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इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान ने नार्वे के प्रधानमंत्री के साथ टेलीफ़ोनी वार्ता में ज़ायोनी सरकार को पश्चिम एशिया में संकट और तनाव उत्पन्न करने का अस्ली कारण बताया।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने रविवार की शाम को नार्वे के प्रधानमंत्री Jonas Gahr Storre से टेलीफ़ोनी वार्ता में कहा कि ईरान हमेशा क्षेत्र की शांति व सुरक्षा का रक्षक रहा है। इस टेलीफ़ोनी वार्ता में ईरान के राष्ट्रपति ने ज़ायोनी सरकार को क्षेत्र में संकट और तनाव का अस्ली कारण बताया और कहा कि ज़ायोनी सरकार युद्धोन्माद और जंगी कार्यवाहियों के अलावा फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों का नस्ली सफ़ाया करने के प्रयास में है और साथ ही दुष्प्रचार करके ईरान की शांतिपूर्ण परमाणु गतिविधियों को असुरक्षा का कारण दर्शाने की चेष्टा में है।

इस टेलीफ़ोनी वार्ता में ईरान के राष्ट्रपति पिज़िश्कियान ने बल देकर कहा कि इमाम ख़ामेनेई के फ़त्वे के आधार ईरान कभी भी परमाणु हथियार बनाने के प्रयास में नहीं रहा है और सच्चाई के साथ परमाणु ऊर्जा की अंतरराष्ट्रीय एजेन्सी के साथ सहयोग किया और करेगा। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि हम हर प्रकार के तनाव, अशांति और युद्ध को ख़ुद अपने लिए, क्षेत्र और विश्व के लिए  हानिकारक समझते हैं।

 इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने टेलीफ़ोनी वार्ता की समाप्ति पर कहा कि हमारी सिद्धांतिक नीति का आधार तनाव को समाप्त करना और क्षेत्र में एकता उत्पन्न करना है मगर अपने देश की सुरक्षा और हितों के खिलाफ़ हर प्रकार की धमकी का पूरी शक्ति के साथ मुक़ाबला करेंगे।

 राष्ट्रसंघ में ईरानी प्रतिनिधित्वः ईरान के परमाणु कार्यक्रम को ख़त्म करने के संबंध में वार्ता नहीं होगी

राष्ट्रसंघ में ईरानी प्रतिनिधित्व ने सोशल प्लेटफ़ार्म पर भी लिखा है कि अगर वार्ता से तात्पर्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम के संबंध में पायी जाने वाली संभावित चिंता को दूर करना है तो उसकी समीक्षा की जा सकती है मगर अगर वार्ता का लक्ष्य ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को ख़त्म करना है तो ईरान कभी भी वार्ता नहीं करेगा और ईरान के परमाणु कार्यक्रम को ख़त्म करना वह कार्य है जिसे बराक ओबामा भी न कर सके।

 ईरानः दबाव और धौंस में हम वार्ता नहीं करेंगे

ईरान के विदेशमंत्री सय्यद अब्बास इराक़ची ने रविवार को सोशल साइट एक्स पर अपने पेज पर इस ओर संकेत किया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम हमेशा पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा है और मूलतः उसके सैन्यकरण की कोई बात ही नहीं है। उन्होंने ईरान के ख़िलाफ़ ट्रम्प की धमकियों की ओर संकेत करते हुए लिखा कि ईरान दबाव और धौंस में वार्ता की समीक्षा भी नहीं करेगा क्योंकि  वार्ता और दादागीरी व आदेश देने में अंतर है।

  इराक़ची ने कहा कि अमेरिका ने जब भी ईरान से सम्मानपूर्वक ढंग से वार्ता की उसे भी परस्पर सम्मान का सामना हुआ और जब भी उसने धमकी वाला दृष्टिकोण अपनाया उसे ईरानी मुक़ाबले का सामना हुआ।

उन्होंने लिखा कि इस समय हम तीन यूरोपीय देशों और रूस और चीन से परस्पर सम्मान और बराबरी के आधार पर अलग- अलग वार्ता और विचार- विमर्श कर रहे हैं और समीक्षा का उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम के संबंध में ग़ैर क़ानूनी प्रतिबंधों को समाप्त करने के बदले में भरोसा व विश्वास उत्पन्न करने के मार्गों को पता लगाना है।

