में कहा गया है कि मस्जिदुल अल-अक्सा और बैतुल मुक़द्दस में पवित्र स्थानों का अनादर और इबादतों की स्वतंत्रता के उल्लंघन के परिणामों की ज़िम्मेदारी पूरी तरह से ज़ायोनी शासन पर है।

इस बयान में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की गई है कि वह अपनी ज़िम्मेदारियां निभाए और ज़ायोनी शासन की कार्रवाइयों को रोकें जो पूरे क्षेत्र में हिंसा और तनाव पैदा कर रहा हैं और सुरक्षा तथा स्थिरता को प्रभावित कर रहा है।

यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रभारी जोसेफ बोरेल ने ग़ज़ा में इस्राईल के नरसंहार को लेकर चेतावनी दी है।

एक इंटरव्यू में जोसेफ़ बोरेल ने कहा कि आज ग़ज़ा में युद्ध के कारण ज़ायोनी शासन के प्रति दुनिया का नज़रिया बदल रहा है और तेल अवीव का समर्थन कम हो रहा है।

उन्होंने कहा कि जिसे मैं विश्वास के साथ नरसंहार कह सकता हूं, उससे दुनिया के लोग चिंतित हैं।

जोसेफ बोरेल ने कहा कि 30 हज़ार से अधिक नागरिक मारे गए हैं जो कल्पना से परे है।

उन्होंने दावा किया कि यूरोपीय संघ ने फ़िलिस्तीनी मुद्दे के लिए कुछ प्राथमिकताओं को ध्यान में रखा है जिसमें दो-राज्य समाधान भी शामिल है जिसमें फिलिस्तीनियों को अपनी ज़मीन और सरकार रखने का अधिकार होगा।

जोसेफ बोरेल ने ग़ज़ा में मानवीय संकट पर चिंता व्यक्त की और कहा कि ज़ायोनी शासन भूख को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि लाखों लोग सचमुच भूख से मर रहे हैं और कई बच्चे भी कुपोषण से पीड़ित हैं। इस वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं।

उन्होंने ग़ज़ा में सहायता में रुकावट को भोजन और भुखमरी का मुख्य कारण बताया और कहा कि यह कहा जा सकता है कि इस्राईल भूख को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस बात के बहुत से सबूत हैं कि सीमाओं पर बाधाओं के कारण सहायता आपूर्ति ग़ज़ा तक नहीं पहुंच पा रही है और इस संबंध में इस्राईल के दावों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

भारत के निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है।

इस बार भी सात चरणों में मतदान कराये जाएंगे जबकि रिज़ल्ट चार जून को घोषित किए जाएंगे। चुनाव आयोग ने साथ ही चार राज्यों में भी विधानसभा चुनाव कराए जाने का ऐलान कर दिया है।

543 सीटों के लिए 19 अप्रैल, 26 अप्रैल, 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और एक जून को मतदान होगा. 19 अप्रैल को पहले चरण में 102 सीट, 26 अप्रैल को दूसरे चरण में 89 सीट, 7 मई को तीसरे चरण में 94 सीट, 13 मई को चौथे चरण में 96 सीट, 20 मई को पांचवें चरण में 49 सीट, 25 मई को छठे चरण में 57 सीट और एक जून को सातवें और अंतिम चरण में 57 सीटों पर वोटिंग होगी।

साथ ही चार राज्यों में विधानसभा चुनाव भी कराए जाएंगे। आंध्र प्रदेश की 175 विधानसभा सीटों के लिए 13 मई को मतदान होगा. साथ ही अरुणाचल प्रदेश की 60 और सिक्किम की 32 विधानसभा सीटों के लिए 19 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे, ओडिशा विधानसभा चुनाव चार चरणों में होंगे।

वहीं लोकसभा चुनावों के साथ विभिन्न राज्यों में 26 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव भी होंगे।

मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को खत्म हो रहा है और नई लोकसभा का गठन उससे पहले होना है। आंध्र प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और ओडिशा में विधानसभाओं का कार्यकाल भी जून में अलग-अलग तारीखों पर खत्म हो रहा है।

चुनाव की घोषणा करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि हमारी टीम अब पूरी हो चुकी है, हम भारतीय लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव के लिए पूरी तरह तैयार हैं, हमारा वादा इस तरह से राष्ट्रीय चुनाव कराने का है, जिससे विश्व स्तर पर भारत का गौरव बढ़े।

निर्वाचन आयोग ने कहा कि देश में 97 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं, 10.5 लाख से अधिक मतदान केंद्र हैं, 55 लाख ईवीएम का इस्तेमाल होगा, कुल मतदाताओं में 49.7 करोड़ पुरुष, 47.1 करोड़ महिलाएं, 48 हजार ट्रांसजेंडर शामिल हैं, वहीं ऐसे मतदाताओं की संख्या 1.8 करोड़ है, जो पहली बार मतदान करेंगे।

उन्होंने कहा कि हमारी मतदाता सूची में 85 साल से अधिक उम्र के 82 लाख और 100 साल से अधिक उम्र के 2.18 लाख मतदाता शामिल हैं. देशभर में मतदाता लिंगानुपात 948 है, 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है, पूरे भारत में 85 वर्ष से अधिक उम्र के मतदाताओं और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए घर से मतदान की सुविधा उपलब्ध होगी।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि इस बार 85 साल से अधिक उम्र के लोग घर बैठकर वोट कर सकते हैं, 85 वर्ष से अधिक उम्र के जितने भी मतदाता हैं, उनके घर जाकर मतदान करवाया जाएगा। इस बार देश में पहली बार ये व्यवस्था एक साथ लागू होगी कि जो 85 वर्ष से अधिक उम्र के मतदाता हैं और जिन्हें 40 प्रतिशत से अधिक की विकलांगता है, उनके पास हम फॉर्म पहुंचाएंगे, अगर वो मतदान का ये विकल्प चुनते हैं।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान हिंसा की कोई गुंजाइश नहीं है. हिंसा से जुड़ी कोई भी शिकायत 100 मिनट में दूर होगी, हमारा वादा इस तरह से राष्ट्रीय चुनाव कराने का है, जिससे विश्व स्तर पर भारत का गौरव बढ़े, उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए हैं. अपराधियों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है, वहीं, सीमाओं पर ड्रोन से निगरानी होगी, अब तक 3400 करोड़ का कैश पकड़ा गया था. कुछ राज्यों में धन कुथ में बल का प्रयोग ज्यादा हो रहा है।