 

ईरान अभी भी अफ़ग़ानिस्तान से यूरोपीय देशों तक नशीले पदार्थों की तस्करी के मुख्य पारगमन मार्गों में से एक है और इस देश ने नशीले पदार्थों के नियंत्रण की वैश्विक चुनौती में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।

अपनी इंसानी ज़िम्मेदारियों के अनुरूप, ईरान ने पिछले कुछ दशकों में मादक पदार्थों की तस्करी के ख़िलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इस क्षेत्र में भारी निवेश के साथ, ईरान पश्चिम एशिया में मादक पदार्थों की खोज और विनाश के क्षेत्र में एक बड़ी बाधा बनने में कामयाब रहा है।

दूसरी ओर, ईरान के मादक पदार्थ विरोधी मुख्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकियों की 20 साल की उपस्थिति, मादक पदार्थों के उत्पादन में वृद्धि के सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक रही है, इसीलिए वर्ष 2000 में, अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़े के समय, इस देश के कुल नशीले पदार्थ का उत्पादन लगभग 200 टन था, लेकिन 2021 में, यह मात्रा 9,500 टन तक पहुंच गई, जिसका मतलब है कि अफगानिस्तान में अमेरिकियों की उपस्थिति के दौरान नशीले पदार्थों का उत्पादन पचास गुना बढ़ गया।

ऐसी स्थिति में, यदि इस अशुभ घटना को रोकने के लिए ईरान के अथक प्रयास और लगातार जारी उपाय न होते, तो नशीले पदार्थों की लत की व्यापकता के मामले में दुनिया की स्थिति बहुत खराब हो जाती, मिसाल के तौर पर, इस्लामी गणतंत्र ईरान, उत्पादन के मुख्य स्रोत (अफ़ग़ानिस्तान) से नज़दीकी की वजह से और यूरोप के लिए निकटतम मार्ग है, जो मुख्य बाजार और तस्करों का अंतिम गंतव्य है जिसमें 4 हज़ार से अधिक शहीद और 12 हज़ार से अधिक लोग घायल हुए हैं जबकि प्रति वर्ष एक अरब डॉलर से अधिक का ख़र्च करके देश में नशीली दवाओं की तस्करी और दूसरे देशों में इसके प्रवेश को रोकने के उद्देश्य से की गई सीमाओं की नाकेबंदी से तीन दशकों में 12 हजार टन से अधिक विभिन्न प्रकार के नशीले पदार्थों की खोज की जा सकी है।

दूसरी ओर, ईरान के खिलाफ क्रूर प्रतिबंधों और मादक पदार्थों की तस्करी से लड़ने की व्यापक चुनौतियों के बावजूद, ईरान मादक पदार्थों की तस्करी के पारगमन मार्ग को इस तरह से अवरुद्ध करने में सक्षम रहा है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ लड़ाई में ईरान को ध्वजवाहक के रूप में याद किया है।

इस संबंध में, राष्ट्रपति के प्रतिनिधि और ईरान के एंटी-नारकोटिक्स मुख्यालय के महासचिव हुसैन जुल्फ़ेक़ारी ने सोमवार को वियना में संयुक्त राष्ट्र संघ के यूरोपीय मुख्यालय में नारकोटिक ड्रग्स पर आयोग की 68 वीं वार्षिक बैठक में दवाओं की वैश्विक समस्या से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सिफारिशें पेश करते हुए कहते हैं: सहयोग को बढ़ावा देना, सूचनाओं के आदान प्रदान के तंत्र को मज़बूत करना, अनुभवों का हस्तांतरण, तकनीकी सहायता, उपकरणों का प्रावधान और नशीले पदार्थों की खेती, उत्पादन, पारगमन और खपत से प्रभावित देशों को आवश्यक टेक्नालाजीज़ का हस्तांतरण, नशीले पदार्थों की रोकथाम के लिए आवश्यक हैं।

श्री हुसैन जुल्फ़िक़ारी ने मादक पदार्थों के ख़िलाफ लड़ाई में एकतरफा प्रतिबंधों को सबसे महत्वपूर्ण समस्या माना और नारकोटिक्स आयोग तथा मानवाधिकार परिषद के कई प्रस्तावों के कार्यान्वयन के अनुरूप, उन्होंने प्रतिबंधों को समाप्त करने और मादक पदार्थों के खिलाफ लड़ाई की अग्रिम पंक्ति के देशों को प्रभावी तकनीकी और उपकरण सहायता प्रदान करने का आह्वान किया है।

प्रतिनिधि वली ए फ़क़ीह और इमाम-जुमआ हमदान हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हबीबुल्लाह शआबानी ने महिलाओं की सांस्कृतिक भूमिका को उजागर करते हुए कहा कि नई पीढ़ी की सही परवरिश और एक आदर्श समाज के निर्माण में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।

प्रतिनिधि वली ए फ़क़ीह और इमाम-जुमआ हमदान हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हबीबुल्लाह शआबानी ने महिलाओं की सांस्कृतिक भूमिका को उजागर करते हुए कहा कि नई पीढ़ी की सही परवरिश और एक आदर्श समाज के निर्माण में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहां, मजमअ-ए-बानवान-ए-फ़आल-ए-फ़रहंगी-एउस्तान(सांस्कृतिक रूप से सक्रिय महिलाओं का संघ) को एक गर्व का मंच बताया जो महिलाओं की सामाजिक और सांस्कृतिक सेवाओं में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हबीबुल्लाह शआबानी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि महिलाएं सांस्कृतिक क्षेत्र में गहरा प्रभाव छोड़ सकती हैं और उनकी गतिविधियाँ समाज के विकास में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

उन्होंने आगे कहा कि आज इस्लाम के दुश्मन पारिवारिक व्यवस्था को कमजोर करने की साज़िशों में लगे हुए हैं, और इस सांस्कृतिक संघर्ष में महिलाएँ परिवार की रक्षा की पहली पंक्ति में खड़ी हैं।

इमाम जुमा हमदान ने महिलाओं की वैज्ञानिक और सामाजिक भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि नई पीढ़ी की सही परवरिश और एक सशक्त समाज का निर्माण, महिलाओं के प्रयासों के बिना संभव नहीं है।

उन्होंने इस बात की भी आवश्यकता पर ज़ोर दिया कि महिलाओं के ज्ञानवर्धक और सांस्कृतिक सम्मेलनों का आयोजन किया जाए, ताकि उनकी क्षमताओं को और अधिक प्रभावी ढंग से समाज की भलाई के लिए प्रयोग किया जा सके।

अंत में उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक गतिविधियों की सफलता और उनका प्रभाव पूर्ण रूप से इख़्लास (ईमानदारी) पर निर्भर करता है, और जितनी अधिक निष्ठा होगी उतने ही अधिक सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगी।

ईरान ने सीरिया में बढ़ती हिंसा और असुरक्षा पर गंभीर चिंता व्यक्त की है ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ईरान सीरिया के आंतरिक घटनाक्रमों पर बारीकी से नज़र रखता है और अरब राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिंसा और असुरक्षा की रिपोर्टों पर बहुत चिंता है।

ईरान ने सीरिया में बढ़ती हिंसा और असुरक्षा पर गंभीर चिंता व्यक्त की है ईरान के विदेश मंत्रालय  ने कहा कि ईरान सीरिया के आंतरिक घटनाक्रमों पर बारीकी से नज़र रखता है और अरब राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिंसा और असुरक्षा की रिपोर्टों पर बहुत चिंता है।

इस्माइल बक़ाई ने सीरिया में सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने और सभी सीरियाई समूहों के शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिए परिस्थितियाँ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया उन्होंने इज़राइल की आक्रामकता और धमकियों के सामने सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

समाचार एजेंसी ने बताया कि इस्माइल बक़ाई ने कहा कि ईरान सीरिया में असुरक्षा और हिंसा और किसी भी समूह या जनजाति के "उत्पीड़ित" सीरियाई लोगों की हत्या और उन्हें अपंग बनाने का दृढ़ता से विरोध करता है।

गुरुवार से तटीय क्षेत्रों में सीरिया की अंतरिम सरकार के बलों और पूर्व सरकार से संबद्ध सशस्त्र विपक्षी समूहों के बीच भीषण झड़पों में लगभग 1200 लोग मारे गए हैं।

सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने बताया कि पिछले दिसंबर में पिछली सरकार के पतन के बाद से यह झड़पें सबसे घातक झड़पों में से एक हैं।

इसने कहा कि सैन्य कर्मियों, विपक्षी लड़ाकों और नागरिकों की मौत हुई है, क्योंकि सरकारी बलों ने लताकिया, टारटस और हामा के गवर्नरेट में पूर्व शासन के सैन्य गुटों के अवशेषों पर अपनी कार्रवाई जारी रखी।

ऑब्जर्वेटरी ने कहा कि बंदूकधारियों द्वारा सैन्य बलों, चौकियों और तटीय क्षेत्र के मुख्यालयों पर घात लगाकर हमला किए जाने के बाद झड़पें शुरू हुईं।मृतकों में सीरिया के रक्षा और आंतरिक मंत्रालयों के 50 सैनिक और अधिकारी और 45 विपक्षी लड़ाके भी शामिल हैं।

ऑब्जर्वेटरी ने संकेत दिया कि ग्रामीण लताकिया और टारटस में लड़ाई जारी रहने के कारण प्रमुख स्थानों पर अतिरिक्त सुदृढीकरण और भारी हथियार तैनात किए गए हैं।

 

 ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने ग़ज़्ज़ा पट्टी और पश्चिमी किनारे के लोगों के ज़बरदस्ती पलायन का विरोध किया।

ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बक़ाई ने सोमवार को साप्ताहिक प्रेस कांफ्रेन्स में ग़ज़्ज़ा पट्टी और पश्चिमी किनारे के लोगों के ज़बरदस्ती पलायन का विरोध करने के साथ कहा कि ग़ज़ा पट्टी और पश्चिमी किनारे के लोगों का ज़बरदस्ती पलायन नस्ली व क़ौमी सफ़ाया है।

 इस्माईल बक़ाई ने इसी प्रकार ग़ज़ा पट्टी में ज़ायोनी सरकार के अपराधों की ओर संकेत करते हुए कहा कि अकाल और पानी काटने के साथ ग़ज़ा में नस्ली सफ़ाया जारी है।

 विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने बल देकर कहा कि जब तक ज़ायोनी सरकार के अपराध जारी रहते हैं तब तक देशों को चाहिये कि वे ज़ायोनी सरकार के साथ अपने संबंधों को तोड़े रखें और उसका वित्तीय समर्थन न करें।

 मलेशिया ने फ़िलिस्तीनियों को ज़बरदस्ती पलायन कराने की योजना की भर्त्सना करने की मांग की है

दूसरी ख़बर यह है कि सऊदी अरब के जद्दा नगर में इस्लामी सहयोग संगठन ओआईसी के विदेशमंत्रियों की बैठक से इतर मलेशिया के विदेशमंत्री हाजी मोहम्मद बिन हाजी हसन ने एलान किया है कि बड़े देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को चाहिये कि वे फ़िलिस्तीनियों को ज़बरदस्ती पलायन कराने और ग़ज़ा के विलय की योजना की भर्त्सना करें। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस्लामी सहयोग संगठन ओआईसी राष्ट्रसंघ और दूसरे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के समन्वय से ग़ज़ा पट्टी, लेबनान और सीरिया जैसे युद्ध प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण के लिए एक व्यापक योजना पेश कर सकेगा।

 हाजी हसन ने फ़िलिस्तीनियों के ज़बरदस्ती पलायन और ग़ज़ा के विलय की योजना को एक अवास्तविक और अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन बताया और बल देकर कहा कि मलेशिया ने हमेशा फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ ज़ायोनी सरकार के अपराधों और लेबनान, सीरिया और फ़िलिस्तीन की प्रभुसत्ता को कमज़ोर बनाने हेतु तेलअवीव के प्रयासों की भर्त्सना की है और वह बहुपक्षवाद, अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रसंघ के क़ानूनों के प्रति वचनबद्ध है। 

 

 अल्लाह तआला का मालिक होना और हमारा मालिक होना दो अलग अलग स्तरों की बात है जिसमें अल्लाह की सर्वोच्चता और हमारी सीमितता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,दुनिया में हमारे पास मालेकाना हक़ के नाम पर एक चीज़ है। यह वास्तविक स्वामित्व नहीं है बल्कि किसी और के ज़रिए दिया गया स्वामित्व है। यहाँ तक कि हम अपने जिस्म के भी मालिक नहीं हैं।

हम अपने जिस्म के कैसे मालिक हैं कि इस जिस्म में आने वाले बदलाव हमारी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ सामने आते हैं और उन्हें कंट्रोल करना हमारे बस में नहीं है? इस जिस्म में दर्द होता है, यह जिस्म मिट जाता है और इस पर हमारा कोई अख़्तियार नहीं होता।

हम दुनिया में बहुत सी चीज़ों को अपनी संपत्ति समझते हैं। इस कमज़ोर से स्वामित्व पर ही इंसान फ़ख़्र करता है, क़यामत में यह थोड़ा सा स्वामित्व भी नहीं होगा। क़यामत में हमारे शरीर के अंग हमारे ख़िलाफ़ बोलेंगे और वहाँ सामने आने वाली सारी बातें इंसान के अख़्तियार के दायरे से बाहर होंगी।

 

 

सीरिया में बेगुनाह लोगों के भयावह नरसंहार ने हर आज़ादख़्याल इंसान के दिल को आहत कर दिया है। संस्थाएँ और मानवाधिकार संगठन सीरिया में नरसंहार रोकें

हुकूमत ए तहरीर शाम के हाथों सीरियाई अवाम के नरसंहार पर जामेआए मुदर्रिसीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम की कार्यकारी परिषद् ने निंदानीय बयान जारी किया है

निंदनीय बयान कुछ इस प्रकार है:

إِنَّا لِلَّهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ,بِأَیِّ ذَنْبٍ قُتِلَتْ

सीरिया में बेगुनाह और निहत्थे लोगों के भयावह नरसंहार जिसने हर स्वतंत्रचेता इंसान के दिल को आहत कर दिया है हम हज़रत वली-ए-असर स.ल. मक़ाम-ए-मुअज़्ज़म रहबरी, मराजे-ए-अज़ाम-ए-तक़लीद और तमाम मोमिनों व मुस्लिमों की सेवा में संवेदना प्रकट करते हैं।

हम इस भयंकर अपराध की कड़ी निंदा करते हैं और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं, मानवाधिकार संगठनों, इस्लामी सहयोग संगठन (OIC), NAM और अरब लीग से मांग करते हैं कि सीरिया में नरसंहार को रोकने और ख़ूँख़ार हुकूमत-ए-तहरीर अलशाम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।

पैग़म्बर (स) ने फ़रमाया: " لَوْ یَعْلَمُ الْعَبْدُ ما فِی رَمَضانِ لَوَدَّ اَنْ یَکُونَ رَمَضانُ السَّنَة लो यअलमुल अब्दो मा फ़ी रमज़ाने लवद्दा अय यकूना रमज़ानुस सनता " यदि कोई व्यक्ति रमजान के महीने की बरकतों और वास्तविकताओं से अवगत होता, तो वह चाहता कि पूरा वर्ष रमजान का महीना हो।

अल्लाह के रसूल (स) ने रमज़ान उल मुबारक के महीने की खूबियों के बारे में बहुत ही खूबसूरत कथन कहे हैं, जिनमें से कुछ का उल्लेख नीचे किया गया है।

पैग़म्बर (स) ने फ़रमाया:

" لَوْ یَعْلَمُ الْعَبْدُ ما فِی رَمَضانِ لَوَدَّ اَنْ یَکُونَ رَمَضانُ السَّنَة लो यअलमुल अब्दो मा फ़ी रमज़ाने लवद्दा अय यकूना रमज़ानुस सनता "

 

यदि कोई व्यक्ति रमजान के महीने की बरकतों और वास्तविकताओं से अवगत होता, तो वह चाहता कि पूरा वर्ष रमजान का महीना हो।

اِنَّ اَبْوابَ السَّماءِ تُفْتَحُ فی اَوَّلِ لَیْلَةٍ مِنْ شَهْرِ رَمَضانِ وَ لا تُغْلَقُ اِلی آخِرِ لَیْلَةٍ مِنْهُ. इन्ना अब्वाबस समाए तुफ़्तहो फ़ी अव्वले लैलतिम मिन शहरे रमजाने वला तुग़लक़ो ऐला आख़ेरे लैलतिम मिन्हो

स्वर्ग के द्वार रमजान माह की पहली रात को खुल जाते हैं और आखिरी रात तक बंद नहीं होते।

لَوْ عَلِمْتُم مالَکُم فِی رَمَضانِ لَزِدْتُم لِلّه تَبارَکَ و تَعالی شُکْرا. लौ अलिमतुम मालकुम फ़ी रमज़ाने लज़िदतुम लिल्लाहे तबारका व तआला शुक्रन

यदि आप जान लें कि रमज़ान के महीने में आपके लिए क्या लिखा गया है, तो आप सर्वशक्तिमान ईश्वर के प्रति अत्यंत आभारी होंगे।

وَ کَّلَ اللّه ُ مَلائِکَةً بِالدُّعاءِ لِلصّائِمین؛ वक्कलल्लाहो मलाएकतन बिद्दुआऐ लिस्साऐमीन

अल्लाह तआला रोज़ा रखने वालों के लिए दुआ करने हेतु स्वर्गदूतों को नियुक्त करता है।

हज़रत अली (उन पर शांति हो) ने फ़रमाया:

صَوْمُ الْقَلْبِ خَیْرٌ مِنْ صِیامِ اللِّسانِ و صِیامُ اللِّسانِ خَیْرٌ مِنْ صِیامِ الْبَطْن. सौमुल क़ल्बे ख़ैरुम मिन सेयामिल लेसाने व सेयामुल लेसाने ख़ैरुम मिन सेयामिल बत्ने

दिल का रोज़ा ज़बान के रोज़े से बेहतर है और ज़बान का रोज़ा पेट के रोज़े से बेहतर है।

صَوْمُ النَّفْسِ عَنْ لَذّاتِ الدُّنیا اَنْفَعُ الصِّیامِ. सौमुन नफ़्से अन लज़्ज़ातिद दुनिया अनफ़्उस सेयामे

 

नफस का सांसारिक सुखों से दूर रहना सबसे लाभकारी रोज़ो में से एक है।

الصِّیامُ اِجْتِنابُ الْمَحارِمِ کَما یَمْتَنِعُ الرَّجُل مِنَ الطَّعامِ وَالشَّرابِ. अस्सयामो इज्तेनाबुल महारेमे कमा यमतनेउर रजोले मिनत तआमे वश्शराबे

रोज़ा उन चीज़ों से परहेज़ करने का कार्य है जिन्हें अल्लाह ने मना किया है, ठीक उसी तरह जैसे इस महीने के दौरान व्यक्ति खाने-पीने से परहेज़ करता है।

इमाम बाकिर (अ.स.) ने फ़रमाया:

«الصِّیام وَالْحَجُّ تَسْکینُ الْقُلُوبِ؛ अस्सयामो वल हज्ज़ो तस्कीनुल क़ुलूबे

रोज़ा और हज दिलों को शांति देते हैं।

इमाम जाफ़र सादिक (अ.स.) ने फ़रमाया:

غُرَّةُ الشُّهُورِ شَهْرُ رَمَضان و قَلْبُ شَهرِ رَمَضان لَیْلَةُ الْقَدْرِ. ग़ुर्रतुश्शोहूरे शहरो रमज़ाने व क़ल्बो शहरे रमज़ाने लैलतुल कद्रे

सबसे पुण्य महीना रमज़ान का महीना है और रमज़ान के महीने का हृदय शब ए कद्र है।

نِعْمَ الشَّهْرُ رَمَضانُ کانَ یُسَمّی عَلی عَهْدِ رَسُولِ اللّه الْمَرْزُوقُ. नेअमश शहरो रमज़ानो काना योसम्मा अला अहदे रसूलिल्लाहिल मरज़ूक़ो

रमज़ान कितना अद्भुत महीना है. पैगम्बर मुहम्मद (स) के समय में इसे नेमतो का महीना कहा जाता था।

इमाम हादी (अ.स.) ने फ़रमाया:

فَرَضَ اللّه ُ تَعالی الصَّوْمَ لِیَجِدَ الْغَنِیُّ مَسَّ الْجُوع لِیَحْنُو عَلَی الْفَقِیرِ. फ़रजल्लाहो तआलस सौमा लेयजेदल ग़निय्यो मस्सल जूए लेयहनू अलल फ़क़ीरे

अल्लाह तआला ने रोज़े को अनिवार्य बनाया है ताकि अमीर लोग भूख महसूस कर सकें और फिर गरीबों और जरूरतमंदों से प्यार कर सकें।

इस आयत में अल्लाह तआला ने मुसलमानों को गुप्त मामलों से बचने और सामाजिक कल्याण गतिविधियों में संलग्न होने के लिए प्रोत्साहित किया है। जो व्यक्ति अल्लाह के लिए दान, अच्छे कर्म और सुधार करता है, अल्लाह सर्वशक्तिमान उसे बड़ा इनाम देगा। यह आयत हमें सिखाती है कि हमें अपने शब्दों और कार्यों में अल्लाह की प्रसन्नता को ध्यान में रखना चाहिए और समाज के लिए उपयोगी कार्य करना चाहिए।

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम

لَا خَيْرَ فِي كَثِيرٍ مِنْ نَجْوَاهُمْ إِلَّا مَنْ أَمَرَ بِصَدَقَةٍ أَوْ مَعْرُوفٍ أَوْ إِصْلَاحٍ بَيْنَ النَّاسِ ۚ وَمَنْ يَفْعَلْ ذَٰلِكَ ابْتِغَاءَ مَرْضَاتِ اللَّهِ فَسَوْفَ نُؤْتِيهِ أَجْرًا عَظِيمًا   ला ख़ैरा फ़ी कसीरिम मिन नजवाहुम इल्ला मन अमरा बेसदक़तिन औ मारूफ़िन और इस्लाहिन बैनन नासे व मय यफ़अल ज़ालेकब तेग़ाआ मरज़ातिल्लाहे फ़सौफ़ा नूतीहे अजरन अज़ीमा (नेसा 114)

अनुवाद: उनकी अधिकतर गुप्त बातों में कोई भलाई नहीं, सिवाय उस व्यक्ति के जो दान, अच्छे कर्म या लोगों के बीच मेल-मिलाप का आदेश दे। और जो व्यक्ति अल्लाह की प्रसन्नता की चाह में ये सब करेगा, उसे हम अवश्य बड़ा बदला देंगे। देना।

विषय:

इस आयत में अल्लाह तआला ने मानव समाज के गुप्त मामलों (नज्वा) के बारे में स्पष्ट मार्गदर्शन दिया है। इस आयत में कहा गया है कि अधिकांश गुप्त मामलों में कोई भलाई नहीं है, सिवाय उन मामलों के जो दान, अच्छे कर्म या लोगों के बीच सुधार के लिए हों। जो कोई अल्लाह के लिए ऐसा करेगा, अल्लाह तआला उसे बड़ा बदला देगा।

पृष्ठभूमि:

यह आयत मदीना में अवतरित हुई। उस समय मुस्लिम समाज में विभिन्न प्रकार की गुप्त बातचीत और षड्यंत्र होते थे, जिनका उद्देश्य अक्सर लोगों को नुकसान पहुंचाना या परेशानी पैदा करना होता था। अल्लाह तआला ने हमें इन चीजों से बचने की सलाह दी है और केवल उन चीजों को उपयोगी बताया है जो सामाजिक कल्याण, भलाई और सुधार के लिए हैं।

तफ़सीर:

भूमिगत होने वाली चीजें बहुत खतरनाक होती हैं। इसलिए, आमतौर पर दो बातें गुप्त रूप से कही जाती हैं: एक जो अपने फायदे के लिए होती है और दूसरी जो दूसरों के लिए हानिकारक होती है। अन्यथा, यदि बात अच्छाई की हो तो अक्सर उसे छिपाने की कोई जरूरत नहीं होती। हालाँकि, अच्छी चीजों को तब छिपाया जाता है जब इरादा उन्हें किसी भी तरह के पाखंड से मुक्त रखने का हो। इसलिए दान के बारे में कहा गया है:

[यदि तुम दान दिखाओ तो अच्छा है। लेकिन यदि तुम उसे छिपाकर गरीबों को दोगे तो यह तुम्हारे लिए बेहतर है।] (2:271)

[अल्लाह की प्रसन्नता की खोज:] आयत के दूसरे भाग में एक महत्वपूर्ण वाक्य कहा गया है: और जो कोई अल्लाह की प्रसन्नता की खोज में ऐसा करेगा, हम उसे शीघ्र ही बड़ा प्रतिफल प्रदान करेंगे। जाहिर है, दान, भलाई और सुधार का सुंदरता में अपना स्थान है। अगर अल्लाह की रजा को लक्ष्य बनाकर इन नेकियों को करने वाला इंसान अपने अंदर नेकियाँ भी पैदा कर ले तो यह काम नेक, सवाब और सवाब का हकदार है। वरना अगर काम में नेकी है और नेकी नहीं है यदि कर्ता में कोई दोष है, तो उसे अच्छा प्रतिफल नहीं मिलेगा और वह प्रतिफल का हकदार नहीं है। उदाहरण के लिए, यदि कोई चोर दान देता है या कोई पेशेवर अपराधी और हत्यारा दान का काम करता है, तो उसका कार्य लोगों की नज़र में सराहनीय नहीं होगा, बल्कि लोग उसका उपहास और तिरस्कार करेंगे। इससे उस प्रश्न का भी उत्तर मिल जाता है जो आम जनता पूछती है: क्या गैर-मुस्लिम वैज्ञानिकों को भी कोई पुरस्कार मिलेगा जिन्होंने मानवता के लिए अनेक सेवाएं दी हैं?

महत्वपूर्ण बिंदुः

  1. अल्लाह की प्रसन्नता को लक्ष्य बनाना मोमिन में सुन्दरता पैदा करता है।
  2. जैसे-जैसे एक आस्तिक में अच्छाई विकसित होती है, उसके कार्य बेहतर होते जाते हैं और उसका प्रतिफल बढ़ता जाता है।

परिणाम:

इस आयत में अल्लाह तआला मुसलमानों को गुप्त मामलों से बचने और सामाजिक कल्याण गतिविधियों में संलग्न होने के लिए प्रोत्साहित करता है। जो व्यक्ति अल्लाह के लिए दान, अच्छे कर्म और सुधार करता है, अल्लाह सर्वशक्तिमान उसे बड़ा इनाम देगा। यह आयत हमें सिखाती है कि हमें अपने शब्दों और कार्यों में अल्लाह की प्रसन्नता को ध्यान में रखना चाहिए और समाज के लिए उपयोगी कार्य करना चाहिए।

सूर ए नेसा की तफ़सीर

हज़रत रसूल अल्लाह स.अ.व.व ने एक रिवायत में हज़रत खदीजा सलामुल्लाह अलैहा की अज़मत की ओर इशारा किया है।

इस रिवायत को " बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:

:قال رسول اللہ صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم

أَيْنَ مِثْلُ خَدِيجَةَ صَدَّقَتْنِي حِينَ كَذَّبَنِي النَّاسُ‌ وَ وَازَرَتْنِي عَلَى دِينِ اللَّهِ وَ أَعَانَتْنِي عَلَيْهِ بِمَالِهَا إِنَّ اللَّهَ عَزَّ وَ جَلَّ أَمَرَنِي أَنْ أُبَشِّرَ خَدِيجَةَ بِبَيْتٍ فِي الْجَنَّةِ مِنْ قَصَبِ الزُّمُرُّدِ لَا صَخَبَ فِيهِ وَ لَا نَصَب

हज़रत रसूल अल्लाह स.अ.व.व ने फरमाया:

ख़तीजा जैसा कौन हो सकता है? उसने इस वक्त मेरी तस्दीक कि जब लोग मुझे झुठला रहे थे, और दीन ए खुदा की तरक्की के लिए अपने माल और दौलत से मेरी मदद की, खुदा ने मुझे हुक्म दिया है कि खदीजा सलामुल्लाह अलैहा को जन्नत में ऐसे ज़मुर्रत के महल की खुशखबरी सुनाओ, कि जिस में ना कोई ग़म है और ना कोई परेशानी और ना कोई ज़हमत।

बिहारूल अनवार,भाग 43, पेंज 131